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Tuesday 22 April 2014

sex in train

निशा मेरे छोटे भाई रुपम की वाइफ़ है। निशा काफ़ी सुंदर महिला है। उसका बदन
ऊपरवाले ने काफ़ी तसल्ली से तराश कर बनाया है। मैं शिवम उसका जेठ हूं। मेरी
शादी को दस साल हो चुके हैं। निशा शुरु से ही मुझे काफ़ी अच्छी लगती थी।
मुझसे वो काफ़ी खुली हुई थी। रुपम एक यूके बेस्ड कम्पनी में सर्विस करता
था। हां बताना तो भूल ही गया निशा का मायका नागपुर में है और हम जालंधर
में रहते हैं।
आज से कोई पांच साल पहले की बात है। हुआ यूं कि शादी के
एक साल बाद ही निशा प्रिग्नेंट हो गयी। डिलीवरी के लिये वो अपने मायके गयी
हुई थी। सात महीने में प्रीमेच्योर डिलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी
वीक था। दो हफ़्ते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी। रुपम तुरंत छुट्टी लेकर
नागपुर चला गया। कुछ दिन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही आया था।
डिसाइड ये हुआ था कि निशा की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद आयेगी। एक महीने
के बाद जब निशा को वापस लाने की बात आयी तो रुपम को छुट्टी नहीं मिली।
निशा को लेने जाने के लिये रुपम ने मुझे कहा। सो मैं निशा को लेने ट्रैन
से निकला। निशा को वैसे मैने कभी गलत निगाहों से नहीं देखा था। लेकिन उस
यात्रा मे हम दोनो में कुछ ऐसा हो गया कि मेरे सामने हमेशा घूंघट में
घूमने वाली निशा बेपर्दा हो गयी।
हमारी टिकट 1st class में बुक थी। चार
सीटर कूपे में दो सीट पर कोई नहीं आया। हम ट्रैन में चढ़ गये। गरमी के दिन
थे। जब तक ट्रैन स्टेशन से नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घूंघट में खड़ी
थी। मगर दूसरों के आंखों से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट दिया और कहा,
"अब
आप चाहे कुछ भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप
अच्छे लगते हो आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।" मैं उसकी बात पर हँस पड़ा।
"मैं
भी घूंघट के समर्थन में कभी नहीं रहा।" मैने पहली बार उसके बेपर्दा चेहरे
को देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया। अचानक मेरे मुंह से
निकला
"अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हुश्न छिपा है उसका पता कैसे
लगता।" उसने मेरी ओर देखा फ़िर शर्म से लाल हो गयी। उसने बोतल ग्रीन रंग की
एक शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी। ब्लाउज़ भी मैचिंग पहना था। गर्मी के कारण
बात करते हुए साड़ी का आंचल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक गया। तब मैने जाना कि
उसने ब्लाउज़ के अन्दर ब्रा नही पहनी हुई है। उसके स्तन दूध से भरे हुए थे
इसलिये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे। ऊपर का एक हुक टूटा हुआ था इसलिये उसकी
आधी छातियां साफ़ दिख रही थी। पतले ब्लाउज़ में से ब्रा नहीं होने के कारण
निप्पल और उसके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था। मेरी नजर उसकी
छाती से चिपक गयी। उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी
नजरों से पीछा किया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शर्मा
गयी और जल्दी से उसे आंचल से ढक लिया। हम दोनो बातें करते हुए जा रहे थे।
कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर आयी तो उसका
चेहरा थोड़ा गम्भीर था। हम वापस बात करने लगे। कुछ देर बाद वो वापस उठी और
कुछ देर बाद लौट कर आ गयी। मैने देखा वो बात करते करते कसमसा रही है। अपने
हाथो से अपने ब्रेस्ट को हलके से दबा रही है।
"कोई प्रोब्लम है क्या?' मैने पूछा।
"न।।नहीं" मैने उसे असमंजस में देखा। कुछ देर बाद वो फिर उठी
तो मैने कहा "मुझे बताओ न क्या प्रोब्लम है?"
वो
झिझकती हुई सी खड़ी रही। फ़िर बिना कुछ बोले बाहर चली गयी। कुछ देर बाद वापस
आकर वो सामने बैठ गयी।"मेरी छातियों में दर्द हो रहा है।" उसने चेहरा ऊपर
उठाया तो मैने देखा उसकी आंखें आंसु से छलक रही हैं।"क्यों क्या हुआ" मर्द
वैसे ही औरतों के मामले में थोड़े नासमझ होते हैं। मेरी भी समझ में नहीं
आया अचानक उसे क्या हो गया।"जी वो क्या है म्म वो मेरी छातियां भारी हो
रही हैं।" वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे समझाये आखिर मैं उसका जेठ
था।" म्मम मेरी छातियों में दूध भर गया है लेकिन निकल नहीं पा रहा है।"
उसने नजरें नीची करते हुए कहा।"बाथरूम जाना है?" मैने पूछा"गयी थी लेकिन
वाश-वेसिन बहुत गंदा है इसलिये मैं वापस चली अयी" उसने कहा "और बाहर के
