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Tuesday, 25 February 2014
first sex how,
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Friday, 14 February 2014
मेरी हॉट अमेरिकन कजिन
पापा एअरपोर्ट से आनेवाले थे. फोन आ चुका था की लगभग १ घंटे में पहुँच जायेंगे. हम सब काफी excited थे आखिर बात ही कुछ ऐसी थी. पापा एअरपोर्ट गएथे मेरे मामाजी को रिसीव करने जो दो ढाई साल बाद अमेरिका से आ रहे थे अपनी बेटी केसाथ. इस वक़्त का इंतज़ार तो मुझे भी काफी था लेकिन मन में एक घबराहट भी थी की पतानहीं वो कैसा व्यवहार करेगी और उसके मन में क्या होगा. खैर इसी उधेड़बुन में टाइमनिकल गया और थोड़ी देर में दरवाज़े की घंटी सुनाई दी..........पहले घंटी और फिरमम्मी की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा.
मम्मी: अरे मनु बेटादेख तो सही शायद वो लोग आ गए हैं.
अच्छा मम्मी कह कर मेंदरवाज़े की तरफ चल दिया. दरवाज़ा खोला तो सामने पापा खड़े थे. पापा ने जैसे ही कदमअन्दर रखा मम्मी ने सवालों की बौछार कर दी.
मम्मी: अरे भैया कहाँहै? मिल गए आपको? रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई? अनु भी साथ आई है?
मैं: हाँ पापा मामाजीकहाँ है?
पापा: अरे भाई सब्र तोकरो. थोडा सांस तो लेने दो. आ रहे हैं तुम्हारे भैया (मम्मी की तरफ देखते हुए) औरतुम्हारे मामाजी भी(मेरी तरफ देखते हुए). अब सारे सवाल खुद उन्ही से पूछ लेना.
तभी पीछे से मामाजी औरउनकी बेटी अनु की एंट्री हुई और उनके पीछे लगेज लिए ड्राईवर अन्दर आया. पापा नेड्राईवर की पेमेंट की और और वो सलाम ठोककरचलता बना.
मम्मी: अरे मनु बेटादेख तो सही शायद वो लोग आ गए हैं.
अच्छा मम्मी कह कर मेंदरवाज़े की तरफ चल दिया. दरवाज़ा खोला तो सामने पापा खड़े थे. पापा ने जैसे ही कदमअन्दर रखा मम्मी ने सवालों की बौछार कर दी.
मम्मी: अरे भैया कहाँहै? मिल गए आपको? रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई? अनु भी साथ आई है?
मैं: हाँ पापा मामाजीकहाँ है?
पापा: अरे भाई सब्र तोकरो. थोडा सांस तो लेने दो. आ रहे हैं तुम्हारे भैया (मम्मी की तरफ देखते हुए) औरतुम्हारे मामाजी भी(मेरी तरफ देखते हुए). अब सारे सवाल खुद उन्ही से पूछ लेना.
तभी पीछे से मामाजी औरउनकी बेटी अनु की एंट्री हुई और उनके पीछे लगेज लिए ड्राईवर अन्दर आया. पापा नेड्राईवर की पेमेंट की और और वो सलाम ठोककरचलता बना.
मम्मी इतने दिनों बादअपने भाई और भतीजी को देख कर खुश थी और मैं अपने मामा की बेटी यानि अनु को देख कर लेकिन मन में जो परेशानी थी वो अभी भी वैसी की वैसी ही थी
तो अब शुरू हुआ मिलने और अभिवादन का सिलसिला.तब तक मैं आप लोगों को कुछ introduction देदूँ.
मेरा नाम मनीष है और घर में सब मुझे मनु कह करबुलाते हैं. मैं B.Techका स्टुडेंट हूँ और फिलहाल अपनी vacations एन्जॉयकररहाहूँ. यह जो आये हैं यह हैं मेरे रमेश मामाजी और साथ में हैं उनकी बेटी अनु जो कीमुझसे दो साल बड़ी है इसलिए मैं उसे दीदी कह कर बुलाता था लेकिन अब में उसे दीदीकह कर बुलाता हूँ केवल औरों के सामने. मामीजी की मौत तभी हो चुकी थी जब अनु पांचया छ साल की रही होगी. मामीजी की मौत के बाद मामाजी अनु को लेकर अमेरिका चले गए औरवही सेटेल हो गए. अनु जिसका बचपन अमेरिका में गुज़रा और जो अमेरिका की खुली हवा मेंजवान हुई अपनी मेंटेलिटी,सोच, स्वभावऔर हर तरह से अमेरिकन हो चुकी थी. मामाजी का इंडिया आना होता रहता था और वो हमारेयहाँ ही आकर ठहरते थे. मामाजी का हमारे यहाँ ठहरना और अनु का खुलापन शायद यही वजहथी मेरे और अनु के बीच नजदीकियां बढ़ने की और वो सब होने की जो नहीं होना चाहिए थाऔर जिसकी समाज स्वीकृति नहीं देता.
मिलने का दौर अभी चल ही रहा था. मैंने आगे बढकरमामाजी के पैर छुए और अनु की तरफ देखा वो भी एक टक मुझे ही देख रही थी. मेरी धड़कनेतेज़ हो गयी और लगा की जैसे पसीना आ रहा है. लेकिन तभी वो आगे बढ़ी और चिल्लाते हुएमुझसे लिपट गयी. उसके लिपटते ही ऐसा लगा जैसे उसके बड़े बड़े नुकीले चूचे मेरीछाती में घुसकर पार निकल जायेंगे. मैंने अपने दिल की धडकनों पे कंट्रोल किया औरअपने हाथ उसकी कमर पर लपेट कर उससे चिपक गया.
अनु: हाय मनु ! कैसे हो माई डियर ! कितना टाइम हो गयातुमको देखे. इस बार तसल्ली से टाइम पास करूंगी तुम्हारे साथ.
मैं: हाय अनु दीदी ! मैं तो मस्त हूँ आप कैसी हो.बिलकुल तसल्ली से टाइम पास करेंगे इस बार एक साथ मेरी भी vacations चल रही हैं. तेरी तो मैं इस बार ऐसी तसल्ली करूँगा कि याद रखेगी साली लंडकि भूखी कुतिया मैंने अपने मन में सोचा.
इसी बीच मौका पाकर अनु ने मेरे कान के निचले हिस्सेको मुह में लिया और और चूसने लगी. मेरे पूरे शरीर में झनझनाहट दौड़ गयी और मेरीउंगलियाँ उसकी कमर में लगभग गड़ सी गयीं. मैं समझ गया कि इस बार भी यह पूरी तरह सेगरम है और फिर से मुझे अपनी जवानी कि भट्टी में जलाएगी. तभी उसने मेरा कान चबानाछोड़ा और फुसफुसाते हुए बोली.......
अनु: baby,I've got one more chance to enjoy your big and delicious cock (मुझे तुम्हारे बड़े और स्वादिष्ट लंड से मज़े लेने का एक और मौका मिल गया).
उसके मुहं से यह सुन कर मेरी जान में जान आई वरनामेरी तो गांड ही फट रही थी कि पहले जो कुछ हुआ उसको लेकर कहीं कोई बवाल न खड़ा करदे.
और क्या क़यामत लग रही थी अनु ! पिंक कलर कि टी-शर्टजो उसके बदन पे बिलकुल टाइट चिपकी हुई थी और उसके हसीं उभारों को और भी दिलकशतरीके से उभार रही थी और दुनिया को उनकी विशालता का अंदाज़ा करा रही थी. और उसकीटाइट फिट जींस जो कि उसकी टांगो से ऐसे चिपकी हुई थी जैसे उसके उसके शरीर काहिस्सा हो, उसकी मांसल केले जैसी गोरी गोरी और सांचे में ढली हुई जांघो को बड़े हीसेक्सी तरीके से सबकी नज़रों से ढकते हुए भी सबको उनके आकार का अनुमान करा रही थी.बड़ी ही सेक्सी लग रही थी अनु ऊपर से नीचे तक लेकिन उसकी टाइट जींस देखकर मेरे मनमें रह रह कर एक ही ख्याल आ रहा था कि इतनी टाइट जींस में बेचारी कोमल सी और छोटीसी चूत कैसे रह पा रही होगी,तड़प रही होगी बेचारी. मन तो कर रहा था कि अनु किजींस खोल कर वहीँ आज़ाद कर दूँ उस छोटी सी चूत नाम कि चिड़िया को, बेचारी खुलकर सांस तो ले लेगी और मुझे दुआएं देगी पता नहीं कब से बंद पड़ीकसमसा रही होगी. लकिन क्या करता माहौल ही ऐसा था कि मुझे यह ख्याल छोड़ना पड़ालेकिन मैंने सोच लिया था कि मौका मिलते ही छोटी अनु यानि अनु कि चूत की पूरीखातिरदारी करूंगा और अच्छी तरह से ख्याल रखूँगा उसका. शिकायत का मौका नहीं मिलेगान तो अनु को न ही उसकी चूत को.
मम्मी: और बताओ भैय्या कैसा चल रहा है? पूरे ढाई साल बाद आये हो. काम वाम अच्छा चल रहा है ना? और इन दोनों को देखो एक दूसरे को देख कर कैसे हो गए हैं जैसे सदियों बादमिले हों. मम्मी को क्या पता था की इतने दिनों बाद एक दूसरे से मिलके अनु की चूतकी गरमी भड़क रही थी और मेरे लंड में रुका हुआ लावा भी ज़ोर मार रहा था. चलो भैयाफ्रेश हो जाओ मैं नाश्ता लगाती हूँ. कुछ चाय पानी ले लो फिर आराम कर लो, बातें तो फिर होती रहेंगी इतने लम्बे सफ़र से आये हो थक गए होंगे. अनु बेटातुम भी फ्रेश हो जाओ और नाश्ता कर लो. फिर आराम से बात करना मनु से. मनु बेटा ज़राआओ मेरी हेल्प करो.
मम्मी की बात सुन कर अनु और मामाजी चल दिए फ्रेशहोने और मैं चल दिया किचन की तरफ मम्मी की हेल्प करने. अगर सावी होती तो कितनाअच्छा होता, मुझे किचन में नहीं जाना पड़ता, मैंने मन में सोचा. सावी मेरी छोटी बहन है जो की अजमेर मेंफैशन डिजायनिंग का कोर्से कर रही है.
मेरा नाम मनीष है और घर में सब मुझे मनु कह करबुलाते हैं. मैं B.Techका स्टुडेंट हूँ और फिलहाल अपनी vacations एन्जॉयकररहाहूँ. यह जो आये हैं यह हैं मेरे रमेश मामाजी और साथ में हैं उनकी बेटी अनु जो कीमुझसे दो साल बड़ी है इसलिए मैं उसे दीदी कह कर बुलाता था लेकिन अब में उसे दीदीकह कर बुलाता हूँ केवल औरों के सामने. मामीजी की मौत तभी हो चुकी थी जब अनु पांचया छ साल की रही होगी. मामीजी की मौत के बाद मामाजी अनु को लेकर अमेरिका चले गए औरवही सेटेल हो गए. अनु जिसका बचपन अमेरिका में गुज़रा और जो अमेरिका की खुली हवा मेंजवान हुई अपनी मेंटेलिटी,सोच, स्वभावऔर हर तरह से अमेरिकन हो चुकी थी. मामाजी का इंडिया आना होता रहता था और वो हमारेयहाँ ही आकर ठहरते थे. मामाजी का हमारे यहाँ ठहरना और अनु का खुलापन शायद यही वजहथी मेरे और अनु के बीच नजदीकियां बढ़ने की और वो सब होने की जो नहीं होना चाहिए थाऔर जिसकी समाज स्वीकृति नहीं देता.
मिलने का दौर अभी चल ही रहा था. मैंने आगे बढकरमामाजी के पैर छुए और अनु की तरफ देखा वो भी एक टक मुझे ही देख रही थी. मेरी धड़कनेतेज़ हो गयी और लगा की जैसे पसीना आ रहा है. लेकिन तभी वो आगे बढ़ी और चिल्लाते हुएमुझसे लिपट गयी. उसके लिपटते ही ऐसा लगा जैसे उसके बड़े बड़े नुकीले चूचे मेरीछाती में घुसकर पार निकल जायेंगे. मैंने अपने दिल की धडकनों पे कंट्रोल किया औरअपने हाथ उसकी कमर पर लपेट कर उससे चिपक गया.
अनु: हाय मनु ! कैसे हो माई डियर ! कितना टाइम हो गयातुमको देखे. इस बार तसल्ली से टाइम पास करूंगी तुम्हारे साथ.
मैं: हाय अनु दीदी ! मैं तो मस्त हूँ आप कैसी हो.बिलकुल तसल्ली से टाइम पास करेंगे इस बार एक साथ मेरी भी vacations चल रही हैं. तेरी तो मैं इस बार ऐसी तसल्ली करूँगा कि याद रखेगी साली लंडकि भूखी कुतिया मैंने अपने मन में सोचा.
इसी बीच मौका पाकर अनु ने मेरे कान के निचले हिस्सेको मुह में लिया और और चूसने लगी. मेरे पूरे शरीर में झनझनाहट दौड़ गयी और मेरीउंगलियाँ उसकी कमर में लगभग गड़ सी गयीं. मैं समझ गया कि इस बार भी यह पूरी तरह सेगरम है और फिर से मुझे अपनी जवानी कि भट्टी में जलाएगी. तभी उसने मेरा कान चबानाछोड़ा और फुसफुसाते हुए बोली.......
अनु: baby,I've got one more chance to enjoy your big and delicious cock (मुझे तुम्हारे बड़े और स्वादिष्ट लंड से मज़े लेने का एक और मौका मिल गया).
उसके मुहं से यह सुन कर मेरी जान में जान आई वरनामेरी तो गांड ही फट रही थी कि पहले जो कुछ हुआ उसको लेकर कहीं कोई बवाल न खड़ा करदे.
और क्या क़यामत लग रही थी अनु ! पिंक कलर कि टी-शर्टजो उसके बदन पे बिलकुल टाइट चिपकी हुई थी और उसके हसीं उभारों को और भी दिलकशतरीके से उभार रही थी और दुनिया को उनकी विशालता का अंदाज़ा करा रही थी. और उसकीटाइट फिट जींस जो कि उसकी टांगो से ऐसे चिपकी हुई थी जैसे उसके उसके शरीर काहिस्सा हो, उसकी मांसल केले जैसी गोरी गोरी और सांचे में ढली हुई जांघो को बड़े हीसेक्सी तरीके से सबकी नज़रों से ढकते हुए भी सबको उनके आकार का अनुमान करा रही थी.बड़ी ही सेक्सी लग रही थी अनु ऊपर से नीचे तक लेकिन उसकी टाइट जींस देखकर मेरे मनमें रह रह कर एक ही ख्याल आ रहा था कि इतनी टाइट जींस में बेचारी कोमल सी और छोटीसी चूत कैसे रह पा रही होगी,तड़प रही होगी बेचारी. मन तो कर रहा था कि अनु किजींस खोल कर वहीँ आज़ाद कर दूँ उस छोटी सी चूत नाम कि चिड़िया को, बेचारी खुलकर सांस तो ले लेगी और मुझे दुआएं देगी पता नहीं कब से बंद पड़ीकसमसा रही होगी. लकिन क्या करता माहौल ही ऐसा था कि मुझे यह ख्याल छोड़ना पड़ालेकिन मैंने सोच लिया था कि मौका मिलते ही छोटी अनु यानि अनु कि चूत की पूरीखातिरदारी करूंगा और अच्छी तरह से ख्याल रखूँगा उसका. शिकायत का मौका नहीं मिलेगान तो अनु को न ही उसकी चूत को.
मम्मी: और बताओ भैय्या कैसा चल रहा है? पूरे ढाई साल बाद आये हो. काम वाम अच्छा चल रहा है ना? और इन दोनों को देखो एक दूसरे को देख कर कैसे हो गए हैं जैसे सदियों बादमिले हों. मम्मी को क्या पता था की इतने दिनों बाद एक दूसरे से मिलके अनु की चूतकी गरमी भड़क रही थी और मेरे लंड में रुका हुआ लावा भी ज़ोर मार रहा था. चलो भैयाफ्रेश हो जाओ मैं नाश्ता लगाती हूँ. कुछ चाय पानी ले लो फिर आराम कर लो, बातें तो फिर होती रहेंगी इतने लम्बे सफ़र से आये हो थक गए होंगे. अनु बेटातुम भी फ्रेश हो जाओ और नाश्ता कर लो. फिर आराम से बात करना मनु से. मनु बेटा ज़राआओ मेरी हेल्प करो.
मम्मी की बात सुन कर अनु और मामाजी चल दिए फ्रेशहोने और मैं चल दिया किचन की तरफ मम्मी की हेल्प करने. अगर सावी होती तो कितनाअच्छा होता, मुझे किचन में नहीं जाना पड़ता, मैंने मन में सोचा. सावी मेरी छोटी बहन है जो की अजमेर मेंफैशन डिजायनिंग का कोर्से कर रही है.
मैं मम्मी के साथ किचन में था कि तभी अनु कीआवाज़ आई.
अनु: मनु, ज़राऊपर आकर मेरी थोड़ी हेल्प कर दोगे, प्लीज़?
माँ: मनु, जाओबेटा जाकर देखो दीदी को क्या हेल्प की ज़रुरत है?
मैं किचन से निकल कर ऊपर की तरफ चल दिया अनुके कमरे की तरफ. क्यूंकि मामाजी हमारे यहाँ आकर ठहरते हैं तो इसलिए नीचे के फ्लोरपर एक कमरा मामाजी के लिए रहता था और ऊपर के फ्लोर पर एक कमरा था मेरे कमरे के बगलवाला जिसमे अनु ठहरा करती थी. अनु ने अपने कमरे से ही आवाज़ दी थी. मैं ऊपर पहुंचाऔर कमरे के बाहर से आवाज़ दी - अनु दीदी क्या हुआ?
अनु: अन्दर आ जाओ मनु, मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए.
मैं अन्दर दाखिल हुआ तो अनु मुझे कहीं दिखाईनहीं दी.
मैं: कहाँ हो?
अनु: अरे इधर हूँ, बाथरूम में, इधरआओ. अनु के कमरे में अटेच्ड बाथरूम था यह आवाज़ उधर से ही आई थी.
मैं आगे चलकर बाथरूम कि तरफ पहुंचा और बाथरूमके दरवाज़े पे पहुँचते ही जैसे मेरी साँसे थम गयीं . अनु केवल एक जोड़ा पैंटी औरब्रा पहने खड़ी थी और वाश बेसिन के ऊपर आधी झुकी हुई थी, दरअसल वो वाश बेसिन के ऊपर लगे शीशे में अपना सेक्सीचेहरा देख रही थी.
अनु के खड़े होने स्टाइल बड़ा ही सेक्सी था उसेइस स्टाइल में खड़ा देख कर मेरे लंड ने एकदम अंगड़ाई लेते हुए उसकी उठ के पीछे कीतरफ निकली हुई गांड को सलाम ठोका. मैं खड़ा हुआ उसके मादक शरीर के दर्शन कर ही रहाथा की वो मेरी तरफ घूमी और इतराते हुए अपनी कमर पे हाथ रख कर सीधी खड़ी हो गयी.
अनु: क्यूँ ये आँखें फाड़ फाड़ कर क्या देखरहे हो? कैसी लगी मेरी नयी लौंजरी? विक्टोरिया सेक्रेट का बिलकुल नया कलेक्शन ख़रीदा है.कैसा लग रहा है,देखो तो ज़रा.
और ये कह कर वो घूम घूम कर मुझे अपना बदन आगेऔर पीछे से दिखाने लगी केवल उन दो छोटे छोटे कपड़ों में. मैं सचमुच उसे आँखें फाड़फाड़ कर ही देख रहा था. हलके पिंक कलर की पैंटी और ब्रा में वो सचमुच एक sex goddess लग रही थी. उसकी टाईट कसी हुई डिजाईनर ब्रा उसकेचूचों को नीचे से आधा कवर किये हुए थी इस तरह की निप्पल न दखाई दे बाकी निप्पल सेऊपर का पूरा पार्ट साफ़ साफ़ देखा जा सकता था और मेरी नजर अभी वहीँ टिकी हुई थी.मोटे मोटे और गोरे गोरे चूचों का ऊपर से दर्शन और उस ब्रा की वजह से बनी हुई गहरीघाटी जैसी cleavage मेरी प्यास बढ़ा रहा था और मुझे और देखने के लिए लालायित कर रहा था. अनु केहिलने के साथ साथ उसके चूचे भी हरकत कर रहे थे और लग रहा था जैसे कह रहे हों"हमें freeकर दो न प्लीज़, देखो ना ये नयी ब्रा बड़ी टाईट है, हमारा दम घुट रहा है. इतनी देर से तो बंद थे अभी इसअनु की बच्ची ने फ्री किया था तो लगा था की ज़रा सांस ले लेंगे लेकिन इस ने फिर इसनयी ब्रा में कैद कर दिया है और ये तो और भी टाईट है. प्लीज़ फ्री कर दो न हमें, प्लीज़..."
"ऐ मिस्टर, अब क्या एक टक इन्हें ही देखते रहोगे? मैंने पूरा देखने के लिए कहा है और तुम्हारे मुहं सेमैं अपनी और अपनी चौइस की तारीफ़ सुनने का इंतज़ार कर रही हूँ. चलो आगे बढ़ो."अनु ने मेरी आँखों के आगे चुटकी बजाते हुए कहा. उसकी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा औरअब मेरी नज़रें अनु की छातियों से हटकर नीचे की और बढ़ चलीं उसके गोरे मक्खन जैसे जिस्म को चूमते हुए.
अनु: मनु, ज़राऊपर आकर मेरी थोड़ी हेल्प कर दोगे, प्लीज़?
माँ: मनु, जाओबेटा जाकर देखो दीदी को क्या हेल्प की ज़रुरत है?
मैं किचन से निकल कर ऊपर की तरफ चल दिया अनुके कमरे की तरफ. क्यूंकि मामाजी हमारे यहाँ आकर ठहरते हैं तो इसलिए नीचे के फ्लोरपर एक कमरा मामाजी के लिए रहता था और ऊपर के फ्लोर पर एक कमरा था मेरे कमरे के बगलवाला जिसमे अनु ठहरा करती थी. अनु ने अपने कमरे से ही आवाज़ दी थी. मैं ऊपर पहुंचाऔर कमरे के बाहर से आवाज़ दी - अनु दीदी क्या हुआ?
अनु: अन्दर आ जाओ मनु, मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए.
मैं अन्दर दाखिल हुआ तो अनु मुझे कहीं दिखाईनहीं दी.
मैं: कहाँ हो?
अनु: अरे इधर हूँ, बाथरूम में, इधरआओ. अनु के कमरे में अटेच्ड बाथरूम था यह आवाज़ उधर से ही आई थी.
मैं आगे चलकर बाथरूम कि तरफ पहुंचा और बाथरूमके दरवाज़े पे पहुँचते ही जैसे मेरी साँसे थम गयीं . अनु केवल एक जोड़ा पैंटी औरब्रा पहने खड़ी थी और वाश बेसिन के ऊपर आधी झुकी हुई थी, दरअसल वो वाश बेसिन के ऊपर लगे शीशे में अपना सेक्सीचेहरा देख रही थी.
अनु के खड़े होने स्टाइल बड़ा ही सेक्सी था उसेइस स्टाइल में खड़ा देख कर मेरे लंड ने एकदम अंगड़ाई लेते हुए उसकी उठ के पीछे कीतरफ निकली हुई गांड को सलाम ठोका. मैं खड़ा हुआ उसके मादक शरीर के दर्शन कर ही रहाथा की वो मेरी तरफ घूमी और इतराते हुए अपनी कमर पे हाथ रख कर सीधी खड़ी हो गयी.
अनु: क्यूँ ये आँखें फाड़ फाड़ कर क्या देखरहे हो? कैसी लगी मेरी नयी लौंजरी? विक्टोरिया सेक्रेट का बिलकुल नया कलेक्शन ख़रीदा है.कैसा लग रहा है,देखो तो ज़रा.
और ये कह कर वो घूम घूम कर मुझे अपना बदन आगेऔर पीछे से दिखाने लगी केवल उन दो छोटे छोटे कपड़ों में. मैं सचमुच उसे आँखें फाड़फाड़ कर ही देख रहा था. हलके पिंक कलर की पैंटी और ब्रा में वो सचमुच एक sex goddess लग रही थी. उसकी टाईट कसी हुई डिजाईनर ब्रा उसकेचूचों को नीचे से आधा कवर किये हुए थी इस तरह की निप्पल न दखाई दे बाकी निप्पल सेऊपर का पूरा पार्ट साफ़ साफ़ देखा जा सकता था और मेरी नजर अभी वहीँ टिकी हुई थी.मोटे मोटे और गोरे गोरे चूचों का ऊपर से दर्शन और उस ब्रा की वजह से बनी हुई गहरीघाटी जैसी cleavage मेरी प्यास बढ़ा रहा था और मुझे और देखने के लिए लालायित कर रहा था. अनु केहिलने के साथ साथ उसके चूचे भी हरकत कर रहे थे और लग रहा था जैसे कह रहे हों"हमें freeकर दो न प्लीज़, देखो ना ये नयी ब्रा बड़ी टाईट है, हमारा दम घुट रहा है. इतनी देर से तो बंद थे अभी इसअनु की बच्ची ने फ्री किया था तो लगा था की ज़रा सांस ले लेंगे लेकिन इस ने फिर इसनयी ब्रा में कैद कर दिया है और ये तो और भी टाईट है. प्लीज़ फ्री कर दो न हमें, प्लीज़..."
"ऐ मिस्टर, अब क्या एक टक इन्हें ही देखते रहोगे? मैंने पूरा देखने के लिए कहा है और तुम्हारे मुहं सेमैं अपनी और अपनी चौइस की तारीफ़ सुनने का इंतज़ार कर रही हूँ. चलो आगे बढ़ो."अनु ने मेरी आँखों के आगे चुटकी बजाते हुए कहा. उसकी आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा औरअब मेरी नज़रें अनु की छातियों से हटकर नीचे की और बढ़ चलीं उसके गोरे मक्खन जैसे जिस्म को चूमते हुए.
मैंने उसकी ब्रा से थोडा नीचे नज़र डाली. वाह ! क्या सुता हुआ चिकना पेट था एकदम फ्लैट जैसे किसी एथलीट का हो और उस पर वो छोटी सी प्यारी सी और गहरी नाभि. एक एक इंच में मज़ा आ रहा था या यूँ कहूँ की अनु के जिस्म का एक एक इंच मस्ती और मादकता से भरा था. नाभि से थोडा और नीचे खिसकते ही मेरे मुहं में तो पानी आ गया और और मेरा लंड अकड़ कर और ऐंठ गया. जो उसने पहना था वो पैंटी नहीं पैंटी के नाम पे मज़ाक था. "अरे क्या सोच कर डिज़ाइन किया विक्टोरिया सेक्रेट वालों ने इस लौन्जरी सेट को ?" मेरे मन में ख्याल आया.शायद यही सोच कर किया होगा की जब लड़की का पार्टनर उसे इस लौन्जरी में देखे तो देखते ही उस के होश उड़ जायें और फिर दोनों के बीच में एक घमासान सेक्स का सेशन हो जाये.
उसकी वो पिंक कलर की पारदर्शी पैंटी बमुश्किल ही उसकी चूत को कवर कर रही थी. उस पारदर्शी पैंटी में से उसकी चूत के मोटे मोटे लिप्स के दर्शन हो रहे थे और पैंटी तो लगभग उन लिप्स के बीच में घुसी जा रही थी. बड़ा प्यारा camel toe बन रहा था. दरअसल वो नोर्मल पैंटी न होकर thong था जो उसने पहना था यह मुझे तब पता चला जब वो घूमी और अपनी गांड को मेरी आँखों के आगे थिरकाने लगी. पीछे से गांड को कवर करने के लिए कुछ नहीं था सिर्फ एक धागा सा था सपोर्ट के लिए. कुल मिला के मस्त लग रही थी अनु उस लोंजरी सेट में. मैं तो बस देखता ही रह गया और अच्छी तरह से रसपान कर रहा था उसके भरे हुए बदन का की तभी मेरा ध्यान टूटा.
अनु: कहाँ खो गए ? कुछ बताओगे नहीं ? कैसी लगी ? सेक्सी है ना...... ?
मैं: अरे सुपर्ब है सुपर्ब. वैसे इसको तुमने पहना है लेकिन कुछ ना भी पहनती तो भी चलता पर इस लोंजरी ने तो तुम्हारे सेक्सी फिगर को और भी सेक्सी बना दिया है. मन तो कर रहा था की वहीँ उसे दबोच लूं और उस नाम की पैंटी को साइड कर के लंड धकेल दूं उसकी चूत में लेकिन मैं अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था इसलिय मैं अपने आप को कंट्रोल किये हुए था.
तभी उसने मेरी टी-शर्ट पकड़ के मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली"एक किस्सी तो दे दो मेरी जान, कब से प्यासी हूँ." और यह कहते हुए उसने अपने नर्म और गर्म होंठ मेरे होठों से भिड़ा दिए और लगी चूसने. मैं भी चाह तो यही रहा था बस हालात समझ कर मैं भी उसके होठों को चूसने लगा और हमारी जीभें एक दुसरे के मुहं के अन्दर अठखेलियाँ कर रही थी. कभी वो मेरी जीभ को अपने मुहं के अन्दर लपक कर चूसने लगती तो कभी मैं उसकी जीभ को लपकने की कोशिश कर रहा था. मेरे हाथ उसकी गांड के मोटे मोटे, मुलायम और चिकने ग्लोब्स को सहला रहे थे. चुम्मा चाटी के इस खेल में हाथ फिराते फिराते अचानक मैंने अपने दाएं हाथ की उँगलियाँ उसकी गांड की दरार में डाली और रगड़ डाला, मेरी इस अप्रत्याशित हरकत से वो एकदम चिहुंक उठी और उछल पड़ी. वो झटके से मुझसे अलग हुई और मेरे शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड पे हाथ रख के बोली - "चलो जल्दी से एक quicki हो जाए" ये कहते हुए उसने एक हाथ से अपनी पैंटी साइड की और दुसरे हाथ से मेरे शॉर्ट को नीचे करने की कोशिश करने लगी.
