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Monday, 11 May 2015

एक लड़की ने ऑफिस ज्वाइन किया.

ये बात है फेब १४ के मंथ की. जब मैंने अपना ऑफिस रीज्वाइन किया था और काम काफी ज्यादा था और स्टाफ कम. सर काफी बार, स्टाफ बढ़ाने की बात कर चुके थे, लेकिन फाइनेंस का इशू बोल कर टाल देते थे. धीरे – धीरे दिन बढ़ते गये और फिर कुछ दिनों बाद, वहां पर एक लड़की ने ऑफिस ज्वाइन किया. उसका नाम मनीषा था, देखने में वो एकदम सॉलिड माल थी. उठे हुए बूब्स, जिसे पेंट अपने आप टेंट बन जाए.
और अट्रेकटिव बट्स जिसे महसूस करके इंसान का झड जाए. मैं परेशान था उससे बात करने के लिए या यू कहिये, उसका काम करने के लिए. फिर हमने सोचा, कि क्यों ना काम के ही बहाने उससे दोस्ती की जाए. कोशिश रंग ला रही थी. धीरे – धीरे हमारे बीच दोस्ती हुई, फिर धीरे – धीरे हम एक दुसरे के करीब आने लगे.
फिर हमने एक दुसरे को प्रोपोज किया. सिलसिला आगे बढ़ता गया और मेरा सेक्स करने के लिए एक्स्सित्मेंट भी बढता गया. फिर हम दोनों ने सेक्स करने का प्रोग्राम बनाया. हम दोनों ही जानते थे, हम दोनों को एक दुसरे से क्या चाहिए था. हमारे ऑफिस की कीज हमारे पास या मनीषा के पास रहती थी. बहुत दिनों बाद ऑफिस बंद होने के लिए मेल आई. कि इलेक्शन डे पर ऑफिस बंद रहेगा. हम लोगो को एक अच्छा दिन नज़र आने लगा. फिर इलेक्शन डे आया और ३०थ अप्रैल २०१४ को हमारे प्लान के अकोर्डिंग, मैं ऑफिस जल्दी आ गया और ऑफिस खोलकर मनीषा का वेट करने लगा. तक़रीबन ३० मिनट के बाद वो भी आ गयी और थोड़ी देर हम एक दुसरे से बात करते रहे और सोचते रहे, कि शुरुवात कहाँ से करे.
फिर शरम को ख़तम करके उसके होठो पर टूट पड़ा. वो भी मेरा साथ दे रही थी धीरे – धीरे मेरा हाथ उसकी ब्रा के अन्दर गया, जो बिलकुल टाइट थी. मेरा हाथ बहुत मुश्किल से निप्पल तक पंहुचा. हमने काफी देर मसला और वो मुह से बस आह्ह्ह्ह अहहहा की आवाज़े निकाल रही थी. फिर मैंने उसका कुरता उतार दिया, उसने रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी. रेड कलर वैसे भी सफ़ेद बूब्स पर खिलता है. फिर मेरा हाथ ब्रा के हुक पर चले गया और हुक खुल गया. दोनों पंछी आजाद होकर आसमान में उड़ने लगे और फिर मैंने उसके निप्पल को अपने मुह में दबा कर हलके दातो से उसको मसलने लगा. वो भी मछली की तरह मचलने लगी. फिर मेरा हाथ उसकी पेंटी में चला गया, जहाँ बिलकुल क्लीन शेव पुसी थी, जिसे मैं अपनी उंगलियों से सहला रहा था. बीच – बीच में ऊँगली मैं उसकी चूत के अन्दर भी डाल कर चला देता था. वो मस्त होती जा रही थी. वो सिर्फ एक ही बात बोल रही थी.. बस डाल दो… फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसका नाडा खीच लिया.
उसकी सलवार फ्लोर पर गिर गयी और फिर मैंने उसकी पेंटी नीचे किया और मुझे जब रहा नहीं गया, तो मैंने सीधे फुद्दी पर अपनी जुबान लगा दी और चूसने लगा. काफी देर चूसने के बाद देखा, वो मछली की तरह तड़पने लगी थी. इस तरह मैं उसे काफी देर तक लिक्क करता रहा. नमकीन टेस्ट मिल रहा था, लेकिन बहुत अच्छी लग रही थी वो स्मेल. मनीषा से रहा नहीं गया और उसने मेरी पेंट उतार कर अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को हिलाने लगी. मेरा लंड बहुत टाइट हो चूका था, बहुत बेताब हो रहा था उसकी चूत को फाड़ने के लिए. उसने मेरी अंडरवियर भी उतार दी और मुझसे भी नहीं रहा गया और मैंने उसकी चूत पर लंड को रख कर थोड़ा रगडा और फिर धीरे – धीरे धक्के लगाने लगा. लेकिन पूरा टोपा अन्दर नहीं गया. फिर मैंने एक जोर से धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. उसकी आवाज़ निकली आआआआआआआआआआअ आआआआआआआअऊऊऊऊऊओयीईईए मर गयी… मैं ..ऊऊऊऊईईईईइमा … मार डाला तुमने…
प्लीज धीरे करो.. अहहहहः अहहहः … उसकी इन आवाजो को सुनकर मेरा जोश बड़ने लगा था और इस तरह पुरे १५ मिनट तक राउंड चलता रहा. फिर मैं झड़ने वाला था. उसने कहा – अन्दर मत झाड़ना. फिर उसने मेरे लंड को निकाल कर मुह में लेकर चूसने लगी. फिर मैं भी उसके मुह में ही झड गया और उसके बाद, हमने कई बार सेक्स किचन सेक्स, स्टोर रूम में सेक्स, टेबल पर सेक्स, चेयर सेक्स.. फ्लोर पर सेक्स.. हर बार नई जगह और अलग – अलग पोजीशन में सेक्स किया. फिर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा और एक दिन सबको मनीषा के बारे में मालूम हो गया. उसने शर्म में जॉब छोड़ दी और २ दिन के बाद, हमने भी जॉब छोड़ दी. इस तरह हम दोनों लोग अलग – अलग हो गए, लेकिन मेरा पहला सेक्स बहुत यादगार सेक्स था.