वाश-वेसिन में मुझे शर्म आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?" "फ़िर क्या
किया जाए?" मैं सोचने लगा "कुछ ऐसा करें जिससे तुम यहीं अपना दूध खाली कर
सको। लेकिन किसमें खाली करोगी? नीचे फ़र्श पर गिरा नहीं सकती और यहां कोई
बर्तन भी नही है जिसमें दूध निकाल सको"उसने झिझकते हुये फ़िर मेरी तरफ़ एक
नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो अपने पैर के नखूनों को कुरेदती हुई
बोली, "अगर आप गलत नहीं समझें तो कुछ कहूं?""बोलो""आप इन्हें खाली कर
दीजिये न""मैं? मैं इन्हें कैसे खाली कर सकता हूं।" मैने उसकी छातियों को
निगाह भर कर देखा।"आप अगर इस दूध को पीलो……"उसने आगे कुछ नहीं कहा। मैं
उसकी बातों से एकदम भौचक्का रह गया।"लेकिन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे
छोटे भाई की बीवी हो। मैं तुम्हारे स्तनों में मुंह कैसे लगा सकता हूं""जी
आप मेरे दर्द को कम कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक
नहीं है।?" उसने मुझसे कहा "मेरा दर्द से बुरा हाल है और आप सही गलत के
बारे में सोच रहे हो। प्लीज़।"मैं चुप चाप बैठा रहा समझ में नहीं आ रहा था
कि क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के निप्पल मुंह में लेकर दूध पीना एक
बड़ी बात थी। उसने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिये।"प्लीज़" उसने फ़िर कहा
लेकिन मैं अपनी जगह से नहीं हिला।"जाइये आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं
है। आप अपने रूढ़ीवादी विचारों से घिरे बैठे रहिये चाहे मैं दर्द से मर ही
जाउं।" कह कर उसने वापस अपने स्तनों को आंचल से ढक लिया और अपने हाथ आंचल
के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन दर्द से
उसके मुंह से चीख निकल गयी "आआह्हह्ह" ।मैने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से
बाहर निकाल दिये। फ़िर एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा दिया। उसने
मेरी तरफ़ देखा। मैं अपनी सीट से उठ कर केबिन के दरवाजे को लोक किया और
उसके बगल में आ गया। उसने अपने ब्लाउज़ को उतार दिया। उसके नग्न ब्रेस्ट जो
कि मेरे भाई की अपनी मिल्कियत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के लिये
बेताब थे। मैने अपनी एक उंगली को उसके एक ब्रेस्ट पर ऊपर से फ़ेरते हुए
निप्पल के ऊपर लाया। मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके निप्पल अंगूर की साइज़
के हो गये। मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। उसके बड़े बड़े दूध से भरे
हुए स्तन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे। उसने मेरे बालों को सहलाते हुए
अपने स्तन को नीचे झुकाया। उसका निप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था। मैने
जीभ निकाल कर उसके निप्पल को छूआ।"ऊओफ़्फ़फ़्फ़ जेठजी अब मत सताओ। पलेअसे इनका
रस चूस लो।" कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर टिका दिया। मैने अपने
होंठ खोल कर सिर्फ़ उसके निप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा। मीठे दूध की
एकतेज़ धार से मेरा मुंह भर गया। मैने उसकी आंखों में देखा। उसकी आंखों में
शर्म की परछाई तैर रही थी। मैने मुंह में भरे दूध को एक घूंठ में अपने गले
के नीचे उतार दिया।"आआअह्हह्हह" उसने अपने सिर को एक झटका दिया।मैने फ़िर
उसके निप्पल को जोर से चूसा और एक घूंठ दूध पिया। मैं उसके दूसरे निप्पल
को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगा।"ऊओह्हह ह्हह्हाआन्न हाआन्नन जोर से चूसो
और जोर से। प्लीज़ मेरे निप्पल को दांतों से दबाओ। काफ़ी खुजली हो रही है।"
उसने कहा। वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फ़ेर रही थी। मैने दांतों से
उसके निप्पल को जोर से दबाया।"ऊउईईइ" कर उठी। वो अपने ब्रेस्ट को मेरे
चेहरे पर दबा रही थी। उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गर्दन से आगे
बढ़ कर मेरे शर्ट के अन्दर घुस गये। वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने
लगी। फ़िर उसने मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदा। "क्या कर रही हो?"
मैने उससे पूछा।"वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ" उसने कहा"क्या कर रहा हूं
मैं तुम्हारे साथ" मैने उसे छेड़ा"दूध पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के
स्तनों से""काफ़ी मीठा है""धत" कहकर उसने अपने हाथ मेरे शर्ट से निकाल लिये
और मेरे चेहरे पर झुक गयी। इससे उसका निप्पल मेरे मुंह से निकल गया। उसने
झुक कर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और मेरे होंठों के कोने पर लगे