उसकी वो पिंक कलर की पारदर्शी पैंटी बमुश्किल ही उसकी चूत को कवर कर रही थी. उस पारदर्शी पैंटी में से उसकी चूत के मोटे मोटे लिप्स के दर्शन हो रहे थे और पैंटी तो लगभग उन लिप्स के बीच में घुसी जा रही थी. बड़ा प्यारा camel toe बन रहा था. दरअसल वो नोर्मल पैंटी न होकर thong था जो उसने पहना था यह मुझे तब पता चला जब वो घूमी और अपनी गांड को मेरी आँखों के आगे थिरकाने लगी. पीछे से गांड को कवर करने के लिए कुछ नहीं था सिर्फ एक धागा सा था सपोर्ट के लिए. कुल मिला के मस्त लग रही थी अनु उस लोंजरी सेट में. मैं तो बस देखता ही रह गया और अच्छी तरह से रसपान कर रहा था उसके भरे हुए बदन का की तभी मेरा ध्यान टूटा.
अनु: कहाँ खो गए ? कुछ बताओगे नहीं ? कैसी लगी ? सेक्सी है ना...... ?
मैं: अरे सुपर्ब है सुपर्ब. वैसे इसको तुमने पहना है लेकिन कुछ ना भी पहनती तो भी चलता पर इस लोंजरी ने तो तुम्हारे सेक्सी फिगर को और भी सेक्सी बना दिया है. मन तो कर रहा था की वहीँ उसे दबोच लूं और उस नाम की पैंटी को साइड कर के लंड धकेल दूं उसकी चूत में लेकिन मैं अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था इसलिय मैं अपने आप को कंट्रोल किये हुए था.
तभी उसने मेरी टी-शर्ट पकड़ के मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली"एक किस्सी तो दे दो मेरी जान, कब से प्यासी हूँ." और यह कहते हुए उसने अपने नर्म और गर्म होंठ मेरे होठों से भिड़ा दिए और लगी चूसने. मैं भी चाह तो यही रहा था बस हालात समझ कर मैं भी उसके होठों को चूसने लगा और हमारी जीभें एक दुसरे के मुहं के अन्दर अठखेलियाँ कर रही थी. कभी वो मेरी जीभ को अपने मुहं के अन्दर लपक कर चूसने लगती तो कभी मैं उसकी जीभ को लपकने की कोशिश कर रहा था. मेरे हाथ उसकी गांड के मोटे मोटे, मुलायम और चिकने ग्लोब्स को सहला रहे थे. चुम्मा चाटी के इस खेल में हाथ फिराते फिराते अचानक मैंने अपने दाएं हाथ की उँगलियाँ उसकी गांड की दरार में डाली और रगड़ डाला, मेरी इस अप्रत्याशित हरकत से वो एकदम चिहुंक उठी और उछल पड़ी. वो झटके से मुझसे अलग हुई और मेरे शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड पे हाथ रख के बोली - "चलो जल्दी से एक quicki हो जाए" ये कहते हुए उसने एक हाथ से अपनी पैंटी साइड की और दुसरे हाथ से मेरे शॉर्ट को नीचे करने की कोशिश करने लगी.
ऑफ़र तो बहुत अच्छा था लेकिन मैं कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था. मनु बेटा ज़रा समझदारी से काम लो , ये तो सेक्स की आग में पागल हो रही है खुद तो मरेगी ही तुझे भी मरवा देगी अपनी चूत मरवाने के चक्कर में, मैंने अपने मन में सोचा. ये सोच कर मैंने उसके हाथ को पकड़ा और अपने शॉर्ट से हटा दिया. ऐसा करते ही अनु ने मुझे चौंक कर देखा और बोली : "क्या हुआ, मारनी नहीं है क्या ?पांच मिनट ही तो लगेंगे फटाफट कर लेते हैं." मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा : "समझा करो अनु, मुझे ऊपर आए टाइम हो चुका है. मम्मी नीचे इंतज़ार कर रही हैं और फिर तुम आज ही तो आई हो अभी तो बहुत मौके मिलेंगे. आज रात का ही प्रोग्राम बना लेते हैं." तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आई : मनु, क्या हुआ बेटा, कोई ज्यादा परेशानी तो नहीं है ? दीदी को लेकर जल्दी नीचे आ जाओ, नाश्ता तैयार है."
मैं : लो अब तो मम्मी ने भी आवाज़ लगा दी. अब नहीं रुक सकते, कपड़े पहनो और जल्दी चलो.
अनु: आए बुआ जी, कोई परेशानी नहीं है, बस आ रहे हैं. अनु ने माँ को आवाज़ लगा कर जवाब दिया. "लेकिन तुम इसका क्या करोगे?" खिलखिलाते हुए उसने मेरी तरफ देख कर कहा. उसका इशारा मेरे शॉर्ट में बने हुए टैंट की तरफ था जिसमे अभी भी मेरा खड़ा हुआ लंड फुफकार रहा था. अब मेरी चूत तो इससे अभी मिल नहीं सकती, एक बार दर्शन ही करा दो. मैं उसकी बात सुन कर मुस्कुराया और अपने शॉर्ट और jockey को एक साथ पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा.लेकिन शॉर्ट था की नीचे जाने का नाम ही न ले, जाता भी कैसे वो तो मेरे अकड़े हुए लंड की वजह से अटक रहा था. अनु का शायद इंतज़ार का बिलकुल भी मूड नहीं था. अटके हुए शॉर्ट को देखकर उसने अपना हाथ बढाया और एक ही झटके में मेरे शॉर्ट को jockey समेत खींच कर नीचे कर दिया. उफफ्फ्फ्फ़........ इस अचानक लगे झटके से एक बार को तो ऐसा लगा जैसे मेरा लंड टूट ही जायेगा हल्का सा दर्द भी हुआ लेकिन jockey हटते ही मेरा लंड एक झटका लेकर उछल कर ऐसे खड़ा हुआ जैसे उसके अन्दर कोई स्प्रिंग फिट हो. बाहर की हवा लगते ही मेरे लंड ने जैसे एक ज़ोर की सांस ली और लहराते हुए टक्क से अनु को सैल्यूट किया. अपनी मनपसंद चीज़ देखते ही अनु की आँखों में चमक आ गयी और बिना एक सेकंड गवाए वो नीचे होकर अपने पंजों पर बैठ गई और मेरे लंड के अगले हिस्से (सुपाड़े) को अपने मुहं में भर लिया. वो अपनी जीभ को बड़े ही मज़ेदार तरीके से मेरे सुपाड़े पर फिराने लगी ऐसा लगा जैसे उसकी जीभ मेरे लंड के सुपाड़े पर जिमनास्ट कर रही हो. उसकी जीभ का स्पर्श अपने लंड के इतने सेंसेटिव पार्ट पर पाकर वो भी इतने लम्बे टाइम के बाद,मेरी तो हालत ही ख़राब हो गयी ऐसा लगा की अब गया तब गया. कुछ एक सेकंड ऐसे ही मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से सहलाने के बाद उसने पक्क की आवाज़ के साथ मेरे लंड को अपने नर्म और गर्म होठों की कैद से आज़ाद किया.सुपाड़ा भीगा हुआ था उसके थूक और मेरे pre-cum के मिश्रण से और लंड और सुपाड़े के ठीक जोइंट वाली जगह पर थे उसकी लाल लिपस्टिक के निशान.
मैं : लो अब तो मम्मी ने भी आवाज़ लगा दी. अब नहीं रुक सकते, कपड़े पहनो और जल्दी चलो.
अनु: आए बुआ जी, कोई परेशानी नहीं है, बस आ रहे हैं. अनु ने माँ को आवाज़ लगा कर जवाब दिया. "लेकिन तुम इसका क्या करोगे?" खिलखिलाते हुए उसने मेरी तरफ देख कर कहा. उसका इशारा मेरे शॉर्ट में बने हुए टैंट की तरफ था जिसमे अभी भी मेरा खड़ा हुआ लंड फुफकार रहा था. अब मेरी चूत तो इससे अभी मिल नहीं सकती, एक बार दर्शन ही करा दो. मैं उसकी बात सुन कर मुस्कुराया और अपने शॉर्ट और jockey को एक साथ पकड़ कर नीचे खिसकाने लगा.लेकिन शॉर्ट था की नीचे जाने का नाम ही न ले, जाता भी कैसे वो तो मेरे अकड़े हुए लंड की वजह से अटक रहा था. अनु का शायद इंतज़ार का बिलकुल भी मूड नहीं था. अटके हुए शॉर्ट को देखकर उसने अपना हाथ बढाया और एक ही झटके में मेरे शॉर्ट को jockey समेत खींच कर नीचे कर दिया. उफफ्फ्फ्फ़........ इस अचानक लगे झटके से एक बार को तो ऐसा लगा जैसे मेरा लंड टूट ही जायेगा हल्का सा दर्द भी हुआ लेकिन jockey हटते ही मेरा लंड एक झटका लेकर उछल कर ऐसे खड़ा हुआ जैसे उसके अन्दर कोई स्प्रिंग फिट हो. बाहर की हवा लगते ही मेरे लंड ने जैसे एक ज़ोर की सांस ली और लहराते हुए टक्क से अनु को सैल्यूट किया. अपनी मनपसंद चीज़ देखते ही अनु की आँखों में चमक आ गयी और बिना एक सेकंड गवाए वो नीचे होकर अपने पंजों पर बैठ गई और मेरे लंड के अगले हिस्से (सुपाड़े) को अपने मुहं में भर लिया. वो अपनी जीभ को बड़े ही मज़ेदार तरीके से मेरे सुपाड़े पर फिराने लगी ऐसा लगा जैसे उसकी जीभ मेरे लंड के सुपाड़े पर जिमनास्ट कर रही हो. उसकी जीभ का स्पर्श अपने लंड के इतने सेंसेटिव पार्ट पर पाकर वो भी इतने लम्बे टाइम के बाद,मेरी तो हालत ही ख़राब हो गयी ऐसा लगा की अब गया तब गया. कुछ एक सेकंड ऐसे ही मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से सहलाने के बाद उसने पक्क की आवाज़ के साथ मेरे लंड को अपने नर्म और गर्म होठों की कैद से आज़ाद किया.सुपाड़ा भीगा हुआ था उसके थूक और मेरे pre-cum के मिश्रण से और लंड और सुपाड़े के ठीक जोइंट वाली जगह पर थे उसकी लाल लिपस्टिक के निशान.
अनु: उम्म्मम्म....I really missed this taste a lot . आँख मारते हुए उसने कहा और ये कहते हुए वो खड़ी हो गयी और बोली : "जाओ अब इसका कुछ इलाज करो, नीचे भी चलना है. बुआजी बुला चुकी हैं." उसके होठों पे बड़ी कातिल और शैतानी भरी मुस्कान थी. उसकी ये बात सुनकर मैं हैरान रह गया. ऐसा धक्का लगा जैसे शेयर मार्केट में मेरा लाखों का नुक्सान हो गया हो. मंजिल के इतने करीब लाकर ये डायलाग , इसने तो सारी के एल पी डी कर दी.
मैं: ये क्या बात हुई, जब इतना कुछ कर ही दिया तो अब इसे ठंडा भी कर दो फिर चलते हैं नीचे. मैंने अपने अकड़े हुए और गीले लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.
अनु (उसी शैतानी मुस्कान के साथ) : भूल जाओ बच्चू, मैंने तो तुम्हें बिल्ली ऑफर की थी. तुमने मेरी बिल्ली को प्यासा छोड़ा अब तुम संभालो अपने डिक को अपने आप. ले कर घूमो हाथ में, मैं कुछ नहीं करने वाली अब. जानते हो न कितना प्यार करती हूँ मैं अपनी बिल्ली से. और ये कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी. (बिल्ली शब्द उसने अपनी प्यारी सी और छोटी सी चूत के लिए इस्तेमाल किया था और डिक था मेरे लंड का पर्यायवाची . इसके पीछे क्या कहानी है ये मैं आप लोगों को बाद में बताऊंगा). मेरी तो हालत ख़राब थी सो मैंने सोचा थोड़ी खुशामद कर के देख लिया जाए शायद काम बन जाये.
मैं: अनु दीदी, प्लीज़ कर दो ना... कितनी सेक्सी हो आप और कितनी क्यूट है आपकी बिल्ली. सच्ची अब नहीं सताऊंगा आपकी बिल्ली को. वो तो मौका ही कुछ ऐसा है कि कुछ कर नहीं सकते नहीं तो मैं सच में अभी चोद देता आपको. प्लीज़ समझा करो ना, मौका मिलते ही खुश कर दूंगा आपको और सारी प्यास बुझा दूंगा इस बिल्ली की लेकिन अभी तो मेरा कुछ करो.
लेकिन अनु की बच्ची पर कोई फर्क नहीं पड़ा और वो उसी शरारत के साथ बोली : "जाओ अभी अपने आप संभालो इसे, मौका मिलेगा तो फिर देखेंगे" और यह कहते हुए उसने अपनी ब्रा खोल दी. उसके बोलने का अंदाज़ बिलकुल ऐसा था जैसे कोई मल्लिका बोल रही हो और इससे मेरी खीज और बढ़ रही थी. उसके भरे हुए गोरे गोरे, गोल और आगे कि तरफ निकले हुए चूचे मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे और उन पर वो हलके कॉफ़ी कलर के तने हुए निप्पल बड़े ही प्यारे लग रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने वनीला केक पर हलके कॉफ़ी कलर की टॉपिंग लगा दी हो. मैंने उन्हें छूने की नियत से हाथ आगे बढाया लेकिन अनु ने थोडा पीछे खिसकते हुए उन्हें मेरी पहुँच से बाहर कर दिया.
मैं: ये क्या बात हुई, जब इतना कुछ कर ही दिया तो अब इसे ठंडा भी कर दो फिर चलते हैं नीचे. मैंने अपने अकड़े हुए और गीले लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.
अनु (उसी शैतानी मुस्कान के साथ) : भूल जाओ बच्चू, मैंने तो तुम्हें बिल्ली ऑफर की थी. तुमने मेरी बिल्ली को प्यासा छोड़ा अब तुम संभालो अपने डिक को अपने आप. ले कर घूमो हाथ में, मैं कुछ नहीं करने वाली अब. जानते हो न कितना प्यार करती हूँ मैं अपनी बिल्ली से. और ये कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी. (बिल्ली शब्द उसने अपनी प्यारी सी और छोटी सी चूत के लिए इस्तेमाल किया था और डिक था मेरे लंड का पर्यायवाची . इसके पीछे क्या कहानी है ये मैं आप लोगों को बाद में बताऊंगा). मेरी तो हालत ख़राब थी सो मैंने सोचा थोड़ी खुशामद कर के देख लिया जाए शायद काम बन जाये.
मैं: अनु दीदी, प्लीज़ कर दो ना... कितनी सेक्सी हो आप और कितनी क्यूट है आपकी बिल्ली. सच्ची अब नहीं सताऊंगा आपकी बिल्ली को. वो तो मौका ही कुछ ऐसा है कि कुछ कर नहीं सकते नहीं तो मैं सच में अभी चोद देता आपको. प्लीज़ समझा करो ना, मौका मिलते ही खुश कर दूंगा आपको और सारी प्यास बुझा दूंगा इस बिल्ली की लेकिन अभी तो मेरा कुछ करो.
लेकिन अनु की बच्ची पर कोई फर्क नहीं पड़ा और वो उसी शरारत के साथ बोली : "जाओ अभी अपने आप संभालो इसे, मौका मिलेगा तो फिर देखेंगे" और यह कहते हुए उसने अपनी ब्रा खोल दी. उसके बोलने का अंदाज़ बिलकुल ऐसा था जैसे कोई मल्लिका बोल रही हो और इससे मेरी खीज और बढ़ रही थी. उसके भरे हुए गोरे गोरे, गोल और आगे कि तरफ निकले हुए चूचे मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे और उन पर वो हलके कॉफ़ी कलर के तने हुए निप्पल बड़े ही प्यारे लग रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने वनीला केक पर हलके कॉफ़ी कलर की टॉपिंग लगा दी हो. मैंने उन्हें छूने की नियत से हाथ आगे बढाया लेकिन अनु ने थोडा पीछे खिसकते हुए उन्हें मेरी पहुँच से बाहर कर दिया.
अनु: उउउउsss....हुंssssss....अब कुछ भी नहीं . बाद में देखेंगे .अब देर मत करो.
अरे यह क्या कर रही हो नीचे नहीं जाना क्या? मैंने चौंकते हुए पूछा.
अनु: कर कुछ नहीं रही, ये लौन्जरी उतार के रख रही हूँ. केवल तुम्हे दिखाने के लिए पहनी थी अभी. "दिखाने के लिए या मुझे सताने के लिए", मैंने मन ही मन सोचा. फिर उसने अपनी वो छोटी सी पैंटी उतारनी शुरू की. जैसे ही उसने अपनी वो पैंटी चूत से थोडा नीचे सरकायी तो मुझे एक चांदी के रंग का पतला सा तार उसकी चूत से लेकर उसकी पैंटी तक खिंचता हुआ दिखाई दिया जो की उसकी चूत से निकलने वाला vaginal fluid या हिंदी में कहें तो उसका योनी रस था. वो गाढ़ा तार जो उसकी चूत और पैंटी को कनेक्ट कर रहा था बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे हलवाई चाशनी की भरी हुई कढ़ाई मैं उंगली डुबो कर ऊपर की ओर खींचते हुए तार बनाता है चाशनी की मोटाई चेक करने के लिए. फर्क सिर्फ इतना था कि यहाँ चाशनी कि कढ़ाई ऊपर थी यानि अनु की चूत और हलवाई की उंगली नीचे थी यानि उसकी पैंटी. मन तो कर रहा था की जीभ निकाल कर घुस जाऊं उसकी तराशी हुई जाँघों के बीच में और सारा रस समेट कर पी जाऊं. मुझे वहां गौर से देखते हुए वो बोली "गन्दी करवा दी मेरी पैंटी भी और किया भी कुछ नहीं.
साली कितनी बड़ी टीज़र है. इतना टीज़ करके मेरी तो हालत ख़राब कर दी. बताऊंगा इसे तो मौका मिल जाये एक बार फिर इसे दिखाता हूँ टीज़ कैसे करते हैं यह सोचते हुए मैंने मुश्किल से अपने लंड को अपने jockey में घुसेड़ा और शॉर्ट को ऊपर चढ़ा कर अपने कमरे की तरफ भागा जो की अनु के कमरे के बिलकुल बगल वाला था. पीछे से मुझे अनु की वही शरारत भरी खिलखिलाहट सुनाईदी.
मैंने अपने कमरे में घुस कर अपने बेड के साइड में रखी पानी की बोतल उठाई और गटागट आधा बोतल पानी पिया . पानी पीने और लंड में आए तनाव के कारण अब मुझे पेशाब का प्रेशर लगा तो मैंने बाथरूम में जाकर अपने प्रेशर को रिलीज़ किया और पेशाब करने के बाद मेरे लंड ने झुकना शुरू किया. अपने शॉर्ट को ऊपर चढ़ा कर मैं नीचे की तरफ भागा इससे पहले की मम्मी फिर से आवाज़ लगाती.
अरे यह क्या कर रही हो नीचे नहीं जाना क्या? मैंने चौंकते हुए पूछा.
अनु: कर कुछ नहीं रही, ये लौन्जरी उतार के रख रही हूँ. केवल तुम्हे दिखाने के लिए पहनी थी अभी. "दिखाने के लिए या मुझे सताने के लिए", मैंने मन ही मन सोचा. फिर उसने अपनी वो छोटी सी पैंटी उतारनी शुरू की. जैसे ही उसने अपनी वो पैंटी चूत से थोडा नीचे सरकायी तो मुझे एक चांदी के रंग का पतला सा तार उसकी चूत से लेकर उसकी पैंटी तक खिंचता हुआ दिखाई दिया जो की उसकी चूत से निकलने वाला vaginal fluid या हिंदी में कहें तो उसका योनी रस था. वो गाढ़ा तार जो उसकी चूत और पैंटी को कनेक्ट कर रहा था बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे हलवाई चाशनी की भरी हुई कढ़ाई मैं उंगली डुबो कर ऊपर की ओर खींचते हुए तार बनाता है चाशनी की मोटाई चेक करने के लिए. फर्क सिर्फ इतना था कि यहाँ चाशनी कि कढ़ाई ऊपर थी यानि अनु की चूत और हलवाई की उंगली नीचे थी यानि उसकी पैंटी. मन तो कर रहा था की जीभ निकाल कर घुस जाऊं उसकी तराशी हुई जाँघों के बीच में और सारा रस समेट कर पी जाऊं. मुझे वहां गौर से देखते हुए वो बोली "गन्दी करवा दी मेरी पैंटी भी और किया भी कुछ नहीं.
साली कितनी बड़ी टीज़र है. इतना टीज़ करके मेरी तो हालत ख़राब कर दी. बताऊंगा इसे तो मौका मिल जाये एक बार फिर इसे दिखाता हूँ टीज़ कैसे करते हैं यह सोचते हुए मैंने मुश्किल से अपने लंड को अपने jockey में घुसेड़ा और शॉर्ट को ऊपर चढ़ा कर अपने कमरे की तरफ भागा जो की अनु के कमरे के बिलकुल बगल वाला था. पीछे से मुझे अनु की वही शरारत भरी खिलखिलाहट सुनाईदी.
मैंने अपने कमरे में घुस कर अपने बेड के साइड में रखी पानी की बोतल उठाई और गटागट आधा बोतल पानी पिया . पानी पीने और लंड में आए तनाव के कारण अब मुझे पेशाब का प्रेशर लगा तो मैंने बाथरूम में जाकर अपने प्रेशर को रिलीज़ किया और पेशाब करने के बाद मेरे लंड ने झुकना शुरू किया. अपने शॉर्ट को ऊपर चढ़ा कर मैं नीचे की तरफ भागा इससे पहले की मम्मी फिर से आवाज़ लगाती.
मैं कमरे से बाहर निकल कर सीढियों की तरफ बढ़ा तो एक नज़र अनु के कमरे की तरफ पड़ी,वो भी अब तैयार हो चुकी थी हलके नीले कलर की टी-शर्टऔर साथ में मैचिंग की स्कर्ट जो की घुटनों से थोडा ऊपर थी. क्यूट लग रही थी अनु उसमे और सेक्सी भी. मैंने नज़र मारी और रफ़्तार से सीढियां पार करके नीचे आ गया जहाँ मम्मी टेबल पर नाश्ता लगा रही थी.
मम्मी : क्या हो गया था, इतनी देर कैसे लगा दी ?
मैं : अंsssssअमsssss वोssss कुछ नहीं,वो अनु दीदी....
कुछ नहीं बुआ जी , पहले तो मेरा वो लगेज बैग खुल नहीं रहा था, फिर खुला तो बंद नहीं हो रहा था,हा हा हा हा ... यह आवाज़ थी अनु की जो अब सीढ़ियोंसे नीचे आ गयी थी. उसकी बात सुन कर मम्मी भी हंसने लगी. और फिर जब बैग खुल ही गया तो मैं जो कुछ सामान अपने साथ लेकर आई थी सोचा वो भी मनु को दिखा ही दूं. क्यूँ मनु, तुम्हे अच्छा लगा ना जो सामान मैं लेकर आई हूँ ? मेरी ओर देखते हुए उसने कहा.
मैं : आंssssहाँsssssss अनु दीदी सामान तो रियली बड़ा अच्छा है. आखिर यू एस का सामान है और ब्रांडेड भी है तो अच्छा कैसे नहीं होगा. मैंने अपनी सहमति जताई. मैं तो जानता था किस सामान की तरफ इशारा था अनु का , वो ही विक्टोरिया सेक्रेट लौन्जरी सेट - नाम मात्र की पैंटी जिसे पहन कर भी चूत अपने आप को नंगा महसूस करे और वो आधी ब्रा जिसमे कैद हो कर चूचे बाहर निकलने को तड़पें और जो भी उनकी तरफ देखे उससे आज़ाद होने की गुहार लगायें और अनु के मुताबिक तो अभी और भी सेट थे मैंने तो सिर्फ एक ही देखा था, पता नहीं बाकी कैसे होंगे .लेकिन कुछ भी हो सामान तो रियली अच्छा था , चूत मारने का मूड तो बस देखते ही बन जाए.
अनु लहराते हुए चलकर आई और मेरे अपोसिट वाली चेयर पर बैठ गयी. उसके बड़े बड़े बूब्स ऐसा लगा रहा था जैसे टेबल पर ही टिके हुए हों. बड़े अच्छे लग रहे थे वो दो बड़े बड़े खरबूजे टेबल पर टिके हुए और मैं लगातार उन्ही की तरफ देख रहा था और कल्पना कर रहा था टी-शर्ट के उस पार के नज़ारे की.
अनु : बुआ जी जल्दी कीजिए , सच में बड़ी भूख लगी है . कुछ हल्का फुल्का खाने को मिल जाए तो कुछ आराम पड़े.
मम्मी : हाँ हाँ क्यूँ नहीं अनु बेटा . चाय है, काफी है, मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद के गोभी के पकौड़े भी बनाये हैं. हलवा भी है. जो मन करे ले लो और अच्छी तरह से खा लो.
अनु : वाह बुआ जी क्या बात है . आपने तो मेरी पसंद की चीज़ें बनायीं हैं. ये तो मैं ज़रूर खाऊँगी और अभी तो और भी बहुत सी चीज़ें खाना बाकी हैं वो भी ज़रूर खाऊँगी केवल टेस्ट करने से थोड़े ही ना काम चलेगा.
" अरे हाँ हाँ खा लेना और खूब जी भर के खाना किसने कहा केवल टेस्ट करके रह जाने को . अब तो जितने भी दिन यहाँ हो खूब अच्छी तरह से पेट भर के और जी भर के खाना जो तुम्हारा मन करे. और कभी कुछ मंगाना हो तो मनु को बोल देना. इतने दिन बाद आई हो तो अपनी प्यारी बहन कि खातिरदारी नहीं करेगा क्या, क्यूँ मनु ?" मम्मी ने भी हंसकर उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा.
मैं : अंsssssहंssssहाँ मम्मी क्यूँ नहीं, श्योर मैं दीदी की पसंद का पूरा ख्याल रखूँगा और हाँ अनु दीदी जब भी कुछ चाहिए हो मुझे बता देना. आई एम ऑलवेज़ एट योर सर्विस मदाम . मैंने फ्रेंच स्टाइल में सर हल्का सा झुकाते हुए अनु से कहा.
" हम्म, दैट्स गुड,आइ लाइक इट . आइ लाइक द बोयज़ लाइक यू . सेवा करो क्या पता कब तुम पर राजकुमारी जी मेहरबान हो जायें " अनु ने एक हाथ हवा में लहराते हुए अपने उसी मलिक्का वाले अंदाज़ में कहा . यह देख कर मम्मी हंसने लगी -" तुम दोनों भी ना कभी नहीं सुधरोगे "
मम्मी तो इसे एक जनरल बातचीत समझ रही थी लेकिन मुझे पता था की इस अनु का इशारा किस तरफ था. अपनी उसी मनपसंद चीज़ की बात कर रही थी वो जिसका अभी थोड़ी देर पहले टेस्ट लेकर आई थी ऊपर से यानि मेरा लंड और उसको जी भर के खाने की ख्वाहिश भी जता दी थी उसने.
मम्मी : क्या हो गया था, इतनी देर कैसे लगा दी ?
मैं : अंsssssअमsssss वोssss कुछ नहीं,वो अनु दीदी....
कुछ नहीं बुआ जी , पहले तो मेरा वो लगेज बैग खुल नहीं रहा था, फिर खुला तो बंद नहीं हो रहा था,हा हा हा हा ... यह आवाज़ थी अनु की जो अब सीढ़ियोंसे नीचे आ गयी थी. उसकी बात सुन कर मम्मी भी हंसने लगी. और फिर जब बैग खुल ही गया तो मैं जो कुछ सामान अपने साथ लेकर आई थी सोचा वो भी मनु को दिखा ही दूं. क्यूँ मनु, तुम्हे अच्छा लगा ना जो सामान मैं लेकर आई हूँ ? मेरी ओर देखते हुए उसने कहा.
मैं : आंssssहाँsssssss अनु दीदी सामान तो रियली बड़ा अच्छा है. आखिर यू एस का सामान है और ब्रांडेड भी है तो अच्छा कैसे नहीं होगा. मैंने अपनी सहमति जताई. मैं तो जानता था किस सामान की तरफ इशारा था अनु का , वो ही विक्टोरिया सेक्रेट लौन्जरी सेट - नाम मात्र की पैंटी जिसे पहन कर भी चूत अपने आप को नंगा महसूस करे और वो आधी ब्रा जिसमे कैद हो कर चूचे बाहर निकलने को तड़पें और जो भी उनकी तरफ देखे उससे आज़ाद होने की गुहार लगायें और अनु के मुताबिक तो अभी और भी सेट थे मैंने तो सिर्फ एक ही देखा था, पता नहीं बाकी कैसे होंगे .लेकिन कुछ भी हो सामान तो रियली अच्छा था , चूत मारने का मूड तो बस देखते ही बन जाए.
अनु लहराते हुए चलकर आई और मेरे अपोसिट वाली चेयर पर बैठ गयी. उसके बड़े बड़े बूब्स ऐसा लगा रहा था जैसे टेबल पर ही टिके हुए हों. बड़े अच्छे लग रहे थे वो दो बड़े बड़े खरबूजे टेबल पर टिके हुए और मैं लगातार उन्ही की तरफ देख रहा था और कल्पना कर रहा था टी-शर्ट के उस पार के नज़ारे की.
अनु : बुआ जी जल्दी कीजिए , सच में बड़ी भूख लगी है . कुछ हल्का फुल्का खाने को मिल जाए तो कुछ आराम पड़े.
