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Friday, 13 June 2014

पहचानती हो बहू ये लण्ड ?


  • मेरी सास ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और मुझे एक टन टनाता हुआ लण्ड दिखाते हुए पूंछा :- ये लण्ड पहचानती हो बहू ? बताओ ये किसका लण्ड है ?
  • मैंने कहा :- हां बिलकुल पहचानती हूँ लण्ड ? यह मेरे ससुर के दोस्त ख़य्याम अंकल का लण्ड है सासू जी ? इस भोसड़ी वाले लण्ड की तो मैं नस नस पहचानती हूँ ? ८" का मोटा तगड़ा लण्ड जिसकी बुर में जाता उसे पूरा ज़न्नत का मज़ा देता है बहन चोद ? तेरे भोसड़ा का बड़ा दीवाना है इसका लौड़ा, सासू जी ? तू भी तो बड़े मजे से चुदवाती है इससे ?
  • हाय दईया, तूने तो कभी इसे देखा भी नहीं ? कभी इसे पकड़ा भी नहीं फिर भी तूने कैसे पहचान लिया लण्ड बहू रानी ? ये तो बड़ी हैरानी की बात है ?
  • अरे सासू जी, मैंने इसे देखा भी है, पकड़ा भी और इसे अपनी चूत में पेला भी है ?  ये लौड़ा बड़ा मस्त और जबरदस्त है ? तू तो इसे पहली बार ही पकड़ कर लट्टू हो गयी थी। अपना दिल दे बैठी थी तू इस मादर चोद लण्ड को ? ये लण्ड तो तूने अपनी बेटी को भी पकड़ाया है सासू जी ? जिस दिन तू अपनी बेटी के ससुर का लण्ड चूस रही थी उसी दिन तेरे सामने ही तेरी बेटी इसका लण्ड चूस रही थी। मेरी बुर चोदी नन्द भी खूब मजे से पीती है ख़य्याम अंकल का लण्ड, सासू जी।   
  • अरे बहू, तुझे इतनी सारी बातें कैसे मालूम हो गयीं ?  तेरी हर बात सही है पर तुझे मालूम कैसे हुआ मेरी भोसड़ी की बहू रानी ?
  • तुम मुझे पहले लौड़ा पकड़ाओ तो मैं तुम्हे सारा किस्सा सुनाती हूँ।
  • ले भोसड़ी की पकड़ लौड़ा और सुना अपना किस्सा मुझे ?  
मैंने लण्ड चाटते हुए कहा :- देखो सासू जी हम दोनों ही इस घर में रहती है।  न मेरा मियां है यहाँ और न तेरा ? दोनों विदेश में है ? अब हम तुम अगर मिलजुल कर न चलें तो क्या करें ? बुर मेरे पास भी है और तेरे पास भी।  तुझे भी लण्ड चाहिए और मुझे भी। सच तो यह है की मैं भी गैर मर्दों से चुदवाती हूँ और तू भी गैर मर्दों से चुदवाती है। इस तरह हम तुम एक दिन एक दूसरे से खुल गयी ? अब तुम मेरे सामने लण्ड पकड़ती हो और मैं तेरे सामने लण्ड पकड़ती हूँ।  और अब हम तुम आमने सामने चुदवाने लगी है।  यह बात उस दिन की है जब तुम अपनी सहेली की मैरिज एनिवर्सरी में गयी थी।  तुमने मुझे फोन किया था की बहू आज रात को यहाँ चोदा चोदी का प्लान है इसलिए मैं रात भर चुदवाकर कल सवेरे आऊँगी। मैंने कहा ठीक है सासू जी ?
दोस्तों, मेरा नाम है हिना, मेरी सासू है मिसेज मुमताज़ लेकिन लोग इन्हे मुम्मु कहते है, मेरी ननद है निदा जिसकी शादी हो चुकी है, मेरा ससुर वसीम और मेरा अब्बा  है कासिम। मेरे ससुर के दोस्त ख़य्याम से तो आप मिल ही चुके है।  
हां तो मैं बता रही थी उस दिन सासू के जाने के बाद रात को १० बजे ख़य्याम अंकल आ गया ।  मैं उसे जानती तो थी की वह मेरे ससुर का दोस्त है पर और नजदीक से नहीं जानती थी।  मैंने उसे आदाब बोला और फिर कमरे में बैठा कर उससे बातें करने लगी । उसने कहा बहू मैं खाना खाऊंगा, मैंने कहा हीक है मैं खाना लगा देती हूँ आप खा लीजिये।  वह बोला नहीं बहू पहले अगर हो तो मुझे दो पैग व्हिस्की पिला दो ? मैंने कहा हां अभी पिला देती हूँ।  मैंने एक पैग बना कर उसके सामने रख दिया।  वह बोला क्या तुम साथ नहीं दोगी, बहू ?  मैंने कहा अगर आप इज़ाज़त दें तो जरूर दूँगी।  बस फिर हम दोनों शराब पीने लगे। बातें होने लगी  एक पैग खत्म हो गया तो दूसरा चालू हो गया। मैं बीच बीच में उसे अपनी चूंचियां दिखा देती थी। उसकी नज़रें वहीँ टिक जाती थी।  मैं समझ गयी की लण्ड में हरकत हो रही है।     