दूध को अपनी जीभ से साफ़ किया। फ़िर वो अपने हाथों से वापस अपने निप्पल को
मेरे लिप्स पर रख दी। मैने मुंह को काफ़ी खोल कर निप्पल के साथ उसके बूब का
एक पोर्शन भी मुंह में भर लिया। वापस उसके दूध को चूसने लगा। कुछ देर बाद
उस स्तन से दूध आना कम हो गया तो उसने अपने स्तन को दबा दबा कर जितना हो
सकता था दूध निचोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।"अब दूसरा"मैने उसके स्तन को
मुंह से निकाल दिया फ़िर अपने सिर को दूसरे स्तन के नीचे एडजस्ट किया और उस
स्तन को पीने लगा। उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर फ़िर रहे थे। हम दोनो ही
उत्तेजित हो गये थे। उसने अपना हाथ अगे बढ़ा कर मेरे पैंट की ज़िप पर रख
दिया। मेरे लिंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। फ़िर उसे अपने हाथों से
दबा कर उसके साइज़ का जायजा लिया।"काफ़ी तन रहा है" उसने शर्माते हुए
कहा।"तुम्हारी जैसी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो एक बार तो
विश्वामित्र की भी नीयत डोल जाये।""म्मम्म अच्छा। और आप? आपके क्या हाल
हैं" उसने मेरे ज़िप की चैन को खोलते हुए पूछा"तुम इतने कातिल मूड में हो
तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है" उसने अपना हाथ मेरे ज़िप से अन्दर कर
ब्रीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए लिंग को निकालते हुए कहा "देखूं तो सही
कैसा लगता है दिखने में"मेरे मोटे लिंग को देख कर खूब खुश हुयी। "अरे बाप
रे कितना बड़ा लिंग है आपका। दीदी कैसे लेती है इसे?""आ जाओ तुम्हें भी
दिखा देता हूं कि इसे कैसे लिया जाता है।""धत् मुझे नहीं देखना कुछ। आप
बड़े वो हो" उसने शर्मा कर कहा।लेकिन उससे हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं
की।"इसे एक बार किस तो करो" मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर झुकाते
हुए कहा। उसने झिझकते हुए मेरे लिंग पर अपने होंठ टिका दिये। अब तक उसका
दूसरा स्तन भी खाली हो गया था। उसके झुकने के कारण मेरे मुंह से निप्पल
छूट गया। मैने उसके सिर को हलके से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर
मेरे लिंग को जगह दे दी। मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया। उसने दो तीन
बार मेरे लिंग को अन्दर बाहर किया फ़िर उसे अपने मुंह से निकाल लिया।"ऐसे
नहीं… ऐसे मजा नहीं आ रहा है""हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को हटा
देना चाहिये" मैने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा किया। मैने उठकर अपने कपड़े
उतार दिये फ़िर उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी और पेटीकोट को उसके
बदन से अलग कर दिया। अब हम दोनो बिल्कुल नग्न थे। तभी किसी ने दरवाजे पर
नोक किया। "कौन हो सकता है।" हम दोनो हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली
में भर लिये और निशा बर्थ पर सो गयी। मैने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल
दी। इस बीच दो बार नोक और हुअ। मैने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था। उसने
अन्दर आकर टिकट चेक किया और कहा "ये दोनो सीट खाली रहेंगी इसलिये आप चाहें
तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं" और बाहर चला गया। मैने दरवाजा बंद किया
और निशा के बदन से चादर को हटा दिया। निशा शर्म से अपनी जांघों के जोड़ को
और अपनी छातियों को ढकने की कोशिश कर रही थी। मैने उसके हाथों को पकड़ कर
हटा दिया तो उसने अपने शरीर को सिकोड़ लिया और कहा "प्लीज़ मुझे शर्म आ रही
है।" मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा। इससे मेरा लिंग
उसके मुंह के ऊपर था। उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह
में मेरा लिंग चला गया और उसकी योनि पर मेरे होंठ सट गये।
"आह विशाल जी
क्या कर रहे हो मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी इस तरह मेरी योनि पर
अपनी जीभ नहीं डाली" उसके पैर छटपटा रहे थे। उसने अपनी टांगों को हवा में
उठा दिया और मेरे सिर को उत्तेजना में अपनी योनि पर दबाने लगी। मैं उसके
मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। मेरे हाठ उसकी योनि की फ़ांकों को
अलग कर रखे थे और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी। वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह
में मेरे लिंग को जितना हो सकता था उतना अंदर ले रही थी। काफ़ी देर तक इसी
तरह 69 पोज़िशन में एक दूसरे के साथ मुख मैथुन करने के बाद लगभग दोनो एक
साथ खल्लास हो गये। उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था। उसके मुंह से चू