मम्मी : हाँ हाँ क्यूँ नहीं अनु बेटा . चाय है, काफी है, मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद के गोभी के पकौड़े भी बनाये हैं. हलवा भी है. जो मन करे ले लो और अच्छी तरह से खा लो.
अनु : वाह बुआ जी क्या बात है . आपने तो मेरी पसंद की चीज़ें बनायीं हैं. ये तो मैं ज़रूर खाऊँगी और अभी तो और भी बहुत सी चीज़ें खाना बाकी हैं वो भी ज़रूर खाऊँगी केवल टेस्ट करने से थोड़े ही ना काम चलेगा.
" अरे हाँ हाँ खा लेना और खूब जी भर के खाना किसने कहा केवल टेस्ट करके रह जाने को . अब तो जितने भी दिन यहाँ हो खूब अच्छी तरह से पेट भर के और जी भर के खाना जो तुम्हारा मन करे. और कभी कुछ मंगाना हो तो मनु को बोल देना. इतने दिन बाद आई हो तो अपनी प्यारी बहन कि खातिरदारी नहीं करेगा क्या, क्यूँ मनु ?" मम्मी ने भी हंसकर उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा.
मैं : अंsssssहंssssहाँ मम्मी क्यूँ नहीं, श्योर मैं दीदी की पसंद का पूरा ख्याल रखूँगा और हाँ अनु दीदी जब भी कुछ चाहिए हो मुझे बता देना. आई एम ऑलवेज़ एट योर सर्विस मदाम . मैंने फ्रेंच स्टाइल में सर हल्का सा झुकाते हुए अनु से कहा.
" हम्म, दैट्स गुड,आइ लाइक इट . आइ लाइक द बोयज़ लाइक यू . सेवा करो क्या पता कब तुम पर राजकुमारी जी मेहरबान हो जायें " अनु ने एक हाथ हवा में लहराते हुए अपने उसी मलिक्का वाले अंदाज़ में कहा . यह देख कर मम्मी हंसने लगी -" तुम दोनों भी ना कभी नहीं सुधरोगे "
मम्मी तो इसे एक जनरल बातचीत समझ रही थी लेकिन मुझे पता था की इस अनु का इशारा किस तरफ था. अपनी उसी मनपसंद चीज़ की बात कर रही थी वो जिसका अभी थोड़ी देर पहले टेस्ट लेकर आई थी ऊपर से यानि मेरा लंड और उसको जी भर के खाने की ख्वाहिश भी जता दी थी उसने.
" तो और बताइए भाई साहब कैसा चल रहा है सब कुछ अमेरिका में . काम वगैरा सब ठीक ठाक " ये पापा की आवाज़ थी जो मामाजी के साथ बात करते हुए नाश्ते की टेबल की तरफ आ रहे थे.
मामाजी : बस अशोक जी भगवान् की दया से काम धंधा सबठीक चल रहा है. अब इस की शादी की फिक्र है. लड़के की तलाश में हूँ ,कोई अच्छा सा लड़का मिल जाये तो इसके हाथ पीले कर दूँ और अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा पा जाऊं. मामाजी का इशारा अनु की तरफ था और ये सब बातचीत अनु के कानो में भी पड़ रही थी. मामाजी और पापा ने टेबल पर आकर अपनी अपनी जगह ले ली.
" पापा मैंने आपसे कितनी बार कहा है ना, मुझे नहीं करनी अभी शादी वादी . मैं क्या बोझ हूँ आप के ऊपर ? पहले मुझे अपनी स्टडीज़ पूरी कर के अपना एक मुकाम बनाना है. और फिर यूनिवर्सिटी से ठीक ठाक stipend मिल रहा है मुझे . अपना खर्चा तो निकल ही जाता है मेरा " अनु ने बिगड़ कर मामाजी से कहा और मामाजी बेचारे बेबस से कभी मम्मी को देखते और कभी पापा को.मामाजी की बेबसी देखकर मम्मी को बाप बेटी के बीच में कूदना ही पड़ा.
मम्मी : बेटा अनु, कोई भी बेटी बाप पे बोझ नहीं होती . और अगर तुम्हारे पापा तुम्हारी शादी की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब ये तो नहीं की वो अब तुम्हारा खर्चा नहीं उठा सकते. बेटा ये हर माँ बाप की ज़िम्मेदारी होती है की वो अपनी बेटी की शादी किसी अच्छे घर में करें और उसके लिए एक अच्छा जीवनसाथी ढूँढें . बेटा हमारा समाज ही कुछ ऐसा है.
अनु : बुआ जी , मैं कोई शादी से मना थोड़े ही कर रही हूँ . मैं तो बस ये चाहती हूँ के पहले अपनी स्टडीज़ पूरी कर लूं फिर शादी भी कर लेंगे और जहाँ तक समाज की बात है बुआ जी तो अमेरिकेन सोसायटी इंडियन सोसायटी से बहुत अलग है. अब बुआ जी जब मैं पली बढ़ी वही हूँ तो सीधी सी बात है कि मैं अपनी ज़िन्दगी यहाँ तो बिता नहीं सकती तो फिर मुझे इंडियन समाज के बारे में क्यूँ सोचना ?
अपने तर्कों से अनु ने मम्मी को भी निरुत्तर कर दिया था सो मम्मी ने भी उसका समर्थन करते हुए मामाजी से कहा - " वैसे अनु ठीक ही कह रही है भैय्या , जब ये अपनी पढाई पूरी करना चाहती है तो करने दो फिर शादी भी कर देना . आजकल के बच्चे वैसे भी शादी की इतनी जल्दबाजी नहीं करते इन लोगों के लिए पहले करियर ज़रूरी है . आप टेंशन मत लो और नाश्ता करो ." यह कहते हुए मम्मी ने सभी को नाश्ता करने का ध्यान दिलाया जो कि सभी कि प्लेटों में डाला जा चुका था और ये अनु की शादी वाला चैप्टर यहीं क्लोज़ हो गया .
हम सब बातचीत के बीच में नाश्ता करने लगे कि अचानक मेरे हाथ से फिसल कर मेरा चम्मच मेज़ के नीचे गिर पड़ा और मैं उसे उठाने के लिए नीचे झुका . मैं अपना चम्मच उठाने ही वाला था कि मेरी नज़रें पड़ी सामने बैठी अनु कि चिकनी टांगों पर . वो अपनी टांगों को बिलकुल एक दुसरे से चिपका कर बैठी थी उसकी घुटनों से नीचे की टांगें चमक रही थी और जाँघों के ऊपर रखी थी वो हल्के नीले कलर की स्कर्ट . मैं देख ही रहा था कि अनु को शरारत सूझी और उसने झटके से अपनी दोनों टांगें खोल दीं ठीक मेरी आँखों के सामने. अब मेरी आँखों के सामने थीं उसकी गोरी गोरी चिकनी जांघें और उनके बीच में बनती एक गहरी सी घाटी जो कि अँधेरे में ढकी हुई थी. बिलकुल ऐसा दृश्य था जैसे दो पहाड़ियों के बीच में दूर से देखा जाए तो एक सुरमई से अँधेरे से ढकी उनके बीच की घाटी दिखाई देती है बिलकुल वो नेचुरल सीन जिसे चित्रकार अपनी प्राक्रतिक सीनरियों की पेंटिंग्स में कनवास पर उकेरते हैं. दरअसल वो अँधेरा था अनु कि चूत के ऊपर आई हुई काली झांटों का , असल में टांगें खोल देने के बाद मैं अनु कि चिकनी जांघें तो देख पा रहा था लेकिन उसकी चूत के दर्शन मुझे नहीं हुए थे ,उसकी चूत तो दबी हुई थी कुर्सी पर और जो मुझे दिखाई दे रहा था वो था उसके पेट का वो निचला हिस्सा जहाँ से चूत की लकीर की शुरुआत होती है और वो झांटों से ढका हुआ था.
मामाजी : बस अशोक जी भगवान् की दया से काम धंधा सबठीक चल रहा है. अब इस की शादी की फिक्र है. लड़के की तलाश में हूँ ,कोई अच्छा सा लड़का मिल जाये तो इसके हाथ पीले कर दूँ और अपनी जिम्मेदारियों से छुटकारा पा जाऊं. मामाजी का इशारा अनु की तरफ था और ये सब बातचीत अनु के कानो में भी पड़ रही थी. मामाजी और पापा ने टेबल पर आकर अपनी अपनी जगह ले ली.
" पापा मैंने आपसे कितनी बार कहा है ना, मुझे नहीं करनी अभी शादी वादी . मैं क्या बोझ हूँ आप के ऊपर ? पहले मुझे अपनी स्टडीज़ पूरी कर के अपना एक मुकाम बनाना है. और फिर यूनिवर्सिटी से ठीक ठाक stipend मिल रहा है मुझे . अपना खर्चा तो निकल ही जाता है मेरा " अनु ने बिगड़ कर मामाजी से कहा और मामाजी बेचारे बेबस से कभी मम्मी को देखते और कभी पापा को.मामाजी की बेबसी देखकर मम्मी को बाप बेटी के बीच में कूदना ही पड़ा.
मम्मी : बेटा अनु, कोई भी बेटी बाप पे बोझ नहीं होती . और अगर तुम्हारे पापा तुम्हारी शादी की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब ये तो नहीं की वो अब तुम्हारा खर्चा नहीं उठा सकते. बेटा ये हर माँ बाप की ज़िम्मेदारी होती है की वो अपनी बेटी की शादी किसी अच्छे घर में करें और उसके लिए एक अच्छा जीवनसाथी ढूँढें . बेटा हमारा समाज ही कुछ ऐसा है.
अनु : बुआ जी , मैं कोई शादी से मना थोड़े ही कर रही हूँ . मैं तो बस ये चाहती हूँ के पहले अपनी स्टडीज़ पूरी कर लूं फिर शादी भी कर लेंगे और जहाँ तक समाज की बात है बुआ जी तो अमेरिकेन सोसायटी इंडियन सोसायटी से बहुत अलग है. अब बुआ जी जब मैं पली बढ़ी वही हूँ तो सीधी सी बात है कि मैं अपनी ज़िन्दगी यहाँ तो बिता नहीं सकती तो फिर मुझे इंडियन समाज के बारे में क्यूँ सोचना ?
अपने तर्कों से अनु ने मम्मी को भी निरुत्तर कर दिया था सो मम्मी ने भी उसका समर्थन करते हुए मामाजी से कहा - " वैसे अनु ठीक ही कह रही है भैय्या , जब ये अपनी पढाई पूरी करना चाहती है तो करने दो फिर शादी भी कर देना . आजकल के बच्चे वैसे भी शादी की इतनी जल्दबाजी नहीं करते इन लोगों के लिए पहले करियर ज़रूरी है . आप टेंशन मत लो और नाश्ता करो ." यह कहते हुए मम्मी ने सभी को नाश्ता करने का ध्यान दिलाया जो कि सभी कि प्लेटों में डाला जा चुका था और ये अनु की शादी वाला चैप्टर यहीं क्लोज़ हो गया .
हम सब बातचीत के बीच में नाश्ता करने लगे कि अचानक मेरे हाथ से फिसल कर मेरा चम्मच मेज़ के नीचे गिर पड़ा और मैं उसे उठाने के लिए नीचे झुका . मैं अपना चम्मच उठाने ही वाला था कि मेरी नज़रें पड़ी सामने बैठी अनु कि चिकनी टांगों पर . वो अपनी टांगों को बिलकुल एक दुसरे से चिपका कर बैठी थी उसकी घुटनों से नीचे की टांगें चमक रही थी और जाँघों के ऊपर रखी थी वो हल्के नीले कलर की स्कर्ट . मैं देख ही रहा था कि अनु को शरारत सूझी और उसने झटके से अपनी दोनों टांगें खोल दीं ठीक मेरी आँखों के सामने. अब मेरी आँखों के सामने थीं उसकी गोरी गोरी चिकनी जांघें और उनके बीच में बनती एक गहरी सी घाटी जो कि अँधेरे में ढकी हुई थी. बिलकुल ऐसा दृश्य था जैसे दो पहाड़ियों के बीच में दूर से देखा जाए तो एक सुरमई से अँधेरे से ढकी उनके बीच की घाटी दिखाई देती है बिलकुल वो नेचुरल सीन जिसे चित्रकार अपनी प्राक्रतिक सीनरियों की पेंटिंग्स में कनवास पर उकेरते हैं. दरअसल वो अँधेरा था अनु कि चूत के ऊपर आई हुई काली झांटों का , असल में टांगें खोल देने के बाद मैं अनु कि चिकनी जांघें तो देख पा रहा था लेकिन उसकी चूत के दर्शन मुझे नहीं हुए थे ,उसकी चूत तो दबी हुई थी कुर्सी पर और जो मुझे दिखाई दे रहा था वो था उसके पेट का वो निचला हिस्सा जहाँ से चूत की लकीर की शुरुआत होती है और वो झांटों से ढका हुआ था.
मैं यह पहाड़ियों और उनके बीच की सुरमई घाटी वाला नज़ारा अपनी आँखों में लिए अपना चम्मच उठा कर सीधा हो गया और एक नज़र अनु की तरफ डाली. वो सर झुकाए हलवा खा रही थी और खाते खाते उसने अपना सर हल्का सा उठाया, मेरी तरफ एक हलकी सी मुस्कान फेंकी और अपनी दोनों भौहों को उछालते हुए मेरी तरफ देखा जैसे पूछ रही हो - " क्यूँ कैसा लगा ?मज़ा आया शो में ?" मैं भी उसका सवाल समझ गया और मैंने भी इशारे से ही जवाब दिया और अपने होंठ भीचते हुए मुंह बना कर ना के इशारे में हलकी सी गर्दन हिलाई - "कुछ भी तो नहीं दिखाई दिया , मज़ा क्या आता ?" अनु कहाँ बात खत्म करने वाली थी , उसने भी जवाब में इशारा किया - "एक बार फिर से ट्राई करो, अब दिखाती हूँ" . मैंने भी जवाब दिया इशारे में - "ठीक है देखतेहैं" और हमने यहीं अपनी इशारों की बातचीत पर विराम लगाया. मैं फिर से वो नजारा लेना तो चाहता था लेकिन प्रोब्लम ये थी कि फिर से मेज़ के नीचे जाऊं कैसे ? अब अगर मैं जानबूझ कर अपना चम्मच गिराता हूँ तो बड़ा अजीब लगेगा और ना भी लगे लेकिन जब मन में चोर होता है ना तो ऐसा ही होता है. हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन मन बहुत कर रहा था. पता नहीं क्यूँ ऐसे काम करने में बड़ा मज़ा आता है जब पकडे जाने का डर हो या फिर जो काम छुप छुप कर करना हो. वैसे ही यहाँ खाने की मेज़ पर सबके बीच में बैठ कर अनु कि चूत के दर्शन करना एक तरह की चोरी ही तो थी, रिस्की काम था लेकिन था मज़े से भरपूर. मैं ये सोच ही रहा था और सोचते सोचते मैंने अपना चम्मच साइड में रखा और गोभी के पकोड़े खाने लगा.
टन्नsssन्नsss नs नs sssss अचानक इस आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और देखा तो ये आवाज़ थी चम्मच के गिरने की और किस्मत से एक बार फिर मेरा चम्मच गिर के मेज़ के नीचे पहुँच चुका था. मेरे तो मज़े ही आ गए लगा जैसे चूत की देवी प्रसन्न थी आज मेरी किस्मत पे और मुझे क्या मतलब कि ये चम्मच फिर से नीचे गिरा कैसे मैं तो ये चाह ही रहा था लेकिन चम्मच गिरा था मामाजी का हाथ लगने से जो की मेरे बगल वाली कुर्सी पर ही बैठे थे.
मामाजी : सौरी मनु बेटा, हाथ लग गया, मैं उठा देता हूँ .
मैं : अरे नहीं मामाजी , कोई बात नहीं , मैं अपने आप उठा लूँगा, आप परेशान ना हों. और यह कहते हुए मैंने मामाजी को रोका. एक मौका मिला था ऐसे कैसे जाने देता और इस बार तो क्लीयर दर्शन की गारंटी थी जो कि मिली भी चूत की मालकिन से थी.
मामाजी को रोक कर मैं फिर से नीचे झुका और चम्मच से पहले मेरी नज़र फिर से अपने टारगेट की ओर चलीं यानि अनु कि टांगों की ओर और बिंगो अनु ने जो कहा वो कर दिया. उसने अपने चूतड़ों को हल्का सा उठा कर अपने आपको कुर्सी पे अडजस्ट किया, अपने चूत वाले हिस्से को थोडा सा आगे खिसकाया और अपनी जांघें फैला दीं बिलकुल 180° के एंगल पर. अपनी जांघें फ़ैलाने और चूत दिखने के क्रम में उसने अपनी टांगों से बिलकुल ऐसा पोज़ बनाया जैसा भरतनाट्यम के कलाकार बनाते हैं यानि ऊपर से जांघें बिलकुल फैली हुईं एक दूसरे से बिलकुल 180° के एंगल पर और नीचे एडियाँ एक दूसरे को चूमती हुईं . खैर अनु ने जो पोज़ बनाया था वो बिलकुल सूटेबल था चूत दर्शन कराने के लिए और मेरी नज़रों से देखा जाए तो करने के लिए भी, किसी कुर्सी पे बैठी हुई लड़की की चूत देखनी हो तो इससे अच्छा पोज़ कोई हो ही नहीं सकता. इस बार अनु ने जो दिखाया वो सचमुच रोमांचित कर देने वाला था. उसकी चूत के बाहरी होंठ चमक रहे थे और हलके से खुले हुए थे क्या मोटे मोटे और रसीले और बिलकुल चिकने होंठ और कमाल तो ये कि चूत के होठों पे एक बाल का निशान तक नहीं. उसकी चूत के वो मोटे मोटे रसीले होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने संतरे की दो मोटी मोटी फांकें एक साथ खड़ी कर के रख दी हों और अगर छुआ तो उनमे से रस टपक पड़ेगा. यह दो मोटे मोटे बाहरी होंठ एक दूसरे को चूम रहे थे और हलके से खुले होने के कारण बीच में एक पतली सी दरार बना रहे थे. और उस दरार में से झाँक रहे थे अनु की चूत के अंदरूनी होंठ जिन्हें देख कर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था की वो कितने मुलायम होंगे. वो दो गुलाबी और मुलायम अंदरूनी होंठ एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे जैसे गुलाब के फूल की अंदरूनी पत्तियाँ एक दूसरे में गुंथी होती है और देखने से ही इतने प्यारे लग रहे थे की बस मुंह में लेकर चूसने का मन कर जाए. चूत के ठीक ऊपर वाले हिस्से पे उसने झांटें रखी हुई थीं हल्की ट्रिम की हुई और एक उलटे ट्राईएंगल की शेप में जिसका एक कोना ठीक उसकी चूत की शुरुआत से मिला हुआ था जिससे ऐसा लग रहा था जैसे उस चूत में से ही वो ट्राईएंगल निकल कर ऊपर की ओर फ़ैल रहा हो और यही वो झांटों का ट्राईएंगल था जो पहली बार नीचे झुकने पर मेरी नज़रों में आया था. पर इस बार तो पूरा ही नज़ारा हो गया नन्ही परी का झांटों के ताज के साथ. "म्म्मsssss wow झांटें भी क्या स्टाइलिश रखी हैं,मज़ा आ गया " मेरे अन्दर से आवाज़ आई.
मैंने अपनी आँखों से कुदरत की बनाई उस अति सुन्दर और अति कोमल चूत नाम की कलाकृति का रसपान किया और अपने मन की प्यास को मन में समेटे इस ख्याल के साथ ऊपर आ गया की अब तो अनु की चूत ढाई साल और बड़ी हो गयी है, और भी ज्यादा मज़े देगी और पता नहीं अब उसका स्वाद कैसा होगा, पहले जैसा या पहले से और ज्यादा मजेदार और नशीला.
अनु ने जो दिखाया वो तो रोमांचकारी था ही लेकिन उससे भी ज्यादा रोमांचकारी था कि मैं उसके बाप यानि अपने मामाजी के ठीक बगल वाली कुर्सी पे बैठ कर उनकी बेटी की चूत का नयनचोदन कर रहा था भले ही चोरी से मेज़ के नीचे और उसी मेज़ पर मेरे भी पेरेंट्स बैठे हुए थे लेकिन हिम्मत तो अनु की थी इतनी ठरक कि अपने बाप के सामने बैठे हुए भी वो अपने कजिन को अपनी चूत के दीदार करा रही थी.
मैं ये प्लेजर टूर करके ऊपर आया तो एक बार फिर अनु पे नज़र पड़ी और इस बार तो वो पहले से ही मेरी तरफ देख रही थी. और नज़रें मिलते ही फिर शुरू हुई हमारे बीच आँखों की बातचीत......... ______________________________
टन्नsssन्नsss नs नs sssss अचानक इस आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और देखा तो ये आवाज़ थी चम्मच के गिरने की और किस्मत से एक बार फिर मेरा चम्मच गिर के मेज़ के नीचे पहुँच चुका था. मेरे तो मज़े ही आ गए लगा जैसे चूत की देवी प्रसन्न थी आज मेरी किस्मत पे और मुझे क्या मतलब कि ये चम्मच फिर से नीचे गिरा कैसे मैं तो ये चाह ही रहा था लेकिन चम्मच गिरा था मामाजी का हाथ लगने से जो की मेरे बगल वाली कुर्सी पर ही बैठे थे.
मामाजी : सौरी मनु बेटा, हाथ लग गया, मैं उठा देता हूँ .
मैं : अरे नहीं मामाजी , कोई बात नहीं , मैं अपने आप उठा लूँगा, आप परेशान ना हों. और यह कहते हुए मैंने मामाजी को रोका. एक मौका मिला था ऐसे कैसे जाने देता और इस बार तो क्लीयर दर्शन की गारंटी थी जो कि मिली भी चूत की मालकिन से थी.
मामाजी को रोक कर मैं फिर से नीचे झुका और चम्मच से पहले मेरी नज़र फिर से अपने टारगेट की ओर चलीं यानि अनु कि टांगों की ओर और बिंगो अनु ने जो कहा वो कर दिया. उसने अपने चूतड़ों को हल्का सा उठा कर अपने आपको कुर्सी पे अडजस्ट किया, अपने चूत वाले हिस्से को थोडा सा आगे खिसकाया और अपनी जांघें फैला दीं बिलकुल 180° के एंगल पर. अपनी जांघें फ़ैलाने और चूत दिखने के क्रम में उसने अपनी टांगों से बिलकुल ऐसा पोज़ बनाया जैसा भरतनाट्यम के कलाकार बनाते हैं यानि ऊपर से जांघें बिलकुल फैली हुईं एक दूसरे से बिलकुल 180° के एंगल पर और नीचे एडियाँ एक दूसरे को चूमती हुईं . खैर अनु ने जो पोज़ बनाया था वो बिलकुल सूटेबल था चूत दर्शन कराने के लिए और मेरी नज़रों से देखा जाए तो करने के लिए भी, किसी कुर्सी पे बैठी हुई लड़की की चूत देखनी हो तो इससे अच्छा पोज़ कोई हो ही नहीं सकता. इस बार अनु ने जो दिखाया वो सचमुच रोमांचित कर देने वाला था. उसकी चूत के बाहरी होंठ चमक रहे थे और हलके से खुले हुए थे क्या मोटे मोटे और रसीले और बिलकुल चिकने होंठ और कमाल तो ये कि चूत के होठों पे एक बाल का निशान तक नहीं. उसकी चूत के वो मोटे मोटे रसीले होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने संतरे की दो मोटी मोटी फांकें एक साथ खड़ी कर के रख दी हों और अगर छुआ तो उनमे से रस टपक पड़ेगा. यह दो मोटे मोटे बाहरी होंठ एक दूसरे को चूम रहे थे और हलके से खुले होने के कारण बीच में एक पतली सी दरार बना रहे थे. और उस दरार में से झाँक रहे थे अनु की चूत के अंदरूनी होंठ जिन्हें देख कर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था की वो कितने मुलायम होंगे. वो दो गुलाबी और मुलायम अंदरूनी होंठ एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे जैसे गुलाब के फूल की अंदरूनी पत्तियाँ एक दूसरे में गुंथी होती है और देखने से ही इतने प्यारे लग रहे थे की बस मुंह में लेकर चूसने का मन कर जाए. चूत के ठीक ऊपर वाले हिस्से पे उसने झांटें रखी हुई थीं हल्की ट्रिम की हुई और एक उलटे ट्राईएंगल की शेप में जिसका एक कोना ठीक उसकी चूत की शुरुआत से मिला हुआ था जिससे ऐसा लग रहा था जैसे उस चूत में से ही वो ट्राईएंगल निकल कर ऊपर की ओर फ़ैल रहा हो और यही वो झांटों का ट्राईएंगल था जो पहली बार नीचे झुकने पर मेरी नज़रों में आया था. पर इस बार तो पूरा ही नज़ारा हो गया नन्ही परी का झांटों के ताज के साथ. "म्म्मsssss wow झांटें भी क्या स्टाइलिश रखी हैं,मज़ा आ गया " मेरे अन्दर से आवाज़ आई.
मैंने अपनी आँखों से कुदरत की बनाई उस अति सुन्दर और अति कोमल चूत नाम की कलाकृति का रसपान किया और अपने मन की प्यास को मन में समेटे इस ख्याल के साथ ऊपर आ गया की अब तो अनु की चूत ढाई साल और बड़ी हो गयी है, और भी ज्यादा मज़े देगी और पता नहीं अब उसका स्वाद कैसा होगा, पहले जैसा या पहले से और ज्यादा मजेदार और नशीला.
अनु ने जो दिखाया वो तो रोमांचकारी था ही लेकिन उससे भी ज्यादा रोमांचकारी था कि मैं उसके बाप यानि अपने मामाजी के ठीक बगल वाली कुर्सी पे बैठ कर उनकी बेटी की चूत का नयनचोदन कर रहा था भले ही चोरी से मेज़ के नीचे और उसी मेज़ पर मेरे भी पेरेंट्स बैठे हुए थे लेकिन हिम्मत तो अनु की थी इतनी ठरक कि अपने बाप के सामने बैठे हुए भी वो अपने कजिन को अपनी चूत के दीदार करा रही थी.
मैं ये प्लेजर टूर करके ऊपर आया तो एक बार फिर अनु पे नज़र पड़ी और इस बार तो वो पहले से ही मेरी तरफ देख रही थी. और नज़रें मिलते ही फिर शुरू हुई हमारे बीच आँखों की बातचीत......... ______________________________
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उसकी चूत के बाहरी होंठ चमक रहे थे और हलके से खुले हुए थे क्या मोटे मोटे और रसीले और बिलकुल चिकने होंठ और कमाल तो ये कि चूत के होठों पे एक बाल का निशान तक नहीं. उसकी चूत के वो मोटे मोटे रसीले होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने संतरे की दो मोटी मोटी फांकें एक साथ खड़ी कर के रख दी हों और अगर छुआ तो उनमे से रस टपक पड़ेगा. यह दो मोटे मोटे बाहरी होंठ एक दूसरे को चूम रहे थे और हलके से खुले होने के कारण बीच में एक पतली सी दरार बना रहे थे. और उस दरार में से झाँक रहे थे अनु की चूत के अंदरूनी होंठ जिन्हें देख कर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता था की वो कितने मुलायम होंगे. वो दो गुलाबी और मुलायम अंदरूनी होंठ एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे जैसे गुलाब के फूल की अंदरूनी पत्तियाँ एक दूसरे में गुंथी होती है और देखने से ही इतने प्यारे लग रहे थे की बस मुंह में लेकर चूसने का मन कर जाए. चूत के ठीक ऊपर वाले हिस्से पे उसने झांटें रखी हुई थीं हल्की ट्रिम की हुई और एक उलटे ट्राईएंगल की शेप में जिसका एक कोना ठीक उसकी चूत की शुरुआत से मिला हुआ था जिससे ऐसा लग रहा था जैसे उस चूत में से ही वो ट्राईएंगल निकल कर ऊपर की ओर फ़ैल रहा हो और यही वो झांटों का ट्राईएंगल था जो पहली बार नीचे झुकने पर मेरी नज़रों में आया था. पर इस बार तो पूरा ही नज़ारा हो गया नन्ही परी का झांटों के ताज के साथ. "म्म्मsssss wow झांटें भी क्या स्टाइलिश रखी हैं,मज़ा आ गया " मेरे अन्दर से आवाज़ आई.
शानदार
भाई लगे रहो ...........
मजा आ गया भाई ...........
शानदार
भाई लगे रहो ...........
मजा आ गया भाई ...........
continue:
पहला इशारा अनु का था. " क्यूँ इस बार दिखा कुछ, कैसा लगा ?"
मैंने भी अपने होटों पे ऐसे जीभ फिराई जैसे होटों पे लीची का रस लगा हो और इशारे में जवाब दिया "अरे सब कुछ दिख गया, क्या मस्त है तुम्हारी नन्ही, इतनी सुन्दर बिलकुल किसी राजकुमारी जैसी लग रही है, बड़ा सजा संवार के रखा है और बिलकुल रसीली है". मुझे ऐसा लगा जैसे अनु मेरे इशारे का एक एक शब्द समझ गयी हो क्यूंकि मेरे इस इशारे को देखने के बाद उसके चेहरे पे ऐसे गर्व के भाव आए जैसे उसने मिस ब्यूटीफुल चूत का खिताब जीत लिया हो.
हम सब अब नाश्ता लगभग खत्म कर चुके थे. अनु अब अपनी कुर्सी से उठी और पीछे खिसकते हुए आँखें नाचती हुई बड़े चुलबुले अंदाज़ में बोली.
अनु : क्यूँ मिस्टर मनु जी नाश्ता हो गया हो तो चलें अब, आप से तो बड़ी सारी बातें करनी हैं मुझे.
मैं : हंsssssहाँ दीदी क्यूँ नहीं, नाश्ता तो हो गया है, आप चलो मैं आता हूँ. और आपके रूम में बैठेंगे या मेरे रूम में ?
