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Tuesday 11 August 2015

Here Is the Complete List of 857 Porn Websites Blocked in

New Delhi: The government of India has banned access to at least 857 websites it considers pornographic in a bid to “protect social decency”.
The order was directed to the internet service providers (ISPs) citing that they violate “morality and decency” of Article 19 (2) of the Constitution and Section 79(3)(b) of the IT Act.
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Earlier, N.N. Kaul, a spokesman for India's department of telecom, said Monday the government was controlling easy access to pornography following a directive from the country's top court.
Kaul said that while Internet service providers in India will have to bar access, users may still view the sites through virtual private networks and proxy servers. He said the move would protect children.
The leaked government order asks service providers to block access to the 857 sites on grounds of morality and decency.
The order has caused a furore with many in the country accusing the government of moral policing and infringing on personal freedoms.

Monday 11 May 2015

एक लड़की ने ऑफिस ज्वाइन किया.

ये बात है फेब १४ के मंथ की. जब मैंने अपना ऑफिस रीज्वाइन किया था और काम काफी ज्यादा था और स्टाफ कम. सर काफी बार, स्टाफ बढ़ाने की बात कर चुके थे, लेकिन फाइनेंस का इशू बोल कर टाल देते थे. धीरे – धीरे दिन बढ़ते गये और फिर कुछ दिनों बाद, वहां पर एक लड़की ने ऑफिस ज्वाइन किया. उसका नाम मनीषा था, देखने में वो एकदम सॉलिड माल थी. उठे हुए बूब्स, जिसे पेंट अपने आप टेंट बन जाए.
और अट्रेकटिव बट्स जिसे महसूस करके इंसान का झड जाए. मैं परेशान था उससे बात करने के लिए या यू कहिये, उसका काम करने के लिए. फिर हमने सोचा, कि क्यों ना काम के ही बहाने उससे दोस्ती की जाए. कोशिश रंग ला रही थी. धीरे – धीरे हमारे बीच दोस्ती हुई, फिर धीरे – धीरे हम एक दुसरे के करीब आने लगे.
फिर हमने एक दुसरे को प्रोपोज किया. सिलसिला आगे बढ़ता गया और मेरा सेक्स करने के लिए एक्स्सित्मेंट भी बढता गया. फिर हम दोनों ने सेक्स करने का प्रोग्राम बनाया. हम दोनों ही जानते थे, हम दोनों को एक दुसरे से क्या चाहिए था. हमारे ऑफिस की कीज हमारे पास या मनीषा के पास रहती थी. बहुत दिनों बाद ऑफिस बंद होने के लिए मेल आई. कि इलेक्शन डे पर ऑफिस बंद रहेगा. हम लोगो को एक अच्छा दिन नज़र आने लगा. फिर इलेक्शन डे आया और ३०थ अप्रैल २०१४ को हमारे प्लान के अकोर्डिंग, मैं ऑफिस जल्दी आ गया और ऑफिस खोलकर मनीषा का वेट करने लगा. तक़रीबन ३० मिनट के बाद वो भी आ गयी और थोड़ी देर हम एक दुसरे से बात करते रहे और सोचते रहे, कि शुरुवात कहाँ से करे.