कर मेरा रस एकपतली धार के रूप में उसके गुलाबी गालों से होता हुआ उसके
बालों में जाकर खो रहा था। मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी।
हम दोनो एक दम नग्न थे और दोनो के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनो एक दूसरे
से लिपट गये और हमारे होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक गये मानो अब कभी भी न अलग
होने की कसम खा ली हो। कुछ मिनट तक यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूमते
रहे फ़िर हमारे होंठ एक दूसरे के बदन पर घूमने लगे।"अब आ जाओ" मैने निशा को
कहा।"जेठजी थोड़ा सम्भाल कर। अभी अंदर नाजुक है। आपका बहुत मोटा हैकहीं कोई
जख्म न हो जाये।""ठीक है। चलो बर्थ पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे
ज्यादा अंदर तक जाता है और दर्द भी कम होता है।"निशा उठकर बर्थ पर चौपाया
हो गयी। मैं पीछे से उसकी योनि पर अपना लंड सटा कर हलका सा धक्का मारा।
गीली तो पहले ही हो रही थी। धक्के से मेरे लंड के आगे का टोपा अंदर धंस
गया। एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योनि काफ़ी टाइट थी। वो दर्द से
"आआह्हह" कर उठी। मैं कुछ देर के लिये उसी पोज़ में शांत खड़ा रहा। कुछ देर
बाद जब दर्द कम हुआ तो निशा ने ही अपनी गांड को पीछे धकेला जिससे मेरा लंड
पूरा अंदर चला जाये।"डालो न रुक क्यों गये।""मैने सोचा तुम्हें दर्द हो
रहा है इसलिये।""इस दर्द का मजा तो कुछ और ही होता है। आखिर इतना बड़ा है
दर्द तो करेगा ही।" उसने कहा। फ़िर वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी
कमर को आगे पीछे करने लगी। मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार
रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के से
उसके दूध भरे स्तन उछल उछल जाते थे। मैने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके
स्तनो को अपने हाथों से थाम लिया। लेकिन मसला नहीं, नहीं तो सारी बर्थ
उसके दूध की धार से भीग जाती। काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने
अपने सिर को को जोर जोर से झटकना चालू किया।"आआह्हह्ह शीईव्वव्वाअम्मम
आआअह्हह्ह तूउम्म इतनीए दिन कहा थीए। ऊऊओह्हह माआईईइ माअर्रर्रर जाऊऊं
गीइ। मुझीए माअर्रर्रर डालूऊओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लूऊ" और उसकी योनि में
रस की बौछार होने लगी। कुछ धक्के मारने के बाद मैने उसे चित लिटा दिया और
ऊपर से अब धक्के मारने लगा।"आअह मेरा गला सूख रहा है।" उसका मुंह खुला हुआ
था। और जीभ अंदर बाहर हो रही थी। मैने हाथ बढ़ा कर मिनरल वाटर की बोतल उठाई
और उसे दो घूंठ पानी पिलाया। उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक किस
किया।"चोदो शिवम चोदो। जी भर कर चोदो मुझे।" मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा।
काफ़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैने रस में डूबे अपने लिंग को उसकी योनि
से निकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।"आजा मेरे उपर" मैने
निशा को कहा। निशा उठ कर मेरे बर्थ पर आ गयी और अपने घुटने मेरी कमर के
दोनो ओर रख कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर सेट करके धीरे धीरे मेरे लिंग पर
बैठ गयी। अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी। मैने उसके निप्पल को पकड़ कर
अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक गयी। मैने उसके निप्पल को सेट कर के
दबाया तो दूध की एक धार मेरे मुंह में गिरी। अब वो मुझे चोद रही थी और मैं
उसका दूध निचोड़ रहा था। काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी "शिवम मेरे
निकलने वाला है। मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से भिगो दो।" हम दोनो साथ
साथ झड़ गये। काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसे लेती
रही। फ़िर जब कुछ नोर्मल हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी। हम दोनो
लगभग पूरे रास्ते नग्न एक दूसरे को प्यार करते रहे। लेकिन उसने दोबारा
मुझे उस दिन और चोदने नहीं दिया, उसके बच्चेदानी में हल्का हल्का दर्द हो
रहा था। लेकिन उसने मुझे आश्वासन दिया। "आज तो मैं आपको और नहीं दे सकुंगी
लेकिन दोबारा जब भी मौका मिला तो मैं आपको निचोड़ लुंगी अपने अंदर। और हां
अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनो भाईयों में से किसका बच्चा आता है।
उस यात्रा के दौरान कई बार मैने उसके दूध की बोतल पर जरूर हाथ साफ़ किया।
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Saturday 5 April 2014

