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Thursday 28 February 2013

भाभी को चुदना ही पड़ता है -1


जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तब मैं राहुल से बहुत प्यार करती थी।

मेरी एक हमराज सहेली भी थी विभा... वो मेरी राहुल से मिलने में बहुत मदद करती थी। एक तो वो अकेली रहती थी और वो मेरे अलावा किसी से इतनी घुली मिली भी नहीं थी। जब मैं एम ए के प्रथम वर्ष में थी... मुझे याद है मैंने पहली बार अपना तन राहुल को सौंपा था। बहुत मस्त और मोटे लण्ड का मालिक था वो। विभा मुझसे अक्सर पूछा करती थी कि आज क्या किया... कितनी चुदाई की... कैसे चोदा... मजा आया या नहीं...

मैं उसे विस्तार से बताती थी तो वो बस अपनी चूत दबा कर आह्ह्ह कर उठती थी, फिर कहती थी- अरे देख तो सही...

अपनी चूत घिस घिस कर मेरे सामने ही अपना रस निकाल देती थी। मुझे तो राम जी ! बहुत ही शरम आती थी।

राहुल ने मुझे एम ए के अन्तिम वर्ष तक जी भर के चोदा था। कहते है ना वो... चोद चोद कर भोसड़ा बना दिया... बस वही किया था उसने। पहली बार उसने मेरी गाण्ड जब मारी थी तब मैं जितना सुनती थी कि बहुत दर्द होता है... तब ऐसा कोई जोर का दर्द तो नहीं हुआ था। बस पहली बार थोड़ा सा अजीब सा लगा था...

दर्द भी कोई ऐसा नहीं था... पर हाँ जब धीरे धीरे मैं इसकी अभ्यस्त हो गई तो खूब मजा आने लगा था।

पढ़ाई समाप्त करते करते मुझमें उसकी दिलचस्पी समाप्त होने लगी थी। पर चोदने में वो अभी भी मजा देता था... मस्त कर देता था। मैंने धीरे से अपनी मां से शादी की बात की तो घर में जैसे तूफ़ान आ गया। जैसा हमेशा होता आया है... मेरी शादी कहीं ओर कर दी गई। राहुल ने भी मुझसे शादी करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। बाद में मुझे पता चला था कि वो विभा से लग गया था और उसी को चोदने में उसे आनन्द आता था।

राहुल को न पाकर मैं बहुत रोई थी, बहुत छटपटाई थी। पर विभा की बात जब मैंने सुनी तो सारा जोश ठण्डा पड़ गया था। मैं पढ़ी लिखी, समझदार लड़की थी...

मैंने अपने आप को समझा लिया था। पर उसकी वो चुदाई और गाण्ड मारना दिल में एक कसक छोड़ गई थी। मेरी शादी हो गई थी। मुझे घर भी भरा पूरा मिला था। सास थी... ससुर थे... एक देवर अंकित भी था प्यारा सा, बहुत समझदार... हंसमुख... मुझे बहुत प्यार भी बहुत करता था।

पति सुरेश एक कॉलेज में सहायक प्राध्यापक था। बहुत अनुशासनप्रिय... घर को कॉलेज बना दिया था उसने... उसकी सारी प्रोफ़ेसरी वो मुझ पर ही झाड़ता था। आरम्भ में तो वो रोज चोदता था... पर उसके चोदने में एकरसता थी। कोई भिन्नता नहीं थी... बस रोज ही मेरे टांगों के मध्य चढ़ कर चोद कर रस भर देता था। झड़ तो मैं भी जाती ही थी पर झड़ने में वो कशिश नहीं थी।

एक दिन वो बाईक से गिर पड़े... फ़ुटपाथ के कोने से चोट लगी थी। रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी। नीचे का हिस्सा लकवा मार गया था। अब वो अस्पताल में थे...

महीना भर से अधिक हो गया था... पता नहीं ये निजी अस्पताल वाले कब तक उन्हें वहाँ रखते... शायद उन्हें तो बस पैसे से मतलब था। मैंने ससुर से कह कर अंकित को अपने कमरे में सुलाने की आज्ञा ले ली थी। अकेले में मुझे डर भी लगता था।

पर इन दिनों में मुझे अंकित से लगाव भी होने लगा था। वो मुझे भाने लगा था। रात को मैं देर से सोती थी सो बस उसे ही चड्डी में पहने हुये सोते हुये निहारती रहती थी।

उफ़ ! बहुत प्यार आता था उस पर... पर शायद यह देवर वाला प्यार नहीं था... मैं उसके गुप्त अंगों को भी अन्दर तक से एक्सरे कर लेती थी।

एक दिन अचानक मैंने अंकित को देखा कि उसका लण्ड तना हुआ था, चड्डी में से सीधा उभरा हुआ नजर आ रहा था। उसका एक हाथ तभी अपने लण्ड पर आ गया और वो उसे दबाने लगा, शायद कोई मनमोहक सपना देख रहा था।

मैं उत्तेजित हो उठी... उसे ध्यान से देखने लगी। फिर मै उठ कर उसके बिस्तर पर उसके पास ही बैठ गई।

तभी मेरे कान खड़े हो गये... वो मुठ्ठ मारने के साथ मेरा नाम बड़बड़ा रहा था।

मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये। मेरे नाम की मुठ्ठ ! हाय रे ! मेरा मुन्ना !

मेरा बेबी... मेरा प्यारा अंकित... मैंने धीरे से हाथ बढ़ा कर लण्ड के नीचे के भाग को छुआ... उफ़्फ़ कैसा कड़क... कठोर था। मैंने धीरे से उसका नाड़ा खोल दिया और उसकी चड्डी धीरे से हटा दी... अंकित ने बाकी चड्डी को हटा कर अपना लण्ड पकड़ लिया।

उसका लाल सुर्ख सुपारा... सुपारे के मध्य में एक छोटी सी लकीर... उसमें से वीर्य की दो बूंदें निकल कर सुपारे पर फ़ैली हुई थी। मैंने

उसके सुपारे पर उंगली से चिकनाहट को स्पर्श किया।

तभी उसके लण्ड ने जोर से पिचकारी निकाल दी। मैंने अपनी आदत के अनुसार अपना मुख खोल लिया और उसकी वीर्य की पिचकारियों को मुख में जाने की अनुमति दे दी।

उफ़ कुवांरा, जवान मस्त गाढ़ा शुद्ध माल... कितना स्वाद लग रहा था। तभी अंकित की सिसकारी ने मेरा ध्यान भंग कर दिया और मैं तेजी से उठ गई।

हुआ कुछ नहीं बस वो करवट ले कर सो गया। मैं अपने बिस्तर से उसे देखती रही...

फिर बत्ती बुझा कर लेट गई। रात भर मुझे अंकित का लण्ड ही दिखता रहा... उसके वीर्य का स्वाद मुँह जैसे में आने लगा।

फिर मजबूरन मुझे उठ कर नीचे बैठना पड़ा और चूत में अंगुली फ़ंसा कर मुठ्ठ मार ली... मेरा सारा पानी छूट गया। फिर मुझे गहरी नींद आ गई।

अंकित को मैं बार बार चोर नजर से देखने लगी, मन में चोर जो घुस आया था।

मेरे मन में तरह तरह के विचार आने लगे। तब मेरे दिमाग में एक बात आई। मेरे पास सुरेश की नींद की गोलियाँ बची हुई पड़ी थी। मन का शैतान जाग उठा... रात को मैंने उसे कैसे करके वो गोलियाँ अंकित को खिला दी। खाना खाने के कुछ ही देर बाद उसे नींद सताने लगी। वो जल्द ही आज सो गया। आधे घण्टे के बाद मैंने उसे हिलाया ढुलाया... वो गहरी नींद में था।

मैंने उसके पास बैठ कर उसकी चड्डी को नाड़ा खोल कर ढीला कर दिया। फिर उसे ऊपर से खींच कर नीचे करके उसका लण्ड बाहर निकाल लिया। सोया हुआ लण्ड छोटा सा हो गया था। मैंने उसे बहुत हिलाया... पर वो खड़ा नहीं हुआ। मैंने अपने मुख में लेकर उसे चूसा भी पर वो टस से मस नहीं हुआ। मुझे बहुत निराशा हुई।

मैंने उसकी चड्डी ऊपर सरका दी। पर मैं उसे बांधना भूल गई। सुबह जब वो उठा तो उसे शायद कुछ महसूस हुआ। मैंने उसे देख तो झेंप गई।

भाभी... माफ़ करना... जाने कैसे ये चड्डी का नाड़ा रात को अपने आप कैसे खुल जाता है।

"जरूर तुम कुछ रात को कोई शरारत करते हो?" मैंने मजाक किया।

वो शरमा सा गया। उसने जल्दी से नाड़ा बांध लिया। पर शायद उसे शक हो गया था। पर फिर वो दिन भर सामान्य रहा। मैंने सावधानी बरती और आज कुछ नहीं किया। बस उसके सोते ही मैं भी लेट गई। पर नींद कहां थी? तभी मुझे अंकित के उठने और चलने की आवाज आई। मैं सतर्क हो गई... यह अंकित मेरे बिस्तर के पास क्या कर रहा है?

मैं दिल थाम कर कुछ होने का इन्तजार करने लगी।

ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा। वो मेरी बगल में लेट गया, फिर उसने मेरे पेटीकोट के ऊपर से ही मेरे कूल्हे पर हाथ रख दिया। मैं कांप सी गई। उसने हौले से हाथ फ़ेर कर मेरे सुडौल चूतड़ों का जायजा लिया।

अन्दर ही अन्दर मुझे झुरझुरी छूट गई। उसे रोकने का मतलब था कि आने वाले सुख से वंचित रह जाना। मैं सांस रोके उसकी मधुर हरकतों का आनन्द लेने लगी। अब वो मेरे चूतड़ के गोले एक एक करके दबा रहा था। उसकी हरकत से मेरा दिल लहूलुहान हो रहा था। चूत बिलबिला उठी थी। उसका हाथ गाण्ड के गोले सहलाते हुये चूत तक पहुँच रहा था...

मेरा मन बुरी तरह से डोलने लगा था। तब शायद उसने उठ कर मेरा चेहरा देखा था। मुझे गहरी नींद में सोया देख कर उसके हाथ मेरी चूचियों पर आ गये, मेरे ढीले ढाले ब्लाऊज के ऊपर से ही उसने उन्हें सहला दिया, मेरी निप्पल उसने उंगलियों के पौरों में लेकर मसल दिए।

मेरा मन चीख उठा... चोद दे रे... हाय राम इतना तो मत तड़पा... !

