नीरज पाण्डेय आपको सीखा के साथ इंडियन सेक्स की कहानी सुना रहा हूँ जिससे मेरी हालही में मुलाकात मुम्बई एयरपोर्ट पे हुई थी | दोस्तों वो दिखने में तो गजब माल लग रही थी और हम दोनों की मुम्बई में अपने कुछ काम के सिलसिले में आये थे | हम दोनों एक ही टेक्सी पकड़ी और इसीलिए वहाँ टेक्सी में ही हमारी बातचीत भी चालू हो गयी |यह कहानी देसीएमएमस्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे । टेक्सी से उतरने के बाद हम एक साथ ही बात करते हुए चल रहे थे और एक ही होटल में जब हमने दो कमरों की बात कहीं तो पता चला की वहाँ एक ही कमरा खाली था | मैंने सोचा किसी दूसरे होटल में जाया जाए पर सीखा ने कहा की कुछ ही दिनों की बात है हम दोनों रह सकते हैं उप्पर से बतियाने के लिए कंपनी भी मिल जायेगी |
मैंने भी वैस ही किया जो उसने मुझे समझाया | हम दोनों एक दिन तो बातों में ही गुज़ार दिया और एक अछे दोस्त बन चुके थे और ऐसे ही करके दो दिन और निकल चुके थे | वो बेड रूम में सोया करती थी और मैं सोफे पे पर चौथे दिन शाम को उसने कहा की आज हम दोनों एक साथ ही बेड पर सो जाते हैं और सच पूछो तो मुझे बड़ी खुशी हुई | रात को हम दोनों एक दूसरे से बतियाते हुए धीरे धीरे रोमांटिक होने और मैं उसके बिलकुल आ गया था | हम दोनों आँखों में आँखें डाल दल खो चुकी थे और मैं अपनी उँगलियों को उसकी हथेली पर सहला रहा था |
मैं सीखा को सहलाता हुने मैंने उसके चुचों को दबा रहा था जिसके बाद हम दोनों के होंठ एक दूसरे पर लड़खड़ाते हुए मैंने उसके टॉप को उतार दिया | मैंने सामने बढते हुए उसके चुचों को मुंह में भर लिया जिसपर वो सिसकियाँ ले लगी थी | मैं दूसरे हाथ से पजामे को को नीचे कर दिया और पैंटी के उतारते हुए धीरे धीरे उंगलियां सीखा की चुत के अंदर डालने लगा | सीखा की चुत ५ मिनट में ही गीली हो चुकी थी | मैंने अब उसकी चुत को अपने लंड के सामने कर चुत पर अपने लंड को सटाके जोर देने लगा और लंड के ज़ोरों के धक्के उसकी चुत में बरसाए जा रहा था | वो पहले मुंह को खोले हुए बस हलके से आह्हह हहहह कर रही थी जिसके बाद अब उसकी कसके आवाज़ भी निकालनी शुरू हो गयी थी |
मेरा लंड अब उसकी चुत में जाते हुए मोटा सा होता जा रहा और मुझे बड़ा नरमी वाला सुकून मिल रहा था | नीचे से मेरा लंड उसकी चुत की धंजिया उड़ाते हुए अपने इंडियन सेक्स के करतब दिखा रहा था, तो मैं उप्पर से उसके होंठों को चूस रहा था | यह कहानी डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।मैं न ही ज्यादा तेज रफ्तार में था ना ही ज्यादा कम, बस इस तरह बदन से तन मिलाए हुए चुदाई के हसीं सुख को आधे घन्टे तक जी रहे थे और उसकी चुत के पानी ने बिस्तर पूरा गीला कर दिया था | बा तो मैं भी उसकी गीली चुत में झड़ने से अपने आप को नहीं रोक पाया | अगली आखिरी दिन भी हमने पुरे दिन रात ५ बार चुदाई का खेल खेला और फिर वहाँ से लौट आया और उसे हमेशा के लिए छोड़कर |
No comments:
Post a Comment