  • वह बोला  :- हिना बहू,  मैं वास्तव में मुम्मु भाभी से मिलने आया हूँ। वह कहीं दिखाई नहीं पड़ रही है ?  
  • मैंने कहा :- वो तो नहीं है अंकल ? अपनी सहेली की पार्टी में गयी है ?
  • तो कब तक आ जाएँगी वो ? मैं इंतज़ार कर लेता हूँ ?
  • आज रात को तो नहीं आएँगी हां कल जरूर आ सकती है। 
  • अरे यार, मैं तो बड़ी उम्मीद से आया था की भाभी से मुलाक़ात हो जाएगी तो रात अच्छी कट जाएगी ? अब रात कैसे गुज़ारूँगा मैं ?
  • क्या तू अपनी भाभी के साथ रात गुज़ारता है, अंकल ?
  • क्या करूँ बहू,  मुम्मु भाभी है ही इतनी अच्छी की उसके साथ रात गुज़ारने में मुझे बहुत मज़ा आता है।
  • तो रात भर उसके साथ क्या करते हो भोसड़ी के तुम ? (मैं थोड़ा खुल कर बोली )
  • वही करता हूँ हिना, जो एक आदमी रात को एक औरत के साथ करता है ? 
  • तो तुम बड़े हरामी हो अंकल ? बड़े मादर चोद हो तुम मेरी सासू को फंसा रखा है तूने बहन चोद ?
  • अरे नहीं बहू, सच तो यह है की उसने मुझे फंसा रखा है ?  
फिर मैंने उसे खाना खिला कर कमरे में लिटा दिया। हम दोनों नशे में थे।  मुझे भी जबरदस्त शुरुर था और उसे भी। ये बातें बताते बताते मैंने ख़य्याम का लौड़ा अपनी बुर में घुसा कर चुदवाने लगी।  मैंने कहा सासू जी अब आगे की कहानी सुनो।  मैं बिस्तर पर जरूर लेती थी लेकिन नींद  रही थी।  मैं तो बस अंकल लण्ड के बारे में सोंचने लगी।  इतने में  की अंकल मेरे कमरे में आ गया।  मैं ऐसे चुपचाप लेट गयी जैसे ही मैं गहरी नींद में सो रही हूँ।  वह बहन चोद बड़ी देर तक मेरी चूंची, मेरी गांड , मेरे चूतड़ देखता रहा और फिर वापस चल गया। मैं इधर बड़ी बेचैन हो गयी , मैं चाहती थी की वह मुझे छू ले तो मैं उसका लण्ड झट्ट से पकड़ लूँ लेकिन उसकी तो गांड फट रही थी। फिर मैं उसके कमरे में गयी और बोली भोसड़ी के अंकल तेरी गांड फट रही है क्या ? मेरे पास आया और बिना मुझे छुए तू वापस चला आया।  तू मर्द है की हिँज़ङा ? यह सुनकर उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया और बोला अब तू ही पकड़ कर देख की मैं मर्द हूँ की हिज़ड़ा ? मैंने उसके लण्ड पर हाथ रख दिया।  मैं बोली हाय अल्ला, ये तो बहन चोद बहुत बड़ा है साला तेरा लौड़ा ? मैंने लुंगी खोल कर लण्ड पकड़ते हुए कहा ? मेरे हाथ में आते ही लण्ड कुलांचे भरने लगा । फनफना कर खड़ा हो गया मादर चोद का ८" का लौड़ा ? इधर मैंने भी अपना गाउन खोल कर फेंक दिया।  मैं माँ की लौड़ी एकदम नंगी हो गयी और वह भोसड़ी का एकदम नंगा।  मैंने कहा यही लौड़ा पेलते हो न तुम मेरी सास के भोसड़ा में ? चोदते हो न तुम रात भर मेरी सास का भोसड़ा ?
                वह बोला हां हां हिना यही लौड़ा पेलता हूँ मैं तेरी सास के भोसड़ा में और आज यही लौड़ा मैं पेलूँगा तेरी बुर में ?
वह हाथ बढाकर मेरी बुर सहलाने लगा। मैं तो बिलकुल वासना में खो गयी।  मेरा मुंह अपने आप खुल गया और मैं लण्ड चूसने लगी। उसका आम की तरह सुपाड़ा मैं बार बार मुंह से निकाल रही थी और फिर मुंह में डाल रही थी।  उधर मेरी बुर चोदी बुर भठ्ठी हो गयी थी ।  तब मैंने पेल लिया अपनी बुर में लण्ड और धकाधक चुदवाने लगी।  बहुत दिनों के बाद इतना बढ़िया लौड़ा मिला था सासू जी,  तो मैंने उसका पूरा मज़ा लेने किये कोई कसर उठा नहीं रखी ? जैसे अब मैं तेरे सामने ख़य्याम अंकल से चुदा रही हूँ सासू जी,  वैसे ही मैंने उस दिन भी चुदवाया था ? तब अंकल ने बताया की मैं तेरी सास का भोसड़ा चोदता हूँ। उसकी बेटी की बुर चोदता हूँ।  तेरी सास तो पहली बार में ही लत्तो हो गयी थी मेरे लण्ड पर।  मैं तो कभी कभी दोनों को एक साथ चोदता हूँ। उसकी बेटी निदा तेरी नन्द है न हिना ?  वह भी बड़ी मस्ती से चुदवाती है।  लण्ड की बड़ी शौक़ीन है बुर चोदी निदा ? एक दिन तो ऐसा हुआ की निदा मेरा  लण्ड चूस रही थी और उसकी माँ निदा के ससुर का लण्ड चूस रही थी।  