फिर शरम को ख़तम करके उसके होठो पर टूट पड़ा. वो भी मेरा साथ दे रही थी धीरे – धीरे मेरा हाथ उसकी ब्रा के अन्दर गया, जो बिलकुल टाइट थी. मेरा हाथ बहुत मुश्किल से निप्पल तक पंहुचा. हमने काफी देर मसला और वो मुह से बस आह्ह्ह्ह अहहहा की आवाज़े निकाल रही थी. फिर मैंने उसका कुरता उतार दिया, उसने रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी. रेड कलर वैसे भी सफ़ेद बूब्स पर खिलता है. फिर मेरा हाथ ब्रा के हुक पर चले गया और हुक खुल गया. दोनों पंछी आजाद होकर आसमान में उड़ने लगे और फिर मैंने उसके निप्पल को अपने मुह में दबा कर हलके दातो से उसको मसलने लगा. वो भी मछली की तरह मचलने लगी. फिर मेरा हाथ उसकी पेंटी में चला गया, जहाँ बिलकुल क्लीन शेव पुसी थी, जिसे मैं अपनी उंगलियों से सहला रहा था. बीच – बीच में ऊँगली मैं उसकी चूत के अन्दर भी डाल कर चला देता था. वो मस्त होती जा रही थी. वो सिर्फ एक ही बात बोल रही थी.. बस डाल दो… फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसका नाडा खीच लिया.
उसकी सलवार फ्लोर पर गिर गयी और फिर मैंने उसकी पेंटी नीचे किया और मुझे जब रहा नहीं गया, तो मैंने सीधे फुद्दी पर अपनी जुबान लगा दी और चूसने लगा. काफी देर चूसने के बाद देखा, वो मछली की तरह तड़पने लगी थी. इस तरह मैं उसे काफी देर तक लिक्क करता रहा. नमकीन टेस्ट मिल रहा था, लेकिन बहुत अच्छी लग रही थी वो स्मेल. मनीषा से रहा नहीं गया और उसने मेरी पेंट उतार कर अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को हिलाने लगी. मेरा लंड बहुत टाइट हो चूका था, बहुत बेताब हो रहा था उसकी चूत को फाड़ने के लिए. उसने मेरी अंडरवियर भी उतार दी और मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने उसकी चूत पर लंड को रख कर थोड़ा रगडा और फिर धीरे – धीरे धक्के लगाने लगा. लेकिन पूरा टोपा अन्दर नहीं गया. फिर मैंने एक जोर से धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. उसकी आवाज़ निकली आआआआआआआआआआअ आआआआआआआअऊऊऊऊऊओयीईईए मर गयी… मैं ..ऊऊऊऊईईईईइमा … मार डाला तुमने…
प्लीज धीरे करो.. अहहहहः अहहहः … उसकी इन आवाजो को सुनकर मेरा जोश बड़ने लगा था और इस तरह पुरे १५ मिनट तक राउंड चलता रहा. फिर मैं झड़ने वाला था. उसने कहा – अन्दर मत झाड़ना. फिर उसने मेरे लंड को निकाल कर मुह में लेकर चूसने लगी. फिर मैं भी उसके मुह में ही झड गया और उसके बाद, हमने कई बार सेक्स किचन सेक्स, स्टोर रूम में सेक्स, टेबल पर सेक्स, चेयर सेक्स.. फ्लोर पर सेक्स.. हर बार नई जगह और अलग – अलग पोजीशन में सेक्स किया. फिर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा और एक दिन सबको मनीषा के बारे में मालूम हो गया. उसने शर्म में जॉब छोड़ दी और २ दिन के बाद, हमने भी जॉब छोड़ दी. इस तरह हम दोनों लोग अलग – अलग हो गए, लेकिन मेरा पहला सेक्स बहुत यादगार सेक्स था.