अनु : हम्मsssss.......लेट मी थिंक..... ऐसा करते हैं मेरे रूम में ही बैठते हैं. क्यूंकि अगर मुझे तुम्हारी बोर बातों से नींद आने लगी तो मैं वहीँ सो जाऊंगी और उठने कि कोई टेंशन नहीं रहेगी. हा हा हा... क्यूँ ठीक है ना
"नींद तो तुम्हे आएगी नहीं अनु बेबी इस बात की तो मैं गारंटी लेता हूँ और तुम्हे जगाए रखने का काम तो तुम मेरे लंड पर छोड़ दो, वो अकेला ही काफी है तुम्हारी आँखों से नींद को दूर भगाने के लिए" मैंने अपने मन में सोचा
कह कर वो तो हँसते हुए अपनी कामुक गांड को मटकाते हुए सीढ़ियों पर चढ़ने लगी लेकिन अब उसे कौन समझाए की मेरा मेज़ पर से उठना तो उसने ही मुश्किल कर दिया था. पहले अपनी चूत का लाइव शो दिखा कर वो भी इतने रिस्क के साथ और अब जिस तरह से वो गांड मटकाते हुए सीढियां चढ़ रही थी उसके भरे हुए गोल चूतडों के अप- डाउन मोशन की पिक्चर मेरे दिमाग में चल रही थी. यह सब देख कर मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी लेकिन मेरा लंड अब सीटी बजा रहा था. मेरे लंड ने शॉर्ट के अन्दर ऐसा टैंट बना रखा था कि अगर मैं उसी हालत में मेज़ से उठ जाऊं तो सबकी नज़र उस टैंट पर ही जाएगी. मैं सकुचाते हुए बैठा था और इंतज़ार कर रहा था कि मेरा लंड ज़रा ढीला पड़े तो मैं उठूं लेकिन मेरे लंड ने भी शायद कसम खा ली थी कि जब तक झड़ नहीं जाऊँगा बैठूँगा नहीं. मैंने मेज़ के नीचे हाथ कर के अपने शॉर्ट के अन्दर हाथ डाला और लंड को पकड कर किसी तरह jockey की साइड में ऐसे फंसाया कि उसका उभार किसी की नज़रों में ना आये और झट से उठ कर सीढ़ियों की तरफ लपका और इतने तेज़ सीढ़ियों कि तरफ भागा कि पीछे से मम्मी की आवाज़ आई "अरे मनु बेटा संभल कर,पैर फिसल गया तो चोट लग जाएगी." "ऑल राइट माँ, मैं संभल कर ही चलूँगा" और ये कह कर मैं जल्दी से सीढियां पार करते हुए ऊपर पहुँच गया. नीचे मामाजी, मम्मी और पापा टेबल पर ही बैठे हुए बात कर रहे थे.
मम्मी (हँसते हुए) : कितने पागल हैं दोनों एक दूसरे के साथ बात करने के लिए. चाहे चोट लग जाए,कोई परवाह नहीं....
मामाजी : अरे रंजना, अब दोनों एक ही एज ग्रुप के हैं, दो साल का ही तो फर्क है. और दोनों के इंटरेस्ट भी काफी मिलते जुलते हैं. अपनी अपनी बातें शेयर करेंगे और तुम्हे तो पता ही है ये आज कल के बच्चे हर चीज़ को तेज़ी से करने में विश्वास रखते हैं, कोई ढील ढाल नहीं.
मैंने भी अपने होटों पे ऐसे जीभ फिराई जैसे होटों पे लीची का रस लगा हो और इशारे में जवाब दिया "अरे सब कुछ दिख गया, क्या मस्त है तुम्हारी नन्ही, इतनी सुन्दर बिलकुल किसी राजकुमारी जैसी लग रही है, बड़ा सजा संवार के रखा है और बिलकुल रसीली है". मुझे ऐसा लगा जैसे अनु मेरे इशारे का एक एक शब्द समझ गयी हो क्यूंकि मेरे इस इशारे को देखने के बाद उसके चेहरे पे ऐसे गर्व के भाव आए जैसे उसने मिस ब्यूटीफुल चूत का खिताब जीत लिया हो.
हम सब अब नाश्ता लगभग खत्म कर चुके थे. अनु अब अपनी कुर्सी से उठी और पीछे खिसकते हुए आँखें नाचती हुई बड़े चुलबुले अंदाज़ में बोली.
अनु : क्यूँ मिस्टर मनु जी नाश्ता हो गया हो तो चलें अब, आप से तो बड़ी सारी बातें करनी हैं मुझे.
मैं : हंsssssहाँ दीदी क्यूँ नहीं, नाश्ता तो हो गया है, आप चलो मैं आता हूँ. और आपके रूम में बैठेंगे या मेरे रूम में ?
अनु : हम्मsssss.......लेट मी थिंक..... ऐसा करते हैं मेरे रूम में ही बैठते हैं. क्यूंकि अगर मुझे तुम्हारी बोर बातों से नींद आने लगी तो मैं वहीँ सो जाऊंगी और उठने कि कोई टेंशन नहीं रहेगी. हा हा हा... क्यूँ ठीक है ना
"नींद तो तुम्हे आएगी नहीं अनु बेबी इस बात की तो मैं गारंटी लेता हूँ और तुम्हे जगाए रखने का काम तो तुम मेरे लंड पर छोड़ दो, वो अकेला ही काफी है तुम्हारी आँखों से नींद को दूर भगाने के लिए" मैंने अपने मन में सोचा
कह कर वो तो हँसते हुए अपनी कामुक गांड को मटकाते हुए सीढ़ियों पर चढ़ने लगी लेकिन अब उसे कौन समझाए की मेरा मेज़ पर से उठना तो उसने ही मुश्किल कर दिया था. पहले अपनी चूत का लाइव शो दिखा कर वो भी इतने रिस्क के साथ और अब जिस तरह से वो गांड मटकाते हुए सीढियां चढ़ रही थी उसके भरे हुए गोल चूतडों के अप- डाउन मोशन की पिक्चर मेरे दिमाग में चल रही थी. यह सब देख कर मेरी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी लेकिन मेरा लंड अब सीटी बजा रहा था. मेरे लंड ने शॉर्ट के अन्दर ऐसा टैंट बना रखा था कि अगर मैं उसी हालत में मेज़ से उठ जाऊं तो सबकी नज़र उस टैंट पर ही जाएगी. मैं सकुचाते हुए बैठा था और इंतज़ार कर रहा था कि मेरा लंड ज़रा ढीला पड़े तो मैं उठूं लेकिन मेरे लंड ने भी शायद कसम खा ली थी कि जब तक झड़ नहीं जाऊँगा बैठूँगा नहीं. मैंने मेज़ के नीचे हाथ कर के अपने शॉर्ट के अन्दर हाथ डाला और लंड को पकड कर किसी तरह jockey की साइड में ऐसे फंसाया कि उसका उभार किसी की नज़रों में ना आये और झट से उठ कर सीढ़ियों की तरफ लपका और इतने तेज़ सीढ़ियों कि तरफ भागा कि पीछे से मम्मी की आवाज़ आई "अरे मनु बेटा संभल कर,पैर फिसल गया तो चोट लग जाएगी." "ऑल राइट माँ, मैं संभल कर ही चलूँगा" और ये कह कर मैं जल्दी से सीढियां पार करते हुए ऊपर पहुँच गया. नीचे मामाजी, मम्मी और पापा टेबल पर ही बैठे हुए बात कर रहे थे.
मम्मी (हँसते हुए) : कितने पागल हैं दोनों एक दूसरे के साथ बात करने के लिए. चाहे चोट लग जाए,कोई परवाह नहीं....
मामाजी : अरे रंजना, अब दोनों एक ही एज ग्रुप के हैं, दो साल का ही तो फर्क है. और दोनों के इंटरेस्ट भी काफी मिलते जुलते हैं. अपनी अपनी बातें शेयर करेंगे और तुम्हे तो पता ही है ये आज कल के बच्चे हर चीज़ को तेज़ी से करने में विश्वास रखते हैं, कोई ढील ढाल नहीं.
मम्मी : हाँ भैय्या, ये बात तो है. और आप बताओ क्या चल रहा है. कैसे हाल चाल हैं अमेरिका के...
मम्मी और मामाजी कि बातें सुन कर मैं मन ही मन हंसा "हाँ सही बात है, इंटरेस्ट तो मिलते हैं लेकिन जो सबसे कॉमन और फेवरेट इंटरेस्ट है उसके बारे में तो आप लोगों ने सोचा भी नहीं होगा... सेक्स....और ये इंटरेस्ट तो मेरा फेवरेट बना भी अनु कि वजह से ही है. उसी कि वजह से तो मेरा इंटरेस्ट जागा था इस इंटरेस्ट में जब पिछली बार यहाँ आए थे आप लोग और तभी से ये मेरा उसके साथ कॉमन इंटरेस्ट भी हो गया." मन ही मन यह सोचते हुए और हँसते हुए मैं अनु के रूम में दाखिल हो गया. मेरे लंड ने भी फंसे फंसे दर्द करना शुरू कर दिया था.
मैं अनु के कमरे में दाखिल हुआ तो देखा कि वो बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी और शायद कोई किताब पढ़ रही थी. पता नहीं उसे मेरे कमरे में आने का आभास हुआ था या नहीं लेकिन मैं बिना कुछ बोले उसके शरीर का पीछे से मुआयना करने लगा.
उसके काले लम्बे रेशमी बाल उसकी गर्दन को ढकते हुए उसके दायें कंधे से नीचे की तरफ लहराते हुए जा रहे थे और उसे दायें गाल को सहला रहे थे. वो हलकी नीली टी शर्ट जो कि उसके बदन पे टाईट चिपकी हुई थी उसकी ब्रा के स्ट्रैप्स को छुपा नहीं पा रही थी और उसकी कमर पे उसकी ब्रा के कसे हुए स्ट्रैप्स साफ पता चल रहे थे. पतली नाज़ुक कमर उस कमर से नीचे मोटे मोटे उभरे हुए और गुदाज़ चूतड जो कि दोनों तरफ से कमर से थोडा थोडा बाहर निकले हुए थे. अनु लेटी हुई थी लेकिन ऐसे में भी पीछे से भी उसकी फिगर मजेदार और काबिले तारीफ लग रही थी. ये दोनों मुलायम चूतड तो उसकी छोटी सी स्कर्ट से ढके हुए थे लेकिन नंगी थीं उसकी गोरी दूधिया जांघें और सुती हुई पिंडलियाँ बिलकुल शेप में.
मैंने आगे बढ़ कर अनु के दायें चूतड पर प्यार से एक तमाचा रसीद किया. वाsss ह और क्या फीलिंग थी. ऐसा लगा जैसे वाटर बेड पर हाथ मार दिया हो. बिलकुल मुलायम और गद्देदार.
हाथ लगते ही अनु ने अपना ध्यान किताब से हटाया और अपने गाल पर से वो बालों की घटा को हटाते हुए मेरी तरफ देखा.
अनु : आ गए जनाब, मैंने तो सोचा की आओगे ही नहीं आखिर अपने मामाजी से इतने लम्बे टाइम के बाद मिले हो तो उनके साथ बिजी हो गए होंगे इसलिए ये किताब उठा ली टाइम पास के लिए.
मैं : अरे जानेमन, मामाजी से तो फिर बात हो जाएँगी, हमारे लिए तो आप स्पेशल हैं. और फिर टीचर किसी से भी ज्यादा इम्पोर्टेंट होता है, हमारी तो टीचर ही आप हैं. और ये जो आने में देर हुई है ये सब आपके कारण ही है. यह देखो और ये कह कर कर मैंने उसका दायाँ हाथ पकड़ कर शॉर्ट के ऊपर से अपने लंड के ऊपर रख दिया जहाँ मैंने उसे jockey में दबाया हुआ था.
अनु : ओह माई गॉड...... ये तो बड़ा हार्ड हो रहा है.
मैं : और नहीं तो क्या. सब तुम्हारी वजह से है. पहले तो इसे तुमने अपने मुहं में लेकर तड़पता हुआ छोड़ा फिर वहां नीचे इतना गरम शो दिखा दिया तो और क्या होता. बड़ी मुश्किल से संभाल कर आया हूँ. अब तुम्ही को कुछ करना होगा.
अनु : ओssss मतलब यू लाइक द शो. डोंट वरी हम पूरा ख्याल रखेंगे इसका भी अगर तुम हमारा ख्याल रखोगे. वो मेरे लंड पर ऊपर से ही हाथ फिराते हुए बड़ी सेक्सी आवाज़ में बोली और मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई. अनु अब बेड पर उठ कर बैठ गई और उसका चेहरा ठीक मेरे लंड के सामने था.
मैं : आइ नॉट ओनली लाइक द शो, आइ लव्ड द शो. वैसे इतने कातिल शो के बाद अब क्या इरादा है और ये क्या पढ़ रही थी तुम ?
"कुछ फिक्स नहीं , जो होता जायेगा करते जायेंगे", अनु ने अपने उसी चुलबुले और सेक्सी अंदाज़ में मेरी तरफ आँख मारते हुए जवाब दिया. इसी बीच मैंने वो किताब उठाई और उसका टाइटल देखा तो मन और भी उछलने लगा, किताब का टाइटल था "100 Sex Games For Couples" . ओह तो इसका मतलब इस बार सेक्स गेम्स खेलने का भी प्लान है मैडम का. मैं तो आगे आने वाले टाइम के बारे में ही सोच कर रोमांचित होने लगा.
मम्मी और मामाजी कि बातें सुन कर मैं मन ही मन हंसा "हाँ सही बात है, इंटरेस्ट तो मिलते हैं लेकिन जो सबसे कॉमन और फेवरेट इंटरेस्ट है उसके बारे में तो आप लोगों ने सोचा भी नहीं होगा... सेक्स....और ये इंटरेस्ट तो मेरा फेवरेट बना भी अनु कि वजह से ही है. उसी कि वजह से तो मेरा इंटरेस्ट जागा था इस इंटरेस्ट में जब पिछली बार यहाँ आए थे आप लोग और तभी से ये मेरा उसके साथ कॉमन इंटरेस्ट भी हो गया." मन ही मन यह सोचते हुए और हँसते हुए मैं अनु के रूम में दाखिल हो गया. मेरे लंड ने भी फंसे फंसे दर्द करना शुरू कर दिया था.
मैं अनु के कमरे में दाखिल हुआ तो देखा कि वो बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी और शायद कोई किताब पढ़ रही थी. पता नहीं उसे मेरे कमरे में आने का आभास हुआ था या नहीं लेकिन मैं बिना कुछ बोले उसके शरीर का पीछे से मुआयना करने लगा.
उसके काले लम्बे रेशमी बाल उसकी गर्दन को ढकते हुए उसके दायें कंधे से नीचे की तरफ लहराते हुए जा रहे थे और उसे दायें गाल को सहला रहे थे. वो हलकी नीली टी शर्ट जो कि उसके बदन पे टाईट चिपकी हुई थी उसकी ब्रा के स्ट्रैप्स को छुपा नहीं पा रही थी और उसकी कमर पे उसकी ब्रा के कसे हुए स्ट्रैप्स साफ पता चल रहे थे. पतली नाज़ुक कमर उस कमर से नीचे मोटे मोटे उभरे हुए और गुदाज़ चूतड जो कि दोनों तरफ से कमर से थोडा थोडा बाहर निकले हुए थे. अनु लेटी हुई थी लेकिन ऐसे में भी पीछे से भी उसकी फिगर मजेदार और काबिले तारीफ लग रही थी. ये दोनों मुलायम चूतड तो उसकी छोटी सी स्कर्ट से ढके हुए थे लेकिन नंगी थीं उसकी गोरी दूधिया जांघें और सुती हुई पिंडलियाँ बिलकुल शेप में.
मैंने आगे बढ़ कर अनु के दायें चूतड पर प्यार से एक तमाचा रसीद किया. वाsss ह और क्या फीलिंग थी. ऐसा लगा जैसे वाटर बेड पर हाथ मार दिया हो. बिलकुल मुलायम और गद्देदार.
हाथ लगते ही अनु ने अपना ध्यान किताब से हटाया और अपने गाल पर से वो बालों की घटा को हटाते हुए मेरी तरफ देखा.
अनु : आ गए जनाब, मैंने तो सोचा की आओगे ही नहीं आखिर अपने मामाजी से इतने लम्बे टाइम के बाद मिले हो तो उनके साथ बिजी हो गए होंगे इसलिए ये किताब उठा ली टाइम पास के लिए.
मैं : अरे जानेमन, मामाजी से तो फिर बात हो जाएँगी, हमारे लिए तो आप स्पेशल हैं. और फिर टीचर किसी से भी ज्यादा इम्पोर्टेंट होता है, हमारी तो टीचर ही आप हैं. और ये जो आने में देर हुई है ये सब आपके कारण ही है. यह देखो और ये कह कर कर मैंने उसका दायाँ हाथ पकड़ कर शॉर्ट के ऊपर से अपने लंड के ऊपर रख दिया जहाँ मैंने उसे jockey में दबाया हुआ था.
अनु : ओह माई गॉड...... ये तो बड़ा हार्ड हो रहा है.
मैं : और नहीं तो क्या. सब तुम्हारी वजह से है. पहले तो इसे तुमने अपने मुहं में लेकर तड़पता हुआ छोड़ा फिर वहां नीचे इतना गरम शो दिखा दिया तो और क्या होता. बड़ी मुश्किल से संभाल कर आया हूँ. अब तुम्ही को कुछ करना होगा.
अनु : ओssss मतलब यू लाइक द शो. डोंट वरी हम पूरा ख्याल रखेंगे इसका भी अगर तुम हमारा ख्याल रखोगे. वो मेरे लंड पर ऊपर से ही हाथ फिराते हुए बड़ी सेक्सी आवाज़ में बोली और मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई. अनु अब बेड पर उठ कर बैठ गई और उसका चेहरा ठीक मेरे लंड के सामने था.
मैं : आइ नॉट ओनली लाइक द शो, आइ लव्ड द शो. वैसे इतने कातिल शो के बाद अब क्या इरादा है और ये क्या पढ़ रही थी तुम ?
"कुछ फिक्स नहीं , जो होता जायेगा करते जायेंगे", अनु ने अपने उसी चुलबुले और सेक्सी अंदाज़ में मेरी तरफ आँख मारते हुए जवाब दिया. इसी बीच मैंने वो किताब उठाई और उसका टाइटल देखा तो मन और भी उछलने लगा, किताब का टाइटल था "100 Sex Games For Couples" . ओह तो इसका मतलब इस बार सेक्स गेम्स खेलने का भी प्लान है मैडम का. मैं तो आगे आने वाले टाइम के बारे में ही सोच कर रोमांचित होने लगा.
अनु शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी और उसके इस सहलाने ने मेरे लंड को और भी ज्यादा बेक़रार कर दिया था jockeyकी गिरफ्त से बाहर आने के लिए. मैंने अनु का चेहरा अपने हाथों की हथेलियों में भरा और उसे ऊपर उठाने लगा. वो मेरे हाथों के साथ साथ उठती चली गयी और अब हम दोनों बेड के साइड में एक दूसरे के सामने खड़े थे. उसका चेहरा ठीक मेरे चेहरे के सामने था और उत्तेजना के मारे लाल हो रहा था और हम दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं. एक पल के लिए हमने एक दूसरे की आँखों में देखा और दूसरे ही पल बिलकुल परफेक्ट टाइमिंग के साथ हम दोनों के होंठ आपस में टकराए और हम दोनों के होठों के बीच एक घमासान युद्ध शुरू हो गया, हम दोनों के बीच जैसे एक लड़ाई, एक कम्पटीशन छिड़ गया कौन किसके होठों को ज्यादा रगडेगा, कौन किसके होठों से ज्यादा रस निकलेगा और कौन किसके होठों को ज्यादा देर तक चूसेगा. हालाँकि हम दोनों यह जानते थे की इस लड़ाई या कम्पटीशन का फैसला दोनों में से किसी के भी हक में नहीं होगा क्योंकि दोनों में से कोई भी कम नहीं है लेकिन जब कम्पटीशन इस तरह का हो तो हार और जीत की परवाह भी किसे होती है, दोनों ही साइड चाहती हैं की बस कम्पटीशन चलता रहे और कभी ख़त्म ही ना हो बस यही हाल हम दोनों का भी था.
ऊपर हम दोनों के होंठ आपस में लड़ रहे थे, हमारी आँखें बंद थीं और नीचे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के शरीरों पर रेंग रहे थे और शरीर के खास हिस्सों का नाप लेने में व्यस्त थे. अनु कभी अपने मुहं को पूरा खोल कर मेरे दोनों को होठों को अपने मुहं में भर कर चूसने लगती और कभी मैं उसके निचले होंठ को अपने मुहं में दबाकर निचोड़ने की कोशिश करता. अनु का तो कह नहीं सकता लेकिन जब भी अनु के रसीले गुलाबी होंठ मेरे मुहं में आते तो एक गज़ब का स्वाद पूरे मुहं में घुल जाता और बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगती. ऐसा लग रहा था जैसे उसके होठों में कोई खास ग्रंथि लगी हो जो जितनी बार उसके होंठ मेरे मुहं में आते उतनी बार उस नैसर्गिक रस को मेरे मुहं में छोड़ रही थी.
अनु का दायाँ हाथ अभी तक मेरे लंड के ऊपर ही था और अब वो और भी कामुक तरीके से मेरे शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी और बायाँ हाथ जो की उसने यह चुम्बन शुरू होते समय मेरी गर्दन में डाल रखा था ताकि मैंअपना चेहरा पीछे ना खींच सकूँ या हिला ना सकूँ, अब मेरी गर्दन से निकलकर कभी मेरी छाती पे, कभी मेरे पेट पे, कभी मेरी कमर, फिर मेरे चूतडों पर और कभी मेरी जांघ पर बिना रोक टोक के घूम रहा था. मेरे दोनों हाथ अनु के कन्धों पर टिके हुए थे और धीरे- धीरे उसके कन्धों को दबाते हुए मैं उसकी बाजुओं को भी सहला रहा था.
उसकी बाजुओं को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथ उसकी कमर पर ले गया और उसकी कमर पे अपने दोनों हाथ ऊपर से नीचे तक फिराने लगा. कमर पर हाथ फिराते हुए जब मेरे हाथों को उसकी ब्रा की स्ट्रैप महसूस हुई तो मैंने टी शर्ट के ऊपर से ही ब्रा के स्ट्रैप में उंगली डालने की कोशिश की लेकिन कमबख्त ब्रा इतनी टाईट थी की उंगली डालना तो दूर मैं उसे हिला भी नहीं पाया. साली ब्रा भी इतनी टाईट पहनी है की स्ट्रैप भी बिलकुल कमर से चिपकी पड़ी है- मैंने मन में सोचा और इस असफलता से खीज कर अपने हाथों को आगे के सफ़र पे बढ़ा दिया.
कमर का नाप लेने के बाद अब मेरे हाथ उसकी स्कर्ट पर आ गए और मैं स्कर्ट के ऊपर से ही उसके मुलायम और सांचे में ढले चूतड़ों को सहलाने लगा. सचमुच..... वाटर बेड ही थे अनु के चूतड, इतनी मुलायम फीलिंग की हाथ रखते ही मज़ा आ जाये...उसके गुदाज़ चूतड़ों को सहलाते सहलाते में अपने हाथ थोड़े और नीचे ले गया और स्कर्ट खत्म होते ही फिर से अपने हाथों को फिर से ऊपर की ओर बढाया और अब मेरे दोनों हाथ थे अनु की स्कर्ट के अन्दर और मेरे हाथों में थे उसके वाटर बेड जैसे गद्देदार, मुलायम और बिलकुल नंगे चूतड.
मैं मस्ती में अनु के नंगे चूतड़ों के ऊपर हाथ फिराने लगा और उन्हें सहलाने लगा. वाssssह.ह.. क्या फीलिंग थी, बिलकुल चिकने थे दोनों चूतड और इतने मेनटेन्ड कि उनकी गोलाई को हाथ फिराने मात्र से ही महसूस किया जा सकता था और मैं कर रहा था. मैं अनु के दोनों चूतड़ों को अपनी हथेलियों में भरकर दबा रहा था और ऐसे मसल रहा था जैसे आटा गूंथा जाता है. उसके चूतड़ों को मसलते मसलते मुझे शरारत सूझी और मैंने अनु के दोनों चूतड़ों पर जोर से चुटकी काट दी. अनु को तो इस चीज़ की उम्मीद ही नहीं थी मेरे ऐसा करते ही वो चिहुँकते हुए उछल पड़ी और मेरे होठों से अपने होठों को अलग करते हुए मेरी तरफ देखने लगी. उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था. उसे अपनी तरफ ऐसे देखते हुए मैं बेशर्म की तरह मुस्कुरा दिया. उसका चेहरा सुर्ख हो गया था और उसके चेहरे पे आए भाव देख कर मैं समझ गया कि मैंने गलती कर दी थी और उसे सच में काफी दर्द हुआ होगा. तो इसकी भरपाई करना तो ज़रूरी था इसलिए मैंने उसे कोई रिएक्शन का मौका दिए बिना फिर से अपने होठ उसके होठों पर रख दिए और फिर से उसके चूतड़ों को सहलाने लगा इस बार ठीक उस जगह जहां मैंने चुटकी काटी थी. अनु भी मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी और उसका हाथ फिर से मेरे लंड को सहलाने लगा. अब थोड़ी देर उसके कराहते चूतड़ों को आराम देने के बाद मैंने अपने हाथों को वहां से कार्यमुक्त किया और आगे की तरफ ले आया वापस अनु के कन्धों पर. लेकिन ये हाथ हैं ही इतने चंचल की अनु के कन्धों पर आखिर कितनी देर ठहरते और वो फिर चल दिए अपनी यात्रा पर लेकिन इस बार पीछे की तरफ नहीं बल्कि आगे की तरफ और आ कर ठहर गए अनु के मोटे मोटे गुदगुदे चूचों पर.
ऊपर हम दोनों के होंठ आपस में लड़ रहे थे, हमारी आँखें बंद थीं और नीचे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के शरीरों पर रेंग रहे थे और शरीर के खास हिस्सों का नाप लेने में व्यस्त थे. अनु कभी अपने मुहं को पूरा खोल कर मेरे दोनों को होठों को अपने मुहं में भर कर चूसने लगती और कभी मैं उसके निचले होंठ को अपने मुहं में दबाकर निचोड़ने की कोशिश करता. अनु का तो कह नहीं सकता लेकिन जब भी अनु के रसीले गुलाबी होंठ मेरे मुहं में आते तो एक गज़ब का स्वाद पूरे मुहं में घुल जाता और बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगती. ऐसा लग रहा था जैसे उसके होठों में कोई खास ग्रंथि लगी हो जो जितनी बार उसके होंठ मेरे मुहं में आते उतनी बार उस नैसर्गिक रस को मेरे मुहं में छोड़ रही थी.
अनु का दायाँ हाथ अभी तक मेरे लंड के ऊपर ही था और अब वो और भी कामुक तरीके से मेरे शॉर्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहला रही थी और बायाँ हाथ जो की उसने यह चुम्बन शुरू होते समय मेरी गर्दन में डाल रखा था ताकि मैंअपना चेहरा पीछे ना खींच सकूँ या हिला ना सकूँ, अब मेरी गर्दन से निकलकर कभी मेरी छाती पे, कभी मेरे पेट पे, कभी मेरी कमर, फिर मेरे चूतडों पर और कभी मेरी जांघ पर बिना रोक टोक के घूम रहा था. मेरे दोनों हाथ अनु के कन्धों पर टिके हुए थे और धीरे- धीरे उसके कन्धों को दबाते हुए मैं उसकी बाजुओं को भी सहला रहा था.
उसकी बाजुओं को सहलाते सहलाते मैं अपने हाथ उसकी कमर पर ले गया और उसकी कमर पे अपने दोनों हाथ ऊपर से नीचे तक फिराने लगा. कमर पर हाथ फिराते हुए जब मेरे हाथों को उसकी ब्रा की स्ट्रैप महसूस हुई तो मैंने टी शर्ट के ऊपर से ही ब्रा के स्ट्रैप में उंगली डालने की कोशिश की लेकिन कमबख्त ब्रा इतनी टाईट थी की उंगली डालना तो दूर मैं उसे हिला भी नहीं पाया. साली ब्रा भी इतनी टाईट पहनी है की स्ट्रैप भी बिलकुल कमर से चिपकी पड़ी है- मैंने मन में सोचा और इस असफलता से खीज कर अपने हाथों को आगे के सफ़र पे बढ़ा दिया.
कमर का नाप लेने के बाद अब मेरे हाथ उसकी स्कर्ट पर आ गए और मैं स्कर्ट के ऊपर से ही उसके मुलायम और सांचे में ढले चूतड़ों को सहलाने लगा. सचमुच..... वाटर बेड ही थे अनु के चूतड, इतनी मुलायम फीलिंग की हाथ रखते ही मज़ा आ जाये...उसके गुदाज़ चूतड़ों को सहलाते सहलाते में अपने हाथ थोड़े और नीचे ले गया और स्कर्ट खत्म होते ही फिर से अपने हाथों को फिर से ऊपर की ओर बढाया और अब मेरे दोनों हाथ थे अनु की स्कर्ट के अन्दर और मेरे हाथों में थे उसके वाटर बेड जैसे गद्देदार, मुलायम और बिलकुल नंगे चूतड.