मैंने सोचा कि यदि मैं सीधे लेट जाऊँ तो शायद यह मेरे ऊपर चढ़ जाये और चोद दे मुझे।

मैं धीरे से सीधे हो गई... पर वो चुप से किनारे हो गया। तभी मैंने खर्राटे लेने जैसी आवाज की... तो वो समझ गया कि मैं अभी भी गहरी नींद में ही हूँ।

उसने ध्यान से मेरे पेटीकोट की तरफ़ देखा और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।

मेरा दिल अब खुशी के मारे उछलने लगा... लगा बात बन गई। पर नहीं ! उसने बस मेरा पेटीकोट धीरे से नीचे किया और मेरी चूत खोल दी, उस पर अपनी अंगुली घुमाने लगा।

चूत पूरी भीग कर चिकनी हो चुकी थी। मैंने भी जान कर अपनी टांगें चौड़ा दी। उसने सहूलियत देख कर अपनी एक अंगुली मेरी चूत में पिरो दी।

मुझे अचानक महसूस हुआ कि उसका लण्ड बेतहाशा तन्ना रहा था, बहुत ही सख्त हो गया था। वो मेरे कूल्हों से बार बार टकरा रहा था। फिर वो उठा और धीरे से उसने मेरा मुख चूमा... और बिस्तर से धीरे से सरक कर नीचे उतर गया।

मेरा मन तड़प उठा। उफ़्फ़्फ़... मेरी तरसती चूत को छोड़ कर वो तो जा रहा था। अब क्या करूँ?

पर वो गया नहीं... वहीं नीचे बैठ गया और अपनी मुठ्ठ मारने लगा।

मेरा दिल तो पहले ही पिंघल चुका था। उसे मुठ्ठ मारते देख कर मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसकी बांह पकड़ ली- यह क्या कर रहे हो देवर जी... उठो !

वो एकदम से घबरा गया- वो तो भाभी... मैं तो...

"श्...श्... भाभी का पेटीकोट उतार दिया... चूत में अंगुली घुसेड़ दी... अब और क्या देवर जी?"

"वो तो... मैं तो..."

"चुप... चल ऊपर आ जा..."

मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटा लिया और उससे चिपक गई।

"अरे भाभी सुनो तो...! यः क्या कर रही हैं आप...?"

यह सुन कर मुझे एकदम होश आ गया, मैंने आश्चर्य से उसे देखा- क्या हो गया देवर जी? अभी तो आप...

"पर यह नहीं... आप भाभी हैं ना मेरी... मैं यह सब नहीं कर सकता... प्लीज !"

उसने स्पष्ट रूप से मेरा अपना रिश्ता बता दिया। मुझे कुछ शर्मिंदगी सी भी हुई... बुरा भी लगा, गुस्सा भी आया...

पर मैंने अपने आप को सम्भाला...

ओह अंकित... ऐसा कुछ भी नहीं है... बस तुझे नीचे देखा तो ऊपर ले लिया... अब सो जा...

देखेंगे आगे क्या हुआ !

निशा भागवत

Wednesday 27 February 2013

छप्पर फाड़ कर-2


मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर उठाई, उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोली, “कोई आ जाएगा।”

मैं झुका और उसके पेट के खुले भाग को चूमने लगा। वो गुदगुदी और आनंद के मिले जुले प्रभाव से सिसकने लगी। अब मैं दो काम एक साथ कर रहा था उसके पेट पर चूम रहा था और साथ ही साथ उसकी टीशर्ट उठा रहा था। उसके हाथों की विरोध करने की ताकत खत्म होती जा रही थी।

कुछ पलों बाद मैं उसकी टीशर्ट उठा कर उसके गले तक ले आया और उसकी सफ़ेद ब्रा के आसपास के नग्न स्थानों को चूमने लगा। मैंने उसके ब्रा का दायाँ कप हटाया। उसके दूधिया उभार पर छोटा सा चुचूक मेरा इंतजार कर रहा था। मैंने उसपर अपना जलता हुआ होंठ रखा।

नेहा का पूरा बदन सिहर उठा। मैंने चूचुक को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। वो मचलने लगी। मैंने चूचुक अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। नेहा की हालत खराब होने लगी। चूसते चूसते ही मैंने उसकी ब्रा का बायाँ कप हटाया और उसके बाएँ उभार को कस कर मसलने लगा। कितने बड़े बड़े उरोज थे मेरी पूरी हथेली में उसका आधा उरोज भी नहीं आ रहा था।

फिर मैंने उसको बैठने को कहा और उसकी टीशर्ट बाहर खींचने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया और मैंने पीछे से हुक खोलकर उसकी ब्रा भी उतार दी। उसके उभार हल्का सा नीचे हो गए। बड़े उभारों के साथ यही समस्या होती है बहुत कम उम्र में ही ढीले होना शुरू हो जाते हैं इसलिए बड़े उभारों का असली आनंद तो अठारह की उम्र में ही मिल पाता है।

सुगंधा की जींस उतार कर मैं देख चुका था कि लड़कियों की जींस उतारना कितना मुश्किल काम है। मैंने उसके गले पर चूमते चूमते उससे कहा, “नेहा अपनी जींस उतार दो।”

वो बोली, “नहीं सर प्लीज, ये सब शादी के बाद।”

हद हो गई, इन अठारह साल की लड़कियों का चुम्बन भी ले लो तो शादी और बच्चों के सपने देखने लगती हैं। इससे अच्छी तो सुगंधा थी कम से कम उसे मालूम तो था कि हम दोनों की शादी नहीं हो सकती।

मैंने कहा, “मैं सेक्स नहीं करूँगा सिर्फ़ तुम्हारी जाँघों और योनि पर चुम्बन लूँगा। मैं और कुछ करूँ तो तुम मुझे तुरंत रोक देना। प्लीज नेहा, जल्दी करो और मत तड़पाओ नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगा। तुम तो जानती हो पिछले पंद्रह दिनों से मैं सुगंधा के लिए तड़प रहा हूँ अगर तुमने न देखा होता तो मैं उसे हर रविवार को बुला लेता। अब अगर तुम चाहती हो कि मैं सुगंधा से न मिलूँ तो प्लीज अपनी जींस उतार दो और मुझे अपनी जाँघों और योनि को चूमने दो।”

मेरी बातों को सुनकर और मेरी खराब हालत को देखकर वो समझ गई कि मैं बिना उसको नग्नावस्था में देखे मानने वाला नहीं हूँ। उसने अपनी जींस उतार दी।

'उफ़ ये दूध जैसी गोरी गोरी और गदराई हुई जाँघें !'

इनके सामने सुगंधा की हल्की साँवली जाँघें तो कुछ भी नहीं हैं।

हे कामदेव आज के बाद अगर नेहा मुझे यों ही मिलती रही तो मैं सुगंधा के बारे में सोचूँगा भी नहीं।

मैंने उसे बेड पर अच्छी तरह से लिटा दिया। अब उसके बदन पर सिर्फ़ जॉकी की पैंटी थी जो उसकी गदराई हुई जाँघों पर कयामत लग रही थी और पैंटी के ठीक बीच में उसकी योनि फूल कर कुप्पा हो गई थी।

हे कामदेव इतनी फूली हुई योनि ! धन्यवाद, बहुत बहुत धन्यवाद।

मैंने उसकी जाँघों को चूमना शुरू किया। गोरी, चिकनी, बेदाग अनछुई जाँघें मेरे हर चुम्बन पर सिहर उठतीं थीं।

मैं चुम्बन लेते लेते धीरे धीरे ऊपर आया। उसकी योनि को पैंटी के ऊपर से मैंने चूमा तो उसके पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। मैंने उसकी पैंटी के इलास्टिक में अपनी उँगलियाँ फँसाईं तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए।

वो बोली, “आप तो कह रहे थे कि सिर्फ़ चूमेंगे।”

मैंने कहा, “ठीक कह रहा था। लेकिन मुझे तुम्हारी नग्न योनि को चूमना है।”

उसने मेरे हाथ छोड़ दिए। मैंने उसकी पैंटी नीचे खींची। उसकी योनि पर बाल ही नहीं थे। मैं दंग रह गया। हे कामदेव ऐसी योनि भी होती है क्या जिस पर बाल ही न हों।

मैंने उसे चूम लिया। वो पूरी तरह सिहर उठी। मैंने उसकी योनि के बीचोबीच बनी पतली सी दरार पर अपनी जीभ रखी। उसकी टाँगें काँप उठीं। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया। उसका जिस्म काँपना शुरू हो गया। उसकी योनि मेरी लार और उसके योनिरस से गीली होने लगी।

मैंने उसकी टाँगें फैला दीं। उसने कोई विरोध नहीं किया अब मेरी जीभ थोड़ा थोड़ा उसकी दरार में भी उतर रही थी। बिना बालों वाली कुँवारी योनि को चूसने से बड़ा सुख दुनिया में और कहीं नहीं। मैंने उसकी टाँगे और फैला दीं फिर मैं उसकी जाँघों के बीच इस तरह लेट गया कि मेरा मुँह उसकी योनि पर रहे।

इस बार मैंने अपनी उँगलियों से उसकी योनि की दरार फैला दी। अंदर छोटा सा छेद दिखाई पड़ रहा था। मैं अपनी जीभ उसकी दरार में घुसाने की कोशिश करने लगा। नेहा में अब विरोध करने की ताकत नहीं बची थी। वो अब पूरी तरह मेरी थी।

मेरी जीभ थोड़ा सा अंदर घुसी तो उसने अपने नितम्ब ऊपर उठा दिये। मैंने जीभ और अंदर डालने की कोशिश की मगर थोड़ा और अंदर जाने के बाद जीभ पर योनि का कसाव बहुत ज्यादा हो गया। मैं समझ गया कि और अंदर जीभ डालने के लिए पहले इस छेद की चौड़ाई बढ़ानी होगी।

मैंने जीभ छेद से निकालकर उसकी योनि की भगनासा को चाटने लगा और वो अपने नितम्ब उछालने लगी। उसकी भगनासा भी फूली हुई थी। योनि को चूसते चूसते मैंने अपने हाथ नीचे करके अपना पजामा और अंडरवियर नीचे सरका दिए। फिर मैं उसके ऊपर सरक आया। मैंने उसके होंठ चूमने चाहे तो उसने अपना मुँह घुमा लिया।

मैंने पूछा, “क्या हुआ नेहा।”

वो बोली, “आपका मुँह गंदा हो गया है।”