मैंने कहा :- हां भोसड़ी के अंकल मैंने उस दिन का सीन देखा है ?
अंकल बोला  :- हिना बहू और एक बात तुमको बता दूँ की तेरा ससुर मेरी बीवी चोदता है और मेरी बेटी भी चोदता है।  तेरे ससुर का लण्ड तो मेरे लण्ड से बड़ा है हिना।  किसी दिन पकड़ कर देखना मज़ा आ जायेगा तुम्हे ? इतने में मैं खलास होने लगी और अंकल भी बोला अरे हिना अब मैं निकलने वाला हूँ। तब मेरी सास लौड़ा मेरी बुर से निकाल कर उसका मुठ्ठ मारने लगी।  हम दोनों ने झड़ता हुआ लण्ड चाटा और खूब मज़ा लिया। मेरी सास को मालूम हो गया की मैं ख़य्याम अंकल का लण्ड कैसे जानती हूँ ?
मैं सोंचने लगी की मैंने आजतक अपने ससुर का लौड़ा तो पकड़ा ही नहीं ? जबसे ख़य्याम अंकल ने कहा की तेरे ससुर का लण्ड मेरे लण्ड से बड़ा है तबसे मेरी चूत में आग लगी हुई है। मैं जल्दी से जल्दी अपने ससुर से चुदवाना चाहती हूँ।  लेकिन वह तो साला विदेश में रहता है।  अब वह जब भी आएगा मैं उसे नंगा कर दूँगी भोसड़ी वाले को और लपक कर पकड़ लूंगी उसका लण्ड ?
एक दिन निदा अपनी ससुराल से आ गयी और मेरे पास आकर बोली :- हाय हिना भाभी सुना है की तुझे लण्ड की बड़ी पहचान है ? तू जो भी लण्ड एक बार देख लेती है उसे कभी भूलती नहीं और कहीं भी उसे पहचान लेती है ?
मैंने कहा :- हां निदा, जो लण्ड से प्यार करती है वे लण्ड को पहचान लेती है।  मेरी आँखों के सामने कोई खड़ा लण्ड एक बार आ जाये तो दुबारा मैं उसे पहचान लूंगी।  और एक बार अगर लण्ड पकड़ लूँ तो वह लण्ड अँधेरे में भी मेरे हाथ में आ जाये तो मैं उसे पकड़ कर पहचान लूंगी ?
निदा बोली :- इसका मतलब की तेरी आँखों में लण्ड बस जातें है और तेरे हाथ को लण्ड याद हो जाते है ?
                मैंने कहा :- हां तुम इसे कैसे भी कह सकती हो लेकिन सच यह है की मैं हर एक लण्ड से बेपनाह मोहब्बत करती हूँ ?
इतने में निदा अंदर गयी और थोड़ी देर में अपने सारे कपडे उतार कर एकदम नंगी नंगी मेरे कमरे में एक आदमी का लण्ड पकडे हुए आ गयी।  उसके मुंह के ऊपर एक चुन्नी उढ़ा रखी थी उसने ? आकर मुझसे बोली भाभी लो पकड़ो इस लौड़े को और बताओ की यह किसका लण्ड है ? तुमने अगर इस लण्ड को पहचान लिया तो मैं तेरे मन के दो लण्ड लाकर तुझे इनाम में दूँगी और अगर नहीं पहचाना तो मैं सबके सामने मारूंगी तेरी गांड ?
मैंने देखते ही कहा :- अरी मेरी बुर चोदी नन्द ? भोसड़ी वाली तू अपने ससुर का लण्ड लाकर मुझे दिखा रही है माँ की लौड़ी ? इस लण्ड को तो मैंने तेरी माँ को चूसते हुए देखा है। उस दिन तू मादर चोद ख़य्याम का लौड़ा चूस रही थी और तेरी माँ तेरे ससुर का लौड़ा यानी इसका लौड़ा चूस रही थी।  हालांकि मैंने इसे पकड़ा नहीं था सिर्फ दूर से देखा ही था ?
नन्द बोली :- हाय अल्ला, बड़ी तेज हो भाभी तुम ? ये बहन चोद मेरे ससुर का ही लण्ड है और मेरी अम्मी इसे बहुत चाहती है। जब भी मौक़ा मिलता है तो अम्मी इसे अपने भोसड़ा में जरूर पेलती है ? भाभी अब मैं तुम्हे दो लण्ड तेरे मन के लाकर दूँगी।  और दोनों अपने सामने तेरी चूत में पेलूँगी ? लेकिन आज तुम मेरे सामने मेरे ससुर से चुदवाओ ? यही लण्ड अपनी बुर में घुसा कर मज़ा लो भाभी। 