sex in jija ,जीजाजी का लौड़ा

मेरा नाम मनिन्दर है पर मुझे प्यार से सब मिन्की कहते हैं। और मैं पंजाब के पटियाला शहर से हूँ, पटियाला मतलब पटोलों का शहर ! मेरी उम्र 19 साल है और मेरे घर में मेरे अलावा दो बहनें हैं, छोटी का नाम दीपा है, उसकी उम्र 16 साल है, मेरे से बड़ी दीदी सुरलीन की शादी हो चुकी है, वह 23 साल की है, मेरे जीजा कपिल चंडीगढ़ में रहते हैं और उनका मोबाइल फोन का बिजनेस है।

यह सच्ची घटना आठ महीने पहले की है। उस रात को मैं कैसे भूला दूँ जब जीजा कपिल ने मेरे कुंवारेपन की झिल्ली फाड़ी थी और अपना मजबूत लौड़ा मेरी चूत में गाड़ दिया था। कभी कभी मैं नींद से जाग जाती हूँ क्यूंकि मुझे आज भी वो लौड़ा याद आता है; लेकिन मज़बूरी है और वो लौड़ा अब मुझे शायद कभी नहीं मिलेगा।

आइये आप को अब उस रात और उसके पहले और बाद की घटना बताती हूँ। मेरी दीदी सुरलीन का एक दिन फोन आया, उसकी आवाज हल्की सी ढीली और जैसे कि वो बीमार हो, ऐसी लग रही थी।

मैंने उसे पूछा- क्या हुआ?

तो वो बोली- बहुत बीमार हूँ, मलेरिया हुआ है, बदन में कमजोरी के कारण घर का काम नहीं कर सक रही।
मुझसे यह सुन कर रहा नहीं गया।

मैं- अरे दीदी, अगर आप कहो तो मैं आ जाऊँ? वैसे भी मेरे कॉलेज में 10 दिन की छुट्टी हैं।

सुरलीन- अगर तू आ सकती है तो आ जा ! पर तेरे जीजा के पास काम का अभी बहुत रश है, इसलिए वो लेने नहीं आ सकेंगे !

मैं- कोई बात नहीं दी, मैं पापा के साथ आ जाऊँगी।

सुरलीन- ठीक है, कल ही आ जा !

अगले दिन दोपहर बाद मुझे पापा ने बस में बिठा दिया। मेरी उम्र के हिसाब से मेरा कद और काठी काफी बड़ा है, मैं किसी मॉडल से कम सुंदर नहीं हूँ, बस के अंदर हर एक लौड़ा मुझे देख रहा था पर मेरे मन में इस से गुस्सा नहीं बल्कि घमंड आ रहा था, मेरे मन में तो अपने पति को लेकर बहुत बड़े बड़े सपने थे, मुझे ऐसा पति चाहिए थे जो शाहरुख़ जितना सेक्सी और सलमान जितना चौड़ा हो। चंडीगढ़ पहुंचते ही मैं ऑटो लेकर दीदी के घर चली गई। मैंने देखा कि दीदी बहुत कमजोर हो गई है और उसे बहुत तकलीफ हो रही थी। मैंने उसे दवाई वगैरह के लिए पूछा तो उसने बताया कि दवाई चल ही रही है।

मैं- जीजाजी कहाँ हैं?

दीदी- अरे अभी आईफोन का 5 नंबर लॉन्च हुआ है उसमें लगे पड़े हैं। उन्होंने तो मुझे कहा कि शोरूम पर नहीं जाता, पर मैंने उन्हें जबरदस्ती से भेज दिया। एक दिन में अभी 20 हजार कमाने का मौका है, वो थोड़े ही बार बार आता है।

मैं- ठीक है दी, अब तू घबरा मत, मैं यही हूँ कुछ दिन ! तेरा और मेरे जीजा का पूरा ख्याल रखूंगी।

दीदी- अच्छा है तू आ गई, कल तो मुझे होटल से खाना मंगवाना पड़ा।

मैं- चल मैं आज तेरी पसंद के राजमा चावल बनाती हूँ।

मैं फ्रेश होकर रसोई में गई और राजमा बनाने लगी। सुरलीन को राजमा पहले से बहुत पसंद हैं। रात के 8 बजे तक मैं खाना बना चुकी थी। खाना बनाने के बाद मैंने कहा- जीजाजी आ जाएँ रो इकट्ठे खाना खाएँगे !