हद है यार ये लड़कियाँ भी न एक दिन जिसे गंदा कहकर उसकी तरफ देखना भी नहीं पसंद करतीं बाद में उसी को मुँह में लेकर लालीपॉप की तरह चूसती हैं। हे कामदेव कहाँ से मिट्टी लाकर तू बनाता है लड़कियाँ।

मैं उसके गालों को चूमने लगा। चूमते चूमते मैंने अपनी कमर और ऊपर उठाई। अब मेरा लिंग नेहा की मुलायम योनि पर था। उफ इसकी योनि कितनी गद्देदार है। मैं अपनी कमर हिलाकर अपना लिंग उसकी योनि पर रगड़ने लगा। फिर मैंने अपने हाथ से लिंग को पकड़कर योनि की गीली दरारों से रगड़ रगड़ कर गीला किया। जब मुझे लगा कि लिंग में पर्याप्त गीलापन आ गया है तो मैंने उसकी योनि के छेद पर अपना लिंग रखा और हल्का सा दबाव बढ़ाया। जल्द ही मेरा लिंग उसकी दरार से गुजरते हुए उसकी गुफा के द्वार पर जाकर अटका। मैं जानता था कि धीरे धीरे डालूँगा तो ये दर्द के मारे मुझे अपने ऊपर से हटा देगी। इसलिए मैंने अपनी पूरी ताकत लगाकर एक जोरदार झटका मारा।

लिंगमुंड आधा ही अंदर गया लेकिन नेहा किसी जिबह होती बकरी की तरह चिल्लाई। वो सुगंधा की तरह दुबली पतली तो थी नहीं। मोटी भी नहीं थी मगर हट्टी कट्टी थी। उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे वो रोए जा रही थी। मैंने उसकी योनि की तरफ देखा। वहाँ से खून रिसकर कर चादर पर गिर रहा था। मैंने इतना बड़ा लिंग देने के लिए कामदेव को कोसा।

मैंने अपना तौलिया उठाया और उसकी योनि से खून साफ करने लगा। कुछ पलों बाद खून का बहना रुक गया तो मैंने उसकी योनि को फैलाना चाहा। वो फिर दर्द से सिसक उठी। मैं समझ गया कि आगे कुछ करना ठीक नहीं होगा। मगर सुगंधा की योनि में से तो इतना खून नहीं निकला था। ये क्या माज़रा है। मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों और गालों को चूमने लगा।

मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ, नेहा?”

वो बोली, “बहुत दर्द हो रहा है। लगता है मैं मर जाऊँगी।”

मैंने कहा, “आखिर शादी के बाद तो तुम्हें ये सब करना ही होगा। शादी के बाद कैसे करोगी।”

वो बोली, “पता नहीं। लेकिन मैं अब कभी सेक्स नहीं करूँगी। बहुत दर्द हो रहा है।”

मैंने कहा, “तो फिर मैं क्या करूँ। मेरा क्या होगा नेहा।”

वो बोली, “आप सुगंधा के साथ ही कर लो। मैं नहीं कर सकती।”

मैंने कहा, “चलो आज नहीं, अगले रविवार को फिर प्रयास करेंगे।”

वो बोली, “नहीं, कभी नहीं।”

मैंने कहा, “तो फिर शादी के बाद क्या करोगी। ऐसा करोगी तो शादी की पहली रात को ही तुम्हारा पति तुम्हें तलाक दे देगा।”

वो बोली, “तो मैं क्या करूँ।”

मैंने कहा, “किसी डॉक्टर को दिखा लो हो सकता है तुम्हारी योनि की मांसपेशियों में कुछ समस्या हो।”

वो बोली, “नहीं, मैं क्या कहूँगी डॉक्टर से कि मैं योनि में लिंग घुसवा रही थी और वो नहीं घुस रहा था आप चेक करके बताइए कि क्या समस्या है।”

इस अवस्था में भी मैं हँस पड़ा, मैंने कहा, “तो एक काम करता हूँ। सुगंधा तो जान ही चुकी है कि तुम मुझे और उसको संभोग करते हुए देख चुकी हो, मैंने झूठ बोला, अब उसके और मेरे बीच में कोई लाज शर्म तो बची नहीं है। मैं उससे बात करता हूँ। वो जीव विज्ञान की छात्रा है। हो सकता है वो तुम्हारी इस समस्या का कोई समाधान बता सके। नहीं तो तुम्हारी शादी के बाद क्या होगा।”

मैंने उसे डराया। अब शायद वो मुझसे शादी का तो क्या शादी करने के बारे में ही अपना ख्याल बदल चुकी थी।

वो बोली, “मेरे बारे में कुछ मत कहिएगा, कह दीजिएगा कि आप की कोई दोस्त है जिसके साथ आप कर रहे थे और यह समस्या आ गई।”

मैंने कहा, “चलो ऐसे ही सही। अच्छा अब एक काम करो अपनी आँखें बंद करो।”

वो बोली, “क्यूँ?”

मैंने कहा, “भरोसा करो और अपनी आँखें बंद करो।”

उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरे दिमाग तेजी से काम कर रहा था। मुझे अपने लिंग को तो किसी भी तरह से शांत करना ही था। मैंने आलमारी में रखी शहद की शीशी उठाई उसमें से शहद अपने लिंग पर लगाया और उससे बोला, “मुँह खोलो।” सुगंधा के इंकार करने के बाद मैं नेहा को धोखे में रखकर अपना लिंग चुसवाना चाहता था। मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था।

मैं उसकी छातियों पर इस तरह बैठा कि मेरा भार उस पर न पड़े। उसने मुँह खोला हुआ था। मैंने कहा, “अगर तुम मुझसे सचमुच प्यार करती हो तो अपनी आँख नहीं खोलोगी।”

उसने और कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने अपना शहद लगा लिंगमुंड उसके मुँह में डाल दिया। मैंने अपने पैर उसकी बाहों पर रखे हुए थे ताकि वो अपने हाथ से टटोलकर न देख सके कि मैं उसे क्या चुसवा रहा हूँ।

उसे शहद का स्वाद मिला तो उसने चूसना शुरू कर दिया। मुझे मजा आने लगा। आज पहली बार लिंग चुसवाने का सुख मिल रहा था। मैंने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया अब वो चूस रही थी और मैं अपनी कमर हिला रहा था। अचानक मेरे शरीर में तनाव आया और मेरे लिंग से वीर्य निकल निकल कर उसके मुँह में गिरना शुरू हो गया।

उसने आँखें खोलीं और जो उसने देखा उससे उसके होश उड़ गए। उसने अपना सिर खींचा तो लिंग से निकल रहा वीर्य उसके मुँह पर और उसके मांसल उरोजों पर गिरने लगा।

उसने पूरा जोर लगाकर मुझे अपने ऊपर से ढकेला और बाथरूम की तरफ भागी। बाथरूम से उल्टी करने की आवाजें आने लगीं। बहरहाल मेरा काम हो गया था और नेहा की शुरुआत हो चुकी थी।

अब मुझे सुगंधा और नेहा की मुलाकात करवानी थी ताकि नेहा के मन से लिंग का डर निकाल सकूँ।

मेरा दिमाग आगे की योजना बनाने में व्यस्त हो गया।

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Tuesday 26 February 2013

छप्पर फाड़ कर-1


सुगंधा को वापस उसके छात्रावास छोड़ने के बाद मैं सभी देवों से इस बार बचा लेने की प्रार्थना करते हुए अपने कमरे पर लौटा (पढ़िए कहानी का पिछला भाग “छुपाए नहीं छुपते”)।

नेहा मेरे कमरे में फ़ोल्डिंग बेड पर पैर लटकाकर बैठी हुई थी और "कामायनी" का सस्वर पाठ कर रही थी। मेरी उससे कुछ कहने की हिम्मत नहीं पड़ी। जो कुछ उसने देखा था उसके बाद मेरी उससे निगाह मिलाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने उससे पुस्तक ले ली और मनु और श्रद्धा की कहानी उसे सुनाने लगा। कहानी खत्म होने के बाद मैंने उसे कविता का अर्थ समझाना शुरू किया।

बीच में एक पंक्ति आई- “और एक फिर व्याकुल चुम्बन रक्त खौलता जिससे, शीतल प्राण धधक उठते हैं तृषा तृप्ति के मिष से।”

पढ़ने के बाद मैंने उसकी तरफ देखा। पंक्ति में चुम्बन शब्द आने से उसने थोड़ा बहुत अंदाजा तो लगा ही लिया था कि इसका अर्थ क्या होगा।

मैंने डरते डरते कहा, “इन पंक्तियों को छोड़ देते हैं।”

वो बोली, “क्यों।”

मैंने कहा, “इनका अर्थ अश्लील है।”

वो बोली, “और आप जो कर रहे थे वो अश्लील नहीं था क्या?”

मैंने अनजान बनते हुए पूछा, “मैं क्या कर रहा था?”

वो बोली, “मैं काफ़ी देर से खिड़की के पास खड़ी थी और आपको और सुगंधा को सेक्स करते देख रही थी। आपको शर्म नहीं आती ऐसी घटिया हरकत करते हुए और वो भी अपनी चचेरी बहन के साथ।”

मैंने शर्म से सर झुका लिया और धीमी आवाज़ में बोला, “मुझे माफ़ कर दो नेहा मैं बहक गया था। आज के बाद कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा। प्लीज मुझे माफ़ कर दो।”

उसने कहा, “कब से ये सब कर रहे हैं आप दोनों।”

मैंने कहा, “बस ये दूसरी बार है और इसके बाद ऐसा कभी नहीं होगा। प्लीज किसी से कुछ मत कहना इसके बारे में, वरना मैं और सुगंधा दोनों बर्बाद हो जाएँगें।”

उसने कहा, “चलिए इस बार तो मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी मगर अब कभी अगर आप सुगंधा को यहाँ लाए तो मैं पापा को सब-कुछ बता दूँगी।”

मैंने कहा, “थैंक्यू बेबी, आज के बाद मैं कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा।”

मेरी जान में जान आई। मैंने कामदेव को धन्यवाद दिया। एक बड़ा संकट टल गया था।

मैंने वो दो पंक्तियाँ छोड़ दीं और नेहा को आगे का अर्थ समझाने लगा। एक घंटे बाद वो चली गई।

अगले रविवार को नेहा का जन्मदिन था। उसका मुँह बंद रहे इसलिए बेहतर था कि मैं उसे कोई अच्छा सा तोहफा दे देता। मैं उसके लिए अच्छी सी घड़ी खरीद कर लया।

अपने जन्मदिन के अगले ही दिन वो विद्यालय से वापस आते ही स्कर्ट और शर्ट पहने हुए ही छत पर मेरे कमरे में आई और बोली, “थैंक्यू, भैय्या।”