Sunday 3 May 2015

पैंटी के उतारते हुए धीरे धीरे

नीरज पाण्डेय आपको सीखा के साथ इंडियन सेक्स की कहानी सुना रहा हूँ जिससे मेरी हालही में मुलाकात मुम्बई एयरपोर्ट पे हुई थी | दोस्तों वो दिखने में तो गजब माल लग रही थी और हम दोनों की मुम्बई में अपने कुछ काम के सिलसिले में आये थे | हम दोनों एक ही टेक्सी पकड़ी और इसीलिए वहाँ टेक्सी में ही हमारी बातचीत भी चालू हो गयी |यह कहानी देसीएमएमस्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे । टेक्सी से उतरने के बाद हम एक साथ ही बात करते हुए चल रहे थे और एक ही होटल में जब हमने दो कमरों की बात कहीं तो पता चला की वहाँ एक ही कमरा खाली था | मैंने सोचा किसी दूसरे होटल में जाया जाए पर सीखा ने कहा की कुछ ही दिनों की बात है हम दोनों रह सकते हैं उप्पर से बतियाने के लिए कंपनी भी मिल जायेगी |
मैंने भी वैस ही किया जो उसने मुझे समझाया | हम दोनों एक दिन तो बातों में ही गुज़ार दिया और एक अछे दोस्त बन चुके थे और ऐसे ही करके दो दिन और निकल चुके थे | वो बेड रूम में सोया करती थी और मैं सोफे पे पर चौथे दिन शाम को उसने कहा की आज हम दोनों एक साथ ही बेड पर सो जाते हैं और सच पूछो तो मुझे बड़ी खुशी हुई | रात को हम दोनों एक दूसरे से बतियाते हुए धीरे धीरे रोमांटिक होने और मैं उसके बिलकुल आ गया था | हम दोनों आँखों में आँखें डाल दल खो चुकी थे और मैं अपनी उँगलियों को उसकी हथेली पर सहला रहा था |
मैं सीखा को सहलाता हुने मैंने उसके चुचों को दबा रहा था जिसके बाद हम दोनों के होंठ एक दूसरे पर लड़खड़ाते हुए मैंने उसके टॉप को उतार दिया | मैंने सामने बढते हुए उसके चुचों को मुंह में भर लिया जिसपर वो सिसकियाँ ले लगी थी | मैं दूसरे हाथ से पजामे को को नीचे कर दिया और पैंटी के उतारते हुए धीरे धीरे उंगलियां सीखा की चुत के अंदर डालने लगा | सीखा की चुत ५ मिनट में ही गीली हो चुकी थी | मैंने अब उसकी चुत को अपने लंड के सामने कर चुत पर अपने लंड को सटाके जोर देने लगा और लंड के ज़ोरों के धक्के उसकी चुत में बरसाए जा रहा था | वो पहले मुंह को खोले हुए बस हलके से आह्हह हहहह कर रही थी जिसके बाद अब उसकी कसके आवाज़ भी निकालनी शुरू हो गयी थी |
मेरा लंड अब उसकी चुत में जाते हुए मोटा सा होता जा रहा और मुझे बड़ा नरमी वाला सुकून मिल रहा था | नीचे से मेरा लंड उसकी चुत की धंजिया उड़ाते हुए अपने इंडियन सेक्स के करतब दिखा रहा था, तो मैं उप्पर से उसके होंठों को चूस रहा था | यह कहानी  डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।मैं न ही ज्यादा तेज रफ्तार में था ना ही ज्यादा कम, बस इस तरह बदन से तन मिलाए हुए चुदाई के हसीं सुख को आधे घन्टे तक जी रहे थे और उसकी चुत के पानी ने बिस्तर पूरा गीला कर दिया था | बा तो मैं भी उसकी गीली चुत में झड़ने से अपने आप को नहीं रोक पाया | अगली आखिरी दिन भी हमने पुरे दिन रात ५ बार चुदाई का खेल खेला और फिर वहाँ से लौट आया और उसे हमेशा के लिए छोड़कर |