लेकिन सुरलीन ने कहा- उनका अभी कोई ठिकाना नहीं है।

इसलिए हम दोनों बहनों ने खाना खा लिया। सुरलीन को दवाई देकर मैंने सुला दिया और ड्राइंग रूम में जाकर मैं डिस्कवरी चैनल देखने लगी। टीवी देखते देखते दस कब बजे, पता ही नहीं चला।

इतने में घर का मुख्य दरवाजा खुला और जीजाजी अंदर आये, उसने मुझे देखा नहीं और वो फोन पर किसी से लड़ रहे थे।

जीजा- लौड़ा मेरा, साले तुम लोग पार्सल के रेट मन चाहे तरीके से बढ़ा देते हो ! अगर ऐसा ही चला तो मुझे नहीं मंगवाना कुछ भी अब !

उन्होंने मुझे देख कर तुरंत फोन काट दिया और बोले- अरे मिन्की, कब आई तू? मुझे बताया भी नहीं, मैं गाड़ी लेकर आ जाता।

मैं- नहीं जीजाजी, आप बीजी हैं ! दी ने बताया मुझे !

जीजा- अरे साली के लिए क्या बीजी क्या फ्री !

मैंने देखा कि जीजा जी को चलने में तकलीफ हो रही थी, उनके पाँव इधर उधर होने लगे थे। वो शायद शराब पी के आया था और इस बात की पुष्टि तब हुई जब वो मेरे पास आकर सोफे पर बैठे, जीजा फुल टुन्न होकर आया था, उसके मुँह से शराब की मुश्क आ रही थी। उनसे सही बैठे भी नहीं जा रहा था।.

मैंने उनसे खाने के लिए पूछा- जीजा जी खाना लगा लूँ?

जीजा- नहीं, मैं बाहर खाकर आया हूँ, तेरी दीदी जाग रही है?

मैं- नहीं दीदी को सोये तो काफी समय हो गया है।

जीजा- ओके !

उन्होंने अपनी टाँगें सोफे पर फ़ैलाई और आँखें बन्द करके लेट गए। उन्होंने अपने जूते, कपड़े ऐसे ही पहने हुए थे और वो सो गए। मैंने कहा भी यह सब उतारने के लिए लेकिन वो कुछ बोले ही नहीं, वो शायद नशे में सो चुके थे।

मैंने सोचा चलो मैं ही जीजा के जूते उतार देती हूँ। मैंने जीजा के पाँव अपनी गोद में लिए और जूते की डोरी खोल कर उतार फेंके। मैंने देखा कि जीजे की पैंट के ऊपर की बेल्ट बहुत टाईट बंधी हुई थी, मैंने सोचा कि इसे भी खोल दूँ। मैं बेल्ट को खोल रही थी, तभी मेरी नजर उसके नीचे पड़ी जहाँ एक बड़ा पर्वत जैसा आकार बना हुआ था।

क्या जीजा का लौड़ा इतना बड़ा था..!?!

पता नहीं क्यूँ, पर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी, मेरा मन कूद रहा था अंदर से ही ! मैंने इससे पहले लौड़ा सिर्फ नंगी मूवीज में ही देखा था लेकिन जीजा का लौड़ा तो पैंट के ऊपर इतना बड़ा आकार बना कर बैठा था कि देख कर ही मुझे ख़ुशी मिल रही थी।

मैंने बेल्ट को खोलने के साथ साथ उनके लौड़े के ऊपर हल्के से अपने हाथ का पीछे वाला हिस्सा लगा दिया। जीजाजी का लौड़ा बहुत सख्त लग रहा था। उनके लौड़े को छूने के बावजूद जीजा हिले नहीं और इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने अब अपना हाथ पूरा रख के लौड़े को अहसास लिया। लौड़ा काफी गरम था और मुझे उसको हाथ लगाते ही चूत के अंदर खुजली होने लगी।

मैं तब तक तो कुंवारी ही थी, मैंने केवल उंगली डाल कर हस्तमैथुन किया था बस !

सच में बड़ा भारी लौड़ा था ! खोल के देख लूँ? जीजा तो नशे में थे !

मेरे मन में लौड़ा देखने के भयानक विचार आने लगे। मैंने सोचा कि जीजा तो वैसे भी नशे में हैं तो पैंट खोली तो उन्हें थोड़े ही पता चलेगा। मैंने धीरे से उनकी ज़िप खोली और देखा कि लौड़ा अंदर अंडरवीयर में छिपा बैठा था। मैंने बटन खोल कर जीजा की पैंट उतार दी।

पता नहीं मुझे क्या हुआ था, मुझे अच्छे बुरे की कोई समझ नहीं रही थी, मैं अपने हाथ को लौड़े के ऊपर रख कर उसे दबाने लगी, फिर मैंने धीरे से अंडरवीयर को खींचा और बालों के गुच्छे के बीच में विराजमान महाराजा को देखा। अच्छा तो यह है लौड़ा !