मैं बोला, “यू आर वेलकम, बेबी।”

वो सचमुच बहुत खुश थी। मैंने उसको अठारह साल की हो जाने पर दुबारा बधाई दी और कहा कि अब तुम वोट दे सकती हो और अपनी मर्जी से जिससे चाहो शादी भी कर सकती हो।

वो मुस्कुराने लगी। फिर मैंने उससे पूछा कि विद्यालय में आज क्या पढ़ाया गया। वो बताने लगी। थोड़ी देर हम दोनों में इधर उधर की बातें होती रहीं फिर वो वापस चली गई।

अगले रविवार वो मेरे पास आई तो उसने जींस और टॉप पहना हुआ था। मैंने उसको इससे पहले भी बाजार वगैरह में जींस और टॉप में देखा था लेकिन दूर दूर से और हमेशा एक बच्ची की नज़र से। आज तो वो कयामत लग रही थी। बिल्कुल कसी हुई टॉप में उसके बड़े बड़े उरोज बाहर निकल आने को आतुर लग रहे थे। इसके सामने सुगंधा के उरोज तो कुछ भी नहीं हैं, मैंने सोचा।

दो सप्ताह से मैं हस्तमैथुन करके काम चला रहा था। लेकिन योनि का रस जिसने एक बार छक कर पी लिया उसका मन हस्तमैथुन से कहाँ भरता है।वो मेरे सामने से गुजरकर फ़ोल्डिंग बेड पर बैठने के लिए गई तो मैंने पीछे से उसके नितम्बों का जायजा लिया।

"हे कामदेव ! इतने बड़े नितम्ब।"

"कहाँ छुपाकर रक्खे थे इस लड़की ने?"

सचमुच भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

"हे कामदेव, अपने पुष्पबाण वापस तरकश में डाल लो, वरना मैं न जाने क्या कर बैठूँ।"

पर कामदेव जब एक बार पुष्पबाण चलाना शुरू कर देते हैं तो फिर जान निकाले बिना कहाँ मानते हैं। न जाने कहाँ से मुझमें इतनी हिम्मत आ गई कि मैंने उससे पूछा, “अपने ब्वायफ्रेंड से मिलकर आ रही हो क्या।”

वो बोली, “नहीं अपने ब्वॉय फ़्रेंड से मिलने जा रही हूँ मगर आपको इससे क्या? आप तो मुझे हिंदी पढ़ाइए और अपनी चचेरी बहन से सेक्स कीजिए।”

मेरा मुँह लटक गया। मुझे उससे ऐसे कटाक्ष की आशा नहीं थी।

उसने मेरी तरफ देखा और मेरा लटका हुआ मुँह देखकर बोली, “मैं तो मजाक कर रही थी। आप तो बुरा मान गए।”

मैंने कहा, “मैंने तुमसे बताया था न कि मुझसे गलती हो गई। इसके लिए मैं शर्मिन्दा हूँ। फिर भी तुम ऐसी बात कह रही हो। उस बात को भूल जाओ और आगे से कभी ऐसा मजाक मत करना नहीं तो मैं कहीं और कमरा ले लूँगा।”

अचानक उसे न जाने क्या हुआ कि वो आकर मुझसे लिपट गई और रोने लगी।

मैं भौंचक्का रह गया।

वो मुझसे लिपटकर रो रही थी, उसके मांसल उरोज मेरे सीने से दबे हुए थे और वो रोए जा रही थी।

कुछ देर मैंने उसे रोने दिया, फिर मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ बेबी?”

वो बोली, “आई लव यू, भैय्या। आई लव यू। आप नहीं जानते आप मुझे कितने अच्छे लगते हैं। मैं कब से आप से प्यार करती हूँ इसलिए उस दिन जब मैंने आपको और सुगंधा को सेक्स करते हुए देखा तो मैं पागल हो गई। यदि आप मुझे न रोकते तो मैं सचमुच पापा को बता देती और जब मुझे यह पता चला कि वो आपकी चचेरी बहन है तो मुझे आपसे नफ़रत होने लगी। पर जब आपने बताया कि आप अपने किए पर शर्मिंदा हैं और आप फिर कभी ऐसा नहीं करेंगे तो मैंने दिल से आपको माफ़ कर दिया। अब मैं कभी उस घटना का जिक्र नहीं करूँगी। प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए और अब कभी यह घर छोड़कर जाने की बात मत कीजिएगा।”

मैं जानता था कि यह उम्र होती ही ऐसी है जिसमें लड़की आकर्षण और प्यार में अंतर नहीं कर पाती। मेरे जैसे स्मार्ट लड़के पर उसका आकर्षित होना कोई बड़ी बात नहीं थी। लेकिन वो आकर्षण को प्यार समझ बैठी थी। ये कमसिन और नादान उम्र की लड़कियाँ भी न, दूध के दाँत भी अभी ठीक से नहीं टूटे कि दुनिया की सबसे जटिल भावना “प्रेम” को समझ पाने और प्यार होने का दावा करने लगती हैं।

मैंने कहा, “भैय्या भी कहती हो और आई लव यू भी कहती हो। मैं एक बार गलती कर चुका हूँ दुबारा नहीं करना चाहता।”

अब उसका रोना बंद हुआ और वो बोली, “आई लव यू, सर !”

मैं बोला, “अब ठीक है, लाओ किताब दो और उधर बैठो।”

वो बाथरूम से अपना चेहरा धोकर आई। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक निहारा। मेरी निगाह उसके मांसल उरोजों पर जाकर रुकी। उसने मेरी निगाह का पीछा किया तो शर्म से उसके गाल लाल हो गए।

मैंने अपनी बाहें फैला दीं। वो सर झुकाकर धीरे धीरे आई और मेरी बाहों में सिमट गई। मैंने कसकर उसे खुद से भींच लिया। उसके बड़े बड़े उभार मेरे सीने में चुभकर अजीब सी गुदगुदी कर रहे थे। मैंने उसके बालों में उँगलियाँ फेरनी शुरू कीं। फिर उसकी पीठ पर हाथ फिराना शुरू किया।

वो मुझसे लिपटी हुई थी। मुझे पता था कि एक बार सचमुच का सेक्स देखने के बाद अब तो इसका मन करता होगा कि इसके साथ भी वही सब कुछ हो।

मैं डरते डरते अपना हाथ उसके नितम्बों पर ले गया।

"हे कामदेव इसके नितम्ब तो सुगंधा के नितम्बों से तिगुने हैं।"

उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं उसके नितम्बों को धीरे धीरे सहलाने लगा। फिर मैंने उसके नितम्ब को पकड़कर उसे और करीब खींच लिया। उसकी जाँघें मेरी जाँघों से सट गईं। उसका गदराया हुआ बदन बाहों में भरने का आनंद ही अलग था।

उससे चिपके चिपके ही मैं उसे बेड के पास ले गया और उसे बेड पर लिटाने लगा। वो मुझसे अलग होने को तैयार ही नहीं थी। मैंने उसके गालों पर फिर होंठों पर चुम्बन लिया। उसके गले पर चुम्बनों की बरसात कर दी। उसकी टीशर्ट के खुले हुए हिस्से पर चुम्बन लिये। उसके बाद मैंने उससे कहा, “लेट जाओ नेहा। मैं तुम्हारे साथ जो कुछ करना चाहता हूँ वो खड़े खड़े नहीं हो सकता।”

वो मुझसे अलग हुई। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया। वो आधी बेड पर थी लेकिन उसके पैर बेड के नीचे लटके हुए थे। मैं उसके बगल बैठ गया। उसकी साँसें पहले की अपेक्षा तेज हो गई थीं। मैंने अपना एक हाथ उसके माँसल उभार पर रखा।

वो सिहर उठी।

मैं धीरे धीरे उसके उभारों को सहलाने लगा।

पहली बार संभोग के लिए तैयार लड़कियों का कोई भरोसा नहीं होता पता नहीं कौन सी बात पर नाराज हो जाएँ और आगे बढ़ने से इंकार कर दें। इसका मूल कारण उनका डर और संभोग के संबंध में उनकी अज्ञानता होती है। इसलिए पहली बार जब भी किसी लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाएँ धीरे धीरे और बिना किसी जबर्दस्ती के बनाएँ। लड़की अगर इंकार करे तो आगे न बढ़ें वरना जबरदस्ती आप इधर उधर हाथ तो लगा लेंगे मगर साथ ही भविष्य में संभोग की सारी संभावनाएँ खत्म कर लेंगे।

मैंने अपना दूसरा हाथ उसके दूसरे उरोज पर रखा। उसकी साँसें और तेज हो गईं।

मैंने उसके उरोजों को सहलाना शुरू किया। उरोज क्या थे दो रुई के गोले थे। सुगंधा के उरोज तो इसके सामने कुछ भी नहीं थे। मेरा लिंग पजामें में तंबू बना रहा था। मैंने उरोजों को जोर जोर से मसलना शुरू किया तो उसके मुँह से कराह निकली।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसकी टीशर्ट ऊपर उठाई, उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोली, “कोई आ जाएगा।”

आगे क्या हुआ? जानने के लिए इंतजार कीजिए कहानी के अगले भाग का !