बस मैंने हाथ बढ़ा कर लौड़ा पकड़ लिया और उधर निदा ने मेरे कपडे उतार कर मुझे नंगी कर दिया ? मैं पहली बार अपनी नन्द के ससुर का लण्ड चूसने लगी। उसका नाम था रहीम  मुझे मज़ा आने लगा लौड़ा चूस कर।  उधर नन्द मेरी चूत और चूतड़ सहलाने लगी और रहीम मेरी चूंची ? मैं लण्ड पीने में मस्त थी। थोड़ी  देर में निदा ने मेरी दोनों टांगें फैला दी और अपने ससुर का लण्ड मेरी चूत में ठोंक दिया मैं मस्ती से चुदवाने लगी।  निदा बड़ी खुश हो रही थी बोली हाय भाभी देखो न लौड़ा साला कितना टन टना रहा है इसका मतलब तेरी चूत इसे पसंद आ गयी है।  मैंने कहा अरी निदा मैंने जिस दिन इसका लौड़ा अपनी सासू जी के हाथ में देखा था मैंने उसी ठान लिया था की एक दिन इसे अपनी बुर में जरूर पेलूँगी और जा मेरी बात सच निकली ? मैं दनादन्न चुदवाये चली जा रही थी। निदा ब्लू फिल्मो की तरह मेरी चूत से बीच बीच में लण्ड निकाल कर चाट रही थी।  थोड़ी देर में मैंने कहा निदा अब तू मेरे सामने अपनी ससुर से चुदा कर दिखा ? मैं देखूँगी की तू अपने ससुर से कैसे चुदवाती है ? क्योंकि मैं भी एक दिन अपने ससुर से चुदवाऊँगी ?
निदा बोली :- वाओ, भाभी तूने अभी तक मेरे अब्बा का लौड़ा पकड़ा ही नहीं ?
मैं बोली :- नहीं यार, कभी मौक़ा ही नहीं मिला ? बड़ी तमन्ना है उससे चुदवाने की ?
निदा बोली :- कमाल है भाभी, मेरी सास मेरे अब्बा से चुदवाती है।  मेरी जेठानी तो मेरे अब्बा के लण्ड की बड़ी दीवानी है और मेरी देवरानी बुर चोदी उसके लण्ड पर बैठ कर खूब चुदवाती है।  मैंने इन सबको अपने सामने चुदवाते हुए देखा है भाभी ?
मैं बोली :- तो फिर मुझे क्यों छोड़ दिया तूने माँ की लौड़ी निदा ?
 निदा बोली :- अबकी बार आने दो अब्बा को ? मैं सबसे पहले तेरी चूत में पेलूँगी उसका लौड़ा ? जानती हो उसका लौड़ा सब लौड़ों से बड़ा है भाभी ?
मैं बोली :- यार तुमने यह कह कर मेरी चूत की आग और भड़का दी है।
निदा बोली :- तो इस आग में मैं अब्बा के लण्ड का पानी डालूंगी भाभी तू चिंता न कर ?
हम दोनों इसी तरह की सेक्सी बातें कर रही थी और एक दूसरे की बुर में लण्ड पेल पेल कर चुदवा रही थी।  चुदवाते हुए मैंने कहा हाय निदा तेरे ससुर का लण्ड साला बड़ा मोटा है।  साला बिलकुल चूत से चिपक कर आता जाता है। मैं मोटे लण्ड पसंद करती हूँ। निदा उसके पेल्हड़ सहलाते हुए बोली हां भ भी तभी तो सब लोग इसके लण्ड के दीवाने है।  मेरी जेठानी मेरी देवरानी मेरी खला सास सब बहन चोद खूब चुदवाती है मेरे ससुर से ? बड़ा मशहूर हो गया है है इसका लौड़ा भाभी ?
मैंने कहा :- अरे मशहूर ही नहीं बड़ा मगरूर हो गया है इसका लौड़ा, निदा  ? बड़ा घमंडी हो गया है मादर चोद इसका लौड़ा ? देखो न अपनी तारीफ सुनकर कैसे कड़क होता जा रह है।  कैसे और टन टनाता जा रहा है माँ का लौड़ा ? मुझे उस दिन चुदाने में वाकई बड़ा मज़ा आया ?
दो दिन बाद मेरा ससुर आ गया  . निदा बड़ी खुश थी। उस दिन पहले  खूब बातें हुई और शॉपिंग भी खूब हुई।
शाम को निदा मेरे पास आयी और बोली :- भाभी आज रात को मैं चोदूंगी तेरी बुर ?
मैंने कहा :- अरी जा जा, आज तो मैं तुझे छूने नहीं दूँगी अपनी बुर ?  आज तो मैं अपने ससुर से चुदवाऊँगी ?
वह बोली :- हां हां मैं भी उसी की बात कर रही हूँ, भाभी ?  मैं ही उसका लौड़ा तेरी चूत मे पेलूंगी ?
मैंने कहा :- तो तू क्या करेगी और तेरी अम्मी क्या करेगी ?
निदा बोली :- भाभी आज होगी जम कर चोदा चोदी की पार्टी ? अरे यार इतिफाक से मेरा खाला भी आया हुआ है।  वह तो अम्मी का भोसड़ा चोदेगा  और मैं अपने खालू का लौड़ा अपनी बुर में पेलूँगी ? हो गया न सबकी चूत में लण्ड ? आज रात भर मैं भी चुदूँगी,  मेरी माँ भी चुदेंगी और मेरी भाभी भी चुदेगी ? ये तीनो भोसड़ी वाली लण्ड अदल बदल कर चुदवायेंगी ?