मैंने पहली बार लाईव लौड़ा देखा था, बिल्कुल मेरी आँखों के सामने जो आधे से भी ज्यादा तना हुआ था। मेरे हाथ रुके नहीं और मेरे दिल में आया कि उसे छू लूँ एक बार !

जैसे ही मैंने लौड़ा हाथ में लिया, जीजा की आँख खुल गई और वो बोले- मिन्की, क्या कर रही है?

मैं- कुछ नहीं जीजा जी, आप के कपड़े खोल रही थी. आप नींद में थे और आपने जूते वगैरह कुछ नहीं उतारे थे।
जीजा- मुझे पता है कि तू क्या कर रही थी। मैं सोया था लेकिन तूने हाथ लगा कर सहलाया तब मेरी नींद उड़ गई थी और फिर मैं सिर्फ आँखें बंद करके लेटा हुआ था।

मैं डर गई कि कहीं जीजा दीदी को ना बता दें।

लेकिन उसके बाद जीजा जो बोले, वो बहुत ही अलग और आश्चर्यजनक था।

जीजा- इतना ही लौड़ा लेने का शौक है तो कपड़े उतार दे देता हूँ।

मैं क्या बोलती, मुझे लौड़ा सिर्फ देखना था लेकिन अब जीजा थोड़े ही मानने वाला था। मुझे कभी ना कभी तो नथ उतरवानी थी, फिर आज क्यों नहीं, मैं कुछ नहीं बोली।
लेकिन जीजा के हाथ अब मेरे चूचों के ऊपर थे और वो उन्हें जोर से दबा रहे थे। मैंने आँखें बंद कर ली।

जीजा सोफे से खड़े हुए और शर्ट उतारने लगे। वो बिल्कुल नंगे हो गए और उसने मुझे कंधे से पकड़ के मेरी नाईटी उतारने के लिए हाथ ऊपर करवा दिए। मैं अगले ही मिनट में उसके सामने नंगी हो गई।

जीजा मेरे चूचों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे। उनके गरम गरम होंठ का अहसास जान निकाल देने वाला था। मुझे अजीब सी खुमारी छा रही थी। मैंने देखा कि जीजा के हाथ अब कमर के ऊपर होते हुए मेरे चूतड़ों तक पहुँचे और मुझे अपनी तरफ खींचा।

जीजा का लौड़ा मेरी चूत वाले हिस्से के बिल्कुल नजदीक आ गया और मुझे जैसे 1000 वाट का करंट लगा हो। जीजा ने अपने होंठ मेरे होंठों से लगाये और मेरे मुँह में व्हिस्की की गन्ध भर गई। वो मुझे चूसते हुए सोफे के ऊपर बैठ गये। मैं अब जीजा की दोनों टांगों के बीच में थी, उन्होंने मेरे हाथों को दोनों तरफ से पकड़ा और मेरा चेहरा लौड़े की तरफ ले गया !

मैं प्रश्न के अंदाज से उन्हें देखने लगी। जीजा ने मेरा मुँह अपने सुपाड़े पर लाकर मुझे छोड़ दिया। मैंने लौड़ा हाथ में लिया और उसकी गर्मी का अहसास लेने लगी। जीजा ने पीछे से मुँह को धकेला और मेरे मुँह खोलते ही उसका लौड़ा आधा मेरे मुँह के अंदर चला गया। ओह माय गॉड ! यह तो बिल्कुल मुँह फाड़ रहा था मेरा ! उसकी तीन इंच की मोटाई मेरे मुँह के लिए बहुत ज्यादा थी. लेकिन फिर भी मैंने आधे लौड़े को चूसना चालू कर दिया। जीजा ने लंड के झटके मुँह में देने चाहे लेकिन मैंने उनकी जांघें थामे उन्हें नाकाम कर दिया।

जीजा अब सोफे से उठ खड़े हुए और मेरे मुँह को जोर जोर से चोदना चालू कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उनका लौड़ा मेरे मुँह से ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गी.. गों.. गों.. गोग जैसी आवाजें निकाल रहा था। थोड़़ी देर में मुझे भी लंड चूसने में मजा आने लगा, ऐसे लग रहा था कि चोकलेट वाली आइसक्रीम खा रही थी।

जीजा ने अब मेरे मुँह से लौड़ा बाहर निकाला और मेरी टाँगें फैला कर मुझे सोफे में लिटा दिया, उसके होंठ मेरी चूत के होंठों से लग गए और वो मुझे सीधा स्वर्ग भेजने लगे- आह इह्ह ओह्ह ओह जीजा जी ! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. ..!