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Sunday 24 February 2013

कॉलेज की मौजमस्ती बड़ी मजेदार



दोस्तों मेरा नाम नीलम है और मै एक कॉलेज मे पढ़ती हु | मै अव्वल दर्जे की बिंदास लड़की हु और सारे लडको को अपने तलवों के नीचे रखती हु; लेकिन मै शुरू से ऐसी नहीं थी | मै एक निहायत ही शरीफ परिवार से हु और मेरे अभिभावक सपने मे भी किसी के साथ गलत करने का भी नहीं सोच सकते है | उन्होंने ने भी मुझे अपने जैसे ही शिक्षा दी है और मेरा कभी किसी से बैर नहीं था | स्कूल तो मेरा, सही सलामत निकल गया; लेकिन कॉलेज के शुरुवाती दिनों मे जो मेरे साथ हुआ, उसने मुझे पूरा बदलकर रख दिया | जब मै कॉलेज मे आयी थी, तो मैने रैगिंग के बारे मे काफी सुना था, लेकिन मै खुशकिस्मत थी कि मुझे इसका सामना कुछ दिन तक तो नहीं करना पड़ा | कुछ दिनों बाद हालात बदल गये और उन हालातो ने मुझे भी बदलकर रख दिया |मेरे हॉस्टल मे, मेरी एक सीनियर थी सीमा; वो हमारी भाषा मे लड़कियों की गुंडी थी और सारी लड्किया उसे डरती थी |

जब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, तो उसने मेरा जीना हराम कर दिया | उसका आशिक भी लडको का गुंडा था और कॉलेज के बड़े आदमी का बेटा था, तो उसको कोई कुछ भी नहीं बोलता था | एक रात सीमा ने, मुझे बुलाया और काम करने को कहा, मैने किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह वो काम कर दिया | सीमा ने खुश होकर मुझे वापस भेज दिया और अगले दिन रात मे भी आने को बोला | मुझे लगा, कि अगले दिन भी कोई छोटा-मोटा करवा कर वो मुझे भेज देगी और खुश हो जाएगी | लेकिन, जब मै उसके कमरे मे पहुची, तो उस दिन का नज़ारा ही बदला हुआ था |कमरे मे काफी सारे लड़के और लड़की जमा थे और किसी के कुछ भी नहीं पहना हुआ और सब के सब नंगे एक दुसरे से चिपके हुए थे और गोला बनाकर उसको घेरा हुआ था | अब मुझे वास्तव मे डर लगने लगा था | जब मै वहा पहुंची, तो सीमा खुश होकर बोली, आ जा बच्ची! तेरा हमारे गेंग मे स्वागत है और फिर मुझे अपने कपडे उतारने को बोला | मुझे डर लगने लगा था, तो मै वापस जाने लगी | दरवाजा बंद हो चुका था और चिल्लाने का कोई फायदा नहीं था |

वहा पर मेरी ही क्लास का एक लड़का सुमित नंगा होकर नीचे सर किये बैठा था | जब मैने कपडे नहीं उतारे, तो सीमा ने जबरदस्ती मेरे कपडे उतार दिये और मुझे पूरा नंगा कर दिया और मुझे सुमित के साथ बैठा दिया | हम दोनों के शरीर को चिपका दिया गया; मेरे चुचे सुमित की छाती मे धसे हुए थे और उसका सुकड़ा हुआ हँ छोटा सा लंड मेरी चूत पर लग रहा था |ये सब मेरे लिए नया था और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था | सीमा को समझ आ गया था, कि हम दोनों ही चुतिया है और हमें कुछ नहीं मालूम | सीमा ने हम दोनों के मुखड़ो को देखा और बोला, सालो को पहले ब्लूफिल्म दिखानी पड़ेगी, उसके बाद ये हमें ब्लूफिल्म दिखायेंगे | फिर, हम दोनों एक कुर्सी पर बैठा दिया गया और सब लोगो हमें घेरकर खड़े हो गये | सीमा और उसका बोयफ्र्न्द हमारे सामने थे | सीमा का शरीर बहुत ही मस्त था और वो किसी नंगी हुसुन की मल्लिका लग रही थी और उसका बॉयफ्रंड भी एक मजबूत शरीर का मालिक था और उसके बड़े शरीर के सामने सीमा का रूप मस्त लगा रहा था | वो दोनों एकदूसरे के पास आगये और उन दोनों के होठ आपस मे जुड़ गये और वो बड़े ही कामुक तरीके से एक दुसरे को चूमें और चूसने लगे | उनको की साँसे गरम हो चुकी थी और भाई तेज चल रही थी और उनकी ओ…आआआआअ…….ऊऊछ्ह्ह … से पूरा कमरा गूंज रहा था |

सब लोग उनके इस कामुक अंदाज़ से गरम होने लगे थे और अब सब एक दुसरे से चिपकने लगे | सुमित के लंड ने भी खड़ा होना शुरू कर दिया | अब हमारे चारो ओर, लड़के और लड्किया आपस मे लगे हुए थे और पुरे कमरे मे संभोग का कामुक माहौल था | ये सब देखकर मेरी चूत मे भी खुजली होने लगी और मैने सुमित की जांघ को कसकर पकड़ लिया | सुमित ने मेरा हाथ खीचा और हम दोनों के होठ भी जुड़ गये और हम एक दुसरे को चूसने लगे | फिर, सुमित ने एक दो पोर्न्फिल्म देखी होगी, तो वो उसको याद करके मुझे चोदने लगा | उसने मुझे जमीन पर लिटा दिया और मेरे चूचो को चुसना शुरू कर दिया और मेरा शरीर भी मस्ती मे कसमसाने लगा और मेरे भूरे निप्पल मस्ती मे खड़े हो गये | उसने उनको चूस-चूसकर लाल कर दिया और फिर उसने दुसरे लडको को देखा, तो वो सब लड़कियों की चूत को चाट रहे थे और कुछ ६९ कर रहे थे वो घुमा और ६९ मे मेरी चूत को चाटने लगा और अपने लंड मेरे मुह के आगे कर दिया और मैने भी हिम्मत करके उसका लंड चुसना शुरू कर दिया |

हम दोनों की गांड मज़े मे हिल रही थी | तब तक सब जगह चुदाई का प्रोग्राम चालू हो गया था | सुमित मेरे ऊपर आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया और मुझे मज़ने लगा और मैने अपनी गांड हिलाना शुरू कर दिया |इतने मे, सुमित ने पीछे से एक हाथ महसूस किया और सीमा के बॉयफ्रंड ने उसे पीछे हटा दिया और उसे सीमा के पास भेज दिया और बोला, नए और करारी सील खोलने का हक़ केवल मुझे है | सुमित बेचारे का मुह लटक गया, लेकिन सीमा उसके पास आयी और बोली बच्चे चिंता क्यों कर रहा है? अगर लड़कियों को पहली बार वो चोदता है, तो लडको के लंड को चोदने का हक़ सिर्फ मुझे है | फिर, सीमा का बॉयफ्रंड मेरे ऊपर आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत पर घिसना शुरू कर दिया और मुझे और भी मज़ा रहा था, क्योकि उसका लंड सुमित के लंड से भी बड़ा था | फिर, उसने एक ही झटके साथ, अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया और मेरी चिक निकल गयी और वो बड़े मज़े से मेरी चूत को चोदने लगा | उसका लंड मेरी चूत मे पूरा समा गया था और हवा के लिए भी जगह नहीं बची थी |

मेरी दर्द के मारे मेरी जान निकल रही थी और मुझसे उसका लंड सहन नहीं हो रहा था | फिर भी, वो साला हरामी मेरी चूत चोदने को तैयार नहीं था | लेकिन, कुछ देर बाद मुझे मज़ा आने लगा और उसके लंड के मेरी चूत अन्दर रहते हुए, पता नहीं मै कितनी बाद झड गयी और मेरा वीर्य मेरी चूत के खून के साथ मिलकर मेरे सारे शरीर पर, उसके लंड पर और जमीन पर फैल गया |कुछ देर बाद, उसकी गांड भी तेज चलनी शुरू हो गयी और एक झटके के साथ, एक गरम पिचकारी मेरी चूत की दीवारे से टकराने लगी | मेरी चूत अन्दर से जल उठी और मेरे अपनी चूत को अपनी टांगो से बंद कर लिया | वो बंदा अपना लंड अभी तक निकाल नहीं पाया था और उसका लंड मेरी चूत मे, बिलकुल फस गया था | उसने मुझे एक कसकर थप्पड़ मारा और दोनों हाथो से जोर लगाकर, मेरी टाँगे खोल दी और अपना लंड निकाल लिया | उसके लंड का पूरा पानी रिस चुका था और मेरे ऊपर से उठ गया | दूसरी तरफ, सुमित को भी सीमा ने पूरा मज़ा दिया, लेकिन सीमा को मज़ा नहीं आया और उन्होंने सुमित को अपने गेंग मे आने से मना कर दिया | सीमा के बॉयफ्रंड ने मुझे पास कर दिया अब मै उनके गेंग की मेंबर बन गयी और अब एक दम बिंदास बन गयी |

Friday 22 February 2013

कुछ और

किसी की मद्दत के बदले, कुछ और

रमेश अभी भी सोया हुआ | मैने फ़ोन करके कुछ खाने का सामान मंगवाया और चाय बनाने चली गयी | रमेश भी जाग चुका था और हम दोनों साथ चाय पीने लगी | शाम हो चुकी थी | रमेश ने जाने के लिए पूछा; तो, मैने उसे कल शाम तक रुकने के लिए बोला | मैने उसे पार्टी के बारे मे कुछ नहीं बताया | मै नहीं चाहती थी; वो घर चला जाए या भाग जाए | थोड़ी सी नानुकर के बाद वो मान गया और अपने घर फ़ोन कर दिया | मैने उस शाम को उसके बारे मै काफी कुछ जाना और उसकी पूरी पढाई के खर्चा खुद ले लिया | उसका दाखिला विदेश मे किसी बड़े कॉलेज मे हुआ था | फीस का इंतजाम तो उसकी छात्रवृति से हो गया और बच्ची हुई फीस के लिए उसे लोन मिल गया | लेकिन, उसके अलावा भी वहा जाना और रहना काफी मंहगा था; जो उसके परिवार की हैसियत के बाहर था | मैने सारा खर्चा पता लगवाया और उसका सारा इंतजाम कर दिया | उसके रहने के लिए वहा रूम और खाने-पीने का इंतजाम कर दिया गया | मैने ही एक घर वहा किराये पर ले लिया और रमेश को वहा रुकने के भेज दिया | रमेश का एक अकाउंट खुल गया और उसमे २ साल के लिए काफी पैसे जमा कर दिये गये |

रमेश मेरा अहसानमंद था | मैने, रमेश को बोला, मैने कोई अहसान नहीं किया | पहला तुम एक अच्छे इंसान हो और तुम्हारे लिए कुछ करने मुझे ख़ुशी होगी | दूसरा अब तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो और तुम्हे मेरे साथ नाजायज संभंद रखने मे यहाँ परेशानी होगी | तो, अब तुम और हम ऐसी जगह मिलेंगे, जहा हम सबसे अनजान हो | उसको कोई तकलीफ नहीं थी |रात के खाने के बाद उसने मुझे पूरी रात खुश किया और हम दोनों नंगे लिपट कर सोये | सुबह मै जल्दी उठ चुकी थी और मेरे दोस्त आने शुरू हो गये थे | रमेश अभी सो ही रहा था | हम सब औरते मेरे बेडरूम मै जमा थी और सब मेरी क्सिमत से ईर्ष्या कर रही थी | सबको रमेश का शरीर पसंद आ गया था और उसका नंगा बदन सबके तन-बदन मे आग लगा रहा था | सबने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिये और सब के सब नंगी खड़ी हुई थी | ये पहला मौका नहीं था; कि हम सब एक साथ नंगे हुए थे | फिर, हम सब अपने-अपने चूचो को दबा रहे थे और अपनी चुतो मे ऊँगली कर रहे थे |