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    Thursday, 8 May 2014

    sexi, hot kavita

    उस रात की बात न पूछ सखी

    स्नानगृह में जैसे ही नहाने को मैं निर्वस्त्र हुई,

    मेरे कानों को लगा सखी, दरवाज़े पे दस्तक कोई हुई,


    धक्-धक् करते दिल से मैंने, दरवाज़ा सखी री खोल दिया,


    आते ही साजन ने मुझको, अपनी बाँहों में कैद किया,


    होठों को होठों में लेकर, उभारों को हाथों से मसल दिया,


    फिर साजन ने सुन री ओ सखी, फव्वारा जल का खोल दिया,


    भीगे यौवन के अंग-अंग को, होठों की तुला में तौल दिया,



    कंधे, स्तन, कमर, नितम्ब, कई तरह से पकड़े-छोड़े गए,


    गीले स्तन सख्त हाथों से, आटे की भांति गूंथे गए,


    जल से भीगे नितम्बों को, दांतों से काट-कचोट लिया,


    मैं विस्मित सी सुन री ओ सखी, साजन के बाँहों में सिमटी रही


    साजन ने नख से शिख तक ही, होंठों से अति मुझे प्यार किया


    चुम्बनों से मैं थी दहक गई,


    जल-क्रीड़ा से बहकी मैं,


    सखी बरबस झुककर मुँह से मैंने,


    साजन के अंग को दुलार किया,


    चूमत-चूमत, चाटत-चाटत, साजन पंजे पर बैठ गए,


    मैं खड़ी रही साजन ने होंठ, नाभि के नीचे पहुँचाय दिए,


    मेरे गीले से उस अंग से, उसने जी भर के रसपान किया,


    मैंने कन्धों पे पाँवों को रख, रस के द्वारों को खोल दिया,


    मैं मस्ती में थी डूब गई, क्या करती हूँ न होश रहा,


    साजन के होठों पर अंग को रख, नितम्बों को चहुँ ओर हिलोर दिया


    साजन बहके-दहके-चहके, मोहे जंघा पर ही बिठाय लिया,


    मैंने भी उनकी कमर को, अपनी जंघाओं में फँसाय लिया,


    जल से भीगे और रस में तर अंगों ने, मंजिल खुद खोजी,


    उसके अंग ने मेरे अंग के अंतिम पड़ाव तक प्रवेश किया,


    ऊपर से जल कण गिरते थे, नीचे दो तन दहक-दहक जाते,


    चार नितम्ब एक दंड से जुड़े, एक दूजे में धँस-धँस जाते,


    मेरे अंग ने उसके अंग के, एक-एक हिस्से को फांस लिया,


    जैसे वृक्ष से लता सखी, मैं साजन से लिपटी थी यों,



    साजन ने गहन दबाव देकर, अपने अंग से मुझे चिपकाय लिया


    नितम्बों को वह हाथों से पकड़े, स्पंदन को गति देता था,


    मेरे दबाव से मगर सखी, वह खुद ही नहीं हिल पाता था,


    मैंने तो हर स्पंदन पर, दुगना था जोर लगाय दिया,


    उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया !!


    अब तो बस ऐसा लगता था, साजन मुझमें ही समा जाएँ,


    होंठों में होंठ, सीने में वक्ष, आवागमन अंगों ने खूब किया,


    कहते हैं कि जल से री सखी, सारी गर्मी मिट जाती है,


    जितना जल हम पर गिरता था, उतनी ही गर्मी बढ़ाए दिया,


    वह कंधे पीछे ले गया सखी, सारा तन बाँहों पर उठा लिया,


    मैंने उसकी देखा-देखी, अपना तन पीछे खींच लिया,


    इससे साजन को छूट मिली, साजन ने नितम्ब उठाय लिया,


    अंग में उलझे मेरे अंग ने, चुम्बक का जैसे काम किया,


    हाथों से ऊपर उठे बदन, नितम्बों से जा टकराते थे,


    जल में भीगे उत्तेजक क्षण, मृदंग की ध्वनि बजाते थे,


    साजन के जोशीले अंग ने, मेरे अंग में मस्ती घोल दिया,


    खोदत-खोदत कामांगन को, जल के सोते फूटे री सखी,


    उसके अंग के फव्वारे ने, मोहे अन्तःस्थल तक सींच दिया,


    फव्वारों से निकले तरलों से, तन-मन दोनों थे तृप्त हुए,


    साजन के प्यार के उत्तेजक क्षण, मेरे अंग-अंग में अभिव्यक्त हुए,


    मैंने तृप्ति की एक मोहर, साजन के होठों पर लगाय दिया,
    उस रात की बात न पूछ सखी,जब साजन ने खोली अँगिया..