मेरे लिए यह चुसाई का आनन्द मार देने वाला था। जीजा ने चूत के अंदर एक उंगली डाली और वो चूसने के साथ साथ उंगली से मुझे चोदने लगे- आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह के आवाज के साथ मैं झड़ गई।

जीजा ने अब मुँह हटाया और अपना लौड़ा मेरी चूत के ऊपर टिकाया। चूत काफी गीली थी और मुझे पता था कि अब तो फाईट होगी लौड़े और चूत के बीच ! जीजाजी ने हाथ में थूक लिया और लौड़े के आगे लगा दिया, एक झटका देकर उन्होंने आधा लंड मेरी चूत में दे दिया-
"आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई.. मरर गई रे !"

जीजा ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और एक और जोर का झटका देकर पूरा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया। मुझे ऐसे लग रहा था कि सारी चमड़ी जल रही हो, मानो किसी ने चूत में लोहे की गरम सलाख घुसा दी हो।

जीजा थोड़़ी देर हिले नहीं पर अब धीरे धीरे से लंड को हिलाना चालू किया। ऐसा अहसास हो रहा था जैसे कि चमड़ी लौड़े के साथ साथ निकल रही थी चूत की !

मेरे आँखों से आँसू की धार निकल कर जीजा के हाथों को लगने लगी। उन्होंने मेरे कान के पास आते हुए कहा- घबरा मत ! अभी ठीक हो जाएगा सब !

और सच में मुझे 2 मिनट के बाद लौड़ा सुखदायी लगने लगा। जीजा के झटकों के ऊपर अब मैं भी अपने कूल्हे हिलाने लगी।

जीजाजी ने हाथ मुँह से हटा कर चूचों पर रख दिया और चूत ठोकने के साथ साथ आगे से चूचे मसल रहा था। मैं सुखसागर पर सवार हो गई थी और लौड़ा मुझे ठक ठक ठोक रहा था। जीजा के झटके दो मिनट में तो बहुत ही तीव्र हो गए और वो एकदम स्पीड से मुझे चोदने लगे।

"आह.. आह.. ओह.. ओह.. ओह !" जीजा कुत्ते के जैसे फास्ट हुआ और मुझे थोड़़ी देर बाद जैसे की मेरी चूत के अंदर उन्होंने पेशाब किया हो, ऐसा लगा लेकिन वो मूत नहीं बल्कि उसका पिंघला हुआ लोहा यानि वीर्य था। उन्होंने लंड को जोर से चूत में दबाया और सारा के सारा पानी अंदर छोड़ दिया।

मैं उनसे लिपट कर लेट गई और मेरी आँख कब लग गई पता ही नहीं चला।

मैं सो गई, लेकिन जब मैंने दीदी की चीखें सुनी तो मेरी आँख खुल गई। मैंने उठ कर देखा कि जीजा कपड़े पहन रहे थे और सुरलीन दीदी उसकी माँ बहन एक कर रही थी।

हम लोग पकड़े गए थे, रात के करीब डेढ़ बजे दीदी पानी पीने के लिए उठी और उसने हमें पकड़ लिया।
काश मैंने दीदी के रूम में पानी की बोतल पहले रख दी होती...!

दीदी जीजा से लड़ रही थी और जैसे उसने मुझे देखा उठते हुए, उसने मेरे पास आके मेरे दोनों गालों पर एक एक तमाचा लगा दिया।

मैं कुछ बोलने की अवस्था में नहीं थी।

दीदी- तू यहाँ बहन बन कर आई थी या सौतन? तेरा जीजा ठरकी बन गया तेरी कुँवारी चूत देख कर लेकिन तू तो उसे रोक सकती थी। लेकिन नहीं ! मैडम पड़ी थी जीजा की बाहों में ! तू मुझे कल इस घर में नहीं दिखनी चाहिए ! तू अभी अपनी बैग उठा और निकल और जिन्दगी में कभी यहाँ मत आना ! अगर तू अभी नहीं निकली तो मैं पापा को फोन करती हूँ।

जीजा ने सुरलीन को समझाने के बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी, वो बोली कि अगर वो कुछ बोले तो वो उससे तलाक ले लेगी। मेरे पास कोई चारा था नहीं ! सुबह होते ही मैंने अपनी सहेली रचना को फोन लगाया जो चण्डीगढ़ में ही रहती थी और उसके घर टेक्सी करके चली गई।

दीदी ने सच में मुझे कभी अपने घर में नहीं आने दिया। कभी कभी हम लोग किसी फंक्शन में मिल जाएँ तो भी वो उखड़ी उखड़ी रहती हैं।

जीजा का लौड़ा मुझे महंगा तो पड़ा लेकिन ऐसा लौड़ा मिलना भी एक बड़ी बात है। अब तो बस एक ख्वाहिश है कि मेरे भावी पति का लौड़ा भी ऐसा तगड़ा ही हो। 

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