Thursday 23 April 2015

Friday 17 April 2015

sex in naukar,

मैं कोई बहुत पुरानी रीडर तो नहीं हु. लेकिन, कुछ ही समय में मैंने यहाँ पर काफी कहानिया पड़ी है और यकीन मानिये, हर बार, मेरी बुर गीली हुई है. कहानी पढ़ते समय हर बार, मुझे लगता है, कि कहीं ना कहीं ये मेरी लाइफ से भी जुडी हुई है. इसलिए हिम्मत करके, मैं आपसे अपनी पहली चुदाई की कहानी शेयर कर रही हु. मेरा नाम रीमा है और मैं बिहार से हु. ये कहानी तब की है, जब मैं तब १८ साल की थी. मेरी मम्मी एक टीचर थी और पापा भागलपुर में पहले से ही जॉब करते थे. सो मैं पटना में अकेले रह गयी थी. मैं तब बीसीऐ कर रही थी. मैंने कॉलेज का हॉस्टल ले रखा था. हॉस्टल में बहुत ही स्ट्रिक्ट रूल थे. मोबाइल फ़ोन भी नहीं रखने देते थे. बाहर जाना वीक में सिर्फ एक बार ही पस्सिब्ल था. मैं तो वहां न्यू थी, ना किसी को जयादा अच्छे से नहीं जानती थी. ना ही कोई बॉयफ्रेंड था. धीरे – धीरे मैंने देखा, कि सब हॉस्टल वाली लडकिया अपने बॉयफ्रेंड से काम करवाती है, मिलने जाती है. मेरा भी बहुत मन होता था, कि काश मेरा भी कोई बॉयफ्रेंड होता.
पर मैं बिलकुल अनजान थी उस जगह से. काफी दिक्कत आती, जब काम रहता. हमारे हॉस्टल का मेस बिलकुल हॉस्टल से सटा हुआ है. एकदिन मैं क्लास अटेंड करके मेस की तरफ आ रही थी. गर्मी के दिन थे. मैं पसीना – पसीना हो चुकी थी. मेरे कपड़े पसीने से गीले हो चुके थे और गीले कपड़ो की वजह से, मेरी चुचिया मेरे कपड़ो से साफ़ झलक रही थी. मैंने देखा, कि किचन से कोई मुझे घुर रहा है. मैंने भी अन्दर झांक कर देखा, कि एक न्यू नौकर आया है. वो लगभग २४- २५ साल का था. उसका काला सा चेहरा मुझसे लम्बा था. वो मुझे अब भी घुर रहा था. मैं वहां से चली गयी. फिर धीरे – धीरे नोटिस किया, कि मुझे हमेशा ही घूरता रहता था. बहुत गुस्सा आता था. पर सच कहू, पहली बार कोई घुर रहा था. तो इसलिए बहुत अच्छा भी लगता था. फिर मुझे एकदिन पैड्स (स्टेफ्री) की जरूरत थी और मेरे पास मेरे बेग में एक भी नहीं बचा था. मैं क्या करू… रूममेट भी बाहर गयी थी, तो सोचा, कि उस नौकर को ही बोलू.
मैंने बहुत हिम्मत करके उसको बोला. वो दौड़ता हुआ गया और लाकर मुझे दे दिया. फिर तो मुझे कुछ भी काम होता था, तो उसको हो कहती थी. वो एक बार में कर देता था. वो मुझे अच्छा लगने लगा. वप मेरे आजू – बाजू ही घूमता रहता था. हॉस्टल में मेरे लिए अलग मस्त खाना बनाता था. एकदिन कॉलेज में फंशन था. मैंने फंशन में डांस किया था और आते – आते इतना थक गयी, सोकर उठी.. तो रात के ११ बजे थे. मुझे बहुत भूख लगी थी. मैंने सोचा, कि उसको ही बोलती हु. मैं जैसे ही उसके रूम में जाकर उसको उठाने के लिए एंटर हुई, तो पाया कि वो सिर्फ अंडरवियर ही पहनकर सोया हुआ था. उसका अंडरवियर कुछ उठा सा हुआ था. मैं उसे देखकर हैरान थी और मेरे जिस्म में उसके अंडरवियर के उठे हुए भाग को देखकर गुद्गुद्दी सी होने लगी थी. मेरा भी मन कर रहा था, कि उसके अंडरवियर को हटाकर देख लू, कि वो उठी हुई चीज़ क्या है? पर मैंने अपने आप पर काबू करते हुए, उसको आवाज़ देकर उठाया. वो इतनी रात को मुझे देखकर चौक गया.
मैंने बोला, कि मुझे भूख लगी है. सुबह से एक बार ही खाना खाया है. तो वो बोला – मैडम सो गयी होगी आप. आप किचन में जाओ, मैं आ रहा हु. मैं किचन की तरफ गयी, वो आया. उसने रोटी – सब्जी बनायीं. मैं भी उसकी हेल्प कर रही थी. बीच – बीच में उसका हाथ, मेरी चूची को टच हो रहा था. मुझे शर्म आ रही थी और मैं हलके – हलके स्माइल भी कर रही थी. उसने उसको ग्रीन सिग्नल समझा. ११ बजे फंशन की रात, कोई भी नहीं जाग रहा था हॉस्टल में. तो हमें कोई डिस्टरब नहीं करने वाला था. उसने मुझे “आई लव यू” कहा. मैं कुछ भी नहीं बोली. उसने मुझे अपनी बाहों में जकड लिया और मुझे लिप किस करने लगा. पता नहीं कब तक उसने मेरे होठो को चूसा! ये मेरा पहला किस था. उसका हाथ मेरी कमर के पीछे था और वो अपना हाथ मेरी पीठ पर घुमा रहा था. उसने मेरे मुह में अपनी जीभ घुसा दी थी. मुझे नीचे से उसका लंड चुभ रहा था. मैं बिलकुल सोची भी नहीं, कि ये हॉस्टल है और ये नौकर है. मैं उसके साथ किस पर किस किये जा रही थी. तभी किसी के आने की आहट आई. हम दोनों जल्दी से अलग हो गये. मैं अपने रूम में खाना लेकर आ गयी. वहां आकर देखा, कि मेरी रूममेट सोई थी.