Sunday, 3 May 2015

पैंटी के उतारते हुए धीरे धीरे

नीरज पाण्डेय आपको सीखा के साथ इंडियन सेक्स की कहानी सुना रहा हूँ जिससे मेरी हालही में मुलाकात मुम्बई एयरपोर्ट पे हुई थी | दोस्तों वो दिखने में तो गजब माल लग रही थी और हम दोनों की मुम्बई में अपने कुछ काम के सिलसिले में आये थे | हम दोनों एक ही टेक्सी पकड़ी और इसीलिए वहाँ टेक्सी में ही हमारी बातचीत भी चालू हो गयी |यह कहानी देसीएमएमस्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे । टेक्सी से उतरने के बाद हम एक साथ ही बात करते हुए चल रहे थे और एक ही होटल में जब हमने दो कमरों की बात कहीं तो पता चला की वहाँ एक ही कमरा खाली था | मैंने सोचा किसी दूसरे होटल में जाया जाए पर सीखा ने कहा की कुछ ही दिनों की बात है हम दोनों रह सकते हैं उप्पर से बतियाने के लिए कंपनी भी मिल जायेगी |
मैंने भी वैस ही किया जो उसने मुझे समझाया | हम दोनों एक दिन तो बातों में ही गुज़ार दिया और एक अछे दोस्त बन चुके थे और ऐसे ही करके दो दिन और निकल चुके थे | वो बेड रूम में सोया करती थी और मैं सोफे पे पर चौथे दिन शाम को उसने कहा की आज हम दोनों एक साथ ही बेड पर सो जाते हैं और सच पूछो तो मुझे बड़ी खुशी हुई | रात को हम दोनों एक दूसरे से बतियाते हुए धीरे धीरे रोमांटिक होने और मैं उसके बिलकुल आ गया था | हम दोनों आँखों में आँखें डाल दल खो चुकी थे और मैं अपनी उँगलियों को उसकी हथेली पर सहला रहा था |
मैं सीखा को सहलाता हुने मैंने उसके चुचों को दबा रहा था जिसके बाद हम दोनों के होंठ एक दूसरे पर लड़खड़ाते हुए मैंने उसके टॉप को उतार दिया | मैंने सामने बढते हुए उसके चुचों को मुंह में भर लिया जिसपर वो सिसकियाँ ले लगी थी | मैं दूसरे हाथ से पजामे को को नीचे कर दिया और पैंटी के उतारते हुए धीरे धीरे उंगलियां सीखा की चुत के अंदर डालने लगा | सीखा की चुत ५ मिनट में ही गीली हो चुकी थी | मैंने अब उसकी चुत को अपने लंड के सामने कर चुत पर अपने लंड को सटाके जोर देने लगा और लंड के ज़ोरों के धक्के उसकी चुत में बरसाए जा रहा था | वो पहले मुंह को खोले हुए बस हलके से आह्हह हहहह कर रही थी जिसके बाद अब उसकी कसके आवाज़ भी निकालनी शुरू हो गयी थी |
मेरा लंड अब उसकी चुत में जाते हुए मोटा सा होता जा रहा और मुझे बड़ा नरमी वाला सुकून मिल रहा था | नीचे से मेरा लंड उसकी चुत की धंजिया उड़ाते हुए अपने इंडियन सेक्स के करतब दिखा रहा था, तो मैं उप्पर से उसके होंठों को चूस रहा था | यह कहानी  डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।मैं न ही ज्यादा तेज रफ्तार में था ना ही ज्यादा कम, बस इस तरह बदन से तन मिलाए हुए चुदाई के हसीं सुख को आधे घन्टे तक जी रहे थे और उसकी चुत के पानी ने बिस्तर पूरा गीला कर दिया था | बा तो मैं भी उसकी गीली चुत में झड़ने से अपने आप को नहीं रोक पाया | अगली आखिरी दिन भी हमने पुरे दिन रात ५ बार चुदाई का खेल खेला और फिर वहाँ से लौट आया और उसे हमेशा के लिए छोड़कर |

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