    Tuesday, 22 April 2014

    sex in train

    निशा मेरे छोटे भाई रुपम की वाइफ़ है। निशा काफ़ी सुंदर महिला है। उसका बदन
    ऊपरवाले ने काफ़ी तसल्ली से तराश कर बनाया है। मैं शिवम उसका जेठ हूं। मेरी
    शादी को दस साल हो चुके हैं। निशा शुरु से ही मुझे काफ़ी अच्छी लगती थी।
    मुझसे वो काफ़ी खुली हुई थी। रुपम एक यूके बेस्ड कम्पनी में सर्विस करता
    था। हां बताना तो भूल ही गया निशा का मायका नागपुर में है और हम जालंधर
    में रहते हैं।
    आज से कोई पांच साल पहले की बात है। हुआ यूं कि शादी के
    एक साल बाद ही निशा प्रिग्नेंट हो गयी। डिलीवरी के लिये वो अपने मायके गयी
    हुई थी। सात महीने में प्रीमेच्योर डिलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी
    वीक था। दो हफ़्ते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी। रुपम तुरंत छुट्टी लेकर
    नागपुर चला गया। कुछ दिन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही आया था।
    डिसाइड ये हुआ था कि निशा की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद आयेगी। एक महीने
    के बाद जब निशा को वापस लाने की बात आयी तो रुपम को छुट्टी नहीं मिली।
    निशा को लेने जाने के लिये रुपम ने मुझे कहा। सो मैं निशा को लेने ट्रैन
    से निकला। निशा को वैसे मैने कभी गलत निगाहों से नहीं देखा था। लेकिन उस
    यात्रा मे हम दोनो में कुछ ऐसा हो गया कि मेरे सामने हमेशा घूंघट में
    घूमने वाली निशा बेपर्दा हो गयी।
    हमारी टिकट 1st class में बुक थी। चार
    सीटर कूपे में दो सीट पर कोई नहीं आया। हम ट्रैन में चढ़ गये। गरमी के दिन
    थे। जब तक ट्रैन स्टेशन से नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घूंघट में खड़ी
    थी। मगर दूसरों के आंखों से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट दिया और कहा,
    "अब
    आप चाहे कुछ भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप
    अच्छे लगते हो आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।" मैं उसकी बात पर हँस पड़ा।
    "मैं
    भी घूंघट के समर्थन में कभी नहीं रहा।" मैने पहली बार उसके बेपर्दा चेहरे
    को देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया। अचानक मेरे मुंह से
    निकला
    "अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हुश्न छिपा है उसका पता कैसे
    लगता।" उसने मेरी ओर देखा फ़िर शर्म से लाल हो गयी। उसने बोतल ग्रीन रंग की
    एक शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी। ब्लाउज़ भी मैचिंग पहना था। गर्मी के कारण
    बात करते हुए साड़ी का आंचल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक गया। तब मैने जाना कि
    उसने ब्लाउज़ के अन्दर ब्रा नही पहनी हुई है। उसके स्तन दूध से भरे हुए थे
    इसलिये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे। ऊपर का एक हुक टूटा हुआ था इसलिये उसकी
    आधी छातियां साफ़ दिख रही थी। पतले ब्लाउज़ में से ब्रा नहीं होने के कारण
    निप्पल और उसके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था। मेरी नजर उसकी
    छाती से चिपक गयी। उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी
    नजरों से पीछा किया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शर्मा
    गयी और जल्दी से उसे आंचल से ढक लिया। हम दोनो बातें करते हुए जा रहे थे।
    कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर आयी तो उसका
    चेहरा थोड़ा गम्भीर था। हम वापस बात करने लगे। कुछ देर बाद वो वापस उठी और
    कुछ देर बाद लौट कर आ गयी। मैने देखा वो बात करते करते कसमसा रही है। अपने
    हाथो से अपने ब्रेस्ट को हलके से दबा रही है।
    "कोई प्रोब्लम है क्या?' मैने पूछा।
    "न।।नहीं" मैने उसे असमंजस में देखा। कुछ देर बाद वो फिर उठी
    तो मैने कहा "मुझे बताओ न क्या प्रोब्लम है?"
    वो
    झिझकती हुई सी खड़ी रही। फ़िर बिना कुछ बोले बाहर चली गयी। कुछ देर बाद वापस
    आकर वो सामने बैठ गयी।"मेरी छातियों में दर्द हो रहा है।" उसने चेहरा ऊपर
    उठाया तो मैने देखा उसकी आंखें आंसु से छलक रही हैं।"क्यों क्या हुआ" मर्द
    वैसे ही औरतों के मामले में थोड़े नासमझ होते हैं। मेरी भी समझ में नहीं
    आया अचानक उसे क्या हो गया।"जी वो क्या है म्म वो मेरी छातियां भारी हो
    रही हैं।" वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे समझाये आखिर मैं उसका जेठ
    था।" म्मम मेरी छातियों में दूध भर गया है लेकिन निकल नहीं पा रहा है।"
    उसने नजरें नीची करते हुए कहा।"बाथरूम जाना है?" मैने पूछा"गयी थी लेकिन
    वाश-वेसिन बहुत गंदा है इसलिये मैं वापस चली अयी" उसने कहा "और बाहर के
    वाश-वेसिन में मुझे शर्म आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?" "फ़िर क्या
    किया जाए?" मैं सोचने लगा "कुछ ऐसा करें जिससे तुम यहीं अपना दूध खाली कर
    सको। लेकिन किसमें खाली करोगी? नीचे फ़र्श पर गिरा नहीं सकती और यहां कोई
    बर्तन भी नही है जिसमें दूध निकाल सको"उसने झिझकते हुये फ़िर मेरी तरफ़ एक
    नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो अपने पैर के नखूनों को कुरेदती हुई
    बोली, "अगर आप गलत नहीं समझें तो कुछ कहूं?""बोलो""आप इन्हें खाली कर
    दीजिये न""मैं? मैं इन्हें कैसे खाली कर सकता हूं।" मैने उसकी छातियों को
    निगाह भर कर देखा।"आप अगर इस दूध को पीलो……"उसने आगे कुछ नहीं कहा। मैं
    उसकी बातों से एकदम भौचक्का रह गया।"लेकिन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे
    छोटे भाई की बीवी हो। मैं तुम्हारे स्तनों में मुंह कैसे लगा सकता हूं""जी
    आप मेरे दर्द को कम कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक
    नहीं है।?" उसने मुझसे कहा "मेरा दर्द से बुरा हाल है और आप सही गलत के
    बारे में सोच रहे हो। प्लीज़।"मैं चुप चाप बैठा रहा समझ में नहीं आ रहा था
    कि क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के निप्पल मुंह में लेकर दूध पीना एक
    बड़ी बात थी। उसने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिये।"प्लीज़" उसने फ़िर कहा
    लेकिन मैं अपनी जगह से नहीं हिला।"जाइये आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं
    है। आप अपने रूढ़ीवादी विचारों से घिरे बैठे रहिये चाहे मैं दर्द से मर ही