मैं मस्ती में अनु के नंगे चूतड़ों के ऊपर हाथ फिराने लगा और उन्हें सहलाने लगा. वाssssह.ह.. क्या फीलिंग थी, बिलकुल चिकने थे दोनों चूतड और इतने मेनटेन्ड कि उनकी गोलाई को हाथ फिराने मात्र से ही महसूस किया जा सकता था और मैं कर रहा था. मैं अनु के दोनों चूतड़ों को अपनी हथेलियों में भरकर दबा रहा था और ऐसे मसल रहा था जैसे आटा गूंथा जाता है. उसके चूतड़ों को मसलते मसलते मुझे शरारत सूझी और मैंने अनु के दोनों चूतड़ों पर जोर से चुटकी काट दी. अनु को तो इस चीज़ की उम्मीद ही नहीं थी मेरे ऐसा करते ही वो चिहुँकते हुए उछल पड़ी और मेरे होठों से अपने होठों को अलग करते हुए मेरी तरफ देखने लगी. उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था. उसे अपनी तरफ ऐसे देखते हुए मैं बेशर्म की तरह मुस्कुरा दिया. उसका चेहरा सुर्ख हो गया था और उसके चेहरे पे आए भाव देख कर मैं समझ गया कि मैंने गलती कर दी थी और उसे सच में काफी दर्द हुआ होगा. तो इसकी भरपाई करना तो ज़रूरी था इसलिए मैंने उसे कोई रिएक्शन का मौका दिए बिना फिर से अपने होठ उसके होठों पर रख दिए और फिर से उसके चूतड़ों को सहलाने लगा इस बार ठीक उस जगह जहां मैंने चुटकी काटी थी. अनु भी मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी और उसका हाथ फिर से मेरे लंड को सहलाने लगा. अब थोड़ी देर उसके कराहते चूतड़ों को आराम देने के बाद मैंने अपने हाथों को वहां से कार्यमुक्त किया और आगे की तरफ ले आया वापस अनु के कन्धों पर. लेकिन ये हाथ हैं ही इतने चंचल की अनु के कन्धों पर आखिर कितनी देर ठहरते और वो फिर चल दिए अपनी यात्रा पर लेकिन इस बार पीछे की तरफ नहीं बल्कि आगे की तरफ और आ कर ठहर गए अनु के मोटे मोटे गुदगुदे चूचों पर.
अब मैंने अनु के लाडले चूचों को प्यारसे और बड़े आराम से सहलाना शुरू किया और सहलाने के इस इस क्रम में मेरे हाथ उनकी गोलाई और मोटाई नाप रहे थे. उन दोनों गोलों के ऊपर नाचते मेरे हाथ मुझे जो संकेत दे रहे थे उनके मुताबिक अनु के चूचे बिलकुल गोल और तने हुए थे, उसके दोनों निप्पल बदलते माहौल की वजह से अकड़ कर सर उठा कर खड़े हो गए थे और उनकी अकड़न का आलम ये था कि वो टी शर्ट के ऊपर से भी मेरी हथेलियों में चुभ रहे थे. हाथ फिराते फिराते एक अनुभव और हुआ और वो ये कि अब वो दोनों गोलमटोल बदमाश पहले से बड़े हो गए थे क्योंकि अब वो मेरे हाथों की गिरफ्त में पूरे नहीं आ रहे थे. और उन्हें छूने का एहसास.........आssss हाssss आssssहाssss बस बिलकुल अलग बिलकुल जुदा और ऐसा जो केवल महसूस किया जा सकता है या कल्पना मेंउतारा जा सकता है, शब्दों में कहना जिसे मुश्किल है..... फिर भी कोशिश कर के उसे शब्दों में पिरोने की कोशिश करूं तो बिलकुल ऐसा जैसे किसी फोम के बने साफ्ट टॉय को हाथों में ले लिया हो या फिर एक ऐसा पानी का गुब्बारा जिसमे पानी पूरी तरह से ना भरा गया हो केवल उतना भरा गया हो कि गुब्बारा फेकने पर भी ना फूटे.
आँखें बंद किये उसके चूचों की सुन्दरता के बारेमें सोचता और मन ही मन उन दोनों को अपनी आँखों के सामने शरारत से उछला कूदता,थिरकता और अठखेलियाँ करते हुए देखने की कल्पना में खोया मैं उसके दोनों रसीले खरबूजों का मर्दन करने लगा. हम दोनों की आँखें बंद थीं और होंठ आपस में लॉक थे और जो आवाजें कानों में पड़ रही थी वो बस एक दूसरे के मुहं से निकलती म्मम्ममssssss ..........आssउssम्मम्मम.ssssss....... पुच्च....च्च ssssss पूsssss च्चsssss ..... या फिर बीच बीच में नीचे से आती मम्मी, पापा और मामाजी की मिली जुली हंसी की आवाजें थीं. कुल मिला कर अनु के कमरे का मौसम बहुत गर्म हो चुका था और हम दोनों के बदन ऐसे जल रहे थे जैसे 104° के बुखार में तप रहे हों और इसी बीच अपनी जांघ पर महसूस होते गीलेपन से मुझे एहसास हुआ कि मेरा दोस्त भी अब ज्यादा इंतज़ार के मूड में नहीं था. ये सब चलते चलते इतना प्री कम छोड़ा था मेरे लंड ने कि मेरी जांघ भी गीली हो गई थी और अपने प्री कम की कुछ बूँदें मुझे अपने पैर पर नीचे की तरफ रेंगती महसूस हो रही थीं.
अनु की दोनों पहाड़ियों का मर्दन करते करते मैं अपने हाथ उसकी कमर तक ले गया और उसकी टी शर्ट को दोनों ओर से पकड़ कर ऊपर उठाने लगा. अनु की तरफ से तो कोई विरोध होने का सवाल ही नहीं था उसने भी अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिए और मैंने टी शर्ट को आराम से ऊपर कर दिया और उसके उन दोनों पहाड़ों के ऊपर ला कर फंसा दिया. अब मेरे हाथ उसकी टाईट ब्रा में कैद दोनों खरगोशों को सहला रहे थे. उन दोनों नटखट बच्चों को सहलाते सहलाते मैंने अनु के होठों को छोड़ा और एक नज़र उसकी छाती पर डाली. क्या गज़ब की घाटी बनी हुई थी उन दो खूबसूरत पहाड़ियों के बीच और क्यूंकि ब्रा भी टाईट थी इसलिए घाटी की सुन्दरता और भी ज्यादा निखर कर सामने आ रही थी. मेरे होंठ तो आज़ाद थे ही और वो घाटी भी जैसे मुझे निमंत्रण दे रही थी, सो एक नज़र अनु की तरफ देखते हुए मैंने अपने होंठ उस सुन्दरता की घाटी की ओर बढ़ा दिए और मेरे हाथ अनु की कमर पर उसकी ब्रा के हुक से लड़ रहे थे, उनका मिशन था इन दोनों शरारती मोटे बच्चों को आज़ाद करना ताकि मैं उनके साथ खेल सकूं.
अनु की छाती पर उभरी दो पहाड़ियों के बीच बन रही उस गहरी घाटी और मेरे होठों के बीच ज़रा ही फासला था तभी मुझे अपने कन्धों पर अनु के हाथों का दबाव महसूस हुआ. अनु अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धों को नीचे की ओर दबा रही थी और मैं कुछ समझ पता इससे पहले ही उसकी सिसकारी भरी नशीली आवाज़ मेरे कानों में पड़ी. _____
आँखें बंद किये उसके चूचों की सुन्दरता के बारेमें सोचता और मन ही मन उन दोनों को अपनी आँखों के सामने शरारत से उछला कूदता,थिरकता और अठखेलियाँ करते हुए देखने की कल्पना में खोया मैं उसके दोनों रसीले खरबूजों का मर्दन करने लगा. हम दोनों की आँखें बंद थीं और होंठ आपस में लॉक थे और जो आवाजें कानों में पड़ रही थी वो बस एक दूसरे के मुहं से निकलती म्मम्ममssssss ..........आssउssम्मम्मम.ssssss....... पुच्च....च्च ssssss पूsssss च्चsssss ..... या फिर बीच बीच में नीचे से आती मम्मी, पापा और मामाजी की मिली जुली हंसी की आवाजें थीं. कुल मिला कर अनु के कमरे का मौसम बहुत गर्म हो चुका था और हम दोनों के बदन ऐसे जल रहे थे जैसे 104° के बुखार में तप रहे हों और इसी बीच अपनी जांघ पर महसूस होते गीलेपन से मुझे एहसास हुआ कि मेरा दोस्त भी अब ज्यादा इंतज़ार के मूड में नहीं था. ये सब चलते चलते इतना प्री कम छोड़ा था मेरे लंड ने कि मेरी जांघ भी गीली हो गई थी और अपने प्री कम की कुछ बूँदें मुझे अपने पैर पर नीचे की तरफ रेंगती महसूस हो रही थीं.
अनु की दोनों पहाड़ियों का मर्दन करते करते मैं अपने हाथ उसकी कमर तक ले गया और उसकी टी शर्ट को दोनों ओर से पकड़ कर ऊपर उठाने लगा. अनु की तरफ से तो कोई विरोध होने का सवाल ही नहीं था उसने भी अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिए और मैंने टी शर्ट को आराम से ऊपर कर दिया और उसके उन दोनों पहाड़ों के ऊपर ला कर फंसा दिया. अब मेरे हाथ उसकी टाईट ब्रा में कैद दोनों खरगोशों को सहला रहे थे. उन दोनों नटखट बच्चों को सहलाते सहलाते मैंने अनु के होठों को छोड़ा और एक नज़र उसकी छाती पर डाली. क्या गज़ब की घाटी बनी हुई थी उन दो खूबसूरत पहाड़ियों के बीच और क्यूंकि ब्रा भी टाईट थी इसलिए घाटी की सुन्दरता और भी ज्यादा निखर कर सामने आ रही थी. मेरे होंठ तो आज़ाद थे ही और वो घाटी भी जैसे मुझे निमंत्रण दे रही थी, सो एक नज़र अनु की तरफ देखते हुए मैंने अपने होंठ उस सुन्दरता की घाटी की ओर बढ़ा दिए और मेरे हाथ अनु की कमर पर उसकी ब्रा के हुक से लड़ रहे थे, उनका मिशन था इन दोनों शरारती मोटे बच्चों को आज़ाद करना ताकि मैं उनके साथ खेल सकूं.
अनु की छाती पर उभरी दो पहाड़ियों के बीच बन रही उस गहरी घाटी और मेरे होठों के बीच ज़रा ही फासला था तभी मुझे अपने कन्धों पर अनु के हाथों का दबाव महसूस हुआ. अनु अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धों को नीचे की ओर दबा रही थी और मैं कुछ समझ पता इससे पहले ही उसकी सिसकारी भरी नशीली आवाज़ मेरे कानों में पड़ी. _____
अनु : स्सीssssss म्मम्मssssss ......इन...सेssssss .....बाssssssद में......मिल लेssssनाssss म्मम्ममssssss ......... पहलेssssss इससे बाssssssत करोआssssssहहह........ कब से इंतजार कssssररर रही है.
ओssहह... अब समझा...... अनु मुझे नीचे अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी जो लग रहा था कि अब बेचैन हो चुकी थी और अनु केकंट्रोल से बाहर हो रही थी.
बात तो अनु की भी सही थी वो बेचारी भी तो कब से इंतज़ार कर रही थी. लंड से मिलन तो दूर मैंने तो उसे अभी तक छुआ या सहलाया भी नहीं था. और फिर जब मैंने अपनी नज़रें नीचे की तरफ डालीं तो मुझे भी उस बेचारी नन्ही सी चूत की हालत पे तरस आ गया. अनु के पैरों के बीचों बीच फर्श पर तीन चार मोटी मोटी गाढ़ी बूँदें पड़ी थी. तरस आने वाली बात तो थी ही बेचारी छोटी अनु अब और इंतज़ार और बेचैनी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और टपकने लगी थी.
स्कर्ट से ढकी होने के कारण अभी मैं उसे देख तो नहीं पा रहा था लेकिन उसकी दयनीय दशा की कल्पना ज़रूर कर रहाथा और उसकी खुद अपने ही रस से भीगी, फड़कते हुए चिपचिपे होठ और उन होठों के बीच से रिसता गाढ़ा गाढ़ा योनी रस जो की बूँद बूँद कर के नीचे टपक रहा था, की तस्वीर मेरी कल्पना में घूमने लगी. "यार बेचारी सच में बड़ी परेशान हो गयी है चलो पहले इसे थोड़ी तसल्ली दे देते हैं" यह सोचते हुए मैं भी नीचे झुकता चला गया और अपने घुटनों के बल अनु के सामने बैठ गया और अब मेरा चेहरा ठीक उसकी स्कर्ट के सामने था.
मेरे नीचे बैठते ही अनु ने अपना दायाँ पैर बेड पर रखा और अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया. स्कर्ट उठते ही मेरे सामने वही दृश्य था जो पल भर पहले मेरी कल्पना में घूम रहा था. उसकी चूत लगातार योनी रस का उत्पादन कर रही थी और उसे बाहर फैंक रही थी. उसकी चॉकलेटी फांकें रस में भीग चुकी थीं और उन पर लगे रस की वजह से उन पर एक अलग ही चमक आ गई थी. चूत के होंठ ऐसे फड़क रहे थे जैसे उन्हें करंट लग रहा हो. कभी खुल रहे थे कभी बंद हो रहे थे, जैसे चूत सांस ले रही हो. चूत के बिलकुल अंतिम छोर से योनी रस का रिसाव हो रहा था और अब वहां पर एक ताज़ी बूँद तैयार थी टपकने के लिए. अपनी आँखों के सामने ऐसा मनोरम और कामुक दृश्य देख कर मेरे तो मुहं में पानी ही आ गया और मन किया कि आगे बढ़ कर मुंह रख दूँ उसकी लरजती चूत पर और उस योनी रस की बूँद को अपनी जीभ पर लेकर वेस्ट होने से बचा दूं जो कि बस टपकने ही वाली थी.
मन में ये ख्याल आते ही जैसे मैं अपने आप ही उसकी ओर बढ़ने लगा और मेरा चेहरा चल पड़ा अनु की चूत पे चिपकने के लिए लेकिन तभी एक आवाज़ आई जिसने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया. ये आवाज़ थी मेरे अंतर्मन की जो अब बदले की भावना पर उतर आया था. "अरे पागल हो गया है क्या? इसने कहा और तू चल दिया चाटने कुत्तों की तरह, तुझे क्या चूतों की कमी है? याद नहीं कैसे तड़पा के छोड़ा था इसने अपने बाथरूम में, कितना टीज़ किया था. कितनी रिक्वेस्ट करने के बाद भी कैसे नखरे दिखा रही थी और क्या रानियों वाले तेवर थे. अब है मौका बेटा, ले ले बदला, अब ये पूरी तरह गर्म है, छोड़ दे ऐसे ही तड़पता हुआ. अपना काम तो हाथ से भी चल जायेगा, नहीं तो सोनल बेबी के पास चल देंगे. "अरे नहीं ऐसा नहीं करते, अगर मैं भी ऐसा करूँगा तो फिर इसमें और मुझमे फर्क क्या रह जायेगा?" मेरे मन से दूसरी आवाज़ आई जो शायद इसलिए आ रही थी कि या तो मेरे मन में उसकी टपकती चूत देख कर लालच आ रहा था या फिर मेरा मन मुझे सही रस्ते पर ले जाना चाहता था और मुझे बदले की भावना से बचाना चाहता था क्योंकि महापुरुषों ने भी कहा है कि कभी किसी के प्रति मन में बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए.
ओssहह... अब समझा...... अनु मुझे नीचे अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी जो लग रहा था कि अब बेचैन हो चुकी थी और अनु केकंट्रोल से बाहर हो रही थी.
बात तो अनु की भी सही थी वो बेचारी भी तो कब से इंतज़ार कर रही थी. लंड से मिलन तो दूर मैंने तो उसे अभी तक छुआ या सहलाया भी नहीं था. और फिर जब मैंने अपनी नज़रें नीचे की तरफ डालीं तो मुझे भी उस बेचारी नन्ही सी चूत की हालत पे तरस आ गया. अनु के पैरों के बीचों बीच फर्श पर तीन चार मोटी मोटी गाढ़ी बूँदें पड़ी थी. तरस आने वाली बात तो थी ही बेचारी छोटी अनु अब और इंतज़ार और बेचैनी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और टपकने लगी थी.
स्कर्ट से ढकी होने के कारण अभी मैं उसे देख तो नहीं पा रहा था लेकिन उसकी दयनीय दशा की कल्पना ज़रूर कर रहाथा और उसकी खुद अपने ही रस से भीगी, फड़कते हुए चिपचिपे होठ और उन होठों के बीच से रिसता गाढ़ा गाढ़ा योनी रस जो की बूँद बूँद कर के नीचे टपक रहा था, की तस्वीर मेरी कल्पना में घूमने लगी. "यार बेचारी सच में बड़ी परेशान हो गयी है चलो पहले इसे थोड़ी तसल्ली दे देते हैं" यह सोचते हुए मैं भी नीचे झुकता चला गया और अपने घुटनों के बल अनु के सामने बैठ गया और अब मेरा चेहरा ठीक उसकी स्कर्ट के सामने था.
मेरे नीचे बैठते ही अनु ने अपना दायाँ पैर बेड पर रखा और अपनी स्कर्ट को ऊपर उठा दिया. स्कर्ट उठते ही मेरे सामने वही दृश्य था जो पल भर पहले मेरी कल्पना में घूम रहा था. उसकी चूत लगातार योनी रस का उत्पादन कर रही थी और उसे बाहर फैंक रही थी. उसकी चॉकलेटी फांकें रस में भीग चुकी थीं और उन पर लगे रस की वजह से उन पर एक अलग ही चमक आ गई थी. चूत के होंठ ऐसे फड़क रहे थे जैसे उन्हें करंट लग रहा हो. कभी खुल रहे थे कभी बंद हो रहे थे, जैसे चूत सांस ले रही हो. चूत के बिलकुल अंतिम छोर से योनी रस का रिसाव हो रहा था और अब वहां पर एक ताज़ी बूँद तैयार थी टपकने के लिए. अपनी आँखों के सामने ऐसा मनोरम और कामुक दृश्य देख कर मेरे तो मुहं में पानी ही आ गया और मन किया कि आगे बढ़ कर मुंह रख दूँ उसकी लरजती चूत पर और उस योनी रस की बूँद को अपनी जीभ पर लेकर वेस्ट होने से बचा दूं जो कि बस टपकने ही वाली थी.
मन में ये ख्याल आते ही जैसे मैं अपने आप ही उसकी ओर बढ़ने लगा और मेरा चेहरा चल पड़ा अनु की चूत पे चिपकने के लिए लेकिन तभी एक आवाज़ आई जिसने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया. ये आवाज़ थी मेरे अंतर्मन की जो अब बदले की भावना पर उतर आया था. "अरे पागल हो गया है क्या? इसने कहा और तू चल दिया चाटने कुत्तों की तरह, तुझे क्या चूतों की कमी है? याद नहीं कैसे तड़पा के छोड़ा था इसने अपने बाथरूम में, कितना टीज़ किया था. कितनी रिक्वेस्ट करने के बाद भी कैसे नखरे दिखा रही थी और क्या रानियों वाले तेवर थे. अब है मौका बेटा, ले ले बदला, अब ये पूरी तरह गर्म है, छोड़ दे ऐसे ही तड़पता हुआ. अपना काम तो हाथ से भी चल जायेगा, नहीं तो सोनल बेबी के पास चल देंगे. "अरे नहीं ऐसा नहीं करते, अगर मैं भी ऐसा करूँगा तो फिर इसमें और मुझमे फर्क क्या रह जायेगा?" मेरे मन से दूसरी आवाज़ आई जो शायद इसलिए आ रही थी कि या तो मेरे मन में उसकी टपकती चूत देख कर लालच आ रहा था या फिर मेरा मन मुझे सही रस्ते पर ले जाना चाहता था और मुझे बदले की भावना से बचाना चाहता था क्योंकि महापुरुषों ने भी कहा है कि कभी किसी के प्रति मन में बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए.
मैं अपने आपको बड़ी ही मुश्किल में पा रहा था. मेरे मन में अंतर्द्वंद चल रहा था कि आगे बढूँ या नहीं और मेरे सामने थी अनु की रसीली टपकती चूत जो मुझसे अब लगभग याचना ही कर रही थी कि आओ और अपने होठों से समेट कर मेरा सारा रस पी जाओ और मुझे शांत कर दो. उधर क्योंकि अनु भी अब काफी उत्तेजित अवस्था में थी उससे भी अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मेरे होंठ और जीभ तो अभी तक उसकी चूत तक पहुंचे ही नहीं थे इसलिए उसका दायाँ हाथ ज़रूर नीचे आ गया था और उसकी चूत को सहलाने लगा था. मैंने पहले अनु के हाथ को देखा और फिर ऊपर उसके चेहरे को. अनु का चेहरा जैसे तमतमा रहा था और उसके गाल बिलकुल लाल हो चुके थे. उसकी आँखें उत्तेजना के मारे अधखुली थीं और उसकी आँखों को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे पता नहीं कितना नशा किया हो उसने. उसके माथे पर छोटी छोटी पसीने कि बूँदें भी साफ़ नज़र आ रही थीं. अनु की छाती एक लय में ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी ब्रा में कैद दोनों गोलू मोलू भी उसी लय में ऊपर नीचे हो रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे इस तरह ऊपर नीचे होते होते खुद ही बाहर निकल आएंगे.
अनु की ऐसी हालत देख कर और उसकी चूत की इस दयनीय दशा को देखते हुए आखिर मेरे मन का अंतर्द्वंद खत्म हुआ और जीत हुई मेरे अच्छे मन की. तो फ़ाइनल हो गया कि मैं कोई बदला नहीं लेने वाला और ऐसी हालत में अनु का साथ ज़रूर दूंगा और उसे संतुष्ट ज़रूर करूँगा.
तो अब मैंने ये तो फ़ाइनल कर लिया था कि मैं अनु कि चूत का रसपान ज़रूर करूँगा और उसकी चूत में लगी आग को ज़रूर बुझाऊंगा लेकिन अब मुझे शरारत सूझी और मैं एक झटके से पीछे हुआ और खड़ा हो गया. अनु कि आँखें अब भी उसी अधखुली अवस्था में थीं और उसका हाथ उसकी चूत को धीरे धीरे मसल रहा था. इतनी देर में भी मेरे होठों का स्पर्श अपनी चूत पर ना पाकर अनु बुदबुदाई...
अनु : क्या हुआ... क्या सोsssssच रहे हो, मम्मsssss ....... जल्दी करो न, कितनी आग लगी है यहाँ पर. आssssssहs...हssss अब बुझा भी दो, स्सीssss.......तरस नहीं आता तुम्हे इस पर हूँssssss
वो अपनी अधखुली आँखों से मेरी तरफ देख रही थी और उत्तेजना के मारे अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से दबा रही थी.
मैं : हम्म.. सॉरी अनु दीदी, आइ कांट हेल्प यू. अपने आप सम्हालो इसे और अपने आप बुझा लो ये आग जैसे भी बुझती हो. मैं तो कुछ नहीं कर पाउँगा.
अनु को तो इस बात का पूरा भरोसा था कि अब मैं दूर जा ही नहीं सकता या फिर उसकी चूत को टेस्ट करने का लालच नहीं छोड़ सकता या फिर यूँ समझ लें कि उसको अपनी चूत की क़ाबलियत पे इतना यकीन था कि वो मुझे अपने मोहपाश में बांध ही लेगी लेकिन मैं तो अभी उसके साथ खेलने के मूड में था, उसे थोडा तड़पता हुआ देखना चाहता था. अनु को लगा कि मैं शायद मजाक कर रहा हूँ इसलिए वो अभी तक अपनी मस्ती में ही थी और उसी मादक आवाज़ में उसने मुझे उकसाने की कोशिश की…..
अनु : हे मनु, कम ऑsssन, मजाक मत करो. सी आइ कांट वेट एनी मोर. मम्ममम्मssssss देखो न कैसी हालत हो गई है मेरी और इसे देखो ज़रा मेरी पुसी को, शी इस ड्रिपिंग नाउ. सब कुछ गीला कर दिया इसने. आओ न प्लीज़ कम एंड ईट मी और तुम तो जानते हो न कितनी टेस्टी है ये, पहले भी तो बहुत खाया है तुमने इसे.
मैं : नो अनु दी. सॉरी. दिस इस फ़ाइनल नाउ. मैं कुछ नहीं करने वाला. आप अपने आप देख लो क्या करना है आपको. मैं तो अपने रूम में जा रहा हूँ.
अनु की ऐसी हालत देख कर और उसकी चूत की इस दयनीय दशा को देखते हुए आखिर मेरे मन का अंतर्द्वंद खत्म हुआ और जीत हुई मेरे अच्छे मन की. तो फ़ाइनल हो गया कि मैं कोई बदला नहीं लेने वाला और ऐसी हालत में अनु का साथ ज़रूर दूंगा और उसे संतुष्ट ज़रूर करूँगा.
तो अब मैंने ये तो फ़ाइनल कर लिया था कि मैं अनु कि चूत का रसपान ज़रूर करूँगा और उसकी चूत में लगी आग को ज़रूर बुझाऊंगा लेकिन अब मुझे शरारत सूझी और मैं एक झटके से पीछे हुआ और खड़ा हो गया. अनु कि आँखें अब भी उसी अधखुली अवस्था में थीं और उसका हाथ उसकी चूत को धीरे धीरे मसल रहा था. इतनी देर में भी मेरे होठों का स्पर्श अपनी चूत पर ना पाकर अनु बुदबुदाई...
अनु : क्या हुआ... क्या सोsssssच रहे हो, मम्मsssss ....... जल्दी करो न, कितनी आग लगी है यहाँ पर. आssssssहs...हssss अब बुझा भी दो, स्सीssss.......तरस नहीं आता तुम्हे इस पर हूँssssss
वो अपनी अधखुली आँखों से मेरी तरफ देख रही थी और उत्तेजना के मारे अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से दबा रही थी.
मैं : हम्म.. सॉरी अनु दीदी, आइ कांट हेल्प यू. अपने आप सम्हालो इसे और अपने आप बुझा लो ये आग जैसे भी बुझती हो. मैं तो कुछ नहीं कर पाउँगा.
अनु को तो इस बात का पूरा भरोसा था कि अब मैं दूर जा ही नहीं सकता या फिर उसकी चूत को टेस्ट करने का लालच नहीं छोड़ सकता या फिर यूँ समझ लें कि उसको अपनी चूत की क़ाबलियत पे इतना यकीन था कि वो मुझे अपने मोहपाश में बांध ही लेगी लेकिन मैं तो अभी उसके साथ खेलने के मूड में था, उसे थोडा तड़पता हुआ देखना चाहता था. अनु को लगा कि मैं शायद मजाक कर रहा हूँ इसलिए वो अभी तक अपनी मस्ती में ही थी और उसी मादक आवाज़ में उसने मुझे उकसाने की कोशिश की…..
अनु : हे मनु, कम ऑsssन, मजाक मत करो. सी आइ कांट वेट एनी मोर. मम्ममम्मssssss देखो न कैसी हालत हो गई है मेरी और इसे देखो ज़रा मेरी पुसी को, शी इस ड्रिपिंग नाउ. सब कुछ गीला कर दिया इसने. आओ न प्लीज़ कम एंड ईट मी और तुम तो जानते हो न कितनी टेस्टी है ये, पहले भी तो बहुत खाया है तुमने इसे.
मैं : नो अनु दी. सॉरी. दिस इस फ़ाइनल नाउ. मैं कुछ नहीं करने वाला. आप अपने आप देख लो क्या करना है आपको. मैं तो अपने रूम में जा रहा हूँ.
ये कह कर मैं वहां से चलने के लिए मुड़ने लगा. मैं तो नाटक ही कर रहा था, मुझे तो देखना था अनु का रिएक्शन.
ये सुनते ही अनु को तो जैसे 440 वाट का झटका लग गया. उसकी अधखुली आँखें अब पूरी खुल गयीं और उसे इस बात की उम्मीद तो अपने ख्यालों में भी नहीं होगी कि मैं उसे ऐसी हालत में लाकर पीछे हट जाऊंगा. कम से कम ये तो उसने सोचा ही होगा कि उसकी चूत के इतना करीब आकर तो मैं ठहर ही नहीं पाउँगा लेकिन मेरा ये व्यवहार उसके लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद से परे.... मेरे ऐसा करते ही अनु ने ज़बरदस्त रिएक्शन दिया. उसने अपना हाथ जो कि अब तक उसकी चूत के साथ बिजी था हटाया और मेरा हाथ पकड़ लिया और एक झटका देते हुए मुझे अपनी तरफ घुमाया. उं हूं ssss हाथ भी योनी रस से सना हुआ था और चिपचिपा रहा था.
मैं घूमा और मेरे सामने था अनु का चेहरा बिलकुल लाल तमतमाता हुआ और आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे. मैं तो देख कर दंग रह गया......इतनी एक्साईटमेंट..... हे भगवान्.........
अनु : ये क्या कह रहे हो? दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया तुम्हारा. इतना पास आकर अब दूर जा रहे हो. और तुम मुझे ऐसे इस हालत में कैसे छोड़ सकते हो. देखो तुम ऐसा नहीं कर सकते.
मैं : वाह जी वाह! क्यूँ नहीं कर सकते? बड़ा मज़ा ले रही थी न तब तो जब मुझे बाथरूम में ऐसे ही छोड़ दिया था तड़पता हुआ. अब पता लगा कैसा लगता है. अब तो मैं भी ऐसा ही करूँगा. थोड़े मज़े तुम भी तो लो इस तड़पन के फिर बाद में देखते हैं. ऐसे ही कहा था न तुमने भी तो,क्यूँ ? माई डियर दीदी......
अनु : मनु,ये क्या कह रहे हो यार. प्लीज़ ऐसा मत करो. अपनी दीदी को ऐसे ही छोड़ दोगे तुम? देख लो फिर तुम्हारी दीदी कभी तुमसे बात नहीं करेगी और मेरी ये सोना भी तुमसे नाराज़ हो जाएगी....
अनु ने ऐसे कहा जैसे किसी छोटे बच्चे को फुसला रही हो लेकिन मैं कोई बच्चा थोड़े ही था जो उसकी बातों में इतनी जल्दी आ जाता अच्छा खासा २३ साल का नौजवान होने की वजह से मैंने भी अपने तेवर कायम रखे..
मैं : छोडो ना...... अनु दीदी क्या बच्चों की तरह लॉलीपॉप दे रही हो मुझे....... मेरा तो अभी तक उस बात को याद करके मूड ख़राब है. फर्क सिर्फ इतना है तब पानी पी कर काम चला लिया था अब ज़रा ज्यादा हो गया है तो कमरे में जाकर हाथ से काम चला लेंगे. आप अपने आप सोचो आप को क्या करना है.