हम सबके मुह से मस्ती मे कामुक आवाज़े निकल रही थी | आवाज़े सुनकर रमेश की आँखे खुल गयी और इतने सारी नंगी औरतो को अपने चलो तरफ देखकर वो भौचक्का रहा गया | उसने मुझे पूछा, ये सब क्या है? तो मैने कहा, आज तुम्हे हम सब को एक साथ झेलना पड़ेगा | फिर, दो सब उसके पास बैठ गयी और एक ने अपना चुचा उसके मुह मे घुसा दिया और एक औरत उसके लंड से खेलने लगी | उसने उसका लंड अपने मुह मे ले लिया था और उसको जोर-जोर से चूसने लगी | रमेश दर्द से चिला रहा था; लेकिन, सारी औरत पागलो की तरह उसे चूम रही थी |फिर, हमने उसको पलंग पे लिटा दिया और एक औरत ने अपनी चूत उसके मुह पर रख दी और रमेश उसको चूसने लगा | रमेश का लंड सीधा खड़ा था | दूसरी औरत ने अपनी चूत को खोलकर रमेश के लंड मे घुसा दिया और खुद को चोदने लगी | अब हम सब से नहीं रहा जा रहा था | हम सब ने दो-दो का ग्रुप बना लिया और एक दुसरे को चोदने लगे | कोई ऊँगली से, कोई नकली लंड से, कोई गाज़र, मूली और खीरे से |

जो औरत रमेश के साथ झड चुकी होती वो अलग हो जाती और दुरसी औरत रमेश पे चढ़ जाती | कुछ देर बाद रमेश के लंड ने खड़ा होना छोड़ दिया; आज शायद रमेश १०-१२ बार एक साथ झड चुका था | सारी औरते तृप्त हो चुकी थी और रमेश से काफी खुश थी | फिर, मै शर्त जित चुकी थी और शर्त का इनाम एक कार था, जो मेरे फार्महाउस मे आ गयी थे | मैने वो कार रमेश को दे दी और कहा, अब हम सब तुम्हारे लिए है | फिर, रमेश के बारे मे, मैने सबको बताया और सब ने रमेश को किसी भी तरह और कहीं भी मद्दत के कहा | रमेश मेरा बहुत ही अहसानमंद था और मेरी सारी दोस्त चले गये | जिस दिन रमेश को जाना था | उस दिन सारी दोस्तों ने उसे पार्टी दी और उसको छोड़ने एअरपोर्ट तक आये | मै खुद उसके साथ जा रही थी; ताकि, उसको किसी तरह की तकलीफ ना हो |
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Friday 15 February 2013

हाँ कह के जिंदगी की सबसे बड़ी भूल




हाई दोस्तों, मेरा नाम शीतल हे और मैं २० साल की हूँ, मेरी बेहेन का नाम शालिनी हे और उसकी उम्र २१ हे | मेरे पापा अक्सर बाहर रहते हे काम के सिलसिले में और मेरी मोम एक स्कूल में अध्यापक हे, जिसके कारण हम दोनों बेहेन सारा दिन अकेले रहते हे | ये बात दो साल पुरानी हे जब में १० पास की थी और एक कॉलेज में दाखिला लिया था, मेरी बेहेन भी उसी कॉलेज में थी और वो १२ कर रही थी | उसका एक लड़के के साथ चक्कर चल रहा था जो दिखने में काफी अच्छा था और आमिर घर का था, उसका नाम राकेश था | मेरी चुचो का नाप ३२ हे और मेरी बेहेन का ३४ हे | हम दोनों काफी गोरे हे, कोई भी हमे देखता हे तो हमारे पीछे तो पड ही जाता हे |मेने अपनी बेहेन से एक दिन पूछा की तुम दोनों के बिच में अब तक क्या क्या हुआ हे, तो उसने कहा की जादा कुछ नही बस किस किये हे और उपर उपर से हुआ हे | मेरे कॉलेज जोइन करने के दो महीने बाद राकेश का जनम दिन था और उसने मेरी बेहेन को आने फार्म हाउस में बुलाया था और साथ में मुझे भी, मेरी बेहेन ने मुझसे पूछा और मेने हाँ कर दी, जो की हम दोनों ने अपने जिंदगी की सबसे बड़ी भूल की थी | दिन आया और राकेश हमे लेने के लिए आ गया अपनी कार लेके | हम दोनों कार में बैठ गए और फिर राकेश ने गाडी चालू कर दी और करीब दो घंटो के बाद हम उसके फार्म हाउस पे पहुच गए, उसका घर काफी बड़ा था और खेतों के बिच में था | मेने उसदिन लाला टॉप और काली जींस पहनी हुई थी और मेरी बेहेन ने नीली रंग की सूट पहनी हुई थी |हम दोनों घर के अंदर घुसे और राकेश ने फिर दरवाज़ा लगा दिया और फिर उसने कुण्डी भी लगा दी, हमने उससे पूछा की ये सब क्या हे तो वो बोला जानेमन अब देखते भी जाओ क्या क्या होता हे | कुछ पल के बाद अंदर से कुछ लडको की आवाज़ आई, हम दोनों उस समय काफी दर गए थे, ऐसा लग रहा था जेसे बहुत गड बड होने वाली हे | हम दोनों उस कमरे की तरफ बड़े जिस तरफ से आवाज़ आ रहित ही, और जब हम अंदर देखे तो हमारी जान निकल गयी, अंदर चार लड़के टीवी पे एमएमएस दख रहे थे, वो और किसी का नही मेरी बेहेन का, जिसमे उसने निचे काली रंग की जींस डाली थी और उपर कुछ नही था और राकेश उसको किस करते हुए उसके चुचो को दबा रहा था | ये दख के हमे बहुत रोना आया, पर हम उस समय कुछ कर भी नही सकते थे | राकेश ने मेरी बेहेन की वीडियो बनाई थी और उसे बहुत बड़ा धोका दिया था |राकेश बोला अगर तुम दोनों चाहते हो की ये वीडियो कॉलेज में न फेले तो वोही करो जो हम कहते हे, हम दोनों समज गए की अब आगे क्या होने वाला हे | हम दोनों उनके सामने बहुत रोये पर वो लोग कुछ सुनने के लिए तैयार ही नही थे | उन पांचो ने अपने कपडे उतार दिए और बिकुल नंगे हो गए, सबके लंड एक दम तने हुए थे, हम दोनों को वो दख के भी डर सा लग रहा था | तीन लड़के सोफे पे बैठ गए और दो कुर्सी लेके बैठ गए, और फिर राकेश बोला की अब बारी बारी से हम सबका लंड चूसो | हम दोनों ने कहा की हम नही करेंगे अगर तुम जान से मार भी दोगे तब भी नही करेंगे, फिर उसमे से एक लड़का बोला की हम जबर दस्ती करे उससे अच्छा होगा की तुम खुद करो | अब हमारे पास कोई चारा भी नही और फिर में एक लड़के के तरफ बड़ी और फिर घुटने के बल बैठ गयी और फिर धीरे धीरे उसके लंड की तरफ अपना मुह बड़ाई | उसने फिर मेरे गाल पे हाथ फेरा और फिर मेरे सर के पीछे हाथ रख के मेरे सर को अपने लंड की तरफ धकेल दी, और फिर मेरे मुह में उसका लंड घुस गया | धीरे धीरे करते करते उसका आधा लंड मेरे मुह में था और फिर उसने मेरे सर को पीछे की तरफ खीचा और फिरसे धकेल दिया | करीब चार पाँच बार ये करने के बाद मुझे समझ में आ गया की मुझे क्या करना हे, उधर दूसरे तरफ मेरी बेहेन राकेश के सामने बैठ चुकी थी और उसका लंड चूस रही थी, मुझे तो अंदर ही अंदर डर लग रहा था पर चूसना पड रहा था मुझे | हम दोनों ने बारी बारी सबका लंड चूस के उनका पानी निकाल दिया था, सबका लंड ८” के जितना तो था ही, बस आखिरी वाले का सबसे छोटा था, सबका चूसने के बाद जब में उसका चूसने लगी तो उसका लंड मुझे खिलोने जेसा लग रहा था, पर उसका भी चूस के निकाल दिया |अब सबका होने के बाद हमने उनके सामने हाथ जोड़ा की हमे छोड़ दो, पर वो लोग मान ही नही रहे थे | उनमे से एक लड़का बोला ” यार ये बताओ इन दोनों को सबसे पहले कोन चोदेगा ” सबने अपना अपना हाथ उपर कर लिया, क्युकी सबको पता था की हमारी चुत कुंवारी हे और अब तक हमारी चुत में ऊँगली नही गयी | अब सबके बिच एम् झगडा होने लगा की कोन हमे चोदेगा पहले, फिर उसमे से एक ने कहा की पर्ची उदा के दखते हे, वो लोगो ने फिर पर्ची बनाई और एक लड़के का मेरे उपर आया, और मेरी बेहेन के लिए वो लोग तैयार थे की मेरी बेहेन को राकेश ही पहले करेगा क्युकी वो उसके गल फ्रंड थी | हम दोनों की हालत एक दम खराब हो रही थी, मेरे लिए जिसका का नो. आया वो मुझे अपने पास बुलाया और फिर अपने गोद में बिठा लिया और मेरी पीठ पे हाथ फेरने लगा | राकेश ने मेरी बेहेन को बिच में खड़े होने को कहा और फिर उसे अपनी सलवार उतारने को कहा, मेरी बेहेन ने अपनी आँखे बंद कर ली और फिर सलवार उतारने लग गयी, सलवार खोलने के बाद उसने उसे निचे गिरा दिया उसका कुरता उसके जांघों तक आ रहे थे | उसके पैर एक दम चिकने और गोरे लग रहे थे, फिर उन्होंने उसे अपना कुरता उतारने के लिए भी कहा और फिर वो कुर्ते को उपर करके उसे उतरने लगी | दीदी ने सफ़ेद रंग की पेंटी पहनी हुई थी और दीदी की फूली हुई चुत पेंटी से साफ़ साफ़ नजर आ रही थी | पेंटी के उपर से दीदी के चुत के बाल भी दिख रहे थे, दीदी ने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी जिसके आर पार दीदी के चुचे दिख रहे थे | एक लड़के ने मुझे दीदी के पास खड़े होके कपडे उतरने को कहा और फिर मेने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब में काली रंग की ब्रा और पेंटी में थी |अब दो लड़के आये हम दोनों के पीछे खड़े हो गए, एक ने दीदी की ब्रा उतार दी और एक ने मेरी पेंटी निचे कर दी, जिसने मेरी पेंटी निचे की वो मेरी गांड को चूमने लगा था | बाकी तीन सोफे पे बैठ के शो दख रहे थे, दोनों हमारे जिस्म के साथ खेल रहे थे और बाकी तीन दख रहे थे मजे में | कुछ देर बाद राकेश अपना लंड मेरी बेहेन के चुत में डाल दिया, दीदी की चीख सुन के मेरी जान निकल गयी, दीदी चिल्ला रही थी की अपना लंड निकाल दो मुझे बहुत दर्द हो रहा हे, आभी छोड़ दो फिर कभी कर लेना आभी निकाल दो थोडा तो रहम करो मुज्पे, पर किसी ने एक न सुनी उसकी और ठडे देर के बाद उस लड़के ने मुझे कुतिया बनाया और मेरी चुत में अपना लंड रगड़ने लगा, मुझे तो मज़ा आ रहा था पर मज़े के बिच में मेरे उपर पहाड टूट पड़ा, उसने जेसे ही लंड अंदर डाला मेरी आँखों से पानी आ गए और में चीख पड़ी, मुझे ऐसा लगा जेसे किसी ने मेरी चुत में चाकू डाल दिया हो, में रोने लग गयी और उसे बोली की मुझे छोड़ दो पर कोई नही सुन रहा था | दोनों लगे हुए थे चोदने में हम दोनों को | दोनों को हमारी चीख से कोई मतलब नही था, करीब दस मिनट बाद राकेश झड गया फिर दूसरा वाला भी झड गया |पुरे ज़मीं पे खून ही खून था और उनके लंड पे भी खून लगा हुआ था | हम दोनों एक दम मरे हुए की तरह ज़मीं पे पड़े थे | उन दोनों ने हमे उठा और फिर बाथरूम लेके गए और हमारे जिस्म को साफ़ किया और फिर बेडरूम में ला के लेटा दिया | मेने सबसे कहा की अब हमे जाने दो अब हम और चुदने के लायक नही हे बहुत दर्द हो रहा हे प्लिज्ज़ हम दोनों को जाने दो, जब हम ठीक हो जायेंगे तब खुद आ जायेंगे हम दोनों, बस अब के लिए जाने दो | बहुत रोने धोने के बाद वो लोग मान गए और फिर राकेश हमे गाडी में बिठा के ले के घर तक छोड़ दिया |