    जाउं।" कह कर उसने वापस अपने स्तनों को आंचल से ढक लिया और अपने हाथ आंचल
    के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन दर्द से
    उसके मुंह से चीख निकल गयी "आआह्हह्ह" ।मैने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से
    बाहर निकाल दिये। फ़िर एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा दिया। उसने
    मेरी तरफ़ देखा। मैं अपनी सीट से उठ कर केबिन के दरवाजे को लोक किया और
    उसके बगल में आ गया। उसने अपने ब्लाउज़ को उतार दिया। उसके नग्न ब्रेस्ट जो
    कि मेरे भाई की अपनी मिल्कियत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के लिये
    बेताब थे। मैने अपनी एक उंगली को उसके एक ब्रेस्ट पर ऊपर से फ़ेरते हुए
    निप्पल के ऊपर लाया। मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके निप्पल अंगूर की साइज़
    के हो गये। मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। उसके बड़े बड़े दूध से भरे
    हुए स्तन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे। उसने मेरे बालों को सहलाते हुए
    अपने स्तन को नीचे झुकाया। उसका निप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था। मैने
    जीभ निकाल कर उसके निप्पल को छूआ।"ऊओफ़्फ़फ़्फ़ जेठजी अब मत सताओ। पलेअसे इनका
    रस चूस लो।" कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर टिका दिया। मैने अपने
    होंठ खोल कर सिर्फ़ उसके निप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा। मीठे दूध की
    एकतेज़ धार से मेरा मुंह भर गया। मैने उसकी आंखों में देखा। उसकी आंखों में
    शर्म की परछाई तैर रही थी। मैने मुंह में भरे दूध को एक घूंठ में अपने गले
    के नीचे उतार दिया।"आआअह्हह्हह" उसने अपने सिर को एक झटका दिया।मैने फ़िर
    उसके निप्पल को जोर से चूसा और एक घूंठ दूध पिया। मैं उसके दूसरे निप्पल
    को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगा।"ऊओह्हह ह्हह्हाआन्न हाआन्नन जोर से चूसो
    और जोर से। प्लीज़ मेरे निप्पल को दांतों से दबाओ। काफ़ी खुजली हो रही है।"
    उसने कहा। वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फ़ेर रही थी। मैने दांतों से
    उसके निप्पल को जोर से दबाया।"ऊउईईइ" कर उठी। वो अपने ब्रेस्ट को मेरे
    चेहरे पर दबा रही थी। उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गर्दन से आगे
    बढ़ कर मेरे शर्ट के अन्दर घुस गये। वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने
    लगी। फ़िर उसने मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदा। "क्या कर रही हो?"
    मैने उससे पूछा।"वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ" उसने कहा"क्या कर रहा हूं
    मैं तुम्हारे साथ" मैने उसे छेड़ा"दूध पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के
    स्तनों से""काफ़ी मीठा है""धत" कहकर उसने अपने हाथ मेरे शर्ट से निकाल लिये
    और मेरे चेहरे पर झुक गयी। इससे उसका निप्पल मेरे मुंह से निकल गया। उसने
    झुक कर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और मेरे होंठों के कोने पर लगे
    दूध को अपनी जीभ से साफ़ किया। फ़िर वो अपने हाथों से वापस अपने निप्पल को
    मेरे लिप्स पर रख दी। मैने मुंह को काफ़ी खोल कर निप्पल के साथ उसके बूब का
    एक पोर्शन भी मुंह में भर लिया। वापस उसके दूध को चूसने लगा। कुछ देर बाद
    उस स्तन से दूध आना कम हो गया तो उसने अपने स्तन को दबा दबा कर जितना हो
    सकता था दूध निचोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।"अब दूसरा"मैने उसके स्तन को
    मुंह से निकाल दिया फ़िर अपने सिर को दूसरे स्तन के नीचे एडजस्ट किया और उस
    स्तन को पीने लगा। उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर फ़िर रहे थे। हम दोनो ही
    उत्तेजित हो गये थे। उसने अपना हाथ अगे बढ़ा कर मेरे पैंट की ज़िप पर रख
    दिया। मेरे लिंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। फ़िर उसे अपने हाथों से
    दबा कर उसके साइज़ का जायजा लिया।"काफ़ी तन रहा है" उसने शर्माते हुए
    कहा।"तुम्हारी जैसी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो एक बार तो
    विश्वामित्र की भी नीयत डोल जाये।""म्मम्म अच्छा। और आप? आपके क्या हाल
    हैं" उसने मेरे ज़िप की चैन को खोलते हुए पूछा"तुम इतने कातिल मूड में हो
    तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है" उसने अपना हाथ मेरे ज़िप से अन्दर कर
    ब्रीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए लिंग को निकालते हुए कहा "देखूं तो सही
    कैसा लगता है दिखने में"मेरे मोटे लिंग को देख कर खूब खुश हुयी। "अरे बाप
    रे कितना बड़ा लिंग है आपका। दीदी कैसे लेती है इसे?""आ जाओ तुम्हें भी
    दिखा देता हूं कि इसे कैसे लिया जाता है।""धत् मुझे नहीं देखना कुछ। आप
    बड़े वो हो" उसने शर्मा कर कहा।लेकिन उससे हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं
    की।"इसे एक बार किस तो करो" मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर झुकाते
    हुए कहा। उसने झिझकते हुए मेरे लिंग पर अपने होंठ टिका दिये। अब तक उसका
    दूसरा स्तन भी खाली हो गया था। उसके झुकने के कारण मेरे मुंह से निप्पल
    छूट गया। मैने उसके सिर को हलके से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर
    मेरे लिंग को जगह दे दी। मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया। उसने दो तीन
    बार मेरे लिंग को अन्दर बाहर किया फ़िर उसे अपने मुंह से निकाल लिया।"ऐसे
    नहीं… ऐसे मजा नहीं आ रहा है""हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को हटा
    देना चाहिये" मैने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा किया। मैने उठकर अपने कपड़े
    उतार दिये फ़िर उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी और पेटीकोट को उसके
    बदन से अलग कर दिया। अब हम दोनो बिल्कुल नग्न थे। तभी किसी ने दरवाजे पर
    नोक किया। "कौन हो सकता है।" हम दोनो हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली
    में भर लिये और निशा बर्थ पर सो गयी। मैने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल
    दी। इस बीच दो बार नोक और हुअ। मैने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था। उसने