मेरे ऐसे तेवर देख कर इस बार तो अनु बिलकुल ही बिफर पड़ी........
अनु : बच्चू.. लॉलीपॉप नहीं दे रही थी अपनी बॉडी के शहद का ड्रम दे रही थी तुझे और इसका टेस्ट तो तू पहले भी चख चुका है. ठीक है अब तुझे नहीं चाहिए तो ना सही लेकिन एक बात सुन लेना आज के बाद इसे देख भी नहीं पाओगे. और ये हाथ से काम चलाने की धौंस मत देना मुझे. मेरे पास भी हाथ हैं और उसके अलावा अपने साथ अपना वाइब्रेटर भी लाई हूँ लेकिन मैंने सोचा था जब एक जीती जागती जीभ और एक हेल्दी लंड है तो फिर एक बैटरी वाली मशीन का क्या यूज़ करना. लेकिन कोई बात नहीं यू हैव चेंज्ड योर माइंड योर विश...............................
अबे तेरी की........ चूतिये अपने ही पैर पे कुल्हाड़ी मार रहा है....... गांडू चूतें तो तेरी किस्मत में बहुत हैं लेकिन ज़रा सोचियो उनमे से कौन सी तुझे अमेरिकेन स्टाइल में मज़े दे सकती है. लौड़े ढाई साल के बाद फिर से वो मज़े मिलने वाले हैं तो तू खामाखां अकड़ अकड़ कर अपनी गांड मरवा रहा है....मेरे अंतर्मन ने मुझे गालियाँ देते हुए झकझोर दिया. मुझे भी कहाँ पता था मजाक इतना महंगा पड़ने वाला है और ये अनु भी बात को इतनादिल पे ले लेगी मैंने तो सोचा था थोडा और रिक्वेस्ट करेगी थोडा सा गिड़गिड़ाएगी औरमैं भाव खाते हुए मान जाऊंगा लेकिन यहाँ तो भाव ही उलटे पड़ गए थे अनु के भाव औरचढ़ गए थे और मेरे गिरने वाले थे. लेकिन अब यू टर्न कैसे मारूं अकड़ भी तो मैंनेही दिखाई थी.
ओ भ्भाईsssss..... अनु की तरफ से ऐसा जवाब सुन कर गांड ही फट गईमेरी तो. इस बार जो कुछ हुआ वो मेरे लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद सेपरे.....चले थे लौड़ा तान कर ..... गांड मरवा के आ गए………. ये ही कहानी हो रही थे मेरे साथ. अब पल्टी मारनी ज़रूरी थी नहीं तो चिड़ियागई थी हाथ से , ये तो चला लेगी अपना काम उस वाईब्रेटर से और बेटा तू मारते रहना मुठ और कभीकभी इंडियन चूत, अमेरिकन स्वाद भूल जाओ बेटे मेरे अंतर्मन ने मुझे जैसे चिढाते हुए कहा.
मैं : अरे नहीं दीदी, वो बात नहीं है, मैं कोई धौंस वौंस नहीं दे रहा हूँ. आप तो वैसे ही गुस्सा हो रही हो. लेकिनशुरुआत तो आपने ही की थी न. ना आप मेरे साथ तब ऐसा करतीं , ना अब में आपको नाराज़ करता.
मेरे ढीली पड़ते तेवर देख कर अनु के होठों पे एककातिल मुस्कान फ़ैल गई. ऐसा लगा जैसे मन ही मन अपनी जीत पर खुश हो रही थी वो और कहरही हो "वह बेटा, बड़ी अकड़ दिखा रहा था. निकल गई साड़ी अकड़ गांड के रास्तेऔर आ गया न औकात पे. अरे बच्चू..... ये चूत तो चीज़ ही ऐसी है, अच्छे अच्छे की अकड़ भुलवा दे और उसे घुटनों के बल चलवा दे"
अनु : चल कोई बात नहीं, मैं नाराज़ नहीं हूँ बस थोडा परेशान ज़रूर हो गई थी तेरा ये बेवकूफों वालाएटीट्यूड देखकर कि ये लड़का कैसी पागलों जैसे बाते कर रहा है. वैल, अब तूने टाइम तो काफी वेस्ट कर दिया है, अब कुछ करेगा मेरे लिए? मैं तो फकिंग के मूड में थी पर अभी तो लगता है फकिंग नहीं हो पाएगी, रात का ही प्लान करना पड़ेगा लेकिन अभी तो कुछ करना पड़ेगा. यु नो ना......
ये सुनते ही अनु को तो जैसे 440 वाट का झटका लग गया. उसकी अधखुली आँखें अब पूरी खुल गयीं और उसे इस बात की उम्मीद तो अपने ख्यालों में भी नहीं होगी कि मैं उसे ऐसी हालत में लाकर पीछे हट जाऊंगा. कम से कम ये तो उसने सोचा ही होगा कि उसकी चूत के इतना करीब आकर तो मैं ठहर ही नहीं पाउँगा लेकिन मेरा ये व्यवहार उसके लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद से परे.... मेरे ऐसा करते ही अनु ने ज़बरदस्त रिएक्शन दिया. उसने अपना हाथ जो कि अब तक उसकी चूत के साथ बिजी था हटाया और मेरा हाथ पकड़ लिया और एक झटका देते हुए मुझे अपनी तरफ घुमाया. उं हूं ssss हाथ भी योनी रस से सना हुआ था और चिपचिपा रहा था.
मैं घूमा और मेरे सामने था अनु का चेहरा बिलकुल लाल तमतमाता हुआ और आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे. मैं तो देख कर दंग रह गया......इतनी एक्साईटमेंट..... हे भगवान्.........
अनु : ये क्या कह रहे हो? दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया तुम्हारा. इतना पास आकर अब दूर जा रहे हो. और तुम मुझे ऐसे इस हालत में कैसे छोड़ सकते हो. देखो तुम ऐसा नहीं कर सकते.
मैं : वाह जी वाह! क्यूँ नहीं कर सकते? बड़ा मज़ा ले रही थी न तब तो जब मुझे बाथरूम में ऐसे ही छोड़ दिया था तड़पता हुआ. अब पता लगा कैसा लगता है. अब तो मैं भी ऐसा ही करूँगा. थोड़े मज़े तुम भी तो लो इस तड़पन के फिर बाद में देखते हैं. ऐसे ही कहा था न तुमने भी तो,क्यूँ ? माई डियर दीदी......
अनु : मनु,ये क्या कह रहे हो यार. प्लीज़ ऐसा मत करो. अपनी दीदी को ऐसे ही छोड़ दोगे तुम? देख लो फिर तुम्हारी दीदी कभी तुमसे बात नहीं करेगी और मेरी ये सोना भी तुमसे नाराज़ हो जाएगी....
अनु ने ऐसे कहा जैसे किसी छोटे बच्चे को फुसला रही हो लेकिन मैं कोई बच्चा थोड़े ही था जो उसकी बातों में इतनी जल्दी आ जाता अच्छा खासा २३ साल का नौजवान होने की वजह से मैंने भी अपने तेवर कायम रखे..
मैं : छोडो ना...... अनु दीदी क्या बच्चों की तरह लॉलीपॉप दे रही हो मुझे....... मेरा तो अभी तक उस बात को याद करके मूड ख़राब है. फर्क सिर्फ इतना है तब पानी पी कर काम चला लिया था अब ज़रा ज्यादा हो गया है तो कमरे में जाकर हाथ से काम चला लेंगे. आप अपने आप सोचो आप को क्या करना है.
मेरे ऐसे तेवर देख कर इस बार तो अनु बिलकुल ही बिफर पड़ी........
अनु : बच्चू.. लॉलीपॉप नहीं दे रही थी अपनी बॉडी के शहद का ड्रम दे रही थी तुझे और इसका टेस्ट तो तू पहले भी चख चुका है. ठीक है अब तुझे नहीं चाहिए तो ना सही लेकिन एक बात सुन लेना आज के बाद इसे देख भी नहीं पाओगे. और ये हाथ से काम चलाने की धौंस मत देना मुझे. मेरे पास भी हाथ हैं और उसके अलावा अपने साथ अपना वाइब्रेटर भी लाई हूँ लेकिन मैंने सोचा था जब एक जीती जागती जीभ और एक हेल्दी लंड है तो फिर एक बैटरी वाली मशीन का क्या यूज़ करना. लेकिन कोई बात नहीं यू हैव चेंज्ड योर माइंड योर विश...............................
अबे तेरी की........ चूतिये अपने ही पैर पे कुल्हाड़ी मार रहा है....... गांडू चूतें तो तेरी किस्मत में बहुत हैं लेकिन ज़रा सोचियो उनमे से कौन सी तुझे अमेरिकेन स्टाइल में मज़े दे सकती है. लौड़े ढाई साल के बाद फिर से वो मज़े मिलने वाले हैं तो तू खामाखां अकड़ अकड़ कर अपनी गांड मरवा रहा है....मेरे अंतर्मन ने मुझे गालियाँ देते हुए झकझोर दिया. मुझे भी कहाँ पता था मजाक इतना महंगा पड़ने वाला है और ये अनु भी बात को इतनादिल पे ले लेगी मैंने तो सोचा था थोडा और रिक्वेस्ट करेगी थोडा सा गिड़गिड़ाएगी औरमैं भाव खाते हुए मान जाऊंगा लेकिन यहाँ तो भाव ही उलटे पड़ गए थे अनु के भाव औरचढ़ गए थे और मेरे गिरने वाले थे. लेकिन अब यू टर्न कैसे मारूं अकड़ भी तो मैंनेही दिखाई थी.
ओ भ्भाईsssss..... अनु की तरफ से ऐसा जवाब सुन कर गांड ही फट गईमेरी तो. इस बार जो कुछ हुआ वो मेरे लिए अप्रत्याशित था बिलकुल उम्मीद सेपरे.....चले थे लौड़ा तान कर ..... गांड मरवा के आ गए………. ये ही कहानी हो रही थे मेरे साथ. अब पल्टी मारनी ज़रूरी थी नहीं तो चिड़ियागई थी हाथ से , ये तो चला लेगी अपना काम उस वाईब्रेटर से और बेटा तू मारते रहना मुठ और कभीकभी इंडियन चूत, अमेरिकन स्वाद भूल जाओ बेटे मेरे अंतर्मन ने मुझे जैसे चिढाते हुए कहा.
मैं : अरे नहीं दीदी, वो बात नहीं है, मैं कोई धौंस वौंस नहीं दे रहा हूँ. आप तो वैसे ही गुस्सा हो रही हो. लेकिनशुरुआत तो आपने ही की थी न. ना आप मेरे साथ तब ऐसा करतीं , ना अब में आपको नाराज़ करता.
मेरे ढीली पड़ते तेवर देख कर अनु के होठों पे एककातिल मुस्कान फ़ैल गई. ऐसा लगा जैसे मन ही मन अपनी जीत पर खुश हो रही थी वो और कहरही हो "वह बेटा, बड़ी अकड़ दिखा रहा था. निकल गई साड़ी अकड़ गांड के रास्तेऔर आ गया न औकात पे. अरे बच्चू..... ये चूत तो चीज़ ही ऐसी है, अच्छे अच्छे की अकड़ भुलवा दे और उसे घुटनों के बल चलवा दे"
अनु : चल कोई बात नहीं, मैं नाराज़ नहीं हूँ बस थोडा परेशान ज़रूर हो गई थी तेरा ये बेवकूफों वालाएटीट्यूड देखकर कि ये लड़का कैसी पागलों जैसे बाते कर रहा है. वैल, अब तूने टाइम तो काफी वेस्ट कर दिया है, अब कुछ करेगा मेरे लिए? मैं तो फकिंग के मूड में थी पर अभी तो लगता है फकिंग नहीं हो पाएगी, रात का ही प्लान करना पड़ेगा लेकिन अभी तो कुछ करना पड़ेगा. यु नो ना......
"श्योर सिस, आइ एम् एट योर सर्विस" और ये कहते हुए मैं फिर से अपने घुटनों के बल बैठ गया अनु के सामने ये सोच कर कि चलो बात संभल गई नहीं तो हो गया था सारा खेल ख़राब और अनु ने अपना दायाँ पैर उठा कर एक बार फिर से बेड के किनारे पर रख दिया. अब अनु की वो प्यारी सी छुटकी फिर से मेरी आँखों के सामने थी लेकिन अब नॉर्मल लग रही थी, न तो टपक रही थी ना ही ज्यादा गीलापन नज़र आ रहा था. लग रहा था जैसे हमारे बीच हुए उस नाटक की वजह से वो मायूस हो गई थी और सूख गई थी. कोई बात नहीं अभी फिर से गीली किये देते हैं, रानी तुम तो अब झरना बहाओगी मैंने मन ही मन अनु की चूत से कहा.
मैं अपना चेहरा अनु की चूत के पास ले गया और एक बार नज़र उठा कर ऊपर की ओर देखा. पहले आँखें टकराईं उन दो मस्त पहाड़ों से जो अनु की उस टाईट ब्रा में कैद तने खड़े थे और उसकी हर साँस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे. उनके अकड़े हुए निप्पल जो ब्रा के ऊपर से ही अलग पता चल रहे थे और लगता था जैसे ब्रा में छेद कर के बाहर निकल आएँगे. उसके बाद नज़रें पड़ी उसके चेहरे पे, अनु की आँखें बंद थीं और उसने अपने चेहरे को छत की ओर उठाया हुआ था और अपने निचले होठ को चबा रहा थी आने वाले पल की कल्पना करके.
अनु की चूत से उठती मादक गंध मेरे नथुनों से होकर मेरे दिमाग में चढ़ी जा रही थी और मुझ पर एक अजीब सा नशा हावी हो रहा था और मेरी आँखें बोझिल हो रही थी. फिर मैंने एक नज़र उसके मोटे वर्टिकल लिप्स (हम लड़कों की भाषा में तो चूत को वर्टिकल लिप्स का भी नाम दिया गया है) पर डाली और अपनी गर्दन घुमा कर अपने होठों को भी उसी पोज़ीशन में किया और रख दिया उसकी चूत पर. अपनी चूत पे मेरे होठों का स्पर्श पाते ही अनु के शरीर ने एक झटका सा लिया, मेरे भी शरीर में सिहरन सी दौड़ गई और ऐसा लगा जैसे कोई करंट लगा हो. मेरे होंठ अनु के होठों का रस पीने में व्यस्त हो गए लेकिन इस बार मेरे होंठ उन होठों पे नहीं थे जो अनु के चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाते हैं और सबको दिखाई देते हैं बल्कि इस बार मैं उन होठों का रसपान कर रहा था जो उसकी जाँघों के बीच में थे और जिन्हें वो सब से छुपा कर ढक कर अँधेरे में रखती है और जिन्हें देख कर किसी का भी मन उद्वेलित हो जाए और उन्हें चूमने, चाटने और प्यार करने के लिए मचल जाए. हरकत केवल मेरे होंठ कर रहे थे लेकिन एहसास बिलकुल ऐसा था जैसे जब कोई युगल फ्रेंच किस करता है. मेरे होंठ अनु के निचले होठों से बिलकुल चिपके हुए थे और किसी वैक्यूम पम्प की भांति उनमे से वो जीवन रस खींचने की कोशिश कर रहे थे. होठों से खूब चूसने के बाद अब बारी थी मेरी जीभ की. आखिर अनु की चूत के अन्दर स्थित उस जीवन रस के स्त्रोत को मेरी जीभ ही तो ढूंढ सकती थी. एक मंझे हुए कलाकार की तरह उसकी चूत पर अपनी कलाबाजियां दिखा कर अपने नुकीले सिरे को उसकी चूत के अन्दर ले जाकर उस छिपे हुए यौवन रस के स्त्रोत को मेरी जीभ ही टटोल सकती थी और उसे जागृत कर सकती थी ताकि वो अनु के शरीर में बनने वाले उस अमृत रस की धार छोड़े और मैं उसका रस पान कर सकूँ.
मैंने अनु की चूत को अपने होठों की कैद से आज़ाद किया. मेरे थूक से सराबोर हो गई थी वो शहद की कटोरी और लिसलिसा रही थी. इतने कस कर चूसने के कारण दोनों होंठ फूल कर मोटे हो गए थे ऐसा लग रहा था जैसे सूज गए हों और अब उन चाकलेटी ब्राउन रंग के होटों पर भी एक हलकी सी लालिमा दिखाई दे रही थी, लग रहा था जैसे उनमे रक्त प्रवाह बढ़ गया हो और अनु के शरीर का खून उनमे आकर जमा हो रहा हो.
मैंने अपनी जीभ बाहर निकली और अनु की जाँघों के बीच उसकी चूत के बिलकुल अंतिम छोर पर टिका दी और वहां से चाटते हुए ऊपर की ओर चलाई बिलकुल चूत की लकीर के साथ साथ ठीक वैसे ही जैसे हम आइसक्रीम को चाटते है नीचे से ऊपर की ओर और मेरी जीभ की ये यात्रा ख़त्म हुई अनु की चूत के ऊपरी छोर पर जब मेरी नाक उसकी झांटों के ट्राईएंगल पर आकर रुकी. मेरी जीभ ने उसकी चूत का सारा लसीलापन समेट लिया और अब चूत बिलकुल ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ी ताज़ी शेव करके उसपर फिटकरी की डली फिरा दी गई हो. मेरे इस तरह जीभ चलते ही अनु के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी.......म्मम्मsssss.....येस....... लाइक दैट......सीईईईsssss.......ईट माई कन्ट.......आह्हsssssss.................... ______________________________
मैं अपना चेहरा अनु की चूत के पास ले गया और एक बार नज़र उठा कर ऊपर की ओर देखा. पहले आँखें टकराईं उन दो मस्त पहाड़ों से जो अनु की उस टाईट ब्रा में कैद तने खड़े थे और उसकी हर साँस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे. उनके अकड़े हुए निप्पल जो ब्रा के ऊपर से ही अलग पता चल रहे थे और लगता था जैसे ब्रा में छेद कर के बाहर निकल आएँगे. उसके बाद नज़रें पड़ी उसके चेहरे पे, अनु की आँखें बंद थीं और उसने अपने चेहरे को छत की ओर उठाया हुआ था और अपने निचले होठ को चबा रहा थी आने वाले पल की कल्पना करके.
अनु की चूत से उठती मादक गंध मेरे नथुनों से होकर मेरे दिमाग में चढ़ी जा रही थी और मुझ पर एक अजीब सा नशा हावी हो रहा था और मेरी आँखें बोझिल हो रही थी. फिर मैंने एक नज़र उसके मोटे वर्टिकल लिप्स (हम लड़कों की भाषा में तो चूत को वर्टिकल लिप्स का भी नाम दिया गया है) पर डाली और अपनी गर्दन घुमा कर अपने होठों को भी उसी पोज़ीशन में किया और रख दिया उसकी चूत पर. अपनी चूत पे मेरे होठों का स्पर्श पाते ही अनु के शरीर ने एक झटका सा लिया, मेरे भी शरीर में सिहरन सी दौड़ गई और ऐसा लगा जैसे कोई करंट लगा हो. मेरे होंठ अनु के होठों का रस पीने में व्यस्त हो गए लेकिन इस बार मेरे होंठ उन होठों पे नहीं थे जो अनु के चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाते हैं और सबको दिखाई देते हैं बल्कि इस बार मैं उन होठों का रसपान कर रहा था जो उसकी जाँघों के बीच में थे और जिन्हें वो सब से छुपा कर ढक कर अँधेरे में रखती है और जिन्हें देख कर किसी का भी मन उद्वेलित हो जाए और उन्हें चूमने, चाटने और प्यार करने के लिए मचल जाए. हरकत केवल मेरे होंठ कर रहे थे लेकिन एहसास बिलकुल ऐसा था जैसे जब कोई युगल फ्रेंच किस करता है. मेरे होंठ अनु के निचले होठों से बिलकुल चिपके हुए थे और किसी वैक्यूम पम्प की भांति उनमे से वो जीवन रस खींचने की कोशिश कर रहे थे. होठों से खूब चूसने के बाद अब बारी थी मेरी जीभ की. आखिर अनु की चूत के अन्दर स्थित उस जीवन रस के स्त्रोत को मेरी जीभ ही तो ढूंढ सकती थी. एक मंझे हुए कलाकार की तरह उसकी चूत पर अपनी कलाबाजियां दिखा कर अपने नुकीले सिरे को उसकी चूत के अन्दर ले जाकर उस छिपे हुए यौवन रस के स्त्रोत को मेरी जीभ ही टटोल सकती थी और उसे जागृत कर सकती थी ताकि वो अनु के शरीर में बनने वाले उस अमृत रस की धार छोड़े और मैं उसका रस पान कर सकूँ.
मैंने अनु की चूत को अपने होठों की कैद से आज़ाद किया. मेरे थूक से सराबोर हो गई थी वो शहद की कटोरी और लिसलिसा रही थी. इतने कस कर चूसने के कारण दोनों होंठ फूल कर मोटे हो गए थे ऐसा लग रहा था जैसे सूज गए हों और अब उन चाकलेटी ब्राउन रंग के होटों पर भी एक हलकी सी लालिमा दिखाई दे रही थी, लग रहा था जैसे उनमे रक्त प्रवाह बढ़ गया हो और अनु के शरीर का खून उनमे आकर जमा हो रहा हो.
मैंने अपनी जीभ बाहर निकली और अनु की जाँघों के बीच उसकी चूत के बिलकुल अंतिम छोर पर टिका दी और वहां से चाटते हुए ऊपर की ओर चलाई बिलकुल चूत की लकीर के साथ साथ ठीक वैसे ही जैसे हम आइसक्रीम को चाटते है नीचे से ऊपर की ओर और मेरी जीभ की ये यात्रा ख़त्म हुई अनु की चूत के ऊपरी छोर पर जब मेरी नाक उसकी झांटों के ट्राईएंगल पर आकर रुकी. मेरी जीभ ने उसकी चूत का सारा लसीलापन समेट लिया और अब चूत बिलकुल ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ी ताज़ी शेव करके उसपर फिटकरी की डली फिरा दी गई हो. मेरे इस तरह जीभ चलते ही अनु के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी.......म्मम्मsssss.....येस....... लाइक दैट......सीईईईsssss.......ईट माई कन्ट.......आह्हsssssss.................... ______________________________
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और अनु की जाँघों के बीच उसकी चूत के बिलकुल अंतिम छोर पर टिका दी और वहां से चाटते हुए ऊपर की ओर चलाई बिलकुल चूत की लकीर के साथ साथ ठीक वैसे ही जैसे हम आइसक्रीम को चाटते है नीचे से ऊपर की ओर और मेरी जीभ की ये यात्रा ख़त्म हुई अनु की चूत के ऊपरी छोर पर जब मेरी नाक उसकी झांटों के ट्राईएंगल पर आकर रुकी. मेरी जीभ ने उसकी चूत का सारा लसीलापन समेट लिया और अब चूत बिलकुल ऐसी लग रही थी जैसे ताज़ी ताज़ी शेव करके उस पर फिटकरी की डली फिरा दी गई हो. मेरे इस तरह जीभ चलते ही अनु के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी.......म्मम्मsssss.....येस....... लाइक दैट......सीईईईsssss.......ईट माई कन्ट.......आह्ह....................
अनु के योनी प्रदेश से इतनी अच्छी गंध उठ रही थी कि मेरा वहां से हटने का मन ही नहीं कर रहा था. वैसे तो मेरी नाक उसकी झांटों में उलझी थी लेकिन वहां से उठने वाली गंध मुझे वहां से हटने ही नहीं दे रही थी. और झांटें भी कोई बेतरतीब जंगल तो था नहीं. बड़े ही कायदे से ट्रिम की हुई थीं. वहां से उठने वाली खुशबु से मदहोश हो कर मैं अनु के योनी प्रदेश को चूमने लगा. कभी उसकी चूत के उभार पर, कभी पेडू पर और कभी जाँघों के अन्दर की ओर. अनु पर भी मेरे इस चूमने का जादू चल रहा था. वो उसी अवस्था में अपनी आँखों को बंद किए अपना एक हाथ मेरे सर में फिरा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी गेंदों को दबा रही थी.
अपने होठों की मंझी हुई कारीगरी से मैंने चूम चूम कर अनु का पूरा योनी प्रदेश और उसके आस पास का जांघों का एरिया हल्का सा गीला और चिकना सा कर दिया था. अनु जो कि अभी तक मेरे सर में उँगलियाँ फिरा रही थी उसने उसी हाथ से अब मेरे सर को नीचे की तरफ दबाना शुरू किया.
अनु: क्या यहाँ वहां दुनिया भर में चूमते फिर रहे हो. अपने टारगेट को देखो और कंसंट्रेट करो.
मैं समझ गया भाई अब ये फिर से हीट पे आ गई है अब न तो ये रुकने वाली है न ही अब ज्यादा तड़पाना ठीक रहेगा सो मैं अभी अनु के हाथ के दबाव के साथ साथ अपने चेहरे को उसके योनी प्रदेश पर नीचे की ओर फिसलाता चला गया. मेरी नाक उसकी स्टाईलिश झांटों में रगड़ खा रही थी और मेरे होंठ उसकी चूत के ऊपरी किनारे पर दबे हुए थे जहाँ पर क्लिटोरिस होता है. अब मेरे होंठ और नाक दोनों नीचे की यात्रा पर चल पड़े. पहले मेरी नाक रगड़ी उन झांटों में फिर आकर फंसी चूत की दरार में और उस दरार में फंस कर रगडती हुई.......... नहीं नहीं फिसलती हुई मेरी नाक भी.............अच्छी खासी गीली हो चुकी थी वो दो संतरे की फांकों के बीच की दरार और इस गीलेपन के कारन फिसलन हो गई थी वहां.... और मेरी नाक आकर रुकी ठीक योनिलोक के आखरी छोर पर, उस छोटे से सफ़र के दौरान मेरी नाक के नथुने भर गए थे उस कस्तूरी महक से जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है और वो महक चढ़ रही थी मेरे दिमाग में.......ज़रा जीभ बाहर निकाली तो मेरी जीभ पर एक अजीब सा स्वाद फ़ैल गया. कड़वा तो नहीं, कसैला भी नहीं और बिलकुल मीठा भी नहीं... लेकिन हाँ ऐसा जैसे शहद की भरी हुई कटोरी में एक दो चम्मच नींबू का रस और कुछ बूँदें अदरक के रस की मिला दीं हो….सचमुच स्वादिष्ट... शहद, नींबू और अदरक का मिश्रण...खांसी भगाने का सस्ता टिकाऊ और स्वादिष्ट उपाय... और मैंने जीभ से उस स्वाद को लपेटना शुरू कर दिया. अनु के हाथ का दबाव अभी तक मेरे सर पे था और नाक घुसी हुई थी उस संगमरमरी दरार में, सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी अब और मेरी जीभ उसके चूत के नीचे लगातार चल रही थी. कभी मेरी जीभ वहां थिरकती तो कभी सपाट तरीके से चाट कर सारा यौवन रस इकट्ठा कर के मेरे गले में उतार देती. चप्प.... चप्प सररररssss सड़प सड़प sssss ये आवाज़ें आ रही थी अनु के निचले होठों से और ऊपरी होठों से निकल रही थी मादक और घुटी हुई सिसकियाँ.....स्सीईईइ ssssssम्मम्ममsssssआsssssऊssssss ओssssss......गाssssssssssssड ड ड ड .................. येssssssssस्सस्सस्सस....... और अब अनु भी मोशन में आ रही थी उसकी कमर हिलने लगी और अब उसकी चूत मेरी जीभ पर डांस कर रही थी. कमाल तो ये की मेरी जीभ अब उसका माल समेटते समेटते थक रही थी लेकिन उसने पानी छोड़ना बंद नहीं किया. मुझे लगा जैसे उसकी चूत थोड़ी देर पहले मेरे मन की बात भांप गई थी और अब सचमुच झरना ही बहा रही थी. शायद उसने मेरी उस बात को चेलेंज की तरह ले लिया था और अब.... "तू मुझे गीला करेगा ना.... तू ही बहाएगा ना मुझे... ले अब बहा रही हूँ झरना... समेट कितना समेट सकता है, मैं भी तो देखूं कितना बड़ा चूत पिपासु है तू.........
अनु के योनी प्रदेश से इतनी अच्छी गंध उठ रही थी कि मेरा वहां से हटने का मन ही नहीं कर रहा था. वैसे तो मेरी नाक उसकी झांटों में उलझी थी लेकिन वहां से उठने वाली गंध मुझे वहां से हटने ही नहीं दे रही थी. और झांटें भी कोई बेतरतीब जंगल तो था नहीं. बड़े ही कायदे से ट्रिम की हुई थीं. वहां से उठने वाली खुशबु से मदहोश हो कर मैं अनु के योनी प्रदेश को चूमने लगा. कभी उसकी चूत के उभार पर, कभी पेडू पर और कभी जाँघों के अन्दर की ओर. अनु पर भी मेरे इस चूमने का जादू चल रहा था. वो उसी अवस्था में अपनी आँखों को बंद किए अपना एक हाथ मेरे सर में फिरा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी गेंदों को दबा रही थी.
अपने होठों की मंझी हुई कारीगरी से मैंने चूम चूम कर अनु का पूरा योनी प्रदेश और उसके आस पास का जांघों का एरिया हल्का सा गीला और चिकना सा कर दिया था. अनु जो कि अभी तक मेरे सर में उँगलियाँ फिरा रही थी उसने उसी हाथ से अब मेरे सर को नीचे की तरफ दबाना शुरू किया.
अनु: क्या यहाँ वहां दुनिया भर में चूमते फिर रहे हो. अपने टारगेट को देखो और कंसंट्रेट करो.