Wednesday 13 February 2013

पहली ही रात तीन बार

दोस्तो, मेरा नाम उर्वशी है और मैं जयपुर, राजस्थान की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र इकीस साल है, एक बच्चे की माँ हूँ, शादी के ठीक ग्यारवें महीने मैंने लड़का जना है। आजकल घर में रहती हूँ, सासू माँ और मैं दोनों अकेली होती हैं। अन्तर्वासना की कहानियाँ तो मैं पहले से पढ़ती आई हूँ, शादी से पहले भी ! पूरा दिन बोर होती रहती हूँ, तो सोचा कि अन्तर्वासना का मज़ा लिया जाए। 

एक साल पहले में बी.ए पहले साल में थी जब माँ-बापू ने लड़का ढूंढ कर मेरी शादी पक्की कर दी। हमारे समाज में छोटी उम्र में शादियाँ होती हैं। शादी से पहले मेरे ३ लड़कों के साथ चक्कर रहे थे और तीनों के साथ मेरे शारीरक संबंध बने और मुझे चुदाई का पूरा पूरा चस्का लगा। 



पहली चुदाई प्रेम नाम के लड़के के साथ हुई जब मैं अठरा साल की थी। उसके बाद दो और एफेअर चले। 



मुझे लड़के की फोटो दिखाई गई थी। शादी से बीस दिन पहले मेरा घर से आना जाना बंद हो गया था और चुदाई भी ! 



हालांकि एक चक्कर मेरा पड़ोसी के साथ था, वो मुझसे शादी करना चाहता था लेकिन हम मजबूर थे क्योंकि एक गाँव में शादी मुश्किल काम था। 



शादी से तीन रात पहले उसने मुझे रात को कॉल कर छत पर बुलाया। उस वक्त रात के दो बजे थे। मिलते ही उसने मुझे दबोच लिया और मेरे होंठ चूसने लगा, साथ में उसने अपना हाथ मेरी सलवार में डाल मेरी चूत को मसलना चालू कर दिया। मैं पूरी गर्म हो गई और उसके लौड़े को मसलने लगी। उसने अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया और मैंने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। 



वो बोला- जान, कुर्ती उठा लो, आज आखिरी बार इतने गोल मोल मम्मे चूसने हैं ! 



मैंने कहा- ऐसा मत कहो ! मैं आती रहूंगी मायके ! मिलकर जाया करुँगी ! 



उसके बाद मैंने सलवार खोल दी और उसने वहीं फर्श पर मुझे ढेर कर लिया और अपना लौड़ा चूत में डाल रफ़्तार पकड़ी। एक साथ ही हम शांत हुए और उसने मुँह में ठूंस दिया। 



अगले दिन शगुन की रसम होनी थी। हमारे इधर सुबह पहले लड़की वाले लड़के को शगुन लगाने जाते हैं और साथ में दहेज़ का जो भी सामान देना, भेजना हो वो सब कुछ ले जाते हैं! 



सभी शगुन लगाने चले गए, पीछे मैं और दादी माँ थी। 



उसके बाद शाम को लड़के की बहनें, भाभियाँ और उनके पति लड़की को शगुन की चुन्नी, गहने, सिंगार के सामान साथ मेंहदी लगाने आई। उनमे से मेरी नज़र बार बार एक मर्द पर टिकने लगी वो भी मुझे देख वासना की ठंडी आहें भर रहे थे। 



शगुन डालते वक्त फोटो होने लगी तो मालूम चला वो मेरे एक नंदोई सा हैं। क्या मर्द था ! मैं मर मिटी थी ! वो भी जानते थे, उन्होंने इधर उधर देख मुझे आंख मारी, मैं होंठ से चबाते हुए मुस्कुरा दी। 



मैं अपने कमरे में कपड़े बदलने चली गई, लहंगा भारी था, कमरा बंद किया पर अपने कमरे से बाथरूम की कुण्डी लगाना भूल गई। मैंने जल्दी से कुर्ती उतारी और लहंगा खोला। दरवाज़े की तरफ मेरी पीठ थी। जैसे ही मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में रह गई तो एक आवाज़ आई- क्या हुसन पाया है ! क़यामत ! 



मुड़ कर देखा तो सामने नंदोई जी थे, बोले- बाथरूम मेरे कमरे के साथ जुड़ा है। उसका एक दरवाज़ा लॉबी में भी खुलता है। 



मैंने कमरे में नंदोई सा को देख झट से तौलिये से खुद को छुपाया। वो मेरी ओर बढ़े, मैं पीछे हटी, आखिर में बेड पर गिर गई। वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे तपते होंठों से अपने होंठ मिला दिए। उन्होंने ड्रिंक की हुई थी। 



प्लीज़ ! मुझे सबके बीच वापस लौटना है ! बाद में कभी ! 



बोले- पहले गर्म करती हो ! फ़िर मना करती हो? 



वो दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगे, मुझे कुछ होने लगा, मेरी चूत मचल उठी और मैंने उनके लौड़े को पकड़ लिया। जब वो मेरा दाना मसल देते तो मैं मचल उठती ! 



थोड़ी देर में खुद ही वो अलग हो गए बोले- भाभी कल सही ! 



अगले दिन मैं दुल्हन बनी। पार्लर से दुल्हन बनकर पहुंची पैलेस ! 



पापा ने शहर का सबसे महंगा पैलेस बुक किया था। हमारे इधर शादी दिन में होती है। बारह बजे बारात आई, मिलनी की रसम के बाद नाश्ता हुआ। फिर स्टेज पर जयमाला हुई। काफी देर वहीँ बैठे। सबने शगुन वगैरा डाला, फोटो खिंचवाई। 



ऊपर मंडप तैयार था। आज नंदोई सा बहुत ज्यादा हैण्डसम लग रहे थे। बहुत बढ़िया डी.जे कार्यक्रम का प्रबन्ध किया था पापा ने ! एक तरफ दारु भी चलवा दी ताकि जिसको मूड बनाना हो बना ले ! वैसे भी मेरे ससुराल में सभी शादी-बियाह में पीते ही थे। 



खैर मंडप पर मुझे दीदी, भाभी, सहेलियाँ लेकर गईं और फेरों के बाद मंगल सूत्र पहनाया गया। दूल्हे के बराबर नंदोई सा उसकी हर रसम में मदद कर रहे थे ताकि उसको कोई घबराहट न हो ! इधर मुझे भाभी सब बताये जा रहीं थी। नंदोई सा मेरी भाभी पर भी लाइन मार लेते। 



शाम पाँच बजे तक सब ख़त्म हुआ, उसके बाद मेरी डोली उठी और मैं गुलाबों से सजी कार में बैठ ससुराल आ गई। मांजी ने पानी वारने की रसम पूरी की। मुझे भाभी और इधर वाली दीदी अलग कमरे में ले गईं। मुझे कहा कि कपड़े बदल कर फ्रेश हो जाओ। 



बाहर लॉन में सब नशे में धुत हो नाच-गा रहे थे। शगुन मांगने वालो की लाइन लगी पड़ी थी, ससुरजी और नंदोई सा तो उनको ही सम्भाल रहे थे। 



रात हुई, दीदी बोली- एक सरप्राईज़ बाकी है ! 



कुछ पल के लिए पतिदेव पास आये, बोले- बहुत आग लग रही हो ! 



उन्होंने पी रखी थी, नशा काफी था, होंठ चूसने लगे। बोले- बदल लो कपड़े ! 



उन्होंने मेरा लाचा खोला, फिर कुर्ती की डोरी खींची और अलग कर दी, पीठ पर चूम लिया। 



मैं सिकुड़ सी गई। 



अब दोनों आओ भी ! गाने की रसम पूरी करनी है ! 



पति ने मेरे मम्मे दबाये और मैंने भी सूट पहन लिया और बाहर गए। वहाँ पंरात में कच्ची लस्सी में सिक्का गिरा कर ढूंढने की रसम हुई। उसके बाद दीदी बोली- तेरे नंदोई सा ने तुम दोनों के लिए फाइव स्टार में स्वीट बुक किया है ! 