    अन्दर आकर टिकट चेक किया और कहा "ये दोनो सीट खाली रहेंगी इसलिये आप चाहें
    तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं" और बाहर चला गया। मैने दरवाजा बंद किया
    और निशा के बदन से चादर को हटा दिया। निशा शर्म से अपनी जांघों के जोड़ को
    और अपनी छातियों को ढकने की कोशिश कर रही थी। मैने उसके हाथों को पकड़ कर
    हटा दिया तो उसने अपने शरीर को सिकोड़ लिया और कहा "प्लीज़ मुझे शर्म आ रही
    है।" मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा। इससे मेरा लिंग
    उसके मुंह के ऊपर था। उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह
    में मेरा लिंग चला गया और उसकी योनि पर मेरे होंठ सट गये।
    "आह विशाल जी
    क्या कर रहे हो मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी इस तरह मेरी योनि पर
    अपनी जीभ नहीं डाली" उसके पैर छटपटा रहे थे। उसने अपनी टांगों को हवा में
    उठा दिया और मेरे सिर को उत्तेजना में अपनी योनि पर दबाने लगी। मैं उसके
    मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। मेरे हाठ उसकी योनि की फ़ांकों को
    अलग कर रखे थे और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी। वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह
    में मेरे लिंग को जितना हो सकता था उतना अंदर ले रही थी। काफ़ी देर तक इसी
    तरह 69 पोज़िशन में एक दूसरे के साथ मुख मैथुन करने के बाद लगभग दोनो एक
    साथ खल्लास हो गये। उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था। उसके मुंह से चू
    कर मेरा रस एकपतली धार के रूप में उसके गुलाबी गालों से होता हुआ उसके
    बालों में जाकर खो रहा था। मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी।
    हम दोनो एक दम नग्न थे और दोनो के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनो एक दूसरे
    से लिपट गये और हमारे होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक गये मानो अब कभी भी न अलग
    होने की कसम खा ली हो। कुछ मिनट तक यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूमते
    रहे फ़िर हमारे होंठ एक दूसरे के बदन पर घूमने लगे।"अब आ जाओ" मैने निशा को
    कहा।"जेठजी थोड़ा सम्भाल कर। अभी अंदर नाजुक है। आपका बहुत मोटा हैकहीं कोई
    जख्म न हो जाये।""ठीक है। चलो बर्थ पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे
    ज्यादा अंदर तक जाता है और दर्द भी कम होता है।"निशा उठकर बर्थ पर चौपाया
    हो गयी। मैं पीछे से उसकी योनि पर अपना लंड सटा कर हलका सा धक्का मारा।
    गीली तो पहले ही हो रही थी। धक्के से मेरे लंड के आगे का टोपा अंदर धंस
    गया। एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योनि काफ़ी टाइट थी। वो दर्द से
    "आआह्हह" कर उठी। मैं कुछ देर के लिये उसी पोज़ में शांत खड़ा रहा। कुछ देर
    बाद जब दर्द कम हुआ तो निशा ने ही अपनी गांड को पीछे धकेला जिससे मेरा लंड
    पूरा अंदर चला जाये।"डालो न रुक क्यों गये।""मैने सोचा तुम्हें दर्द हो
    रहा है इसलिये।""इस दर्द का मजा तो कुछ और ही होता है। आखिर इतना बड़ा है
    दर्द तो करेगा ही।" उसने कहा। फ़िर वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी
    कमर को आगे पीछे करने लगी। मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार
    रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के से
    उसके दूध भरे स्तन उछल उछल जाते थे। मैने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके
    स्तनो को अपने हाथों से थाम लिया। लेकिन मसला नहीं, नहीं तो सारी बर्थ
    उसके दूध की धार से भीग जाती। काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने
    अपने सिर को को जोर जोर से झटकना चालू किया।"आआह्हह्ह शीईव्वव्वाअम्मम
    आआअह्हह्ह तूउम्म इतनीए दिन कहा थीए। ऊऊओह्हह माआईईइ माअर्रर्रर जाऊऊं
    गीइ। मुझीए माअर्रर्रर डालूऊओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लूऊ" और उसकी योनि में
    रस की बौछार होने लगी। कुछ धक्के मारने के बाद मैने उसे चित लिटा दिया और
    ऊपर से अब धक्के मारने लगा।"आअह मेरा गला सूख रहा है।" उसका मुंह खुला हुआ
    था। और जीभ अंदर बाहर हो रही थी। मैने हाथ बढ़ा कर मिनरल वाटर की बोतल उठाई
    और उसे दो घूंठ पानी पिलाया। उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक किस
    किया।"चोदो शिवम चोदो। जी भर कर चोदो मुझे।" मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा।
    काफ़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैने रस में डूबे अपने लिंग को उसकी योनि
    से निकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।"आजा मेरे उपर" मैने
    निशा को कहा। निशा उठ कर मेरे बर्थ पर आ गयी और अपने घुटने मेरी कमर के
    दोनो ओर रख कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर सेट करके धीरे धीरे मेरे लिंग पर
    बैठ गयी। अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी। मैने उसके निप्पल को पकड़ कर
    अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक गयी। मैने उसके निप्पल को सेट कर के
    दबाया तो दूध की एक धार मेरे मुंह में गिरी। अब वो मुझे चोद रही थी और मैं
    उसका दूध निचोड़ रहा था। काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी "शिवम मेरे
    निकलने वाला है। मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से भिगो दो।" हम दोनो साथ
    साथ झड़ गये। काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसे लेती
    रही। फ़िर जब कुछ नोर्मल हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी। हम दोनो
    लगभग पूरे रास्ते नग्न एक दूसरे को प्यार करते रहे। लेकिन उसने दोबारा
    मुझे उस दिन और चोदने नहीं दिया, उसके बच्चेदानी में हल्का हल्का दर्द हो
    रहा था। लेकिन उसने मुझे आश्वासन दिया। "आज तो मैं आपको और नहीं दे सकुंगी
    लेकिन दोबारा जब भी मौका मिला तो मैं आपको निचोड़ लुंगी अपने अंदर। और हां
    अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनो भाईयों में से किसका बच्चा आता है।
    उस यात्रा के दौरान कई बार मैने उसके दूध की बोतल पर जरूर हाथ साफ़ किया।
    If you like my story and you want to send me any type of stories then mail me on jeetukumarsexy@gmail.com.....
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