मैं समझ गया भाई अब ये फिर से हीट पे आ गई है अब न तो ये रुकने वाली है न ही अब ज्यादा तड़पाना ठीक रहेगा सो मैं अभी अनु के हाथ के दबाव के साथ साथ अपने चेहरे को उसके योनी प्रदेश पर नीचे की ओर फिसलाता चला गया. मेरी नाक उसकी स्टाईलिश झांटों में रगड़ खा रही थी और मेरे होंठ उसकी चूत के ऊपरी किनारे पर दबे हुए थे जहाँ पर क्लिटोरिस होता है. अब मेरे होंठ और नाक दोनों नीचे की यात्रा पर चल पड़े. पहले मेरी नाक रगड़ी उन झांटों में फिर आकर फंसी चूत की दरार में और उस दरार में फंस कर रगडती हुई.......... नहीं नहीं फिसलती हुई मेरी नाक भी.............अच्छी खासी गीली हो चुकी थी वो दो संतरे की फांकों के बीच की दरार और इस गीलेपन के कारन फिसलन हो गई थी वहां.... और मेरी नाक आकर रुकी ठीक योनिलोक के आखरी छोर पर, उस छोटे से सफ़र के दौरान मेरी नाक के नथुने भर गए थे उस कस्तूरी महक से जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है और वो महक चढ़ रही थी मेरे दिमाग में.......ज़रा जीभ बाहर निकाली तो मेरी जीभ पर एक अजीब सा स्वाद फ़ैल गया. कड़वा तो नहीं, कसैला भी नहीं और बिलकुल मीठा भी नहीं... लेकिन हाँ ऐसा जैसे शहद की भरी हुई कटोरी में एक दो चम्मच नींबू का रस और कुछ बूँदें अदरक के रस की मिला दीं हो….सचमुच स्वादिष्ट... शहद, नींबू और अदरक का मिश्रण...खांसी भगाने का सस्ता टिकाऊ और स्वादिष्ट उपाय... और मैंने जीभ से उस स्वाद को लपेटना शुरू कर दिया. अनु के हाथ का दबाव अभी तक मेरे सर पे था और नाक घुसी हुई थी उस संगमरमरी दरार में, सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी अब और मेरी जीभ उसके चूत के नीचे लगातार चल रही थी. कभी मेरी जीभ वहां थिरकती तो कभी सपाट तरीके से चाट कर सारा यौवन रस इकट्ठा कर के मेरे गले में उतार देती. चप्प.... चप्प सररररssss सड़प सड़प sssss ये आवाज़ें आ रही थी अनु के निचले होठों से और ऊपरी होठों से निकल रही थी मादक और घुटी हुई सिसकियाँ.....स्सीईईइ ssssssम्मम्ममsssssआsssssऊssssss ओssssss......गाssssssssssssड ड ड ड .................. येssssssssस्सस्सस्सस....... और अब अनु भी मोशन में आ रही थी उसकी कमर हिलने लगी और अब उसकी चूत मेरी जीभ पर डांस कर रही थी. कमाल तो ये की मेरी जीभ अब उसका माल समेटते समेटते थक रही थी लेकिन उसने पानी छोड़ना बंद नहीं किया. मुझे लगा जैसे उसकी चूत थोड़ी देर पहले मेरे मन की बात भांप गई थी और अब सचमुच झरना ही बहा रही थी. शायद उसने मेरी उस बात को चेलेंज की तरह ले लिया था और अब.... "तू मुझे गीला करेगा ना.... तू ही बहाएगा ना मुझे... ले अब बहा रही हूँ झरना... समेट कितना समेट सकता है, मैं भी तो देखूं कितना बड़ा चूत पिपासु है तू.........
मेरे लिए इस स्थिति में और रुकना अब मुश्किल हो रहा था. वो ताकतवर यौवन रक्षक घोल तो मुझे मिल रहा था पीने के लिए लेकिन जिंदा रहने के लिए इन्सान को सांस भी लेनी पड़ती है. एक तो सर पे अनु के हाथ का दबाव और ऐसा लग रहा था जैसे वो प्यासी चूत मेरी जीभ से चिपक ही गई हो, इस सब के बीच मैं वहां से निकलने की कोशिश ही कर रहा था कि अनु का हाथ थोडा हल्का पड़ा और उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर अपनी चूत से हटाकर पीछे की ओर खींचा.
आह्ह्हsssss बिलकुल ऐसा एहसास हुआ जैसे मैं समंदर की गहराईयों में डुबकी लगा कर सांस लेने सतह पर आया हूँ. मेरा मुंह अनु के योनी रस से लिसड़ा हुआ और होंठ चिपचिपा रहे थे. चेहरे पर हवा लगी और मैंने पूरा मुहं खोल कर अपने फेफड़े हवा से भर लिए. बिलकुल हाफ़ने जैसी हालत हो रही थी. अभी मैं अपने फेफड़ों को राहत दे ही पाया था की अनु ने मेरा चेहरा दे मारा अपनी टपकती चूत पर.....शायद उसे भी ये एहसास था कि मुझे सांस भी लेना है और उसने भी केवल उतना ही मौका दिया था. और इस बार एहसास हुआ कि वो कितना गरमा गई थी. उफफ्फ्फ्फ़..... जैसे ही चूत और मेरे होठों का टकराव हुआ ऐसा लगा जैसे ख़त्म होती सिगरेट का फिल्टर मैंने अपने होठों पर रख लिया हो. लेकिन एक खासियत है इस चूत नाम के अंग की... खुद चाहे कितनी भी गरम हो लेकिन रस देगी हमेशा निर्मल, स्वादिष्ट और ठंडा जैसे नारियल पानी....फर्क सिर्फ इतना किसी का गाढ़ा, किसी का पतला...और चूत की कुण्डी में घुटी हुई इसी काम ठंडाई को पीने के लालच में मैंने भी अपना सर फिर से घुसा दिया था अनु कि जांघों के बीच.
मैंने फिर से नए उत्साह के साथ खाना शुरू कर दिया उस अमेरिकन पाई को. मैं कभी पूरी चूत को अपने मुहं में भर कर चूसने लगता,कभी जीभ को नीचे से ऊपर की ओर चूत की पूरी लम्बाई के साथ चलाकर चाटता और कभी अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत की दरार में चलाने लगता. अनु तो जैसे स्वर्ग में थी. उसकी हालत देख कर कोई भी बता सकता था कि वो कितने मज़े में थी, आँखें बंद, सर ऊपर की ओर, निचला होंठ दांतों में दबा हुआ और हाथ बूब्स पर. मैं अनु की चूत को ऐसे ही चाट कर चूस कर मज़े दे रहा था और बीच बीच में अपनी जीभ को उसकी चूत पर गोल गोल घुमाने लगता और कभी अपनी जीभ की नोक से वहां अंग्रेजी के अक्षर लिखने लगता. अनु कामवासना के अनंत सागर में गोते लगा रही थी और में भी मदहोश था. मेरी भी आँखें बंद थी और शरीर का हर भाग निष्क्रिय था केवल दो अंगों को छोड़ कर..... मेरी जीभ जो की एक प्रोफेशनल नट की तरह नाच रही थी अनु की चूत पर और मेरा लंड जो वेल्डिंग राड की तरह गरम होकर तना खड़ा था मेरे शॉर्ट के अन्दर और ऐसा लग रहा था कि जैसे सुपाडा वहीँ से शॉर्ट में छेद करके बाहर निकल आएगा.
अब अनु के पैर भी थोडा कांपने लगे थे मैं समझ गया अब ये ज्यादा खड़ी नहीं रह पाएगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी स्कर्ट के वेस्ट लाइन पर कसे और बेड की तरफ घुमा कर हाथों के दबाव से बैठने का इशारा किया. अनु बेड पर बैठी और उसने अपनी गांड बेड के बिलकुल किनारे पर टिका ली और उसकी दोनों टांगें विपरीत दिशा में फ़ैल गईं. मैंने एक बार फिर अपनी जीभ चूत के उस चिकने प्लेटफार्म पर फिराई सररररर ड़ ड़ ड़ ड़sssss अनु एक बार कसमसाई और फिर अपना हाथ चूत पर लाकर उसने अपने दोनों निचले होठों को उँगलियों से V बनाते हुए खोल दिया.
आह्ह्हsssss बिलकुल ऐसा एहसास हुआ जैसे मैं समंदर की गहराईयों में डुबकी लगा कर सांस लेने सतह पर आया हूँ. मेरा मुंह अनु के योनी रस से लिसड़ा हुआ और होंठ चिपचिपा रहे थे. चेहरे पर हवा लगी और मैंने पूरा मुहं खोल कर अपने फेफड़े हवा से भर लिए. बिलकुल हाफ़ने जैसी हालत हो रही थी. अभी मैं अपने फेफड़ों को राहत दे ही पाया था की अनु ने मेरा चेहरा दे मारा अपनी टपकती चूत पर.....शायद उसे भी ये एहसास था कि मुझे सांस भी लेना है और उसने भी केवल उतना ही मौका दिया था. और इस बार एहसास हुआ कि वो कितना गरमा गई थी. उफफ्फ्फ्फ़..... जैसे ही चूत और मेरे होठों का टकराव हुआ ऐसा लगा जैसे ख़त्म होती सिगरेट का फिल्टर मैंने अपने होठों पर रख लिया हो. लेकिन एक खासियत है इस चूत नाम के अंग की... खुद चाहे कितनी भी गरम हो लेकिन रस देगी हमेशा निर्मल, स्वादिष्ट और ठंडा जैसे नारियल पानी....फर्क सिर्फ इतना किसी का गाढ़ा, किसी का पतला...और चूत की कुण्डी में घुटी हुई इसी काम ठंडाई को पीने के लालच में मैंने भी अपना सर फिर से घुसा दिया था अनु कि जांघों के बीच.
मैंने फिर से नए उत्साह के साथ खाना शुरू कर दिया उस अमेरिकन पाई को. मैं कभी पूरी चूत को अपने मुहं में भर कर चूसने लगता,कभी जीभ को नीचे से ऊपर की ओर चूत की पूरी लम्बाई के साथ चलाकर चाटता और कभी अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत की दरार में चलाने लगता. अनु तो जैसे स्वर्ग में थी. उसकी हालत देख कर कोई भी बता सकता था कि वो कितने मज़े में थी, आँखें बंद, सर ऊपर की ओर, निचला होंठ दांतों में दबा हुआ और हाथ बूब्स पर. मैं अनु की चूत को ऐसे ही चाट कर चूस कर मज़े दे रहा था और बीच बीच में अपनी जीभ को उसकी चूत पर गोल गोल घुमाने लगता और कभी अपनी जीभ की नोक से वहां अंग्रेजी के अक्षर लिखने लगता. अनु कामवासना के अनंत सागर में गोते लगा रही थी और में भी मदहोश था. मेरी भी आँखें बंद थी और शरीर का हर भाग निष्क्रिय था केवल दो अंगों को छोड़ कर..... मेरी जीभ जो की एक प्रोफेशनल नट की तरह नाच रही थी अनु की चूत पर और मेरा लंड जो वेल्डिंग राड की तरह गरम होकर तना खड़ा था मेरे शॉर्ट के अन्दर और ऐसा लग रहा था कि जैसे सुपाडा वहीँ से शॉर्ट में छेद करके बाहर निकल आएगा.
अब अनु के पैर भी थोडा कांपने लगे थे मैं समझ गया अब ये ज्यादा खड़ी नहीं रह पाएगी, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी स्कर्ट के वेस्ट लाइन पर कसे और बेड की तरफ घुमा कर हाथों के दबाव से बैठने का इशारा किया. अनु बेड पर बैठी और उसने अपनी गांड बेड के बिलकुल किनारे पर टिका ली और उसकी दोनों टांगें विपरीत दिशा में फ़ैल गईं. मैंने एक बार फिर अपनी जीभ चूत के उस चिकने प्लेटफार्म पर फिराई सररररर ड़ ड़ ड़ ड़sssss अनु एक बार कसमसाई और फिर अपना हाथ चूत पर लाकर उसने अपने दोनों निचले होठों को उँगलियों से V बनाते हुए खोल दिया.
अनु : क्या ऊsssपर ऊपर फिरा रहे हो. आग तो अन्दर लगी है. अन्दर से चाटो, खाओ, ठंडी कर दो आज......ह्म्म्मsssss
पिंक सिटी का सुन्दर नज़ारा मेरी आँखों के सामने था. वाहहsss पिंक सिटी और ब्राउन एंट्री गेट्स.......... चूत के खुलते ही दोनों मुलायम अन्दर वाले होंठ साइड होकर ऐसे लग रहे थे जैसे स्टेज के परदे. अन्दर कुलमुलाती हुई चूत मेरे सामने थी और वो कभी सिकुड़ रही थी कभी फ़ैल रही थी और बीचों बीच दिखाई दे रही थी एक गाढ़ी दूधिया रंग की बूँद. कुण्डी में पड़ी ठंडाई.... मैंने जीभ नुकीली करके अन्दर मारी और सड़ाप... एक झटके में मेरी जीभ ने ठंडाई की उस बूँद को मेरे गले में उतार दिया और जीभ की चोट वहां पड़ते ही अनु के मुहं से एक और सिसकारी आज़ाद हो गई.
मैंने जीभ की नोक अन्दर फिट की और फिर तो ऊपर से नीचे नीचे से ऊपर, कभी दायें कभी बाएँ..चपर चपर...सड़प सड़प.. यही आवाजें आ रही थी और बीच बीच में मैं भी अपने मुहं को चूत के ऊपर दबा के हलकी सी हमिंग कर रहा था जो अनु चूत में एक वाईब्रेशन पैदा करती थी और अनु अपने चूतड पटकने को मजबूर हो रही थी. ऊपर से मैं जीभ नीचे मार रहा था और नीचे से अनु अपने चूतड उछाल उछाल कर ऊपर आ रही थी जैसे अपनी चूत से मेरी जीभ को कैच करके वही लॉक कर लेगी. चाटते चाटते मैं अनु की क्लिट को भी अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसके दोनों अन्दर वाले होठों को भी अपने होठों में लेकर चूस रहा था और पपोल रहा था.
अनु: येस... येस.. राइट देअर...राइट देअर उम्म्म्मssssss........ ईट माई पुसी......ईट माई कन्ट.... ओssssss....... गाssssssड ......... येस........ मेक मी कम........ओsssssss........
मैं : कैसा लग रहा है अनु दीदी?
अनु : मज़ा आ रहा है मनु... बस डोंट स्टाप ...करते रहोsssss..... मेक मी कम माई डियर कजिन ..... आई लव यु ब्रदर......
मैं: मज़ा आ रहा तो एक बार हिंदी में बताओ न कैसा लग रहा है और क्या चाहती हो.... इंडिया में हो तो अमेरिकन स्टाइल में नहीं इंडियन स्टाइल में मज़ा लो..... जैसा मैंने आपको लास्ट टाइम सिखाया था.
मेरे इन शब्दों का अनु पर असर हुआ.....
अनु: उम्म्म्मssssss.......माई डिअर ... चाट और चाssssss ट...... अच्छी तरह से........ कैसी लगी अपनी बहन की चूत.... टेस्टी है ना...... चाट चाट के सुखा दे आज इस चूत को... खा जा साली को..बड़ा परेशान करती है... तेरे लिए अमेरिका से लाई हूँ. इतनी अच्छी कजिन सिस्टर है तेरे किसी दोस्त की भी? चाट चाट के लाल कर दे आज.... खा जा और झाड दे मुझे.....
मैं: श्योर दीदी झाढुंगा तो मैं ज़रूर आपको और ऐसा झडोगी कि मज़ा आ जाएगा लेकिन व्हाट अबाउट मी.... मेरा क्या होगा अब तो मुझे भी दर्द हो रहा है पेनिस में बिलकुल टाईट हो रहा है.....
अनु: साले मुझे हिंदी में बोलने को कहता है और खुद इंग्लिश में पेनिस पेनिस कर के मरा जा रहा है.. डोंट यू वरी ...... उसका ख्याल मैं रखूंगी...... आइ विल रिटर्न द फेवर...... तू अभी अपने काम पे ध्यान लगा और अमेरिकन पाई खा.....
उसकी इस बात से हम दोनों ही हंस पड़े और मैं वापस लग गया अपने काम पर.
मैं अपनी जीभ और होठों को उसी तरह बिना रुके उसकी चूत की खाई में चला रहा था और इस बार एक गलती हो गई उसके अन्दर वाले होठों को चूसते, पपोलते मेरे दांत एकाएक उन पर गड़ गए.... अनु के लिए अप्रत्याशित हमला और मैंने भी कोई जानबूझ कर नहीं किया था. दांत लगते ही अनु के मुहं से जोर की चीख निकली जो सबको आकर्षित करने के लिए काफी थी..
अनु: आsssssssssssईईईई....... मम्मी आउच... मर गई......... उह्ह्ह्हह्ह ........
मेरी तो गांड फट के एक तरफ... में झटके से उस से अलग होकर पीछे हटा देखा तो उसकी चूत पे हल्का खून भी दिखाई दिया... अब्बे यार अब क्या होगा... भ्भाई आज मर गए........ मैं बुत बना उसके सामने बैठा था और कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. स्साले क्या ज़रुरत थी इतने जोश में आने की, चूत पे भी काट खाया उसकी... अब गांड मरवान के लिए तैयार हो जाओ... घरवाले क्या सोचेंगे.. क्या इम्प्रेशन जाएगा..... मनु तुम अपने मामाजी की लड़की के साथ........ये बोलते हुए मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूम गया...और ये सब सोचते सोचते मेरा पूरा शरीर काँप गया.
पिंक सिटी का सुन्दर नज़ारा मेरी आँखों के सामने था. वाहहsss पिंक सिटी और ब्राउन एंट्री गेट्स.......... चूत के खुलते ही दोनों मुलायम अन्दर वाले होंठ साइड होकर ऐसे लग रहे थे जैसे स्टेज के परदे. अन्दर कुलमुलाती हुई चूत मेरे सामने थी और वो कभी सिकुड़ रही थी कभी फ़ैल रही थी और बीचों बीच दिखाई दे रही थी एक गाढ़ी दूधिया रंग की बूँद. कुण्डी में पड़ी ठंडाई.... मैंने जीभ नुकीली करके अन्दर मारी और सड़ाप... एक झटके में मेरी जीभ ने ठंडाई की उस बूँद को मेरे गले में उतार दिया और जीभ की चोट वहां पड़ते ही अनु के मुहं से एक और सिसकारी आज़ाद हो गई.
मैंने जीभ की नोक अन्दर फिट की और फिर तो ऊपर से नीचे नीचे से ऊपर, कभी दायें कभी बाएँ..चपर चपर...सड़प सड़प.. यही आवाजें आ रही थी और बीच बीच में मैं भी अपने मुहं को चूत के ऊपर दबा के हलकी सी हमिंग कर रहा था जो अनु चूत में एक वाईब्रेशन पैदा करती थी और अनु अपने चूतड पटकने को मजबूर हो रही थी. ऊपर से मैं जीभ नीचे मार रहा था और नीचे से अनु अपने चूतड उछाल उछाल कर ऊपर आ रही थी जैसे अपनी चूत से मेरी जीभ को कैच करके वही लॉक कर लेगी. चाटते चाटते मैं अनु की क्लिट को भी अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसके दोनों अन्दर वाले होठों को भी अपने होठों में लेकर चूस रहा था और पपोल रहा था.
अनु: येस... येस.. राइट देअर...राइट देअर उम्म्म्मssssss........ ईट माई पुसी......ईट माई कन्ट.... ओssssss....... गाssssssड ......... येस........ मेक मी कम........ओsssssss........
मैं : कैसा लग रहा है अनु दीदी?
अनु : मज़ा आ रहा है मनु... बस डोंट स्टाप ...करते रहोsssss..... मेक मी कम माई डियर कजिन ..... आई लव यु ब्रदर......
मैं: मज़ा आ रहा तो एक बार हिंदी में बताओ न कैसा लग रहा है और क्या चाहती हो.... इंडिया में हो तो अमेरिकन स्टाइल में नहीं इंडियन स्टाइल में मज़ा लो..... जैसा मैंने आपको लास्ट टाइम सिखाया था.
मेरे इन शब्दों का अनु पर असर हुआ.....
अनु: उम्म्म्मssssss.......माई डिअर ... चाट और चाssssss ट...... अच्छी तरह से........ कैसी लगी अपनी बहन की चूत.... टेस्टी है ना...... चाट चाट के सुखा दे आज इस चूत को... खा जा साली को..बड़ा परेशान करती है... तेरे लिए अमेरिका से लाई हूँ. इतनी अच्छी कजिन सिस्टर है तेरे किसी दोस्त की भी? चाट चाट के लाल कर दे आज.... खा जा और झाड दे मुझे.....
मैं: श्योर दीदी झाढुंगा तो मैं ज़रूर आपको और ऐसा झडोगी कि मज़ा आ जाएगा लेकिन व्हाट अबाउट मी.... मेरा क्या होगा अब तो मुझे भी दर्द हो रहा है पेनिस में बिलकुल टाईट हो रहा है.....
अनु: साले मुझे हिंदी में बोलने को कहता है और खुद इंग्लिश में पेनिस पेनिस कर के मरा जा रहा है.. डोंट यू वरी ...... उसका ख्याल मैं रखूंगी...... आइ विल रिटर्न द फेवर...... तू अभी अपने काम पे ध्यान लगा और अमेरिकन पाई खा.....
उसकी इस बात से हम दोनों ही हंस पड़े और मैं वापस लग गया अपने काम पर.
मैं अपनी जीभ और होठों को उसी तरह बिना रुके उसकी चूत की खाई में चला रहा था और इस बार एक गलती हो गई उसके अन्दर वाले होठों को चूसते, पपोलते मेरे दांत एकाएक उन पर गड़ गए.... अनु के लिए अप्रत्याशित हमला और मैंने भी कोई जानबूझ कर नहीं किया था. दांत लगते ही अनु के मुहं से जोर की चीख निकली जो सबको आकर्षित करने के लिए काफी थी..
अनु: आsssssssssssईईईई....... मम्मी आउच... मर गई......... उह्ह्ह्हह्ह ........
मेरी तो गांड फट के एक तरफ... में झटके से उस से अलग होकर पीछे हटा देखा तो उसकी चूत पे हल्का खून भी दिखाई दिया... अब्बे यार अब क्या होगा... भ्भाई आज मर गए........ मैं बुत बना उसके सामने बैठा था और कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. स्साले क्या ज़रुरत थी इतने जोश में आने की, चूत पे भी काट खाया उसकी... अब गांड मरवान के लिए तैयार हो जाओ... घरवाले क्या सोचेंगे.. क्या इम्प्रेशन जाएगा..... मनु तुम अपने मामाजी की लड़की के साथ........ये बोलते हुए मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूम गया...और ये सब सोचते सोचते मेरा पूरा शरीर काँप गया.
तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आई और सीढियां चढ़ते क़दमों की....
मम्मी: अनु... क्या हुआ बेटा. तुम ठीक तो हो.....और ये मनु कहाँ है.
मम्मी की आवाज़ और उनके ऊपर आने की आहट सुन कर ही मेरा तो मूत निकलने को तैयार हो गया. चेहरा तो सारा सराबोर था अनु के काम रस से, तो मैं मम्मी के सामने कैसे आता. ये सोच कर मैं झटके से उठ कर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ भाग लिया. अब मैं बाथरूम के दरवाजे की ओट से ही देख रहा था आगे का घटनाक्रम. गांड में अब भी लुप लुप हो रही थी.
अनु भी स्थिति समझ कर झटके से उठ कर खड़ी हुई और सबसे पहले अपनी टी शर्ट नीचे की और फिर अपनी स्कर्ट को ठीक ठाक करके बेड के किनारे पर बैठ गई और एक हाथ से अपने पैर को सहलाने लगी. शायद उसे भी अपनी गलती का एहसास हो गया था जो उसने इतना तेज़ चिल्ला कर की थी. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था, यहाँ तो गोलियां मुहं में आ रही हैं और यह बैठ कर अपने पैर की मालिश कर रही है. अजीब लड़की है यार......... इतनी देर में मम्मी खड़ी थी कमरे के दरवाजे पर.
मम्मी: अनु, क्या हुआ बेटा..... तुम ठीक तो हो? इतनी तेज़ क्यूँ चिल्लाई थी......सब ठीक है ना.......
अनु: अरे कुछ नहीं बुआ जी बस ज़रा अपनी ही बेवकूफी की वजह से चिल्लाई थी. जल्दी जल्दी में बेड पर चढ़ रही थी ध्यान नहीं रहा और अपनी टांग तोड़ ली बेड से. अचानक दर्द हुआ तो चीख निकल गई.
"अरे बेटा ज्यादा तो नहीं लगी, ला दिखा मुझे.... मैं अभी वोलिनी लगा देती हूँ" कहते हुए मम्मी आगे बढीं.
अनु ने पैंतरा बदला.
अनु: अरे नहीं बुआ जी, इतना सिरियस कुछ नहीं है. थोडा सा दर्द हो रहा है, ठीक हो जाएगा. आप फ़िक्र न करें..
मम्मी: आर यू श्योर कि ज्यादा तकलीफ नहीं है?
अनु: हाँ बुआ जी मैं ठीक हूँ.
मम्मी: ओके देन मैं चलती हूँ और ये मनु कहाँ है? तुम्हारे पास ही तो था..
अनु: हाँ बुआ जी वो.. मनु... बाथरूम में है, फ्रेश होने गया है...
मम्मी: ये लड़का भी ना.. चलो मैं चलती हूँ, अभी सात बजे हैं, नौ बजे के करीब डिनर करेंगे मैं तुम्हे आवाज़ दे दूंगी..आलराइट....
अनु: ओके बुआ जी.....
और मम्मी कमरे से निकल गई.
मैं तो हक्का बक्का रह गया अनु की ज़बरदस्त एक्टिंग और कान्फिडेंस देख कर. बिलकुल भी नहीं घबराई और इतनी आसानी से सारी बात संभाल ली थी उसने. मैं धीरे धीरे ताली बजाता हुआ बाहर निकला.
मैं: वाह अनु दीदी वाह ..... मान गए आपको... कितनी आसानी से संभाल लिया मम्मी को. मेरी तो हवा ले गई थी. ..
"यही तो फर्क है हममे और तुममे बेटा" अनु इतराते हुए बोली.
मैं: अच्छा आइ एम् रियली सॉरी, आपको बड़ा दर्द हुआ होगा....
अनु: दर्द....... कौन सा दर्द? उसके चेहरे पर थोडा आश्चर्य के भाव थे.
मैं: अरे मेरा दांत लग गया था न वहां पर वो ज़रा ज्यादा जोश में आ गया था मैं, गलती से लग गया..... आइ एम् सॉरी अगेन....तभी तो आप इतनी जोर से चिल्लाई थी, नहीं....
अनु: अरे पागल दर्द वर्द कुछ नहीं हुआ था मुझे...मुझे तो इतना अच्छा लग रहा था कि कोई दर्द महसूस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.
मेरी तो आँखें फ़ैल गईं उसकी ये बात सुन कर और उसके चेहरे पे मुस्कराहट थी.
मैं: तो..तो फिर वो आप इतनी तेज़ चिल्लाई क्यूँ?
अनु: अरे वोsssssssss... वो तो मैं अपने ओर्गास्म की वजह से चिल्लाई थी. इतना अच्छा ओर्गास्म कभी नहीं हुआ, अपने आप मास्टरबेट कर के भी नहीं.... मज़ा आ गया कसम से सही कहा था तुमने ऐसा झाड़ा मुझे कि याद रहेगा. लाओ अब तुम्हारी भी हेल्प कर दूँ. चलो निकालो अपने छोटू को....
मैं(चिढ़ते हुए): बस अब रहने दो. अपने मज़े के चक्कर में मेरी तो फाड़ दी ना आपने. इतनी फटने के बाद मेरा तो सारा जोश ही ठंडा हो गया. और सचमुच मेरा लंड डर के मारे फिर से सिकुड़ गया था और बिलकुल दूध निकल जाने के बाद भैंस के मुरझाए हुए थन की तरह हो गया था. और हाँ, ये छोटू का क्या मतलब? आपने तो देखा है इसे और लिया भी है. वो बात अलग है कि दो साल पहले एक्सपीरिएंस नहीं था लेकिन इस बार तो ये फाड़ के रख देगा आपकी. छोटू मत कहना....
मम्मी: अनु... क्या हुआ बेटा. तुम ठीक तो हो.....और ये मनु कहाँ है.
मम्मी की आवाज़ और उनके ऊपर आने की आहट सुन कर ही मेरा तो मूत निकलने को तैयार हो गया. चेहरा तो सारा सराबोर था अनु के काम रस से, तो मैं मम्मी के सामने कैसे आता. ये सोच कर मैं झटके से उठ कर खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ भाग लिया. अब मैं बाथरूम के दरवाजे की ओट से ही देख रहा था आगे का घटनाक्रम. गांड में अब भी लुप लुप हो रही थी.
अनु भी स्थिति समझ कर झटके से उठ कर खड़ी हुई और सबसे पहले अपनी टी शर्ट नीचे की और फिर अपनी स्कर्ट को ठीक ठाक करके बेड के किनारे पर बैठ गई और एक हाथ से अपने पैर को सहलाने लगी. शायद उसे भी अपनी गलती का एहसास हो गया था जो उसने इतना तेज़ चिल्ला कर की थी. मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था, यहाँ तो गोलियां मुहं में आ रही हैं और यह बैठ कर अपने पैर की मालिश कर रही है. अजीब लड़की है यार......... इतनी देर में मम्मी खड़ी थी कमरे के दरवाजे पर.
मम्मी: अनु, क्या हुआ बेटा..... तुम ठीक तो हो? इतनी तेज़ क्यूँ चिल्लाई थी......सब ठीक है ना.......
अनु: अरे कुछ नहीं बुआ जी बस ज़रा अपनी ही बेवकूफी की वजह से चिल्लाई थी. जल्दी जल्दी में बेड पर चढ़ रही थी ध्यान नहीं रहा और अपनी टांग तोड़ ली बेड से. अचानक दर्द हुआ तो चीख निकल गई.
"अरे बेटा ज्यादा तो नहीं लगी, ला दिखा मुझे.... मैं अभी वोलिनी लगा देती हूँ" कहते हुए मम्मी आगे बढीं.