पतिदेव को काफी नशा हो चुका था, दीदी ने नंदोई सा को उन्हें और पिलाने से रोका। कार में बैठ कर भी उनको काफी नशा था। नंदोई सा हमें छोड़ने आये। पहले नीचे पूरा डाइनिंग हॉल हम तीनों के लिए बुक था। मेरे लिए तब तक कोल्ड ड्रिंक आर्डर की, उन दोनों ने लिए मोटे पटियाला पैग ! दो पैग के बाद पतिदेव लुढ़क गए। मैं कुछ-कुछ समझ गई। 



बस करिए न आप ! कितनी पिओगे ? 



भाभी जान ! आज ही तो पीने का दिन है ! 



खाना खाया, नंदोई सा ने मुझे कमरे की चाभी गिफ्ट की और रूम सर्विस वाला मुझे कमरे तक लेकर गया। कमरा खोलते वक्त देखा- हाथ में दो चाभियाँ थीं- ४०५ और ४०७ वो दोनों भी आ गए ! 



जाओ भाई अपनी दुल्हन के पास ! सुहागरात मनाओ ! 



इनको बहुत ज्यादा पिला दी गई थी। कमरे तक आते वक्त तक दारू हाथ में थी। उतनी ही नंदोई सा ने पी लेकिन वो हट्टे-कट्टे थे। 



ये तो बिस्तर पर लेटते सो गए। मैं वाशरूम गई। पहली रात के लिए सबसे महंगी नाइटी खरीदी थी, उसी रंग की ब्रा और पैंटी ! बदल कर वापस आई ! लाल गुलाबों वाले बिस्तर पर में इनके साथ लिपटने लगी, सोचा कि इस से नशा कम होगा। शर्ट उतार दी लेकिन इन्हें कोई होश न था। 



तभी मुझे मोबाइल पर कॉल आई- कैसी हो जान ? मुझे मालूम है कि क्या हो रहा होगा ! ऐसा करो, हाउस-कीपर ने दो चाभी दी थी ना ! इसकी सुबह से पहले नहीं उतरेगी। बाहर से लॉक करो और इधर आ जाओ ! 



लेकिन मैं नाइटी में हूँ ! 



कोई बात नहीं ! रात के बारह बज चुके हैं, इन कमरों में कम लोग ही आते हैं ! 



मैं उठी, इनको हिलाया, कमरा लॉक किया और नंदोई सा के कमरे में चली गई। 



वाह भाभी ! क्या खूबसूरती है ! मदहोश कर देने वाली ! 



यह आपने क्या किया? इनको इतनी पिला दी? 



वो उठे, मुझे बाँहों में लेते हुए बोले- क्या करता कल से तूने होंठ चबा और बाद में कमरे में जवानी दिखाई ! 



आप बहुत खराब हो ! 



मेज़ पर शेम्पेन और बियर पड़ी थी, मुझे कह कुहा कर बियर पिला दी उसके बाद अपनी मर्ज़ी से मग भर पिया। वो मुझे सोफा पर बिठा बीच में बैठ मेरे स्तनपान करने लगे। सिसकियाँ फूटने लगी, मैंने पाँव से उनके लौड़े को मसल दिया। 



इतने में दीदी की कॉल आई नंदोई सा को ! 



उस वक्त मैं उनकी गोदी में अधनंगी बैठी थी। 



कहाँ रह गए आप? सब ठीक तो है? 



हाँ, उन दोनों को भेज दिया जान कमरे में ! इसने ज्यादा पी ली है ! सहारा देकर छोड़ कर नीचे आया हूँ ! बेचारी उर्वशी घबरा गई है, इसलिए उन्हें कुछ बताये बिना मैं अपने दोस्त के साथ नीचे बार में हूँ, कहीं साला साहिब कोई गलती ना कर दें ! 



दीदी बोली- कोई बात नहीं ! सही किया आपने ! खुद मत पीना ! 



और फ़ोन साइलेंट पर लगा दिया मेरी दोनों टांगें खोल मेरी चूत जो कि सुबह ही शेव करवाई थी, उसपे होंठ रख दिए। मैं भड़क उठी। सोफ़े पर कोहनियों के सहारे उठ कर चूत चुसवाने लगी। अह उह सी ! 



मेरी जान क्या चूत है तेरी ! क्या जवानी है ! बाग़ लगा है माली भी ज़रूर रखें होंगे ! 



मैं शरमा सी गई ! 



उठा मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ! 



मेरे मम्मो पर बियर डाल डाल कर चाटने लगे। 



वाह नंदोई सा ! और चाटो ! मसलो इनको ! 



भाभी, कसम से तेरे जैसी जवानी वाली लड़की नहीं चोदी ! 



दीदी भी सुन्दर हैं ! 



हैं, लेकिन मेरे इस चाँद के सामने उसका रंग भी फीका है ! 



बातें करते हुए मैंने उनको निर्वस्त्र कर दिया, उनको बेड पर धकेलते हुए उनके कच्छे को उतार उनके लौड़े पर एख दिए अपने कांपते होंठ ! 



इतना लम्बा लौड़ा नंदोई सा? 



मैंने भी कसम से अभी तक इतना मोटा और लम्बा नहीं उतरवाया चूत में ! 



ओह मेरी रानी, दिलबर ! कस के चूस इसको ! 



मैं नशे में थी, कुछ भी बके जा रही थी, मैंने ६९ में लेटते हुए उनके लौड़े को चूसा और अपनी चूत को खूब चुसवाया। 



नंदोई सा ! अब रुका नहीं जा रहा ! आओ अपनी भाभी के पास और उतर जाओ गहराई में ! 



ओह बेबी ! 



मैंने टांगें खोल लीं, वो बीच में आये और मैंने अपने हाथ से पकड़ लौड़ा ठिकाने पर रख दिया। उन्होंने जोर लगाया और उसका सर अन्दर घुस गया। काफी मोटा था लेकिन बेडशीट को जोर से पकड़े मैंने उनका सारा अन्दर डलवा लिया। 



ओह भाभी ! वाह, क्या चूत है तेरी साली ! कितनी चिकनी है ! तू देख तेरा नंदोई बहिन की लोड़ी आज रेल बनाता है तेरी ! 



आह ! रगड़ो ! और रगड़ो ! फाड़ दो मेरी ! हाय ! मेरे कुत्ते चोद अपनी कुतिया को ! 



मेरे मुँह से यह सुन उनमें जोश भर गया- बहनचोद ! देखती जा साली रांड कहीं की ! यह ले मादरचोद ! यह ले ! 



उई उई ई ई तू ही असली मर्द है कमीने ! तेरा लौड़ा ही सबसे अच्छा है ! 



कुछ देर उसी आसन के बाद दोनों टाँगें कन्धों पर रखी, जिससे पूरा लौड़ा जाकर बच्चेदानी से रगड़ खाता तो मुझे स्वर्ग दिखता ! 



उसके बाद मुझे घोड़ी बना लिया और ज़बरदस्त झटके लगने लगे। 



और तेज़ तेज़ ! 



साथ में खाली बियर की बोतल मेरी गांड में घुसाने लगे। 



हाय साले ! यह क्या करने लगा है ! 



चल साली कुतिया ! मेरे बाल खींच ! 



गांड पर थप्पड़ मारा और बोतल एक तरफ़ रख दी। एक पल में लौड़ा चूत से निकाला और गांड में डाल दिया ! 



ओह हा और और ! बहुत बढ़िया ! 



मेरी गांड मारने लगे, साथ में मेरे दाने को चुटकी से मसल रहे थे। एक साथ में मेरा मम्मा पकड़ रखा था। 



फिर चूत में डाल लिया और तेज़ होने लगे। 



मैं झड़ने वाली हूँ ! 



अह अह ऽऽ ले साली ! साली ले ! कहते कहते उन्होंने मेरी चूत में अपना पानी निकाल दिया, मेरी बच्चेदानी के पास गरम पानी छोड़ा, जिससे मुझे अता आनंद आया। 



बाकी का मैंने मुँह में डाल साफ कर दिया। 



साढ़े तीन के करीब दोनों बाथरूम गए, शॉवर लिया, मैंने कपड़े डाले और अपने कमरे में आई, पूरे बिस्तर पर सलवटें डाल दी और गुलाबों को बिखेर दिया। सारे कपड़े उतार दिए, सिर्फ पैंटी छोड़ कर ! पति को जाते वक्त ही मैंने अंडरवियर छोड़ निर्वस्त्र कर दिया था। उनके पास लेट गई, उनकी बाजू अपने ऊपर डाल दी, सो गई। 



सुबह के सात बजे अपने ऊपर किसी को पाया- पतिदेव थे ! मैं सोने की एक्टिंग करने लगी, उन्होंने प्यार से मुझे उठाया, मैं चुपचाप बाथरूम गई रूठने की एक्टिंग करते हुए ! 



जान क्या हुआ? 



इतनी पी ली थी? क्यूँ सोचा नहीं था कि मेरी बीवी के साथ पहली रात है ! नशे में रौंद दिया आपने मुझे ! अंग अंग हिला दिया !सॉरी ! आगे से ऐसा नहीं होगा ! आपने बिना प्रोटेक्शन के मेरे साथ सब कर दिया ! अभी हमने एन्जॉय करना है अगर अभी गर्भवती हो गई तो? 



कल से हम बाहर निकाल लिया करेंगे, आज किस्मत पर छोड़ दो ! 



उसके बाद अगली रात पतिदेव ने चोदा। आज कम पी रखी थी, घर में थे, झड़ने के समय बाहर खींच मेरे मुँह में डाल दिया ! 



दोस्तो, यह थी मेरी मस्त चुदाई जो हर पल मेरी आँखों में रहती है ! 



उसके बाद मौका देखा एक बार और नंदोई सा ने चोदा ! शादी के अगले महीने ही मेरी माहवारी रुक गई, मुझे चक्कर आये, डॉक्टर ने खुशखबरी सुना दी। 



रात को मैंने पति से ऊपर से खफा होते कहा- देख लिया उस रात का नतीजा ? 



लेकिन चल छोड़ कोई बात ना ! किस चीज़ की कमी है हमें ! 



यह गर्भ नंदोई सा के कारण ठहरा था। पहली ही रात तीन बार अपना माल मेरी बच्चेएदानी के पास छोड़ा था ! था भी इतना लम्बा कि मानो अन्दर घुसकर बच्चा डाल आये ! 



उनको मैंने फ़ोन पर बताया कि इनका पानी मैंने कभी अन्दर नहीं डलवाया, हमेशा गांड में या मम्मों पर ! सिर्फ आपका पानी अन्दर डलवाया था। 



नशे में वो बहुत खुश हुए।

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