दिल को तस्सली हुई. खाना खाकर मैं सो गयी. उसदिन के बाद लाइफ ही चेंज हो गयी. वो हॉस्टल में बात तक नहीं करता था, ताकि किसी को पता ना चले. हर वीक में हम जू जाते थे और बहुत मज़ा करते थे. एक मंथ में मुझे मेरी ब्रा छोटी लगने लगी. वो जू में, मुझे काफी किस करता था और खूब बूब्स प्रेस भी करता था. एकदिन, उसने पूछा – तुम्हारी बुर कैसे रंग की है. मैं एक प्यार वाला थप्पड़ दी. उसने मुझे उठाया और कहा – भीड़ बहुत है आज जू में. हम दोनों भीड़ के साथ गुथम-गुथा होते हुए चले जा रहे थे. भीड़ में मौका का फायदा उठाकर उसने मेरी गांड दबा दी और कभी कमर से कमर को धक्का मार देता. बहुत मज़ा आ रहा था. हम लोग प्यार में डूबे थे, पर हॉस्टल में किसी को नहीं पता था. मेरी रूममेट अपने बॉयफ्रेंड से छुपकर फ़ोन पर बात करती थी. उसने मुझे भी एक फ़ोन लाकर दिया. हम रोज़ रात को फ़ोन सेक्स करने लगे. अभी तक रियल सेक्स नहीं हो पाया था. होली की छुट्टी आने वाली थी. सब घर जा रहे थे. मैं उदास थी, क्योंकि मम्मी की तबियत ख़राब थी और वो भागलपुर से नहीं आ सकती थी. तो मैं अकेले होली मनाती. मैं अकेले ही पुरे हॉस्टल में रुकी थी.
होली की सुबह १२ बजे उठी. मैं टॉयलेट में आ रही थी, तो पता नहीं वो कहाँ से आया. मैं थोड़ा डर गयी. उसने मुझे टॉयलेट में घुसाकर किस किया. मैंने भी किस कर रही थी. वो मुझे अपनी गोदी में उठाकर रूम में ले गया. उसने मेरा टॉवल खीचकर उतार दिया और मैं पूरी नंगी हो गयी थी. क्योंकि मैंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था. मैं शरमाने लगी थी और अपने आप को अपने हाथ से ढकने की कोशिश करने लगी थी. वो बोला – आपकी बुर भी आपके शरीर की तरह गोरी है. वो हाथ और गालो पर रंग लगा था. वो अपने गालो को मेरे गालो से रगड़कर मुझे रंग लगा रहा था. उसके हाथ मेरी चूची को आटे की तरह मल रहे थे. उसने पहले भी एकबार जू के सिनेमा हॉल में, मेरी बुर में ऊँगली की थी. पर मुझे न्यूड पहली बार देख रहा था. उसने मेरी चूत को प्यार से दबाया और रंगा. मैं पूरी लाल हो गयी थी. उसने ऊँगली भी करनी शुरू कर दी. मैं तड़प रही थी, कि तभी आहट आई और मैं टॉयलेट में भाग गयी. वो चले गया. फिर मैं रात में टॉप – स्कर्ट में सोई थी. गेट पर दस्तक हुई. खोला, तो वो अन्दर आ गया. गेट लॉक किया. मैंने बोला – इतनी रात को, क्यों? उसने मुझे गोदी में बिठाया और हाथ घुसाकर मेरी चूची दबाई, कानो को किस किया और बोला – आज होली पूरी नहीं हुई थी. मेरी टॉप फाड़ दी और ब्रा भी फाड़ दी. मैं इस तरह के लिए रेडी नहीं थी.
उसने पूरा न्यूड किया. मैं भी उसपर चढ़ गयी और उसको न्यूड कर दिया. उसका लंड काफी बार मुह में ले चुकी थी सिनेमा हॉल में. हमने किस किया. आज तो मेरी चूची की जान चली गयी थी. उसने मेरी बुर चाटी पहली बार. मैं तो निकल गयी थी. उसने अपना मोटा लंड सटाकर रगडा और जोरका धक्का दिया. मुझे लगा, कोई गरम रोड घुसा दिया. मैं चिल्लाई, पर कौन सुनता. कोई रहम नहीं दिखाया उसने और मुझे चोद दिया. वो मेरा पहला सेक्स था, जोकि मैं आज तक नहीं भूली हु. तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी पहली स्टोरी आप सबको. मुझे जरुर बताना. मुझे आप अपने लंड का साइज़ भी बताना. मुझे बड़े लंड को अपनी बुर में लेना बहुत पसंद है. मुझे आप सबके कमेंट का इंतज़ार रहेगा…

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