अनु ने पैंतरा बदला.
अनु: अरे नहीं बुआ जी, इतना सिरियस कुछ नहीं है. थोडा सा दर्द हो रहा है, ठीक हो जाएगा. आप फ़िक्र न करें..
मम्मी: आर यू श्योर कि ज्यादा तकलीफ नहीं है?
अनु: हाँ बुआ जी मैं ठीक हूँ.
मम्मी: ओके देन मैं चलती हूँ और ये मनु कहाँ है? तुम्हारे पास ही तो था..
अनु: हाँ बुआ जी वो.. मनु... बाथरूम में है, फ्रेश होने गया है...
मम्मी: ये लड़का भी ना.. चलो मैं चलती हूँ, अभी सात बजे हैं, नौ बजे के करीब डिनर करेंगे मैं तुम्हे आवाज़ दे दूंगी..आलराइट....
अनु: ओके बुआ जी.....
और मम्मी कमरे से निकल गई.
मैं तो हक्का बक्का रह गया अनु की ज़बरदस्त एक्टिंग और कान्फिडेंस देख कर. बिलकुल भी नहीं घबराई और इतनी आसानी से सारी बात संभाल ली थी उसने. मैं धीरे धीरे ताली बजाता हुआ बाहर निकला.
मैं: वाह अनु दीदी वाह ..... मान गए आपको... कितनी आसानी से संभाल लिया मम्मी को. मेरी तो हवा ले गई थी. ..
"यही तो फर्क है हममे और तुममे बेटा" अनु इतराते हुए बोली.
मैं: अच्छा आइ एम् रियली सॉरी, आपको बड़ा दर्द हुआ होगा....
अनु: दर्द....... कौन सा दर्द? उसके चेहरे पर थोडा आश्चर्य के भाव थे.
मैं: अरे मेरा दांत लग गया था न वहां पर वो ज़रा ज्यादा जोश में आ गया था मैं, गलती से लग गया..... आइ एम् सॉरी अगेन....तभी तो आप इतनी जोर से चिल्लाई थी, नहीं....
अनु: अरे पागल दर्द वर्द कुछ नहीं हुआ था मुझे...मुझे तो इतना अच्छा लग रहा था कि कोई दर्द महसूस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता.
मेरी तो आँखें फ़ैल गईं उसकी ये बात सुन कर और उसके चेहरे पे मुस्कराहट थी.
मैं: तो..तो फिर वो आप इतनी तेज़ चिल्लाई क्यूँ?
अनु: अरे वोsssssssss... वो तो मैं अपने ओर्गास्म की वजह से चिल्लाई थी. इतना अच्छा ओर्गास्म कभी नहीं हुआ, अपने आप मास्टरबेट कर के भी नहीं.... मज़ा आ गया कसम से सही कहा था तुमने ऐसा झाड़ा मुझे कि याद रहेगा. लाओ अब तुम्हारी भी हेल्प कर दूँ. चलो निकालो अपने छोटू को....
मैं(चिढ़ते हुए): बस अब रहने दो. अपने मज़े के चक्कर में मेरी तो फाड़ दी ना आपने. इतनी फटने के बाद मेरा तो सारा जोश ही ठंडा हो गया. और सचमुच मेरा लंड डर के मारे फिर से सिकुड़ गया था और बिलकुल दूध निकल जाने के बाद भैंस के मुरझाए हुए थन की तरह हो गया था. और हाँ, ये छोटू का क्या मतलब? आपने तो देखा है इसे और लिया भी है. वो बात अलग है कि दो साल पहले एक्सपीरिएंस नहीं था लेकिन इस बार तो ये फाड़ के रख देगा आपकी. छोटू मत कहना....
अनु(दुखी सा मुहं बनाते हुए): ओके बाबा सॉरी, नहीं कहूँगी छोटू गुस्सा मत करो. और हाँ यार रियली सॉरी......तुमने इतना अच्छा कनिलिंगस किया कि मुझे तो याद ही नहीं रहा कि मैं अमेरिका में अपने कमरे में अपनी किसी फ्रेंड के साथ नहीं बल्कि इंडिया में अपनी बुआ के घर और उन्ही के बेटे के साथ हूँ और मस्ती में चीख निकल गई. बट नेवर माइंड रात का प्रोग्राम करते हैं ना....सब बराबर कर दूंगी...मज़ा आएगा...ठीक और उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया..
ठीक...मैंने भी उसके हाथ पे ताली देते हुए कहा....लेकिन वो..... उसका क्या होगा.. मुझे हल्का सा खून दिखाई दिया था वहां...... मैंने अपनी चिंता ज़ाहिर की..
अनु आँख दबाते हुए बोली "तुम चिंता मत करो माई डिअर... ये चूत है.. अपनी रिकवरी अपने आप कर लेती है.... "
मैं: ऐसे कैसे.....
अनु: तुम क्यूँ भूल जाते हो मैं ह्युमन एनाटोमी(मानव शरीर विज्ञानं) की स्टुडेंट हूँ. और अब तो मैं डॉक्टरेट कर रही हूँ एंड यू नो मेरा थीसिस का टापिक भी ह्युमन रीप्रोडक्टिव ओरग्न्स है. इसीलिए मैं तुमसे ज्यादा जानती हूँ चूत के बारे में. और ये तो फिर भी मेरी है.. मैं तो तुम्हारे छोटू....ओह सॉरी...तुम्हारे बज़ुका के बारे में भी तुमसे ज्यादा जानती हूँ..
अनु: चलो अच्छा मैं भी चलता हूँ. डिनर पे मिलते हैं एंड आई एम् हैपी कि मैंने आपको इतना अच्छा और सैटिसफाइंग ओर्गास्म दिया.
अनु: तुम सैटिसफाइंग की बात करते हो. मुझे तो लगता है आज तुमने मेरा वैजाईनल फ्लुइड का सारा स्टॉक ख़त्म कर दिया. ज़रा देखो क्या किया है तुमने.. और वो बेड से उठ कर मेरी तरफ घूम गई.
बात तो उसकी सही थी. उसकी स्कर्ट पीछे से बिलकुल भीगी पड़ी थी उसके काम रस से.....उसकी स्कर्ट ने सारा रस सोख लिया था और अब वहां बन गया था एक बड़ा गीलेपन का निशान.
मैं: ओह माई गाड अनु दीदी कितना पानी छोडती हो आप. इतना सारा तो मैं पी गया था और उससे ज्यादा अपनी स्कर्ट को पिला दिया.. और ये कहकर मैं हंसने लगा. साथ में अनु भी हंसने लगी. मैंने आगे बढ़कर उसके दोनों मम्मों को दबाया और उसके होठों पे एक किस करके बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गया.
जैसे ही कमरे में पहुंचा तो मेरा सेल फ़ोन बजने लगा देखा तो मेरे ताऊ जी के बेटे अजय का फोन था अजय को घर के लोग और उसके यार दोस्त सब जॉन के नाम से ही पुकारते थे. मेरा हमउम्र होने के कारण अजय और मेरी बहुत पटती थी और हम दोनों आपस में हर तरह कि बातें शेयर करते थे. एक बात और दोस्तों, मेरा नाम मनीष मेरा ऑफिशियल नाम है जो कि मम्मी पापा ने स्कूल कालेज में लिखवाया था और इसलिए मुझे घर पे मनु कहते थे लेकिन मेरी कुंडली के हिसाब से मेरा नाम न अक्षर से निकला था और दादा जी ने मेरा नाम निखिल रखा था-- निखिल मतलब सम्पूर्ण, समस्त.... तो ये जॉन तो अधिकतर मुझे निखिल या निक्कू ही कह के बुलाता था. मैंने फोन रिसीव किया....
जॉन: अबे कहाँ मर गया था. कब से फोन मिला रहा हूँ और अब भी इतनी देर में उठाया
मैं: अरे कुछ नहीं यार मैं नीचे था और ये फोन ऊपर मेरे कमरे में था. पता नहीं चला. अभी अभी रूम में आया तो पिक कर लिया. और बता कैसा है तू और आज कैसे याद कर लिया बच्चू. फिर कोई लफड़ा कर लिया क्या तूने. साले मुझे तो तू तभी याद करता है जब कोई लफड़ा हो जाए और तुझे ताऊ जी के डंडे से बचना हो. और बाबू फोन तो मैंने भी तुझे कई बार मिलाया था..
जॉन: अबे इसीलिए तो फोन किया यार. बेट्री ख़तम हो गई थी...फिर चार्जिंग पे लगा के छोड़ गया था अभी अभी तेरी मिस काल देखी तो फोन करलिया.
ठीक...मैंने भी उसके हाथ पे ताली देते हुए कहा....लेकिन वो..... उसका क्या होगा.. मुझे हल्का सा खून दिखाई दिया था वहां...... मैंने अपनी चिंता ज़ाहिर की..
अनु आँख दबाते हुए बोली "तुम चिंता मत करो माई डिअर... ये चूत है.. अपनी रिकवरी अपने आप कर लेती है.... "
मैं: ऐसे कैसे.....
अनु: तुम क्यूँ भूल जाते हो मैं ह्युमन एनाटोमी(मानव शरीर विज्ञानं) की स्टुडेंट हूँ. और अब तो मैं डॉक्टरेट कर रही हूँ एंड यू नो मेरा थीसिस का टापिक भी ह्युमन रीप्रोडक्टिव ओरग्न्स है. इसीलिए मैं तुमसे ज्यादा जानती हूँ चूत के बारे में. और ये तो फिर भी मेरी है.. मैं तो तुम्हारे छोटू....ओह सॉरी...तुम्हारे बज़ुका के बारे में भी तुमसे ज्यादा जानती हूँ..
अनु: चलो अच्छा मैं भी चलता हूँ. डिनर पे मिलते हैं एंड आई एम् हैपी कि मैंने आपको इतना अच्छा और सैटिसफाइंग ओर्गास्म दिया.
अनु: तुम सैटिसफाइंग की बात करते हो. मुझे तो लगता है आज तुमने मेरा वैजाईनल फ्लुइड का सारा स्टॉक ख़त्म कर दिया. ज़रा देखो क्या किया है तुमने.. और वो बेड से उठ कर मेरी तरफ घूम गई.
बात तो उसकी सही थी. उसकी स्कर्ट पीछे से बिलकुल भीगी पड़ी थी उसके काम रस से.....उसकी स्कर्ट ने सारा रस सोख लिया था और अब वहां बन गया था एक बड़ा गीलेपन का निशान.
मैं: ओह माई गाड अनु दीदी कितना पानी छोडती हो आप. इतना सारा तो मैं पी गया था और उससे ज्यादा अपनी स्कर्ट को पिला दिया.. और ये कहकर मैं हंसने लगा. साथ में अनु भी हंसने लगी. मैंने आगे बढ़कर उसके दोनों मम्मों को दबाया और उसके होठों पे एक किस करके बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गया.
जैसे ही कमरे में पहुंचा तो मेरा सेल फ़ोन बजने लगा देखा तो मेरे ताऊ जी के बेटे अजय का फोन था अजय को घर के लोग और उसके यार दोस्त सब जॉन के नाम से ही पुकारते थे. मेरा हमउम्र होने के कारण अजय और मेरी बहुत पटती थी और हम दोनों आपस में हर तरह कि बातें शेयर करते थे. एक बात और दोस्तों, मेरा नाम मनीष मेरा ऑफिशियल नाम है जो कि मम्मी पापा ने स्कूल कालेज में लिखवाया था और इसलिए मुझे घर पे मनु कहते थे लेकिन मेरी कुंडली के हिसाब से मेरा नाम न अक्षर से निकला था और दादा जी ने मेरा नाम निखिल रखा था-- निखिल मतलब सम्पूर्ण, समस्त.... तो ये जॉन तो अधिकतर मुझे निखिल या निक्कू ही कह के बुलाता था. मैंने फोन रिसीव किया....
जॉन: अबे कहाँ मर गया था. कब से फोन मिला रहा हूँ और अब भी इतनी देर में उठाया
मैं: अरे कुछ नहीं यार मैं नीचे था और ये फोन ऊपर मेरे कमरे में था. पता नहीं चला. अभी अभी रूम में आया तो पिक कर लिया. और बता कैसा है तू और आज कैसे याद कर लिया बच्चू. फिर कोई लफड़ा कर लिया क्या तूने. साले मुझे तो तू तभी याद करता है जब कोई लफड़ा हो जाए और तुझे ताऊ जी के डंडे से बचना हो. और बाबू फोन तो मैंने भी तुझे कई बार मिलाया था..
जॉन: अबे इसीलिए तो फोन किया यार. बेट्री ख़तम हो गई थी...फिर चार्जिंग पे लगा के छोड़ गया था अभी अभी तेरी मिस काल देखी तो फोन करलिया.
मैं: क्यों बे किसके साथ लगा हुआ था जो तेरी बेटरी ख़तम हो गई, कोई नया माल फसाया है क्या? बोल न क्या नाम है, कैसी है, क्या फिगर है.......
जॉन: ओए बस कर यार तूने तो सवालों की मशीन गन चला दी मेरे ऊपर, थोडा साँस तो ले ले. तू ये बता कब आ रहा है? जब तू आएगा सब कुछ आराम से बैठ कर बताऊँगा.
मैं: यार तू तो अनु को जानता है न, अरे वो अमेरिका से आई हुई है मामाजी के साथ, उसे छोड़ कर कैसे आ सकता हूँ?
जॉन: हम्म, तो एक काम कर उसे भी ले आ, हम सब भी मिल लेंगे उससे, अगर तुझे या उसे कोई एतराज ना हो तो.
मैं: अच्छा एक मिनट रुक मैं बताता हूँ. (मैं जानता था अनु को क्या एतराज होगा मेरे साथ बाहर जाने में, और उसे तो वैसे भी घूमना फिरना ही था, ये सोचते हुए मैंने जॉन को हाँ कह दिया) ओके ठीक है हम दोनों कल मेट्रो से आते हैं लकिन शाम हो जाएगी और तुझे हमें वहां से पिक करना पड़ेगा.
जॉन: तू चिंता क्यों करता है, मैं तुम दोनों को रोहिणी ईस्ट मेट्रो से पिक करता हूँ, ओके ठीक है.
मैं : ओके डन बाए.
जॉन: ओके बाए.
मैंने जॉन से बात करके फोन रखा और सोचने लगा चलो बड़े दिन हो गए जॉन से मिले हुए, मिलना भी हो जाएगा और थोड़ी मस्ती भी कर लेंगे साथ साथ. तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आ गई.
मम्मी: अनु ssss, मनु sss बेटा नीचे आ जाओ. आधे घंटे में डिनर सर्व हो जाएगा.
मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं अपने कमरे से निकला और अनु के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई "अनु दीदी चलो नीचे डिनर लग रहा है"
अनु: बस आती हूँ...
अनु अपने कमरे से बाहर आई एकदम फ्रेश फेस के साथ और फूलों की महक उड़ाती हुई. कसी हुई शॉर्ट कुर्ती जिसमे उसके बूब्स बिलकुल टाईट कसे हुए थे और सलवार पहने हुए. उसने अभी अभी शावर लिया था उसके बाल अभी तक थोड़े थोड़े गीले थे और कमर पर उसकी कुर्ती को गीला कर रहे थे. मैं तो उसे देख कर जड़ ही हो गया, एकदम गुलाब के फूल की तरह फ्रेश लग रही थी. उसने बाहर आकर मुझे एक कोहनी मारी और बोली "चलो अब..डिनर नहीं करना क्या.."
मैं: उहं sssहूँ sssह हाँ चलो और हम दोनों सीढियां उतरते हुए नीचे आ गए.
हम दोनों मेज़ पर आकर बैठे और मैंने उसे जॉन के यहाँ चलने के प्रोग्राम के बारे में बताना शुरू कर दिया. तभी मम्मी पापा और मामाजी भी आ गए.
मम्मी: कहाँ जाने का प्रोग्राम बन रहा है? आए हाए देखो तो कितनी सुन्दर लग रही है हमारी गुडिया इस इंडियन ड्रेस में... "और सेक्सी भी....." मैंने मन ही मन सोचा.
मैं: कुछ खास नहीं मम्मी, अजय का फोन आया था बुला रहा है. कह रहा था ताई जी भी याद कर रही है. तो मैंने सोचा अनु दीदी और मैं दोनों ही चले जाएँगे थोडा घूमना फिरना भी हो जाएगा और दीदी ताऊ जी की फॅमिली से भी मिल लेंगी.
पापा: हाँ हाँ क्यों नहीं, चले जाओ.. सारा दिन घर में बोर ही तो होंगे तुम लोग. अच्छा रहेगा. और निखिल बेटा वो एक फाइल है जो वकील साहब के यहाँ से आई थी वो भी लेते जाना और अपने ताऊ जी को दे देना
मैं: ओके पापा... हम लोग दोपहर बाद जाएँगे आप फाइल मुझे दे दीजिएगा.
हम सब लोगों ने डिनर ख़तम किया और और थोड़ी देर टेबल पर ही बातें करने के बाद अपने अपने रूम्स की तरफ चल दिए. सीढ़ियों पर अनु मुझसे बात करने लगी.
अनु: ये जॉन वही है ना जो पिछली बार हमेशा तुम्हारे साथ लगा रहता था जब हम किसी की शादी में आए थे यहाँ.
जॉन: ओए बस कर यार तूने तो सवालों की मशीन गन चला दी मेरे ऊपर, थोडा साँस तो ले ले. तू ये बता कब आ रहा है? जब तू आएगा सब कुछ आराम से बैठ कर बताऊँगा.
मैं: यार तू तो अनु को जानता है न, अरे वो अमेरिका से आई हुई है मामाजी के साथ, उसे छोड़ कर कैसे आ सकता हूँ?
जॉन: हम्म, तो एक काम कर उसे भी ले आ, हम सब भी मिल लेंगे उससे, अगर तुझे या उसे कोई एतराज ना हो तो.
मैं: अच्छा एक मिनट रुक मैं बताता हूँ. (मैं जानता था अनु को क्या एतराज होगा मेरे साथ बाहर जाने में, और उसे तो वैसे भी घूमना फिरना ही था, ये सोचते हुए मैंने जॉन को हाँ कह दिया) ओके ठीक है हम दोनों कल मेट्रो से आते हैं लकिन शाम हो जाएगी और तुझे हमें वहां से पिक करना पड़ेगा.
जॉन: तू चिंता क्यों करता है, मैं तुम दोनों को रोहिणी ईस्ट मेट्रो से पिक करता हूँ, ओके ठीक है.
मैं : ओके डन बाए.
जॉन: ओके बाए.
मैंने जॉन से बात करके फोन रखा और सोचने लगा चलो बड़े दिन हो गए जॉन से मिले हुए, मिलना भी हो जाएगा और थोड़ी मस्ती भी कर लेंगे साथ साथ. तभी नीचे से मम्मी की आवाज़ आ गई.
मम्मी: अनु ssss, मनु sss बेटा नीचे आ जाओ. आधे घंटे में डिनर सर्व हो जाएगा.
मम्मी की आवाज़ सुन कर मैं अपने कमरे से निकला और अनु के कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई "अनु दीदी चलो नीचे डिनर लग रहा है"
अनु: बस आती हूँ...
अनु अपने कमरे से बाहर आई एकदम फ्रेश फेस के साथ और फूलों की महक उड़ाती हुई. कसी हुई शॉर्ट कुर्ती जिसमे उसके बूब्स बिलकुल टाईट कसे हुए थे और सलवार पहने हुए. उसने अभी अभी शावर लिया था उसके बाल अभी तक थोड़े थोड़े गीले थे और कमर पर उसकी कुर्ती को गीला कर रहे थे. मैं तो उसे देख कर जड़ ही हो गया, एकदम गुलाब के फूल की तरह फ्रेश लग रही थी. उसने बाहर आकर मुझे एक कोहनी मारी और बोली "चलो अब..डिनर नहीं करना क्या.."
मैं: उहं sssहूँ sssह हाँ चलो और हम दोनों सीढियां उतरते हुए नीचे आ गए.
हम दोनों मेज़ पर आकर बैठे और मैंने उसे जॉन के यहाँ चलने के प्रोग्राम के बारे में बताना शुरू कर दिया. तभी मम्मी पापा और मामाजी भी आ गए.
मम्मी: कहाँ जाने का प्रोग्राम बन रहा है? आए हाए देखो तो कितनी सुन्दर लग रही है हमारी गुडिया इस इंडियन ड्रेस में... "और सेक्सी भी....." मैंने मन ही मन सोचा.
मैं: कुछ खास नहीं मम्मी, अजय का फोन आया था बुला रहा है. कह रहा था ताई जी भी याद कर रही है. तो मैंने सोचा अनु दीदी और मैं दोनों ही चले जाएँगे थोडा घूमना फिरना भी हो जाएगा और दीदी ताऊ जी की फॅमिली से भी मिल लेंगी.
पापा: हाँ हाँ क्यों नहीं, चले जाओ.. सारा दिन घर में बोर ही तो होंगे तुम लोग. अच्छा रहेगा. और निखिल बेटा वो एक फाइल है जो वकील साहब के यहाँ से आई थी वो भी लेते जाना और अपने ताऊ जी को दे देना
मैं: ओके पापा... हम लोग दोपहर बाद जाएँगे आप फाइल मुझे दे दीजिएगा.
हम सब लोगों ने डिनर ख़तम किया और और थोड़ी देर टेबल पर ही बातें करने के बाद अपने अपने रूम्स की तरफ चल दिए. सीढ़ियों पर अनु मुझसे बात करने लगी.
अनु: ये जॉन वही है ना जो पिछली बार हमेशा तुम्हारे साथ लगा रहता था जब हम किसी की शादी में आए थे यहाँ.
मैं: हाँ वही, मेरे ताऊ जी का बेटा है, हम दोनों की एज में भी ज्यादा फर्क नहीं है. लगभग एक ही एज के हैं, दोस्तों की तरह हैं आपस में सब बात कर लेते हैं.
अनु (हँसते हुए): क्या अब भी वैसा ही है मरियल सा...कितना पतला था न वो..... कमज़ोर सा........कहते हुए खिल्ली सी उड़ाने लगी.
अब मुझे कैसे बर्दाश्त होता कि मेरे दोस्त जैसे भाई की कोई ऐसे खिल्ली उडाए, मुझे भी ताव आ गया.
मैं: ओ मैडम.... किस दुनिया में हो? अब वैसा नहीं है वो. जिम विम जाता है रोज़ और बॉडी देखोगी न तो बावली हो जाओगी. और उसके हत्थे मत चढ़ जाना नहीं तो रुला के छोड़ेगा.
अनु: अच्छा जी......ऐसा है...जा तो रहे ही हैं कल....उसे भी देख लेंगे ऐसा कौन सा हरक्युलिस है तुम्हारा भाई.... और मुस्कुराते हुए मेरे कान में फुसफुसाई "सब के सोने का इंतज़ार करो बस अब तो" और हम दोनों एक दुसरे को गुड नाईट बोल कर अपने अपने रूम्स में चले गए.. और अब मुझे इंतज़ार था घर की लाइट्स बंद होने का और सब के सोने का..
अनु (हँसते हुए): क्या अब भी वैसा ही है मरियल सा...कितना पतला था न वो..... कमज़ोर सा........कहते हुए खिल्ली सी उड़ाने लगी.
अब मुझे कैसे बर्दाश्त होता कि मेरे दोस्त जैसे भाई की कोई ऐसे खिल्ली उडाए, मुझे भी ताव आ गया.
मैं: ओ मैडम.... किस दुनिया में हो? अब वैसा नहीं है वो. जिम विम जाता है रोज़ और बॉडी देखोगी न तो बावली हो जाओगी. और उसके हत्थे मत चढ़ जाना नहीं तो रुला के छोड़ेगा.
अनु: अच्छा जी......ऐसा है...जा तो रहे ही हैं कल....उसे भी देख लेंगे ऐसा कौन सा हरक्युलिस है तुम्हारा भाई.... और मुस्कुराते हुए मेरे कान में फुसफुसाई "सब के सोने का इंतज़ार करो बस अब तो" और हम दोनों एक दुसरे को गुड नाईट बोल कर अपने अपने रूम्स में चले गए.. और अब मुझे इंतज़ार था घर की लाइट्स बंद होने का और सब के सोने का..
मैं अपने कमरे में आ गया और घड़ी देखी तो 9 बज चुके थे. हमारे घर में अमूमन सब 11 बजे तक
सो ही जाते हैं तो मैंने सोचा चलो दो घंटे कि ही तो बात है और बेड पर लेट कर दो घंटे बाद क्या क्या होने वाला है इस कि कल्पना करने लगा औए इस कल्पना लोक में घूमते घूमते ही मेरे लंड मैं तनाव आने लगा.
11 बजने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था और टाइम पास करने के लिए मैंने अपने बेड के गद्दे के नीचे से प्लेबॉय का नया इश्यु निकालाजो अनु ख़ास मेरे लिए लेकर आई थी और उसके पन्ने पलटने लगा.
क्या एक से एक अमेरिकन मॉडल खूबसूरत नंगी जवानियाँ........लंड ने ठुनकियाँ मारना शुरू कर दिया. मैंने अपने लंड को समझाया बेटाज़रा सब्र कर ये तो तैयारी है, तैयार हो जा अच्छी तरह अमेरिकन चूत हीमिलने वाली है. मैं मैगज़ीन के पन्ने धीरे धीरे उन नंगी मोड्ल्ज़के खूबसूरत जिस्मों का नयनचोदन करते हुए पलट रहा था और एक हाथ से
अपने शाहबाज़ को सहला रहा था.
थोड़ी थोड़ी देर में नज़रें घड़ी पे भी चली जाती थी तो ऐसा लगता था जैसे वक़्त रुक गया है और आगे ही नहीं बढ़ रहा.
बेचैनी और उत्सुकता का ये आलम था कि घड़ी की सुइयां आगे खिसकती नज़र ही नहीं आ रही थीं.
सो ही जाते हैं तो मैंने सोचा चलो दो घंटे कि ही तो बात है और बेड पर लेट कर दो घंटे बाद क्या क्या होने वाला है इस कि कल्पना करने लगा औए इस कल्पना लोक में घूमते घूमते ही मेरे लंड मैं तनाव आने लगा.
11 बजने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था और टाइम पास करने के लिए मैंने अपने बेड के गद्दे के नीचे से प्लेबॉय का नया इश्यु निकालाजो अनु ख़ास मेरे लिए लेकर आई थी और उसके पन्ने पलटने लगा.
क्या एक से एक अमेरिकन मॉडल खूबसूरत नंगी जवानियाँ........लंड ने ठुनकियाँ मारना शुरू कर दिया. मैंने अपने लंड को समझाया बेटाज़रा सब्र कर ये तो तैयारी है, तैयार हो जा अच्छी तरह अमेरिकन चूत हीमिलने वाली है. मैं मैगज़ीन के पन्ने धीरे धीरे उन नंगी मोड्ल्ज़के खूबसूरत जिस्मों का नयनचोदन करते हुए पलट रहा था और एक हाथ से
अपने शाहबाज़ को सहला रहा था.
थोड़ी थोड़ी देर में नज़रें घड़ी पे भी चली जाती थी तो ऐसा लगता था जैसे वक़्त रुक गया है और आगे ही नहीं बढ़ रहा.
बेचैनी और उत्सुकता का ये आलम था कि घड़ी की सुइयां आगे खिसकती नज़र ही नहीं आ रही थीं.
काफी देर तक उन चूत और चुचियों के सागर में गोते लगाने के बाद जब घड़ी पेनज़र पड़ी तो ११बजने में लगभग ५ मिनट बाकी थे, मेरेदिल की धडकनें अचानक तेज़ हो गयीं.
दो घंटे काटने मुश्किल हो गए थे वो तो भला हो उन बेशर्म अमेरिकन लड़कियों का जिन्होंने बिना किसी झिझक के अपने कपड़े उतार करअपने नंगे- पुंगे फोटो प्लेबॉय के लिए खिंचवाए थे उन्ही को देखकर अपने पप्पू को सहलाते सहलाते मैंने अपना टाइम पास किया.
टाइम तो हो गया था सब के सोने का सो मैंने सोचा चलो अनु दीदी को इशारा कर दिया जाए तो वो ५-१०मिनट तो लेगी ही कमरे मेंआने में.
ये सोच कर मैं बेड से उठा और अपने रूम का दरवाज़ा खोल कर बाहर झाँका तो नीचे बरांडे में जलते हुए नाईट बल्ब की धीमी रौशनी केसिवा और कुछ दिखाई नहीं दिया. "बल्ले बल्ले मतलब सब सो गए..."
मेरे दिल ने उछलना शुरू कर दिया और मैं रूम से बाहर निकला अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने शेरखान को पकडे हुए.
मैंने अनु दीदी के कमरे की तरफ कदम बढ़ाया और दो कदम बढ़ते ही गांड में आग लग गयी....... और मैं झल्लाहट से भर गया...
दो घंटे काटने मुश्किल हो गए थे वो तो भला हो उन बेशर्म अमेरिकन लड़कियों का जिन्होंने बिना किसी झिझक के अपने कपड़े उतार करअपने नंगे- पुंगे फोटो प्लेबॉय के लिए खिंचवाए थे उन्ही को देखकर अपने पप्पू को सहलाते सहलाते मैंने अपना टाइम पास किया.
टाइम तो हो गया था सब के सोने का सो मैंने सोचा चलो अनु दीदी को इशारा कर दिया जाए तो वो ५-१०मिनट तो लेगी ही कमरे मेंआने में.
ये सोच कर मैं बेड से उठा और अपने रूम का दरवाज़ा खोल कर बाहर झाँका तो नीचे बरांडे में जलते हुए नाईट बल्ब की धीमी रौशनी केसिवा और कुछ दिखाई नहीं दिया. "बल्ले बल्ले मतलब सब सो गए..."
मेरे दिल ने उछलना शुरू कर दिया और मैं रूम से बाहर निकला अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने शेरखान को पकडे हुए.
मैंने अनु दीदी के कमरे की तरफ कदम बढ़ाया और दो कदम बढ़ते ही गांड में आग लग गयी....... और मैं झल्लाहट से भर गया...
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